Tag: कलिंगा विश्वविद्यालय में “ऑडियो प्रोडक्शन” पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न

  • कलिंगा विश्वविद्यालय में शोधपत्र लेखन कार्यशाला एवं प्रतियोगिता का तीन दिवसीय आयोजन संपन्न

    कलिंगा विश्वविद्यालय में शोधपत्र लेखन कार्यशाला एवं प्रतियोगिता का तीन दिवसीय आयोजन संपन्न

    नया रायपुर- कलिंगा विश्वविद्यालय में शहीद वीरनारायण सिंह शोधपीठ के तत्वावधान में छत्तीसगढ़ की कला,संस्कृति,साहित्य,इतिहास,राजनीति, जनजातीय समाज,जैव विविधता, वाणिज्य एवं तकनीकी विकास के विशेष संदर्भ में तीनदिवसीय शोधपत्र लेखन कार्यशाला एवं प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।जिसमें विभिन्न विषय के विद्वान प्राध्यापकों ने विद्यार्थियों को शोधपत्र लेखन की बारीकियों से अवगत कराया।यह कार्यशाला स्नातक स्तर के विद्यार्थियों को विशेष ध्यान में रखते हुए आयोजित की गयी थी। जिसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय के विद्यार्थियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।

    विदित हो कि विद्या और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित कचना धुरवा महाविद्यालय छुरा,रायपुर के निदेशक एवं प्राचार्य डॉ.दिनेश साहू ,कलिंगा विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग की अध्यक्ष डॉ.सुषमा दूबे एवं अन्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण के पश्चात कार्यशाला का शुभारंभ किया गया।शहीद वीरनारायण सिंह शोधपीठ के अध्यक्ष डॉ.अजय कुमार शुक्ल ने कार्यशाला की रुपरेखा को स्पष्ट करते हुए बताया कि इस कार्यशाला में विभिन्न विद्वान प्राध्यापकों के द्वारा विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने के बाद उन्हें आज से बीस दिन के उपरांत अपने प्राध्यापकों की मदद से शोधपत्र तैयार करके जमा करना होगा।जिसमें सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र तैयार करने वालों को प्रमाणपत्र एवं पुरस्कृत करने के साथ-साथ उनके शोधपत्र का प्रकाशन किया जाएगा।इसके अतिरिक्त शोधपत्र लिखकर जमा खरने वाले सभी विद्यार्थियों के शोधपत्र का प्रकाशन स्कोपस रिसर्च जर्नल सूची में संलग्न न्यूरोक्योन्टीलॉजी जर्नल के विशेष संस्करण में किया जाएगा।जिसके लिए विश्वविद्यालय के द्वारा समस्त सुविधा उपलब्ध कराने के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी।

    कार्यशाला के पहले दिन सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.एन.के.धापेकर ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि शोध एक खोजपूर्ण और तथ्यपरक व्याख्या है। इसका प्रस्तुतिकरण और भी महत्वपूर्ण है। लेखन एक कला है। शोध लेखन उसका उच्चतम बिंदु है। वैश्विक स्तर पर कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते हमारा ज्ञान सदैव समतुल्य होना आवश्यक है। किसी भी शिक्षक एवं विद्यार्थी के लिए यह बहुत जरूरी है कि वह सदैव अपने ज्ञान को अपडेट करते रहें।उन्होंने बताया कि एक अच्छा शोध पत्र लिखने के लिए हमें महत्वपूर्ण बिंदुओं की गंभीर समझ होनी जरूरी है।उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि केवल शोधपत्र लिखना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि उसे ठीक से प्रस्तुत करने की कला भी शोधार्थियों में होनी चाहिए।

    भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.ए.राजशेखर ने कहा कि शोध पत्र लिखते समय सबसे महत्वपूर्ण है शीर्षक चयन,उसके बाद विषय से संबंधित ज्ञान का विश्लेषण और फिर समस्या का समाधान।शोधपत्र,समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में बड़ी भूमिका अदा करते हैं। शोध पत्र लेखन में गुणवत्ता, अच्छी भाषा शैली, नया विषय एवं क्षेत्र विशेष को ध्यान में रखना चाहिए।इसी क्रम में अंग्रेजी विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ.विजयभूषण ने अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को शोध लेखन व रिसर्च पेपर से संबंधित विषयों पर तकनीकी ज्ञान से अवगत कराया।जिसके अंतर्गत उन्होंने बताया कि शोध पत्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषय “नवीनता” है |उन्होंने शोधपत्र के प्रारुप पर विद्यार्थियों को विस्तार से जानकारी दिया।

    कार्यशाला के दूसरे दिन कला एवं मानविकी संकाय की अधिष्ठाता डॉ.शिल्पी भट्टाचार्य ने शोधपत्र लेखन के सामान्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एक अच्छा शोध पत्र लिखने के लिए हमें महत्वपूर्ण बिंदुओं की गंभीर समझ होनी जरूरी है।इसी क्रम में राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ.अनिता सामल ने रिसर्च की पूरी रूपरेखा को सविस्तार बताया। उन्होंने शोधार्थियों को ऐसे रिसर्च टॉपिक लेने को प्रेरित किया,जिससे वे लगाव महसूस करते हों।कार्यशाला के तीसरे दिन अंग्रेजी विभाग की प्राध्यापक डॉ.विनीता दीवान ने छत्तीसगढ़ राज्य के संदर्भ में जानकारी देते हुए कहा कि रिसर्च वर्क के समय प्राथमिक स्त्रोत की जानकारी बहुत जरुरी है।अपने आस पास के जाने-पहचाने विषय पर आप अपना रिसर्च पेपर तैयार कर सकते हैं।

    उन्होंने बताया कि शोध पत्र लेखन में नैतिक एवं सामाजिक पक्षों का ध्यान रखा जाना चाहिए। शोध का विषय समाज को परिवर्तन देने वाला हो। नये विचार और नयी खोज पर विशेष ध्यान देते हुए कापी-पेस्ट से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि शोधार्थियों को साहित्यिक चोरी और नकली जर्नल्स से बचते हुए ईमानदारीपूर्वक शोध कार्य करना चाहिए। ज्ञान एवं समाज के विकास के लिए शोधकार्य बहुत जरूरी है। इसी क्रम में जैव प्रौद्योगिकी विभाग की अध्यक्ष डॉ.सुषमा दूबे ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि शोध का विषय समाज को परिवर्तन देने वाला होना चाहिए,जिससे संपूर्ण मानव जाति का फायदा हो सके।उन्होंने विश्वविद्यालय में उपलब्ध ई-संसाधनों के प्रभावी उपयोग के द्वारा अच्छे शोध पत्र लिखने की विभिन्न तकनीकों के बारे में बताया तथा शोधपत्र में प्लेगरिज्म चेक की आवश्यकता के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्रदान किया।

    उक्त तीनदिवसीय कार्यशाला का संचालन हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ.अजय शुक्ला के द्वारा एवं आभार प्रदर्शन इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक श्री चंदन सिंह राजपूत ने किया।इस अवसर पर कला एवं मानविकी संकाय की डीन डॉ.शिल्पी भट्टाचार्य, डॉ.ए.राजशेखर, डॉ.एन.के. धापेकर, डॉ. अनिता सामल, डॉ.विजय भूषण, डॉ.सुषमा दूबे, श्री पीयूष दास, सुश्री वफी अहमद खान, श्री चंदन सिंह राजपूत, सुश्री मधुमिता दास, सुश्री एल. ज्योति रेड्डी एवं विभिन्न संकाय के प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थें।

     

  • कलिंगा विश्वविद्यालय में प्रोटीन एस्टीमेशन एंड बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर पर एक दिवसीय प्रशिक्षण

    कलिंगा विश्वविद्यालय में प्रोटीन एस्टीमेशन एंड बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर पर एक दिवसीय प्रशिक्षण

    नया रायपुर- कलिंगा विश्वविद्यालय मध्य भारत का प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थान है। जिसे राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के द्वारा बी प्लस रेंक की मान्यता प्रदान की गयी है। यह छत्तीसगढ़ में एकमात्र निजी विश्वविद्यालय है जो एनआईआरएफ रैंकिंग-2022 में उच्चस्तरीय 101-150 विश्वविद्यालय में शामिल है।

    विदित हो कि कलिंगा विश्वविद्यालय में मूल्य आधारित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अनुसंधान पर केंद्रित नये शोध और नयी खोज को विकसित करने के लिए सर्वसुविधायुक्त सेंट्रल इंस्ट्रुमेंटेशन सुविधा (सीआईएफ) की स्थापना की गयी है। सीआईएफ के द्वारा विश्वविद्यालयीय छात्रों और शिक्षकों के साथ-साथ निर्धारित शुल्क लेकर बाहरी शैक्षणिक संस्थानों के स्नातकोत्तर विद्यार्थी, शोध छात्र, वैज्ञानिक अधिकारी एवं अन्य संस्थाओं के इच्छुक प्रतिभागियों के लिए उच्च-स्तरीय शोध उपकरणों को उपलब्ध कराकर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा हैं। जिससे एक बेहतर शोध वातावरण बन सके। इसी तारतम्य में कलिंगा विश्वविद्यालय में सीआईएफ विभाग के द्वारा श्रृंखलाबद्ध प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। जिसके अंतर्गत 05 नवंबर 2022 को ‘‘प्रोटीन एस्टीमेशन एंड बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर” पर एकदिवसीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया।

    कलिंगा विश्वविद्यालय के फार्मेसी भवन में आयोजित उक्त एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आर.श्रीधर, महानिदेशक डॉ.बैजू जॉन एवं विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, प्रतिभागी और विद्यार्थियों की उपस्थिति में ज्ञान और विद्या की देवी माँ सरस्वती के प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना करने के पश्चात किया गया। कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आर.श्रीधर ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘‘इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए नवीनतम और सबसे उन्नत विश्लेषणात्मक तकनीकों के साथ सर्वसुविधायुक्त प्रयोगात्मक ज्ञान प्रदान करना है। जिससे उपयोगकर्ता नवीन अनुसंधान विधियों को प्रयोगशाला के माध्यम से समझ सकें और अपने शोधकार्य में प्रयोग करने के साथ-साथ उसके औद्योगिक आवश्यकता के महत्व को समझकर प्रशिक्षित हों एवं अपने उद्देश्य को पूर्ण करने में सफल हों। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में सम्मिलित होने के उपरांत शोधकर्ता अपने सटीक शोध निष्कर्षों का अपने कार्यक्षेत्र में उपयोग करने के साथ-साथ देश-विदेश के प्रतिष्ठित रिसर्च जर्नल में प्रकाशित कर वैश्विक विकास में सहभागी बनेंगे।

    कलिंगा विश्वविद्यालय के महानिदेशक डॉ. बैजू जॉन ने कहा कि ‘‘इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की संरचना को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि प्रशिक्षणार्थी प्रयोगशाला अनुसंधान और औद्योगिक आवश्यकता को समझ सकें और आसानी से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। प्रशिक्षण कार्यक्रम के उपरांत निश्चित रूप से प्रशिक्षणार्थी इस मंच के तहत प्रशिक्षण विधि एवं विशेषज्ञ प्राध्यापकों के ज्ञान से लाभान्वित होंगे और एडवांस इंस्ट्रुमेंटेशन के कार्य और संचालन प्रक्रिया को आसानी से समझेंगे।“ प्रशिक्षण कार्यक्रम में अतिथियों के परिचय और स्वागत के उपरांत कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।प्रथम तकनीकी सत्र में जंतु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज सिंह और वनस्पति विज्ञान के सहायक प्राध्यापक श्री अभिषेक पांडेय के द्वारा प्रोटीन एस्टीमेशन एंड बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर के विभिन्न अनुप्रयोगों पर विस्तार से जानकारी देने के बाद व्यावहारिक सिद्धांतों पर प्रकाश डाला।जबकि दूसरे प्रशिक्षण सत्र में दोनों विशेषज्ञ प्राध्यापकों के द्वारा सेंपल तैयार करके ‘‘प्रोटीन एस्टीमेशन एंड बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर” के परीक्षण का सफल प्रदर्शन करके व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया।

    यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रोटीन एस्टीमेशन एंड बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर की क्षमताओं और सीमाओं पर बुनियादी ज्ञान प्रदान करने में सफल रहा। जो फुड इंडस्ट्री,डेयरी इंडस्ट्री, फार्मेक्यूलिकल इंडस्ट्री, आटोमोबाइल इंडस्ट्री, पालीमर और प्लास्टिक इंडस्ट्री, पेट्रोलियम, केमिकल एवं एग्रीकल्चर इंडस्ट्री के लिए बहुत उपयोगी है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागियों को उसके विभिन्न अनुप्रयोगों पर विस्तृत प्रशिक्षण देने के साथ-साथ सैद्धांतिक पहलुओं पर व्याख्यान, प्रदर्शन और नयी तकनीक की जानकारी प्रदान की गयी। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न संस्थाओं से आए हुए प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

    प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में जंतु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज सिंह ने उपस्थित अतिथि और प्रतिभागियों के लिए औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन दिया। इसके साथ ही इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ। उक्त एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला समापन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर श्रीधर, महानिदेशक डॉ बैजू जॉन, समस्त अधिष्ठाता और संबंधित विभाग के समस्त प्राध्यापक उपस्थित थे।

     

     

  • कलिंगा विश्वविद्यालय में “ऑडियो प्रोडक्शन” पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न

    कलिंगा विश्वविद्यालय में “ऑडियो प्रोडक्शन” पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न

    रायपुर 7 नवंबर 2022/

    कला और मानविकी संकाय के तत्वावधान में पत्रकारिता और जनसंचार विभाग, कलिंगा विश्वविद्यालय ने “ऑडियो प्रोडक्शन” पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया । आयोजन के विषय विशेषज्ञ सुप्रसिद्ध साउंड इंजीनियर और वॉयस ओवर कलाकार श्री आशुतोष कुमार थे। कला एवं मानविकी संकाय की अधिष्ठाता डॉ. शिल्पी भट्टाचार्य ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया, तत्पश्चात कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के सहायक प्राध्यापक श्री राजकुमार दास द्वारा किया गया ।

    कार्यशाला में श्री आशुतोष ने अपने प्रारंभिक समय से अब तक के अपने व्यावसायिक अनुभवों को साझा किया । इस दौरान, उन्होंने किसी ऑडियो सामग्री निर्माण के लिए तैयारी से लेकर अंतिम आउटपुट के चरण तक की विभिन्न प्रक्रियाओं और तकनीकों पर अपनी विशेषज्ञता को साझा किया । उन्होंने ऑडियो रिकॉर्डिंग के तकनीकी पहलुओं, मिक्सिंग, मास्टरिंग और स्टूडियो डिजाइन के साथ उनकी प्रासंगिकता के बारे में बताया । उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी में बदलाव के साथ काम में सर्वश्रेष्ठ होने के लिए हमें स्वयं को अपडेट करते रहना चाहिए । इसके साथ ही उन्होंने वॉयस ओवर प्रक्रिया और इस क्षेत्र में विभिन्न करियर पहलुओं के बारे में छात्रों के विभिन्न प्रश्नों का उत्तर दिया, उन्होंने विभिन्न ऑनलाइन – ऑफलाइन प्लेटफॉर्म और उपकरणों में किसी भी ऑडियो सामग्री की आउटपुट गुणवत्ता को बढ़ाने के तरीके के बारे में अपने विचार और अभ्यास भी साझा किए । सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ उन्होंने छात्रों को एडिटिंग सॉफ्टवेयर, हाई फिडेलिटी माइक्रोफोन और हेडफोन की सेटिंग्स और इंटरफेस का भी प्रदर्शन किया । कार्यक्रम के अंत में, पत्रकारिता और जनसंचार विभाग से प्राध्यापक सुश्री श्रेया द्विवेदी और सुश्री गीतिका ब्रम्हभट्ट द्वारा आभार प्रदर्शन और स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया ।

    कार्यक्रम में श्री ए.के. कौल, अध्यक्ष, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, श्री शेख अब्दुल कादिर, सुश्री तुहिना चौबे तथा कला एवं मानविकी संकाय के साथ-साथ अन्य संकाय सदस्यों सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित थे ।