Category: राज्य

  • लालबागचा राजा की पहली झलक आई सामने, गणेश भक्तों के लिए महाराष्ट्र में 15 दिनों के लिए टोल माफ

    लालबागचा राजा की पहली झलक आई सामने, गणेश भक्तों के लिए महाराष्ट्र में 15 दिनों के लिए टोल माफ

    मुंबई

    गणपति बप्पा मोरया के साथ मुंबई के लालबागचा राजा का फर्स्ट लुक गुरुवार को गणेश चतुर्थी से पहले जारी किया गया। हर साल मुंबई के लालबागचा राजा का बेसब्री से इंतजार किया जाता है। मुंबई के लालबागचा राजा के मस्तक पर 16 करोड़ का मुकुट आकर्षण का मुख्य केंद्र बना हुआ है। मैरून रंग की पोशाक पहने बप्पा की एक झलक देखकर भक्त मंत्रमुग्ध हो गए। पुतलाबाई चॉल में स्थित, लालबागचा राजा या ‘लालबाग का राजा’ भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में सबसे अधिक देखा जाने वाला गणेश मंडल है। आम लोगों से लेकर मशहूर हस्तियों तक, लाखों मुंबईवासी प्रतिष्ठित मूर्ति की एक झलक पाने के लिए हर साल लालबाग की लंबी कतारों में खड़े होते हैं। गणेशोत्सव को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार 5 सितंबर से 19 सितंबर तक सभी गणेश भक्तों के लिए टोल टैक्स माफ करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इसकी घोषणा की। इस संबंध में एक सरकारी विज्ञप्ति बुधवार को जारी की गई। यह छूट मुंबई-बेंगलुरु राष्ट्रीय राजमार्ग, मुंबई-गोवा राष्ट्रीय राजमार्ग और लोक निर्माण विभाग के तहत अन्य सड़कों पर टोल बूथों पर लागू होगी।

  • केजरीवाल समाज के लिए खतरा नहीं, जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सीएम के वकील की दलील

    केजरीवाल समाज के लिए खतरा नहीं, जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सीएम के वकील की दलील

    नईदिल्ली  ।

    दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। दिल्ली शराब नीति घोटाले में जेल में बंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ दिल्ली सीएम की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है। वहीं वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी, केजरीवाल का पक्ष रख रहे हैं। जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि सीबीआई ने आबकारी नीति मामले में जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें केजरीवाल का नाम नहीं है।साथ ही केजरीवाल को बीते दिनों अंतरिम जमानत देते हुए भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सीएम समाज के लिए खतरा नहीं हैं। सिंघवी ने ये भी कहा कि दो बार सुप्रीम कोर्ट और एक बार ट्रायल कोर्ट केजरीवाल को जमानत पर रिहा करने का आदेश दे चुका है।

  • शिक्षा और यूनिवर्सिटीज पर दोतरफा हमले : स्कूल-कॉलेज पहुंचा बतरा का ख़तरा

    शिक्षा और यूनिवर्सिटीज पर दोतरफा हमले : स्कूल-कॉलेज पहुंचा बतरा का ख़तरा

    दिल्ली।

    वे एक सप्ताह या महीना तो दूर की बात रही, शायद ही कोई पल क्षण ऐसा छोड़ते हैं, जब कहीं न कही, किसी न किसी नफरती एजेंडे को लेकर उन्माद उकसाने के लिए भड़काने वाला बयान न दें या ऐसा ही कोई काम न करें। इन पंक्तियों के लिखे जाने के समय इनकी नवोदित सांसद कंगना राणावत बेहूदगी और असभ्यता की अपनी अब तक की सारी सीमा और  रेखाओं को तोड़ते, ध्वस्त करते हुए देश के किसानों और उनके ऐतिहासिक आन्दोलन के बारे में घिनौनी भाषा में जहर उगल चुकी हैं। मध्यप्रदेश के संघप्रिय भाजपाई मुख्यमंत्री ‘इस देश में रहना है, तो वन्दे मातरम कहना होगा’ के नारे को नया रूप देते हुए ‘भारत में यदि रहना है, तो राम और कृष्ण की जय कहना होगा’ तक पहुंचा चुके हैं। उत्तरप्रदेश के योगी आदित्यनाथ ‘बंटेंगे, तो कटेंगे’ के युद्धघोष के साथ हर रोज कुछ पहले से ज्यादा कटु वचन उच्चार रहे हैं। जून में आये लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद से यह तीव्रता कुछ अधिक ही बढ़ी और उत्तरोत्तर बढ़ती दिख रही है। इन सब दावों और उनके पीछे छुपे इरादों के बारे में अलग से चर्चा जरूरी है। अभी धीरे-धीरे तीव्र हो रहे उस बुनियादी हमले पर नजर डालना ठीक होगा, जिसका मकसद इस तरह के कुप्रचार और झूठ में विश्वास करने के लायक समाज बनाना है ; और ऐसा हो सके इसके लिए शिक्षा और शिक्षा संस्थानों को कमजोर कर उन्हें अपने अनुकूल ढालना है।

    दिल्ली में जेएनयू के छात्र-छात्राओं पर मोदी-शाह की पुलिस की लठियाई ने देश की इस आला यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के बुरे हालात सामने ला दिए। छात्रावासों की लगातार बदतर होती हालत, पढ़ने-लिखने की सुविधाओं सहित हर चीज में कटौती और कुलपति द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित छात्रसंघ को मान्यता देने से इनकार आदि मुद्दों को लेकर जेएनयू के विद्यार्थी लड़ रहे हैं, पुलिस उन्हें पीट रही है और इसी बीच सरकार द्वारा भेजी गयी कुलपति, सरकारी मदद में कटौती का बहाना बनाकर इस विश्वविद्यालय की संपत्तियों की सेल लगा रही है। लीज के नाम पर उन्हें खुर्द-बुर्द कर रही है –  कुछ को सीधे-सीधे बेच रही है। अपने पहले कार्यकाल से ही मोदी और उनकी पूरी जुंडली जेएनयू  के पीछे पड़ी हुई थी, दमन और आतंक, अनेक तरह के फेरबदल और बदलाव थोपने के बाद अब लगता है, उन्होंने इसे निबटाने की ही ठान ली है।

    मामला सिर्फ जेएनयू का नहीं है – मसला सिर्फ पिछले कुछ समय से निशाने पर ली गयी एएमयू, जामिया या हैदराबाद यूनिवर्सिटी तक ही महदूद भी नहीं। उच्च शिक्षा के सारे केंद्र इस हमले की जद में हैं। असम के मुख्यमंत्री हेमंता विश्व शर्मा ने मेघालय की यूनिवर्सिटी ऑफ़ साईंस एंड टेक्नोलॉजी के खिलाफ युद्ध-सा ही छेड़ दिया है। इसके दरवाजे को मक्का जैसा गेट बताते हुए उन्होंने इस पर बाढ़ जिहाद तक का आरोप जड़ दिया। उनकी खोज है कि असम में जो भी बाढ़ आती है, वह री-भोई जिले में बनी इस यूनिवर्सिटी की वजह से ही आती है अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद्, भारतीय विश्वविद्यालय संघ और भारतीय बार कौंसिल द्वारा मान्यता प्राप्त, देश के 200 श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक मानी जाने वाली इस यूनिवर्सिटी से उनकी चिढ़ की मुख्य वजह इसका उस फाउंडेशन द्वारा स्थापित किया जाना है, जिसके अगुआ का नाम महबूबुल हक है। मगर बात सिर्फ इतनी नहीं है ; निशाने पर सिर्फ शिक्षा संस्थान नहीं हैं, समूची शिक्षा ही है। वे ऊपर से प्रहार करके ही उसे ध्वस्त नहीं करना चाहते, नीचे से खोखला कर इसे सीखने – लर्निंग – के केन्द्रों को सीखा-सिखाया भुलाने – अनलर्निंग – के अड्डों में बदल देना चाहते हैं। जिस देश के संविधान में नागरिकों के कर्तव्यों में वैज्ञानिक रुझान पैदा करना और बाकियों में ऐसा ही रुझान विकसित करवाना शामिल है, उस देश में वे अज्ञानी और अन्धविश्वासी नागरिकों की खरपतवार उगाना चाहते हैं। नई शिक्षा नीति में माध्यमिक शिक्षा के बाद सोशल स्टडीज को पूरी तरह से हटाकर सिर्फ जिस विधा में आगे पढ़ना है, उन्हीं विषयों को रखकर अपने समाज और इतिहास और विरासत से पूरी तरह अनभिज्ञ रोबोट्स तैयार करने का प्रोजेक्ट लाने का मंसूबा वे पहले ही बना चुके हैं – इसे  और आगे बढाते हुए अब बाकायदा अंधविश्वासों को पढ़ाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। पिछले सप्ताह गुजरात प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का उदघाटन करते हुए वहां के महामहिम राज्यपाल ने अपने भाषण में भावी वैज्ञानिकों को पारम्परिक ज्ञान को प्रोत्साहन देने की आड़ में गौमूत्र और गाय के गोबर को अपनी शोध की प्राथमिकताओं में लेने का उपदेश सुनाया। इसके पहले उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय, रायपुर के रविशंकर विश्वविद्यालय, वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, तिरुपति की केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ और भोपाल के केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में फलित ज्योतिष और वास्तु ज्योतिष के पाठ्यक्रम शुरू करके अंधविश्वासों का दीक्षांत महोत्सव आरम्भ किया जा चुका था। बीएचयू में छात्राओं के लिए ‘आदर्श बहू कैसे बनें’ का तीन महीने का डिप्लोमा कोर्स लाने का अभिनव प्रयोग उससे भी पहले अमल में लाया जा चुका था। अब इसे और नीचे ले जाने की धुन में दिल्ली की आठवीं कक्षा की नैतिक शिक्षा में वर्णाश्रम का महिमागान जोड़ दिया गया है।

    आर एस एस “लेखकों” की 88 किताबें मध्यप्रदेश के कोर्स में शामिल करके बतरा का खतरा अब हर छोटे-बड़े स्कूल की नीचे-ऊपर की कक्षाओं में पधरा दिया गया है, अज्ञान और कुंठा, नफरत और जुगुप्सा का अज्ञान अब मध्यप्रदेश के स्कूल-कालेजों की पढाई का हिस्सा होगा। प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने जिन नयी किताबों को शामिल करने का आदेश दिया है, उनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लेखकों की 88 किताबें शामिल हैं। इनमें से 14 किताबें तो अकेले संघी शिक्षाविद माने जाने वाले दीनानाथ बतरा की लिखी हुई हैं। ये बतरा साहब वही हैं, जिन्होंने पूरी शिक्षा प्रणाली को ही कथित भारतीय परम्परा के अनुकूल ढालने और उसे मनु सम्मत बनाने के अनेक उपक्रम किये हैं और ऐसा पाठ्यक्रम तैयार किया है, जो भारतीय समाज के विकास की अब तक की सारी व्याख्या और विश्लेषण को धिक्कारता है और उसे साम्प्रदायिक और वर्णाश्रमी नजरिए से देखता-दिखाता है। ध्यान रहे ये बतरा वे ही हैं, जिन्होंने पंजाब सरकार से अवतार सिंह पाश की प्रसिद्ध कविता “सबसे खतरनाक है मुर्दा शांति से भर जाना” हटाने को कहा था। बतरा अकेले नहीं है, उनके अलावा जिन आरएसएस “लेखकों” की किताबें कोर्स में शामिल की गयी हैं, उनमें सुरेश सोनी, डी अतुल्कोथारी, देवेन्द्र राव देशमुख आदि शामिल हैं। ये सभी संघ की विद्या भारती से जुड़े हैं। सारे शिक्षा संस्थानों को तुरंत इन किताबों को खरीदने का आदेश भी दिया है।

    इससे पहले जून में इसी प्रदेश के मुख्यमंत्री, जो इसके पहले उच्च शिक्षा मंत्री भी रहे हैं, को अचानक राम और कृष्ण को पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्सा बनाने की सूझी थी। अभी हाल ही में, जिस तुलना की न कोई आवश्यकता थी न तुक, उसे करते हुए उन्होंने कालिदास और शेक्सपीयर पर अपना ज्ञान बघारा है। उन्होंने कहा है कि शेक्सपीयर कालिदास के मुकाबले कुछ भी नहीं हैं, कालिदास उनसे ज्यादा बड़े हैं। विश्व साहित्य की इन दो महान हस्तियों के बारे में इस तरह की राय देने और तुलना करने का दुस्साहस वे ही कर सकते हैं, जिन्होंने इन दोनों में से किसी को भी न पढ़ा हो ।

    किताबों और ज्ञान की सभ्य समाज में  स्वीकृत पद्वत्तियों पर हमला फासिज्म के वैचारिक उस्तादों के किये की भौंडी नक़ल है। वर्ष 1933 में जर्मनी की सत्ता और सरकार पर कब्जा करने के बाद हिटलर और उसकी नाज़ी पार्टी ने कहा था कि ‘हमने सरकार तो फतह कर ली है, मगर यूनिवर्सिटीज फतह नहीं कर पाए हैं। उन्हें जीतना (मतलब ध्वस्त करना) अभी बाकी है।’ इस एलान के बाद कुछ ही महीनों में हिटलर की जर्मनी में जो हुआ, वह सबके सामने हैं । नाज़ी पार्टी ने बाकायदा राष्ट्रव्यापी आव्हान  देकर किताबें जलाने के लिए 10 मई का दिन बुक बर्निंग डे के रूप में मुक़र्रर किया था । इस दिन जर्मनी भर में लाखों किताबें जलाई गयीं। शुरुआत कार्ल मार्क्स और कार्ल काउत्स्की से हुयी, लेकिन सिगमंड फ्रायड, अर्नेस्ट हेमिंग्वे, यहाँ तक कि अल्बर्ट आईंस्टीन भी नहीं बख्शे गए। किताबों की इस होली के अवसर पर बर्लिन की एक भीड़ को उकसाते हुए हिटलर के प्रचार मंत्री गोयबल्स ने कहा था कि “हम किताबों से नहीं सीखेंगे, हम नए हिसाब से अपने नागरिक गढ़ेंगे और उनका चरित्र बनायेंगे।“ इन किताबों में 80 वर्ष पहले जा चुके जर्मन कवि और नाटककार हेनरिक हांइन की किताबें भी फूंक दी गयीं। इस कवि ने करीब एक शताब्दी पहले ही  चेतावनी दे दी थी कि ‘जो किताबें जलाता है, वह इंसान भी जलाएगा।‘  उनकी यह भविष्यवाणी सही साबित हुई और 1933 में किताबें जलाने के साथ हिटलर ने जो आगाज़ किया, उसके 12 वर्ष, मानवता के इतिहास के अब तक के सबसे बर्बर और हत्यारे 12 वर्ष निकले। भारत में यही काम शिक्षा और शिक्षा संस्थानों में पलीता लगाकर किया जा रहा है। यूं यह कुनबा किताबें जलाने का भी काम भंडारकर लाइब्रेरी से लेकर हुसैन की गैलरी तक कर चुका है। अब इसी काम को दूसरे तरीकों से भी किया जा रहा है। जर्मन कवि के रूपक में ही कहा जाएं, तो जो आज शिक्षा और शिक्षा संस्थानों की बुनियाद में बारूद बिछा रहे हैं, वे कल देश और समाज में जो भी सकारात्मक है, उसमें भी डायनामाईट लगायेंगे।

    नाजी पार्टी द्वारा किताबों और ज्ञान परम्परा बोले गए हमलों की खबर मिलने पर सुनने और देखने दोनों ही तरह की विकलांगता की शिकार होने के बावजूद विश्व की महान लेखिका बनी हेलेन केलेर ने हिटलर को एक टेलीग्राम संदेश भेज उससे कहा था कि “अगर आपको लगता है कि आप विचारों को मार सकते हैं, तो लगता है इतिहास ने आपको कुछ नहीं सिखाया है। तानाशाहों ने पहले भी कई बार ऐसा करने की कोशिश की है, मगर विचारों ने अपनी ताकत से ऊपर उठकर उन तानाशाहों को ही नष्ट कर दिया। आप मेरी किताबें और यूरोप के सबसे अच्छे दिमागों की किताबें जला सकते हैं, लेकिन उनमें मौजूद विचार लाखों चैनलों से होकर गुज़रे हैं, वे रहेंगे और दूसरे दिमागों को तेज करते रहेंगे।” हिटलर के कुकर्मों और उसकी दुर्बुद्धि की कठोरतम शब्दों में निंदा भर्त्सना करते हुए हेलेन ने उसे भेजे तार संदेश में लिखा था कि “यह मत सोचिए कि यहूदियों के साथ आपकी बर्बरता यहाँ अज्ञात है। तुम्हारे लिए बेहतर होगा कि तुम्हारे गले में चक्की का पत्थर लटका दिया जाए और तुम समुद्र में डूब जाओ, बजाय इसके कि तुम सभी लोगों से घृणा और तिरस्कार पाओ।“

    हिटलर की इस बोनसाई नस्ल ने न हेनरिक हाईन के बारे में सुना होगा, न हेलेन केलेर का लिखा पढ़ा होगा।   हिटलर की आगाज़ की पटकथा को भौंडे तरीके से मंचित करने वाले इस कुनबे को उसके अंत के बारे में पता है कि नहीं, नहीं मालूम। इन्होंने उससे कोई सबक सीखा है कि नहीं सीखा, ये तो वे ही जाने। किन्तु दुनिया के साथ भारत के लोग अच्छी तरह जानते है। सिर्फ बचना ही नहीं, निबटना भी जानते हैं।

     

     

  • सरकार ने बहनों को दी बड़ी खुशखबरी, इन महिलाओं को दोबारा मिलेगा योजना का लाभ

    सरकार ने बहनों को दी बड़ी खुशखबरी, इन महिलाओं को दोबारा मिलेगा योजना का लाभ

    मध्यप्रदेश ।

    लाड़ली बहनों के लिए एक बार फिर खुशखबरी आ रही है। अगर गलती से भी आपका नाम लाड़ली बहना योजना से हट गया है तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।

    बता दें कि कई महिलाओं को आधार कार्ड अपडेशन, समग्र आइडी अपडेट होने के बाद भी योजना का लाभ मिलना बंद हो गया। अब इन महिलाओं को दोबारा से मौका दिया जा रहा है। जिसकी प्रक्रिया शुरू हो गई।

    गलत चुन लिया था ऑप्शन

    योजना में महिलाओं के लिए लाभ परित्याग की व्यवस्था भी की गई है, ऐसे महिलाएं जो योजना का लाभ नहीं लेना चाहती या स्वयं सक्षम है वह खुद ऑनलाइन पोर्टल या जारी किए गए मोबाइल नंब पर कॉल कर लाभ लेने और लाभ नहीं लेने के लिए ऑप्शन का चयन कर सकती है।

    जिले की अधिकांश महिलाओं ने गलत ऑप्शन चुन लिया है, ऐसे में उन्हें योजना से बाहर कर दिया गया। दोबारा जोडऩे के लिए प्रशासन से लेकर शासन तक गुहार लगाई तो ऐसी महिलाओं ने लाभ जारी रखने के लिए आवेदन प्रक्रिया की जा रही है। अगर गलत से परित्याग किया है तो दोबारा लाभ चालू किया जा सकता है।

    47 महिलाएं अपात्र घोषित

    जानकारी के लिए बता दें कि बुरहानपुर जिले में एक लाख 33 हजार 621 महिलाओं ने योजना के लिए आवेदन किया था। वर्तमान में एक लाख 31 हजार 835 महिलाओं को हर माह खातें में 1250 रुपए आ रहे है, जबकि अगस्त माह में 1500 रुपए की राशि मिली।

    जांच के दौरान 47 महिलाएं अपात्र घोषित करने के बाद धीरे, धीरे महिलाएं योजना से बाहर हो रही है, क्योकि किसी का आधार समग्र से डिलीट हो गया है तो किसी ने आधार लिंक तोड़ दिया। ऐसे में कुल 1786 महिलाएं योजना से बाहर होकर अब दोबारा जुडऩे के लिए सरकारी विभागों के चक्कर लगा रही है।

  • स्टार्टअप से लेकर स्पेस तक बहनों ने अपनी पहचान स्थापित की है

    स्टार्टअप से लेकर स्पेस तक बहनों ने अपनी पहचान स्थापित की है

    दिल्ली।

    बहनों, प्रधानमंत्री जी का संकल्प है किसी बहन के आंखों में आंसू न रहें, हर एक चेहरे पर मुस्कुराहट आए, कोई मजबूर न रहे, इसलिए उन्होंने लखपति दीदी अभियान चलाया है । ऐसी दीदी जिनकी सालाना आय 1 लाख से अधिक हो ऐसी 1 करोड़ दीदी, लखपति बन चुकी है और विगत 100 दिन में 11 लाख दीदी लखपति बनी है । हमारी सरकार इस अभियान में तेजी से जुटी हुई है । विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में प्रधानमंत्री जी के इस अभियान से लगातार महिलायें जुड़ रही है और स्व सहायता समूह के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही है । मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री जी के आशीर्वाद से जल्द ही 3 करोड़ दीदी लखपति दीदी बनेंगी। देश में महिलाएं आगे बढ़ें, समृद्ध और संपन्न बनें एवं प्रगति के नए आयाम स्थापित करें, इसके लिए विगत 10 वर्षों से महिला कल्याण के अभूतपूर्व कार्य किए जा रहे हैं। मोदी जी देश के पहले प्रधानमंत्री है जिन्होंने महिलाओं के शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक सशक्तीकरण को सुनिश्चित किया है।

    महिलाएं समाज और राष्ट्र की धुरी हैं। हमारे गौरवशाली और समृद्ध भविष्य का आधार हैं। हमारे वेदों और पुराणों में नारी के महत्व का उल्लेख किया गया है। नारी शक्ति के बिना राष्ट्र की समृद्धि की कल्पना नहीं की जा सकती है इसलिए प्रधानमंत्री जी ने नारी शक्ति के समग्र विकास और संपूर्ण उत्थान को अपने जीवन का लक्ष्य बनाया है। ‘लखपति दीदी’ प्रधानमंत्री जी के इसी संकल्प का फल है।

    महिला सशक्त होगी तो परिवार सशक्त होगा, परिवार सशक्त होगा तो समाज सशक्त होगा और समाज के सशक्त होने से राज्य एवं राष्ट्र सशक्त होगा। लखपति दीदी अभियान से पीढ़ियाँ समृद्ध और सशक्त हो रही है इसलिए महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री जी ने 2500 करोड़ रुपए रिवॉल्विंग फंड के रूप में स्व सहायता समूहों के खातों में डाले है और 5 हजार करोड़ रुपए के बैंक ऋण जारी किए है जिससे बहनें तेजी से लखपति दीदी बन सके।

    प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि “भारत को विकसित बनाने के लिए भारत की प्रत्येक महिला को आर्थिक रूप से समृद्ध करना होगा, इसलिए हमारी सरकार महिलाओं की आर्थिक शक्ति बढ़ाने के लिए सभी दिशाओं में काम कर रही है। बैंक सखी, कृषि सखी, पशु सखी, नमो ड्रोन दीदी इसी दिशा में बढ़ाए गए महत्वपूर्ण कदम हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को रोजगार-स्वरोजगार के नए अवसर देने और सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक पहलुओं पर सशक्त बनाने की सोच को दर्शाते हैं। आज हमारी लखपति दीदी कृषि और गैर कृषि, कुटीर उद्योग, पोषण आहार, स्वच्छता अभियान, परिवहन सहित व्यापार से जुड़ कर सशक्त हो रही है।

    प्रधानमंत्री मोदी जी अपने सामाजिक राजनैतिक जीवन की शुरुआत से ही महिला कल्याण की दिशा में काम कर रहे है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए आदरणीय नरेंद्र मोदी जी ने बहनों-बेटियों के सर्वसमावेशी विकास के लिए ‘नारी गौरव नीति’ जैसी योजना बनाई। बहनें स्वावलंबी, आत्मनिर्भर, सशक्त और आर्थिक रूप से सक्षम बनें, इस दिशा में अनेक कार्य किए गए। आज बहनें सिद्ध कर रही हैं कि वह अबला नहीं, सबला हैं। बोझ नहीं, वरदान हैं। आज देशभर में करीब 92 लाख स्व-सहायता समूह कार्य कर रहे हैं जिनमें 10 करोड़ बहनें जुड़ी हैं। स्व-सहायता समूह के माध्यम से बहनों ने अपना जीवन बदला है और वे देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

    आदरणीय प्रधानमंत्री जी का सदैव यह प्रयास रहा है कि बहनों के जीवन में कैसे खुशियां लेकर आएं। इसके लिए उनके नेतृत्व में अनेक तरह की योजनाएं भी बनाई हैं। जहां एक ओर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान और ‘सुकन्या समृद्धि’ जैसी योजनाओं के माध्यम से लिंगानुपात में क्रांतिकारी बदलाव आया है। ‘उज्ज्वला योजना’ के माध्यम से 10 करोड़ से अधिक बहनों का खुशहाली से कनेक्शन जुड़ा और धुएं से मुक्ति मिली। आज पीएम मुद्रा योजना और जनधन योजना के माध्यम से करोड़ों बहनों के खाते में खुशियां सीधे पहुंच रही हैं। जल जीवन मिशन जैसे अभूतपूर्व प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में भी बहनों को नल से शुद्ध जल मिलना आसान हुआ है। मातृत्व अवकाश की अवधि बढ़ाने का प्रधानमंत्री जी का निर्णय अभूतपूर्व है और इसका सीधा लाभ कामकाजी महिलाओं को मिल रहा है ।

    प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा बेटियों के लिए सैनिक स्कूल के द्वार खोलने जैसे निर्णयों से सेना में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है। साथ ही भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को उच्च पदों पर नियुक्ति और नई भर्ती के द्वार भी खोले गए हैं। तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाकर, मुस्लिम महिलाओं को नया अधिकार दिया जिससे उनका भाग्य बदला है। यह सभी निर्णय प्रधानमंत्री जी की संवेदनशीलता और दूरदर्शिता के परिचायक हैं। खेलों के क्षेत्र में महिलायें आगे बढ़े, नया टैलेंट बाहर आए इसलिए खेलों इंडिया जैसे कार्यक्रमों से निकली खिलाड़ी बेटियों ने ओलंपिक जैसे वैश्विक मंचों पर भारत का तिरंगा लहराया है ।

    आजादी के अमृतकाल में नारी का अभ्युदय और प्रत्येक क्षेत्र में उसकी भागीदारी सुनिश्चित हो, इसके लिए मोदी जी प्रतिबद्ध हैं। महिलाओं के राजनैतिक सशक्तिकरण हो , उनके राजनैतिक अधिकार भी सुनिश्चित हो इस दिशा में ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ मोदी जी की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

    प्रधानमंत्री जी द्वारा प्रारंभ की गई महिला कल्याण केंद्रित योजनाओं से महिलाओं को सुगमता के साथ जीवन जीने का अवसर मिला है। बेटियां गंगा, गीता, गायत्री हैं। सीता, सत्य, सावित्री हैं। दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती हैं। इनके बिना सृष्टि नहीं चल सकती। आज परिवार से लेकर पंचायत तक, शिक्षा से लेकर अर्थव्यवस्था और उद्यम तक, नारी शक्ति हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही है । स्टार्ट अप से लेकर स्पेस तक भारतीय महिलाओं ने अपना परचम लहराया है ।

    प्रधानमंत्री जी संकल्प के धनी है। वे दिन और रात काम करते हैं। उन्होंने लाल किले के प्राचीर से कहा कि मैं विकसित भारत बनाने के लिए तीन गुना अधिक ताकत से काम करूंगा। मैं लखपति दीदियों से अपील कर रहा हूँ कि प्रधानमंत्री तीन गुना अधिक ताकत से काम करेंगे तो हम भी उनके पीछे दोगुनी ताकत से काम करेंगे। प्रधानमन्त्री जी का संकल्प है गरीबी मुक्त गांव और वो गांव बनाने में हम भी कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

    हमारे प्राचीन ग्रंथों में लिखा है कि “नारी के बिना यज्ञ अधूरा है।“ विकसित भारत के निर्माण और राष्ट्र के संपूर्ण कल्याण का यज्ञ भी नारी के उत्थान एवं उसके सशक्तीकरण के साथ ही संभव है । निश्चय ही आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देशभर में माताओं, बहनों एवं बेटियों के कल्याण के जो कार्य हो रहे हैं, वह ‘विकसित और आत्मनिर्भर भारत’ की भव्य इमारत को दिव्य आकार दे रहे हैं। आज हमारी माताएं, बहनें आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और शैक्षणिक रूप से सशक्त एवं आत्मनिर्भर हो रही हैं और हम सब विकसित भारत के स्वप्न को साकार होते देख रहे हैं। संपूर्ण विश्व कह रहा है कि यह समय भारत और भारत की नारी शक्ति के उदय का है।

     

     

  • तेलंगाना-आंध्र में कहर बनकर आसमान से बरस रही बारिश, अब तक ३1 लोगों की मौत, 4३2 ट्रेनें रद्द

    तेलंगाना-आंध्र में कहर बनकर आसमान से बरस रही बारिश, अब तक ३1 लोगों की मौत, 4३2 ट्रेनें रद्द

    नईदिल्ली  ।

    तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कई इलाकों में लगातार तीसरे दिन मूसलधार बारिश हुई। इससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। नदियां-नाले उफान पर हैं। लगातार बारिश के कारण निचले इलाकों में पानी भर गया है, फसलों को नुकसान पहुंचा है। सडक़ और रेलमार्ग अवरुद्ध हो गए हैं। कई स्थानों पर पटरियों पर जलभराव और ट्रैक क्षतिग्रस्त होने के कारण 432 ट्रेनें रद की गई हैं जबकि 139 के मार्गों में फेरबदल किया गया। एनडीआरएफ, सेना समेत अन्य एजेंसियां राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी हैं।

    तेलंगाना में इस प्राकृतिक आपदा से 16 और आंध्र प्रदेश में 15 लोगों की मौत हो गई। 1.5 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र की फसलों को नुकसान पहुंचा है। राज्य सरकार ने करीब 5,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया है और केंद्र से तत्काल 2,000 करोड़ की सहायता मांगी है। साथ ही बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है। आंध प्रदेश में भी बाढ़ से करीब 4.5 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने बाढ़ में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रभावित इलाकों का दौरा करने और बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बाढ़ से हुए नुकसान पर केंद्र को एक व्यापक रिपोर्ट सौंपेगी। खम्मम जिले में बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। तीन दशक बाद यहां ऐसी बाढ़ आई है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में आदिलाबाद, जगित्याल, कामारेड्डी, कोमाराम भीम आसिफाबाद, मेडक, मेडचल मलकाजगिरी, निजामाबाद, पेड्डापल्ली, संगारेड्डी समेत 11 जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई है।

  • मशहूर सिंगर एपी ढिल्लों के घर के बाहर ताबड़तोड़ फायरिंग से हड़कंप, इस गैंग ने ली हमले की जिम्मेदारी

    मशहूर सिंगर एपी ढिल्लों के घर के बाहर ताबड़तोड़ फायरिंग से हड़कंप, इस गैंग ने ली हमले की जिम्मेदारी

    नई दिल्ली।

     ‘ब्राउन मुंडे…’, ‘समर हाई…’ फेम सिंगर एपी ढिल्लों को लेकर एक शॉकिंग खबर सामने आ रही है. मशहूर सिंगर के घर के बाहर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई. सिंगर का घर कनाडा के वैनकूवर में है. इस घटना ने सभी को सक्ते में डाल दिया है. हालांकि ये घटना 1 सितंबर को हुई थी, जिसकी जानकारी अब मिली है. उनके घर के बाहर अज्ञात हमलावरों ने इस वारदात को अंजाम दिया. इस हमले की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग के रोहित गोदारा ने ली है. एक वायरल पोस्ट के जरिए इसका दावा किया गया है।

    कनाडा में एपी ढिल्लों के घर के बाहर हुए इस हमले की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई के गैंग के रोहित गोदारा ने ली है- ऐसा दावा किया जा रहा है. फेसबुक पर पोस्ट कर लिखा गया कि- राम राम जी सारे भाईयों को. 1 सितंबर की रात कनाडा में दो जगहों पर हमने फायरिंग हुई है, जिसमें एक विक्टोरिया आइलैंड और है. इसकी जिम्मेदारी मैं रोहित गोदारा (लॉरेश बिश्नोई ग्रूप) लेता हूं. विक्टोरिया आईलैंड वाला घर एपी ढिल्लों का है. ये बड़ी फीलिंग ले रहा है. सलमान खान को गाने में लेके, तेरे पर आए थे, फिर या तो आता बाहर और दिखाता अपने एक्शन करके. जिस अंडरवर्ल्ड लाइफ की तुम लोग कॉपी करते हो, हम एक्चुअल मं जी रहे हैं वो लाइफ. अपनी औकात में रहो नहीं तो कुत्ते की मौत मरोगे।

  • भयंकर चक्रवात ‘असना’ ने बढ़ा दी थी चिंता, बाढ़ के बीच दोहरी मार से बचा गुजरात

    भयंकर चक्रवात ‘असना’ ने बढ़ा दी थी चिंता, बाढ़ के बीच दोहरी मार से बचा गुजरात

    नई दिल्ली।

    अरब सागर से आगे बढ़ रहे चक्रवात असना ने चिंता बढ़ा दी थी। 65 किलोमीटर की रफ्तार से हवा चलने का अनुमान था इसके चलते तबाही की आशंका को देखते हुए मौसम विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया था। तूफान की वजह से गुजरात और उत्तरी महाराष्ट्र के तटों पर 48 घंटों तक 65 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ़्तार से हवाएं चलने का अनुमान था। हालांकि अब खतरा टल गया है। दरअसल चक्रवाती तूफान ओमान की तरफ मुड़ गया है।

    विदित हो कि गुजरात में हो रही मूसलाधार बारिश से कई जिलों में भयंकर बाढ़ की स्थिति है। वहीं मौसम विभाग ने चक्रवात का अलर्ट जारी कर चिंता बढ़ा दी थी। यह भी कहा गया था कि पश्चिम-दक्षिण की ओर होते हुए चक्रवात ओमान तट की ओर बढ़ सकता है। पड़ोसी देश पाकिस्तान ने इस तूफान का नाम ‘असना’ दिया था। मछुआरों को समंदर में नहीं जाने की सलाह दी गई थी।

    चक्रवात असना को लेकर शासन और प्रशासन भी अलर्ट मोड पर था। झोपड़ियों और अस्थायी घरों में रह रहे लोगों को स्कूलों, मंदिरों या अन्य इमारतों में आश्रय लेने कहा गया था।

  • दूध पिलाते-पिलाते मां ने घोंटा 6 दिन की मासूम का गला, छत पर फेंका शव, वजह जान आपके पैरों तले खिसक जाएगी जमीन

    दूध पिलाते-पिलाते मां ने घोंटा 6 दिन की मासूम का गला, छत पर फेंका शव, वजह जान आपके पैरों तले खिसक जाएगी जमीन

    नई दिल्ली।

    राजधानी दिल्ली से सनसनीखेज घटना सामने आई है। यहां एक घर की छत से 6 दिन की मासूम बच्ची का शव मिला। पुलिस ने जब मामले की जांच की और पूरा मामला खुला तो हर किसी के होश उड़ गए।बच्ची का हत्यारा कोई और नहीं उसकी खुद की मां की। आखिर क्यों एक मां ने क्यों उस मासूम बच्ची को मार डाला, जिसने उसकी कोख से जन्म लिया था? वारदात के पीछे की वजह जानेंगे तो आप भी हिल जाएंगे।मामला दिल्ली के ख्याला इलाके का है। दिल्ली पुलिस को पीसीआर कॉल आई कि 6 दिन की बच्ची लापता हो गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस फौरन घटनास्थल पहुंची और बच्ची की तलाश में जुट गई।

    बच्ची को पिलाया दूध और फिर…

    बच्ची की मां शिवानी ने पुलिस को बताया कि बीती रात ही उसे डिलीवरी के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज मिला था। वह अपने माता-पिता के घर आई और उसने बच्ची को रात ढाई बजे दूध पिलाया और सो गई। फिर जब वह सुबह साढ़े चार बजे उठी, तो बच्ची वहां नहीं थी।मां के बयान के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की और आसपास के घरों के साथ सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले। इस बीच शिवानी ने अपने तांके (Stitches) निकलवाने के लिए अस्पताल जाने की बात कही। इस पर पुलिस को शक तो हुआ, लेकिन उसकी मेडिकल कंडीशन को देखते हुए रोका नहीं।

    पड़ोसी की छत पर बैग में मिली बच्ची

    इसके बाद जांच के दौरान पुलिस को पड़ोस के घर की छत पर एक बैग मिला, जिसमें लापता नवजात बच्ची थी। फौरन ही पुलिस मासूम को अस्पताल लेकर गई, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

    इस वजह से माँ पर ही घूम गयी शक की सुई

    पूरे मामले में पुलिस ने शिवानी के बर्ताव को काफी अजीब पाया। इसके बाद पुलिस ने शाहदरा स्थित घर पर भी तलाशी ली और मां को पकड़कर पूछताछ की गई तब शिवानी टूट गई और बच्ची की हत्या का राज खोल दिया। महिला ने बताया कि यह उसकी चौथी बेटी थी। दो बेटियों की पहली ही मौत हो चुकी हैं। बेटियां होने की वजह से उसे सामाजिक कलंक का सामना करना पड़ रहा था, इसलिए उसने मासूम को मार दिया।

    कबूलनामे ने चौंकाया

    महिला ने अपनी बेटी को दूध पिलाते समय ही उसका गला घोंट दिया था और उसे एक बैग में डालकर पड़ोसी के घर की छत पर फेंक दिया। वारदात को अंजाम देने के बाद वह परिवारवालों को क्या बताए, वह समझ नहीं पाई। उसे नींद भी नहीं आ रही थी।  महिला ने यह बोल दिया कि बच्ची गायब हो गई है।पुलिस ने मामले में हत्या का केस दर्ज कर लिया है और बच्ची के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। महिला को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस का कहना है कि मामले में आगे की कार्रवाई पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने पर होगी।

    बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर प्रश्न चिन्ह

    सरकार द्वारा पूरे जोर शोर से देश भर में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान चलाई जा रही है । लेकिन यह दुर्भाग्य है कि बेटियां आज अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है । इस घटना में 6 दिन की अबोध मासूम बच्ची को क्या पता था कि उसे जन्म देने वाली मां ही उसके जीवन का काल बन जाएगी। कलयुगी निर्बुद्धि माँ नहीं जानती थी कि बेटी के जन्म के लिए माता नहीं पिता जिम्मेदार होते हैं । मासूम बच्ची का गला घोंटते समय इस बेरहम माँ को यह भी भान नहीं रहा कि अपराध कभी छुप नहीं सकता । उसे इस कुकर्म की सजा अवश्य मिलेगी ।

  • पति का पत्नी के स्त्रीधन पर कोई नियंत्रण नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सिर्फ संकट में कर सकते हैं उसके पैसे का उपयोग

    पति का पत्नी के स्त्रीधन पर कोई नियंत्रण नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सिर्फ संकट में कर सकते हैं उसके पैसे का उपयोग

    नईदिल्ली  ।

    तीन साल बाद, राव ने हैदराबाद में अपनी बेटी के पूर्व ससुराल वालों के खिलाफ स्त्रीधन वापस करने की मांग करते हुए एफआईआर दर्ज की। पूर्व ससुराल वालों ने एफआईआर को रद्द करने के लिए असफल रूप से तेलंगाना उच्च न्यायालय का रुख किया। फिर उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने ससुराल वालों के खिलाफ मामला रद्द कर दिया और कहा कि पिता के पास अपनी बेटी का स्त्रीधन वापस मांगने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह पूरी तरह से उसका था।उच्चतम न्यायालय ने एक व्यक्ति को एक महिला को उसके खोए हुए सोने के बदले में 25 लाख रुपये देने का निर्देश देते हुए दोहराया है कि पति का अपनी पत्नी के स्त्रीधन पर कोई नियंत्रण नहीं होता है और वह संकट के समय में इसका इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन उसे अपनी पत्नी को लौटाना उसका नैतिक दायित्व है।इस मामले में महिला ने दावा किया कि शादी के समय उसके परिवार ने उसे 89 सोने के सिक्के उपहार में दिए थे। इसके अतिरिक्त, शादी के बाद, उसके पिता ने उसके पति को 2 लाख रुपये का चेक दिया।महिला के अनुसार, शादी की पहली रात को, पति ने उसके सभी आभूषणों की कस्टडी ले ली और सुरक्षा की आड़ में अपनी मां को सौंप दिया। उसने आरोप लगाया कि पति और उसकी मां ने अपनी पहले से मौजूद वित्तीय देनदारियों को पूरा करने के लिए सभी आभूषणों का गबन कर लिया।पूर्व ससुराल वालों ने एफआईआर को रद्द करने के लिए असफल रूप से तेलंगाना उच्च न्यायालय का रुख किया।

    फिर उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने ससुराल वालों के खिलाफ मामला रद्द कर दिया और कहा कि पिता के पास अपनी बेटी का स्त्रीधन वापस मांगने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह पूरी तरह से उसका था। जस्टिस करोल ने फैसला लिखते हुए कहा कि आम तौर पर स्वीकृत नियम, जिसे न्यायिक रूप से मान्यता दी गई है, वह यह है कि महिला संपत्ति पर पूर्ण अधिकार रखती है। इसमें कहा गया है कि आपराधिक कार्यवाही का उद्देश्य गलत काम करने वाले को न्याय के कटघरे में लाना है और यह बदला लेने या उन लोगों के खिलाफ प्रतिशोध लेने का साधन नहीं है, जिनके साथ शिकायतकर्ता की दुश्मनी हो सकती है।