गरियाबंद 03 अक्टूबर 2023 /राज्य शासन द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए गांवों में गौठान का संचालन किया जा रहा है। गोठानों में ग्रामीणों को आर्थिक आय के विकल्प प्रदान करने आजीविका गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। इसी कड़ी में ग्राम बहेराभांठा की महिलाएं गांव के गोठान में विभिन्न आजीविका गतिविधियों के माध्यम से डेढ़ लाख रुपए का आय अर्जित कर चुकी है। साथ ही गांव में रोजगार प्राप्त कर समूह की महिलाओं को बाहर जाना नहीं पड़ रहा है। राम जानकी स्व सहायता समूह की महिलाएं बहेराभांठा गोठान में सब्जी उत्पादन, वर्मी कंपोस्ट निर्माण और अन्य आर्थिक गतिविधियों में जुटकर प्रतिमाह निश्चित आय अर्जित कर रही है। गौठान में उत्पादित जैविक सब्जियों को आस पास गांव के बाजारों में बेच कर अच्छी आमदनी कमा रही है। समूह की महिलाओं ने बताया की हम सब खेती किसानी, रोजी मजदूरी करके ही अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। हम सभी की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब थी, जिसके चलते खाना पीना, कपड़ा अच्छे से नसीब नही होते थे। उस वक्त ठीक से मजदूरी भी नही मिलते थी बहुत संर्घष भरी जिंदगी का सामना करना पड़ा था। उन्होंने बताया की राष्ट्रीय ग्रामीण आजिविका मिशन बिहान अन्तर्गत गौठान में सामुहिक कार्य जैसे सब्जी बाड़ी, वर्मी खाद बनाकर आय के स्त्रोत बना रहे हैं, शासन द्वारा चला रहे महत्वकांक्षी योजना- नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाडी, के तहत गौठान समिति के द्वारा 2 रू प्रति किलो में ग्रामीणों से गोबर खरीदकर समुह को दें रहे है। महिला समूह की दीदीयों द्वारा गोबर से वर्मी खाद बनाकर एवं गौठान मे सब्जी बाडी करके अच्छे आय का साधन बना रहे है। समूह की महिलाओं ने बताया की हम लोग समूह में शुरू में छोटे आजीविका के लिए खेती बाड़ी कर रहे थे। लेकिन गोठान योजना के संचालित होने से और गौठान में काम मिलने पर बहुत खुश है। साथ ही महिलाओं में आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय बढ़ा है। शासन द्वारा समूह को आजीविका गतिविधियों के लिए सहयोग भी किया जाता है। सब्जी बाड़ी के लिए बीज की व्यवस्था उद्यानिकी विभाग द्वारा किया जाता है। साथ ही मछली पालन के लिए विभाग द्वारा मछली बीज और जाल उपलब्ध कराया जाता है। जिससे गोठान में काम करने में आसानी होती है। महिलाओं ने बताया की हमारे गौठान ग्राम बहेराभांठा में 3-4 समूह को गौठान मे आजीविका करने का लाभ मिला है। गांव की महिलाओं को गोठान में काम कर आगे बढ़ते देख गांव की अन्य महिलाएं भी प्रेरित होकर अपने बाड़ी में जैविक पद्धति से 12 माह सब्जी उत्पादन का कार्य कर रही है।