Tag: कश्मीर में लागू आर्टिकल 370 को हटाने के वर्तमान सरकार की दांव पेच को दर्शाती फिल्म है आर्टिकल 370

  • कश्मीर में लागू आर्टिकल 370 को हटाने के वर्तमान सरकार की दांव पेच को दर्शाती फिल्म है आर्टिकल 370

    कश्मीर में लागू आर्टिकल 370 को हटाने के वर्तमान सरकार की दांव पेच को दर्शाती फिल्म है आर्टिकल 370

    मुम्बई/23 फरवरी 2024/ नेशनल अवार्ड विजेता निर्देशक आदित्य सुहास जांभले की फिल्म बड़े पर्दे पर रिलीज हो चुकी है। इससे पहले ही फिल्म को प्रधानमंत्री मोदी की ओर से ग्रीन चीट मिल चुकी है। उन्होंने कहा है कि सुना है इस हफ्ते आर्टिकल 370 आ रही है, अच्छी बात है लोगों को सही जानकारी मिल जाएगी। पीएम की यह बात शत प्रतिशत सही साबित हो रही है।आर्टिकल 370 फिल्म एक रहस्य और रोमांच से भरी सत्यघटना पर आधारित फिल्म है। फिल्म की कहानी कई अध्याय में दिखाई गई है जो सभी कहानी को एक सिरे से जोड़े रखती है। हर अध्याय नया रहस्य और रोमांच पैदा करता है और दर्शकों को बांधे रखता है। यह एक ऐतिहासिक घटना का वास्तविक दर्शन कराती है और कुछ अदृश्य पन्ने जो भारत की जनता से छुपाए गए उनको भी विस्तार से और सबूतों के साथ उजागर करती है।आर्टिकल 370 भारतीय संविधान का हिस्सा था जो जम्मू कश्मीर पर पिछले 70 सालों से लागू था। इस आर्टिकल से जम्मू कश्मीर को मुक्त कराने के लिए वर्तमान सरकार ने क्या कदम उठाए और इसके लिए उन्हें किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा यह पूरी कहानी को लघु रूप में इस फिल्म के माध्यम से दिखाने की कोशिश की गई है। यह मुख्य रूप से दो महिला सूत्रधारों के कंधों पर चलती है जिसमें कश्मीर की युवा लोकल फील्ड एजेंट जूनी हकसर (यामी गौतम धर) और दूसरी राजेश्वरी स्वामीनाथन (प्रियामणि) है जो प्रधानमंत्री के ऑफिस में टॉप सीक्रेट मिशन में काम कर रही है।कहानी की शुरुआत में ही राजेश्वरी एक फ़ाइल लेकर गृहमंत्री के कार्यालय में पहुंचती है वहीं दूसरी ओर जूनी कश्मीर के एक प्रख्यात अलगाववादी के ठिकाने का पता लगाकर उसको पकड़ती है जिसके लिए वह सेना के जवान यश चौहान और उसकी टीम की मदद लेती है। इस कार्य में जूनी के उच्च अधिकारी उस अलगाववादी नेता को पकड़ने की अनुमति नहीं देते इसके बावजूद भी वह यह कार्य करती है। कार्य सफल होता ही किंतु अपने अधिकारी की बात ना मानकर जूनी को एक बड़ा खामियाजा उठाना पड़ता है उसे कश्मीर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया जाता है। इधर पीएमओ ऑफिस में एक बड़े गुप्त फैसले पर कार्य किया जा रहा है जिसके लिए रूपरेखा बनाया जा चुका है। इसी बीच राजेश्वरी को जूनी द्वारा किये कश्मीर में हुए कार्य का पता चलता है और वह जूनी से संपर्क करती है उसे आस्वासन देती है कि वह एनआईए संगठन में कार्य करेगी अपनी खुद की टीम बनाकर कश्मीर में अलगाववादी नेताओं को पकड़ने और कश्मीर में हो रही घटनाओं को रोकने में सहायता करेगी। उसके ऊपर किसी भी प्रकार का उच्च अधिकारियों का दबाव नहीं होगा। सारा कार्य वह पीएम ऑफिस की देखरेख में करेगी और उन्हें रिपोर्ट करेगी।जूनी यह बात मानकर अपने कार्य में लग जाती है और इधर कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाये जाने के लिए क्या नियम और तरीके अपनाए जाए इस बावत जानकारियां इकट्ठी करने और आर्टिकल को कैसे रद्द करें इस बावत तैयारियां प्रारम्भ हो जाती है। इसके यह भी सुनिश्चित करना जरूरी था कि कश्मीर की अवाम को इससे कोई जानमाल का नुकसान ना उठाना पड़े। पूरी फिल्म आर्टिकल 370 को जम्मू कश्मीर से कैसे हटाया जाए और सभी विधानसभाओं में कैसे पारित हो इसी के इर्दगिर्द घूमती है। वैसे 5 अगस्त 2019 में वास्तव में जब जम्मू कश्मीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आर्टिकल 370 कैसे हटाया था लगभग पूरे भारत की जनता यह जानती है और अब कश्मीर के हालात कैसे हैं यह भी सभी को ज्ञात है। लेकिन लोगों को जो नहीं मालूम वह यह है कि इसे लागू करने के पीछे जो लोगों की मेहनत है।आर्टिकल 370 के प्रावधान सब जानते हैं पर लोग यह नहीं जानते थे कि यही प्रावधान कश्मीर को भारत से जुदा कर रहा था। इस फिल्म के निर्माण में लेखक और निर्देशक ने बड़ी बारीकी से कार्य किया है। काफी बारीक पहलुओं को बड़ी खूबसूरती से फिल्म में दिखाया है। किसी एक धर्म की आड़ नहीं ली गई है फिल्म की सच्चाई को दिखाने के लिए। फिल्म के कई संवाद और दृश्य वास्तविक है।फिल्म के कलाकारों का अभिनय बहुत ही सराहनीय है। यामी गौतम, प्रियामणि, अरुण गोविल और किरण करमाकर का अभिनय प्रभावशाली है। कई दृश्यों को देख आपको गर्व भी महसूस होगा और आप भावना में भी बह सकते हैं। कई नए रहस्य जानकर आप चौंक भी जाएंगे कि कैसे जनता को हमारे नेता भ्रमित कर अपनी राजनैतिक रोटियां सेकते हैं। फिल्म में कुछ कमियां भी है लेकिन फिल्म की पटकथा सारी कमियों पर पर्दा डालने के लिए काफी है। फिल्म का निर्देशन चुस्त है जो दर्शकों को आरंभ से अंत तक बांधे रखता है।
    देखा जाए तो यह फिल्म भारत की हर जनता और विद्यार्थियों को देखना चाहिए। फिल्म की पटकथा में महिला पत्रों के बजाए पुरुष पात्र लिए जा सकते थे किंतु निर्देशक ने महिला पात्रों का चयन कर फिल्म को गति देने के साथ नारी शक्ति को सम्मानित किया है।
    अपने देश और राजनीति को समझने के लिए फिल्म को देखना बेहतर निर्णय होगा दर्शकों के लिए।