रायपुर. 14 नवम्बर 2023./ 2014 के मध्य में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से, दुनिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा फासीवादी संगठन आरएसएस , भारत को एक हिंदूराष्ट्र के रूप में बदलने की दिशा में सुनियोजित ताबड़तोड़ आक्रमण में लगा हुआ है। आरएसएस का वैचारिक आधार मनुवादी/ ब्राम्हणवादी हिंदुत्व है।जिसकी आधारशिला ” मनुस्मृति” है जिसके अनुसार दलितों उत्पीड़ितों,आदिवासियों,अल्पसंख्यकों,गरीब मेहनतकशों और महिलाओं को इंसान का नहीं गुलाम का दर्जा दिया गया है।इसके अलावा इसके तथाकथित हिंदुराष्ट्र में आरएसएस,मुसलमानों को नागरिकता और मानवाधिकारों से वंचित रखती है। असल में दुनिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने फासीवादी संगठन आरएसएस ,बाबासाहेब डॉ आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान को खत्म कर घोर मानवता विरोधी ” मनुस्मृति” को महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घराने अडानी अंबानी के द्वारा शासित हिंदुराष्ट्र के संविधान के रूप में लागू करने में जुटी है।विशेष रूप से,मोदी के दूसरे कार्यकाल के तहत 2019 के बाद से,भारत “मोदीनॉमिक्स” का एक क्रूर स्वरूप भी देख रहा है,जो आज क्रोनी कैपिटलिज्म का भारतीय संस्करण है और अखिल भारतीय स्तर पर पूर्ण रूप से कॉर्पोरेट-भगवा फासीवाद का बहु-आयामी संस्करण है।अडानी अंबानी जैसे धनकुबेर महाभ्रष्ट कॉरपोरेट घरानों के लठैत के रूप में आरएसएस/भाजपा भारत की जनता की गाढ़ी खून पसीने की कमाई को लूटकर अपने आका देशी विदेशी कॉरपोरेट घरानों की तिजोरी भर रहे हैं। आज भगवा नव-फासीवाद के तहत देश का समूचा सामाजिक ताना-बाना,अत्यधिक नफरत भरे विभाजनकारी नीतियों और साम्प्रदायिक उकसावे के जरिए भयावह विघटन का सामना कर रहा है। इसका भयावह रूप मणिपुर से लेकर नूह ( हरियाणा) तक हम देख रहे हैं।मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का नव-फासीवादी आक्रमण अपनी बहुआयामी अभिव्यक्तियों के साथ आगामी विधानसभा और 2024 के आम चुनावों के संदर्भ में भयावह स्तर पर पहुंच गया है। धुर दक्षिणपंथी, नवउदारवादी-निगमीकरण और कॉर्पोरेट समर्थक श्रम,कर और पर्यावरण नीतियों का एक पूरा सेट, कुख्यात नोटबंदी और जीएसटी से,पहले मोदी.1 के तहत शुरू हुआ और मोदी.2 के तहत और तेज हो गया, जिसमें देश को बेचना भी शामिल है। भारतीय और विदेशी वित्तीय कुलीन वर्गों ने मिलकर भारतीय जनता की धमनियों में जो कुछ भी बचा है, उसे चूसकर भारत को पहले ही अभूतपूर्व रूप से भयावह स्थिति में पहुंचा दिया है। जबकि उत्पन्न संपत्ति का 80 प्रतिशत से अधिक सीधे शीर्ष एक प्रतिशत अति-अमीरों के पास जाता है, जिससे सबसे भ्रष्ट अरबपतियों के खजाने भर जाते हैं। आज़ादी के 75 साल बाद , मोदी के ” अमृत काल” में अमीरों और गरीबों के बीच अभूतपूर्व असमानता, भीषण बेरोजगारी, भूख( दुनिया ने सबसे भुखमरी पीड़ित देशों में भारत अग्रिम पंक्ति में है- 125 में 111वा स्थान) और भयावह मंहगाई के साथ, मोदी शासन के तहत भारत एक वैश्विक गरीबी का गढ़ बन गया है। आरएसएस/ भाजपा द्वारा फैलाए गए बहुसंख्यक हिंदुत्व ध्रुवीकरण और आपसी नफरत ने समाज को भाषा,जातीयता और धर्म की पहचान सहित अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया है। इसे सुविधाजनक बनाने के लिए, आरएसएस ने अपने सैकड़ों गुप्त और खुले संगठनों के माध्यम से न्यायपालिका, प्रशासन और पुलिस सहित सभी संवैधानिक और प्रशासनिक निकायों तक अपना जाल फैला लिया है। मणिपुर में चार महीने से चली आ रही बर्बरता और भयावहता अभी भी बिना किसी रूकावट के जारी है और हरियाणा में चल रही साम्प्रदायिक उथल-पुथल, जिसमें राज्य सत्ता के अंग सीधे तौर पर शामिल हैं,ये सब कॉर्पोरेट भगवा फासीवाद के तथाकथित “डबल इंजन” का परिणाम है। इन राज्यों में पूरी नौकरशाही और पुलिस का भगवाकरण किया जा रहा है और जातीय आधार पर विभाजित किया जा रहा है। फासिस्ट संघ परिवार के उकसाए पर हो रहे साम्प्रदायिक झड़पों के बाद मुस्लिम अल्पसंख्यक बस्तियों पर बुलडोजर चलाना,मोदी सरकार की कॉरपोरेट परस्त नीतियों का विरोध करने वाले पत्रकार,लेखक,विद्यार्थी,संस्कृति कर्मी,सामाजिक कार्यकर्ताओं का क्रूर दमन ,फासीवादियों के मौजूदा शासन के तहत ‘नई सामान्य प्रथा’ बन गई है।पिछले 10 सालों में मोदी शासन की धुर जनविरोधी नीतियों का विरोध करने के कारण,आतंकवाद निरोधक कानून UAPA,(जिसे और क्रूर और निरंकुश बनाया गया है) के तहत अलग अलग समय में 10000 से अधिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों तथा आम जनता के विभिन्न तबकों के लोगों को गिरफ्तार कर अनिश्चित काल के लिए जेल में सड़ाया गया/जा रहा है। पत्रकारों की आजादी का तो ये आलम है कि विश्व के पत्रकार आजादी सूचक में हमारा देश सबसे पिछले पायदान( 180 देशों में 161नंबर )पर है ।छत्तीसगढ़ में भी संघी मनुवादी फासिस्ट ताकतें,बस्तर से लेकर बीरनपुर बेमेतरा तक ” रोको, टोको,ठोको ” के नाम पर अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय,मुस्लिम समुदाय, आदिवासी एवं दलितों को अपने आतंकी फासिस्ट मुहिम का प्रमुख निशाना बना रही है और सिर्फ और सिर्फ क्रूर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के जरिए विधानसभा चुनाव को जितना चाहती है।चूंकि देश में तो आरएसएस/ भाजपा की अति सक्रियता से अडानी जैसे महाभ्रष्ट धन्नासेठ कॉरपोरेट घरानों का अमृतकाल चल रहा है। और आजादी के बाद सबसे ज्यादा गरीबी,भुखमरी,बेरोजगारी और मंहगाई भी आरएसएस/ भाजपा की घोर जनविरोधी नीतियों के कारण ही है।इसीलिए भाजपा के पास बीरनपुर में पड़ोसियों के आपसी विवाद के शिकार ( जो कतई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं था) मृतक के पिता को उम्मीदवार बनाया गया और ” हिंदू खतरे में है” का राग अलाप कर चुनाव जितने का मंसूबा बनाया गया है।ऐसे अंधकारपूर्ण समय में गत दिसंबर 2022 में दुर्ग ,छत्तीसगढ़ में समान विचारों वाले संगठनों को लेकर राज्य स्तर पर एक फासीवाद विरोधी “जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़” का गठन किया गया है। जन संघर्ष मोर्चा,छत्तीसगढ़ का गठन ,पिछले दो सालों के भीतर बंगाल,केरल,तमिलनाडु,उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में संचालित “फासिस्ट आरएसएस/ भाजपा को पराजित करो, लोकतंत्र संविधान की रक्षा करो” ( Defeat Fascist RSS/ BJP,Save Democracy Campaign) मुहिम से प्रेरित है। जहां एक मात्र उत्तर प्रदेश को छोड़कर जो की ब्राम्हणवादी/ मनुवादी हिंदुत्व की प्रयोगशाला है ,बाकी हर राज्य में इस प्रकार का अभियान चलाया गया और फासिस्ट संघ/ भाजपा की हार सुनिश्चित की गई।इसी प्रकार की पहल जनवादी, अंबेडकरवादी और संघर्षशील संगठनों की ओर से मध्यप्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में भी किया जा रहा है।
अभियान का उद्देश्य –
1. छत्तीसगढ में नवंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जनता के दुश्मन नंबर एक फासिस्ट संघ/ भाजपा को परास्त करने के लिए भाजपा विरोधी वोटों के विभाजन को रोकना और राज्य विधानसभा के हर सीट पर जो उम्मीदवार,भाजपा को हरा सकता है उसका समर्थन करना।
2.साथ ही इस अभियान का यह भी उद्देश्य है कि जनता के एक हिस्से के जेहन में गहराई से पैठ जमाए फासीवादी मनुवादी हिंदुत्व के नफ़रत और विभाजन के जहर को खत्म करना और आज़ादी की लड़ाई के दरम्यान हासिल साझी शहादत,साझी विरासत ” की परंपरा को पुनर्जीवित करना।
3. लोकतंत्र, संविधान और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा हर कीमत पर करना।
जन संघर्ष मोर्चा छत्तीसगढ़,राज्य के तमाम वामपंथी , किसान मजदूर,महिला, विद्यार्थियों ,दलित,आदिवासी,अल्पसंख्यक ,जनवादी ,प्रगतिशील ताकतों एवं समान विचार वाले संगठनों से आरएसएस नवफासीवाद के खिलाफ अविलंब उपरोक्त मुद्दों पर संचालित प्रदेशव्यापी राजनीतिक अभियान से तहेदिल से जुड़ने का आह्वान करता है।
इंकलाब ज़िंदाबाद
देश की साझी शहादत साझी विरासत जिंदाबाद।
अडानी अंबानी के हित में हिंदुराष्ट्र और इसके कथित संविधान मनुस्मृति का विधानसभा चुनाव में मुंहतोड़ जवाब दें।