नई दिल्ली,13 दिसम्बर 2022\ राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि उन्होंने (रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह) अपना बयान पढ़ा और बाहर चले गए। वह किसी स्पष्टीकरण या चर्चा के लिए तैयार नहीं थे। इसका (राजीव गांधी फाउंडेशन एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने का मुद्दा) कोई संबंध नहीं है। अगर हमारी गलती है तो हमें फांसी पर लटका दो।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमने सदन के नेता और राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि हमें स्पष्टीकरण का मौका दिया जाएगा लेकिन उन्होंने नहीं दिया और हमारी बात सुनने को तैयार नहीं थे। यह देश के लिए अच्छा नहीं है।
खड़गे बोले- हम देश के सैनिकों के साथ खड़े हैं
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जब उन्होंने हमें स्पष्टीकरण नहीं दिया तो विपक्षी दलों के सभी नेताओं ने वॉकआउट करने का फैसला किया। हम अपने देश की एकता और अखंडता के लिए एक साथ खड़े हैं, हम अपने सैनिकों के साथ हैं।
खड़गे से पहले कांग्रेस के सीनियर नेता शशि थरूर ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि तवांग पर चीन की नजर है। हमें वहां बहुत सतर्क रहना होगा। मुझे लगता है कि आज हमारी सेना ने जो किया उसे पूरे देश का समर्थन प्राप्त था। मैंने रक्षा मंत्री से कहा कि वे दुनिया को दिखा दें कि भारत एक है और इस पर हर पार्टी का हर सदस्य सेना के साथ है।
राज्यसभा और लोकसभा में राजनाथ सिंह ने क्या बयान दिया
अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीनी सैनिकों के साथ भारतीय सैनिकों की झड़प पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद के दोनों सदनों में बयान दिया है। लोकसभा में बयान देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि 9 दिसंबर को झड़प के बाद भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को उनके पोस्ट पर भेजने के लिए मजबूर किया।
चीनी सैनिकों ने यथास्थिति बदलने की कोशिश की: राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संक्षिप्त में तवांग झड़प पर बयान देते हुए कहा कि 9 दिसंबर को तवांग सेक्टर के यांग्त्से क्षेत्र में पीएलए के सैनिकों ने अतिक्रमण किया और यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया। इस प्रयास का हमारे सैनिकों ने दृढ़ तरीके से सामना किया। हमारे सैनिकों ने बहादुरी से पीएलए को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें अपनी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर किया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मामले को राजनयिक माध्यमों से चीन के साथ भी उठाया गया है। मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी सेनाएं हमारी सीमाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसे चुनौती देने के किसी भी प्रयास को विफल करने के लिए तैयार हैं।