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    छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र आज से

    रायपुर,01 दिसम्बर 2022। छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र आज (गुरुवार) से शुरू हो रहा है। सदन की औपचारिक शुरुआत सुबह 11 बजे से होगी। दो दिन के इस विशेष सत्र को आरक्षण विधेयकों को पारित करने के लिए बुलाया गया है। पहले दिन शुरुआत में सदन के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज मंडावी को श्रद्धांजलि दी जाएंगी।

    सदन के पहले दिन की कार्यवाही राष्ट्रगीत वंदेमारतम और राज्य गीत “अरपा पैरी के धार’ के गायन से शुरू होगी। उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत सदन के उपाध्यक्ष मनोज मंडावी और पूर्व विधायक दीपक पटेल के निधन की सूचना देंगे। उसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि देंगे। उसके बाद सदन की कार्यवाही एक दिन के लिए स्थगित हो जाएगी।

    बताया जा रहा है कि, विशेष सत्र के दूसरे दिन यानी 02 दिसम्बर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक 2022 को पेश करेंगे। इसके साथ ही शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक को भी पेश किया जाना है। चर्चा के बाद इन दोनों विधेयकों को पारित कराने की तैयारी है। राज्य कैबिनेट ने इन विधेयकों को पहले ही मंजूरी दे चुका है।

    उधर, विपक्ष दल भाजपा ने सरकार की नीतियों को चुनौती देने की तैयारी की है। विधानसभा में 70 विधायकों वाले सत्ताधारी दल को भरोसा है कि इन विधेयकों को बिना किसी अड़चन के पारित करा लिया जाएगा। विशेष सत्र पर बात करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पहले कह चुके है कि, भाजपा की गलत नीतियों के कारण सभी वर्गों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा था। अब इसके लिए विशेष सत्र बुलाया गया है। इसमें आदिवासियों के, अनुसूचित जाति के, OBC के और EWS सभी का बिल आएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, यह विधेयक पारित होगा।

    आरक्षण का नया कोटा
    मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 24 नवम्बर को हुई कैबिनेट की बैठक में आरक्षण का नया अनुपात तय हुआ है। सरकार अब आदिवासी वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुपात में 32 प्रतिशत आरक्षण देगी, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत और सबसे बड़े जातीय समूह अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। वहीं सामान्य वर्ग के गरीबों को 4 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव हुआ है।

    अनूपूरक बजट होगा पेश
    सदन के इस विशेष सत्र में सरकार इस साल का दूसरा अनुपूरक बजट पेश करने जा रही है। इसके प्रारूप को कैबिनेट की 24 नवम्बर वाली बैठक में ही मंजूरी दी गई थी। इस अनुपूरक में कुछ जरूरी सरकारी खर्चों के लिए धन की मांग की गई है। जानकारी के मुताबिक, यह अनुपूरक बजट भी शुक्रवार को ही सदन पेश होगा।

    आरक्षण का गणित
    प्रदेश सरकार ने 2012 आरक्षण के अनुपात में बदलाव किया था। इसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग का आरक्षण 32 प्रतिशत कर दिया गया। वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 12 प्रतिशत हुआ। इस कानून को गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। बाद में कई और याचिकाएं दाखिल हुईं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 सितम्बर 2022 को इसपर फैसला सुनाते हुए, राज्य के लोक सेवा आरक्षण अधिनियम को रद्द कर दिया। इसकी वजह से आरक्षण की व्यवस्था खत्म होने की स्थिति पैदा हो गई। शिक्षण संस्थाओं में भी आरक्षण खत्म हो गया है। भर्ती परीक्षाओं का परिणाम रोक दिया गया है। वहीं इसकी वजह से कॉलेजों में काउंसलिंग नहीं हो पाई है।

  • छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र, आरक्षण पर नया विधेयक लाएगी भूपेश सरकार, राज्यपाल अनुसुईया उइके भी तैयार

    छत्तीसगढ़ विधानसभा का विशेष सत्र, आरक्षण पर नया विधेयक लाएगी भूपेश सरकार, राज्यपाल अनुसुईया उइके भी तैयार

    रायपुर 10 नवंबर 2022/

    रायपुर। छत्तीसगढ़ में बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले से उपजी परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार आरक्षण पर नया विधेयक लाने जा रही है। इसके लिए एक व दो दिसम्बर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी आरक्षण के मुद्दे को लेकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत को भेजा था। विधानसभा अध्यक्ष ने वह प्रस्ताव राजभवन भेजा। वहां राज्यपाल अनुसुईया उइके ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब जल्दी ही विधानसभा सचिवालय से अधिसूचना जारी होगी।

    बता दे कि, छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार ने 2012 आरक्षण के अनुपात में बदलाव किया था। इसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग का आरक्षण 20 से बढ़ाकर 32 प्रतिशत कर दिया गया था। वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 16 से घटाकर 12 प्रतिशत किया था। इसको गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। बाद में कई और याचिकाएं दाखिल हुईं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 19 सितम्बर को इस पर फैसला सुनाते हुए राज्य के आरक्षण अधिनियमों की उस धारा को रद्द कर दिया, जिसमें आरक्षण का अनुपात बताया गया है। इसकी वजह से आरक्षण की व्यवस्था संकट में आ गई है। भर्ती परीक्षाओं का परिणाम रोक दिया गया है और प्रतियोगिता परीक्षाओं को टाल दिया गया है।

    आरक्षण पर बवाल जारी
    राज्य सरकार ने काउंसलिंग के लिए रोस्टर जारी कर 2012 से पहले की पुरानी व्यवस्था बहाल करने की कोशिश की। इस बीच आदिवासी समाज के पांच लोग हाई कोर्ट पहुंच गए। राज्य सरकार ने भी इस फैसले के खिलाफ अपील की। फिलहाल कोर्ट ने स्थगन देने से मना कर दिया है। इस बीच मेडिकल काउंसलिंग के लिए बने आरक्षण रोस्टर को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। इसमें आरक्षण का अनुपात अनुसूचित जाति 16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 20 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत बताया गया है। आदिवासी समाज और भाजपा ने बुधवार को इस मुद्दे को लेकर आंदोलन भी किया। वहीं, सर्व आदिवासी समाज ने 15 नवंबर को प्रदेश में आर्थिक नाकेबंदी की घोषणा कर दी है।

    अन्य राज्यों के आरक्षण का अध्ययन
    जानकारी के अनुसार, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक में आरक्षण की विधिक स्थिति का अध्ययन करने के लिए राज्य शासन की ओर से वरिष्ठ अधिकारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं का दल शीघ्र इन राज्यों में जाएगा। अध्ययन दल के गठन एवं इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय द्वारा आदेश भी जारी कर दिया गया है।

    उधर, सूबे के मुखिया भूपेश बघेल ने आदिवासी समाज को भरोसा दिलाया है कि राज्य में आरक्षण के मामले में आदिवासी निश्चिंत रहें। उन्हें 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि आदिवासियों के हित और उनके संरक्षण के लिए संविधान में जो अधिकार प्रदत्त है, उसका पालन हमारी सरकार कर रही है। हमारी स्पष्ट मंशा है कि संविधान द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग को प्रदान किए गए सभी संवैधानिक अधिकार उन्हें प्राप्त हों।