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  • कोसा कीटपालन बना जीवन यापन का प्रमुख साधन

    कोसा कीटपालन बना जीवन यापन का प्रमुख साधन

    जशपुरनगर, 11 सितंबर 2023 /जिला मुख्यालय से लगभग 55-60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बसे ग्राम बन्दरचुवा में शासकीय कोसा बीज केन्द्र स्थापित किया गया है यह क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, इसी केन्द्र के अन्तर्गत विकास खण्ड-बगीचा के ग्राम भितघरा में लगभग 20 हेक्टेयर में साजा, अर्जुन पौधरोपण किया गया है। यह क्षेत्र अति पिछड़ा होने के कारण विभाग द्वारा आदिवासियों के उत्थान एवं रोजगार मूलक कार्य हेतु रेशम उत्पादन का कार्य प्रारम्भ किया गया है।ग्राम भितघरा के निवासी श्री बरनाबस तिग्गा पिता अलबिस तिग्गा जो कि इनके के द्वारा कोसा पालन कार्य किया जाता है इनका पांच सदस्यों का ग्रुप है इनके द्वारा जानकारी मिला कि वर्तमान में कोसा उत्पादन कार्य में सतुष्ट है एवं बताया कि गरीब परिस्थिति व पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण अपना सपना पुरा नही कर पाते थे छोटी-मोटी जरूरतों पर दुसरों के आगे हाथ फैलाना पड़ता था। कृषि भूमि भी कम होने के कारण अनाज का भी उत्पादन ज्यादा नहीं हो पाता था परन्तु रेशम विभाग से जुड़कर हमारी आर्थिक स्थिति मजबुत हो गई है खेती किसानी के अलावा अतिरिक्त आय अर्जित कर पाते हैं। हमारी वार्षिक आय प्रत्येक व्यक्ति का लगभग राशि 90 हजार से1 लाख तक हो जाती है जिससे अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में शिक्षा दिला रहे तथा किसी प्रकार का जरूरतों को पुरा कर पाता हूँ। परिवार के साथ खुशहाल जीवन यापन कर रहे हैं।श्री बरनाबस तिग्गा ने बताया कि हमारा ग्रुप को सीएसबी (सेंट्रल सिल्क बोर्ड) अंबिकापुर से प्राप्त होता है तथा कोसा उत्पादन होने के बाद उन्हीं के द्वारा कोसा फल क्रय किया जाता है एवं प्रथम फसल में सी ग्रेड का कोसा उत्पादन होता है तथा द्वितीय फसल में बी ग्रेड का कोसा फल उत्पादन होता है इस कोसा फल को बीज कोनसा फल के रूप में लिया जाता है । वित्तीय वर्ष-2023-24 में भी 05 लोगों का समूह बनाकर टसर कीट पालन कार्य किया गया है जिसका उत्पादन आना चालू हो गया है जिसमें अच्छा आमदनी अर्जित होने की सम्भावना है।सहायक संचालक रेशम श्री श्याम कुमार ने बताया कि जिले के जितने भी कोसा कृमिपालक को अच्छी आमदनी हो इस लिए अन्य राज्यों से अण्डे मंगाकर वितरण किया गया है। वर्तमान में सहायक संचालक रेशम जशपुर के पहल से जिले सभी कृमिपालकों को अच्छी उन्नत कोसा बीज अन्य राज्यों से मंगाकर लगभग 1 लाख डीएफएल्स वितरण कराया गया है, अनुमान लगाया जाता है कि लगभग 60-70 लाख कोसा उत्पादन होने की सम्भावना है। इससे कृमिपालको का रूझान और भी बढ़ती नजर आ रही है। श्री श्याम कुमार सहायक संचालक रेशम कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों द्वारा रोजगार पाने के लिए अन्य राज्यों में पलायन करना पूरी तरह से बंद करने का प्रयास किया जा रहा है तथा सहायक संचालक रेशम जशपुर के द्वारा कृमि पालक किसान से समय-समय पर मुलाकात कर उनको समझाईश देना एवं कृमि पालन में होने वाली परेशानी का जायजा लेना इत्यादि स्वयं उपस्थित होकर किया जाता है इस प्रकार से कृमि पलकों से सम्पर्क हमेशा बनाकर उनकी परेशानियों का समाधान करते है लोगों तक रोजगार उपलब्ध कराना रेशम विभाग का मूल उद्देश्य है।