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    जनजातीय वर्ग के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है मध्यप्रदेश सरकार

    भोपाल,15 नवंबर 2022 /
    मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।

    लम्बे समय तक प्रदेश का जनजातीय समुदाय अपनी इन तमाम विशिष्टताओं के बावजूद विकास की मुख्य-धारा से लगभग अलग-थलग रहा, पर अब यह स्थिति बदल रही है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पिछले अठारह वर्षों में प्रदेश की जनजातियों की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति में व्यापक बदलाव आया है। अब वे अपनी गौरवशाली परम्पराओं के साथ आधुनिक समय के साथ कदमताल करते हुए अपने संवैधानिक अधिकारों के साथ मुख्य धारा में है और सरकारी सर्वोच्च प्राथमिकता में।

    इन 18 वर्ष में प्रदेश में जनजातीय वर्गों के कल्याण के लिये सबसे बड़ा काम जनजातीय वर्गों की आबादी के अनुपात में बजट में राशि के प्रावधान का हुआ। वर्ष 2003-04 में जनजातीय कार्य विभाग का बजट 746.60 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2022-23 में 10 हजार 353 करोड़ रुपये का हो गया है। इस प्रकार बजट में 948 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

    प्रदेश के सभी 89 जनजातीय विकासखण्डों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में ग्राम स्तर तक राशन पहुँचाने के लिए “मुख्यमंत्री राशन आपके ग्राम” योजना लागू की गई है। अब तक 472 जनजातीय युवाओं को योजना के राशन वाहन हेतु 10 करोड़ 80 लाख रूपये की मार्जिन मनी की वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी गई है।

    सभी 89 जनजातीय विकासखण्ड में गर्भवती महिलाओं एवं 6 माह के बच्चों से 25 वर्ष तक के युवाओं में सिकलसेल रोग की रोकथाम के लिए हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन लागू कर सिकल सेल स्क्रीनिंग, रोकथाम, प्रबंधन, जैनेटिक काउंसलिंग एवं जन-जागरूकता का कार्य किया जा रहा है।

    प्रदेश में प्रतिवर्ष 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है। जनजातीय जननायकों की स्मृतियों को चिरस्थायी बनाने के लिए स्मारक और संग्रहालय बन रहे हैं। हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति, पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या मामा के नाम पर किया गया है। इन्दौर में भंवरकुआँ चौराहे पर टंट्या मामा की मूर्ति स्थापित की गई। छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय का नामकरण राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय और मंडला मेडिकल कॉलेज का नामकरण राजा ह्दयशाह मेडिकल कॉलेज किया गया है। क्रान्तिसूर्य टंट्या मामा के बलिदानों का स्मरण करते हुए इस वर्ष गौरव कलश यात्रा का आयोजन किया गया।