Category: राज्य

  • दिवालिया होने के कगार पर कांग्रेस! 1800 करोड़ के टैक्स नोटिस के बाद गले पड़ी नई मुसीबत

    दिवालिया होने के कगार पर कांग्रेस! 1800 करोड़ के टैक्स नोटिस के बाद गले पड़ी नई मुसीबत

    नई दिल्ली।

     कांग्रेस के बैंक एकाउंट्स सीज होने के बाद पार्टी को नए लोन नोटिस मिले हैं। कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि पार्टी को 1,800 करोड़ रुपये से अधिक का ताजा लोन नोटिस मिलने के एक दिन बाद “पिछली रात” आयकर विभाग से दो और नोटिस मिले।एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘कल रात हमें दो और नोटिस भेजे गए।’ रमेश ने दोहराया कि कांग्रेस “टैक्स आतंकवाद” का निशाना है। उन्होंने आरोप लगाया, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्षी दलों को पंगु बनाना चाहते हैं।”इस बीच, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने दावा किया कि उन्हें आयकर विभाग से नोटिस मिला है। उन्होंने कहा, “मुझे कल रात आयकर विभाग से एक नोटिस मिला। मैं हैरान था। मामला पहले ही बंद हो चुका था। वे (भाजपा) कांग्रेस और भारतीय गुट से डरे हुए हैं।”

    कांग्रेस का ताजा लोन नोटिस

    शुक्रवार को, कांग्रेस ने कहा कि उसे आयकर विभाग से नए नोटिस मिले हैं, जिसमें उसे लगभग 1,823 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया है। यह दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा लोन पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही के खिलाफ पार्टी की याचिका खारिज करने के कुछ घंटों बाद आया।नोटिस मूल्यांकन वर्ष 2017-18 और 2020-21 के लिए दिया गया था, और इसमें जुर्माना और ब्याज शामिल था। देश की सबसे पुरानी पार्टी ने भाजपा पर लोकसभा चुनाव से पहले उसे आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए “टैक्स आतंकवाद” में शामिल होने का आरोप लगाया।गुरुवार को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोन अधिकारियों द्वारा उसके खिलाफ चार साल की अवधि के लिए कर पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिकाओं को खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति यशवन्त वर्मा और न्यायमूर्ति पुरूषेन्द्र कुमार कौरव की पीठ ने कहा कि एक और वर्ष के लिए पुनर्मूल्यांकन खोलने में हस्तक्षेप करने से इनकार करने के अपने पहले के फैसले के संदर्भ में याचिकाएं खारिज कर दी गईं।मामला असेसमेंट ईयर 2017 से 2021 का है। पिछली याचिका में, जिसे पिछले सप्ताह खारिज कर दिया गया था, कांग्रेस पार्टी ने मूल्यांकन वर्ष 2014-15 से 2016-17 से संबंधित पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही शुरू करने को चुनौती दी थी।

  • आलीशान बंगले में चल रहा था बड़ा खेल, अचानक से आई ठक ठक की आवाज, दरवाजा खोला तो सामने…

    आलीशान बंगले में चल रहा था बड़ा खेल, अचानक से आई ठक ठक की आवाज, दरवाजा खोला तो सामने…

    पुणे।
    महाराष्ट्र पुलिस ने पुणे जिले के मावल तालुका में विभिन्न सोशल मीडिया मंचों के लिए कथित तौर पर अश्लील फिल्में बनाने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया और 15 लोगों को गिरफ्तार किया. एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने पाटन गांव के एक बंगले से अश्लील वीडियो शूट करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे कैमरे और अन्य सामग्री जब्त की.

    अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सत्य साई कार्तिक ने कहा, ‘पुलिस को सूचना मिली कि 13 पुरुषों और 5 महिलाओं सहित 18 लोगों का एक गिरोह पाटन गांव स्थित एक बंगले में विभिन्न सोशल मीडिया मंचों के लिए अश्लील फिल्मों की शूटिंग में जुटा हुआ है. हमने शुक्रवार शाम 5 बजे इस ठिकाने पर छापा मारा. हमने अश्लील सामग्री फिल्माने में शामिल एक गिरोह का भंडाफोड़ किया.’ उन्होंने कहा कि 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

    मामला दर्ज

    अश्लील पुस्तकों और अन्य सामग्री की बिक्री के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत लोनावाला पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में फिलहाल आगे की जांच चल रही है. पुलिस इस बात का पता लगाने में जुटी है कि इस गिरोह का जाल कहां तक फैला हुआ है. बता दें कि सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म पर अश्‍लील सामग्री पोस्‍ट करने पर दंड का प्रावधान है.

    पालघर में बड़ी वारदात
    महाराष्ट्र के पालघर जिले में 22 वर्षीय एक महिला की उसके ‘लिव-इन पार्टनर’ ने कथित तौर पर गला घोंटकर हत्या कर दी, क्योंकि वह उससे शादी करने की जिद कर रही थी. पुलिस ने कुछ दिन बाद आरोपी को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार कर लिया. एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि 15 मार्च को पालघर जिले के दहानू शहर में किराए के एक कमरे में महिला का क्षत-विक्षत शव पाए जाने के बाद इस अपराध के बारे में जानकारी मिली.

  • करोड़पति बनाने वाले शेयर में आई गिरावट, खरीदारी का है सही मौका? क्या कहते हैं एक्सपर्ट

    करोड़पति बनाने वाले शेयर में आई गिरावट, खरीदारी का है सही मौका? क्या कहते हैं एक्सपर्ट

    नई दिल्ली।
    सागर सीमेंट्स ने 20 साल में अपने निवेशकों को करोड़पति बनाने का काम किया है. लेकिन पिछले 3 महीने से शेयरों में गिरावट है और यह जनवरी में अपने एक साल के हाई से 31 फीसदी नीचे आ चुके हैं. हालांकि, ब्रोकरेज फर्म्स का मानना है कि यह इस शेयर में खरीदारी का शानदार मौका है. अभी इस शेयर की कीमत 208.55 रुपये है. 2 अप्रैल 2004 को यह शेयर केवल 1.57 रुपये का था.

    अगर तब किसी ने इस शेयर में 76,000 रुपये लगाए होते तो आज वह केवल इस स्टॉक के दम पर करोड़पति हो गया होता. अभी गिरावट के बाद के ब्रोकरेज फर्म इससे खरीदारी का अच्छा मौका बता रहे हैं. जियोजीत बीएनपी परिबास का कहना है कि यह शेयर अभी के मौजूदा लेवल 208 रुपये से 18 फीसदी ऊपर जा सकता है.

    शेयरों की चाल
    पिछले एक साल में शेयरों की चाल देखें तो यह 29 मार्च 2023 को यह 180 रुपये के आसापस था जो इसका 1 साल का न्यूनतम स्तर भी था. वहीं, 9 महीने बाद इस स्तर से करीब 70 फीसदी उछलकर ये शेयर 304.65 रुपये के स्तर तक पहुंच गया था. यह इस शेयर का एक साल का हाई थी. अब इस लेवल से यह 31 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है.

    आगे कैसे रहेगी चाल
    मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, अच्छी डिमांड, सरकार का इंफ्रा पर फोकस, कंपनी की लागत घटाने का प्रयास और ऑपरेशनल एफिसिएंसी बढ़ाने पर जोर कंपनी के भविष्य के लिए अच्छा दिखता है. इससे कंपनी की ग्रोथ और मार्जिन को सपोर्ट मिलेगा. ब्रोकरेज फर्म जियोजीत बीएनपी परिबास ने शेयरों की टारगेट रेटिंग को अपग्रेड कर खरीदारी की सलाह देते हुए, इसका टारगेट प्राइस 246 रुपये कर दिया है.

    कंपनी की वित्तीय स्थिति
    सागर सीमेंट्स की स्थापना 1985 में हुई थी. दिसंबर तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू सालाना आधार पर 16 फीसदी बढ़कर 673 करोड़ रुपये हो गया था. इस अवधि में कंपनी को 10 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. इससे पिछली तिमाही में भी कंपनी को 11 करोड़ का घाटा झेलना पड़ा था. कंपनी ने वित्त वर्ष 2024-26 के लिए नेट कर्ज 1400-1450 करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया है. इस अवधि में कंपनी कैपिटल एक्सपेंडिचर पर 470 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है.

  • लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत रत्न से किया सम्मानित, पीएम मोदी भी रहे मौजूद

    लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत रत्न से किया सम्मानित, पीएम मोदी भी रहे मौजूद

    नई दिल्ली।
    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को लालकृष्ण आडवाणी के घर जाकर उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया. इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी वहां मौजूद रहे.

    भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में शुमार लालकृष्ण आडवाणी को पार्टी को गुमनामी से निकालकर सत्ता के शिखर तक पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है. 1990 के दशक में उनकी रथयात्रा के बाद ही बीजेपी राष्ट्रीय राजनीति में उभर कर सामने आई. 3 फरवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की थी.

    1980 में बीजेपी की स्थापना के बाद से लालकृष्ण आडवाणी ने सबसे लंबे समय तक बीजेपी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. लगभग तीन दशकों के संसदीय करियर के दौरान, लालकृष्ण आडवाणी पहले गृह मंत्री और बाद में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार (1999-2004) के मंत्रिमंडल में उप प्रधानमंत्री रहे.
    कराची में जन्म, बंटवारे के बाद आए भारत

    8 नवंबर, 1927 को कराची, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) में पैदा हुए लालकृष्ण आडवाणी विभाजन के बाद भारत आ गए. यहां उन्होंने हैदराबाद के डीजी नेशनल कॉलेज से स्नातक करने के बाद, मुंबई के सरकारी लॉ कॉलेज में कानून की पढ़ाई की. इसके बाद वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए और 1947 में राजस्थान में इसकी गतिविधियों की कमान संभाली.

    जब 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आरएसएस की राजनीतिक शाखा भारतीय जनसंघ (बीजेएस) की स्थापना की तो लालकृष्ण आडवाणी पार्टी की राजस्थान इकाई के सचिव बने और 1970 तक इस पद पर बने रहे. 1960-1967 तक, वह जनसंघ की राजनीतिक पत्रिका ऑर्गनाइज़र में भी थे, जहां उन्होंने सहायक संपादक के रूप में काम किया. 1970 के बाद वह देश की सभी राजनीतिक गतिविधियों के केंद्र के करीब चले गये और पार्टी की दिल्ली इकाई में शामिल हो गये.
    जनता पार्टी सरकार में पहली बार बने मंत्री
    1970 में वह राज्यसभा के सदस्य बने और 1989 तक इस पद पर बरकरार रहे. वह बीजेएस के अध्यक्ष चुने गए और 1977 तक इस पद पर बने रहे. इसके बाद जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री बने. मंत्री रहने के दौरान उन्होंने प्रेस सेंसरशिप को समाप्त कर दिया. आपातकाल के दौरान बनाए गए सभी प्रेस विरोधी कानूनों को रद्द कर दिया और मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सुधारों को संस्थागत बनाया.

    मोराजी देसाई सरकार के पतन और जनसंघ के टूटने के बाद, लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 1980 में एक नई राजनीतिक पार्टी, बीजेपी का गठन किया गया. पार्टी को लोकप्रिय बनाने और अपने एजेंडे को प्रचारित करने के लिए, लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 के दशक में पूरे भारत में रथयात्राओं की एक श्रृंखला शुरू की. वह 1998 में गांधीनगर, गुजरात से लोकसभा के लिए चुने गए.

    बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में वह दो बार केंद्रीय गृह मंत्री बने. लालकृष्ण आडवाणी को 2002 में उप प्रधान मंत्री बनाया गया. 2004 के आम चुनावों में अपनी पार्टी की हार के बाद, वह लोकसभा में विपक्ष के नेता बने. 2009 के आम चुनाव में वह अपनी पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में सामने आए, लेकिन पार्टी को हार का सामना करना पड़ा.

    राष्ट्रपति ने इन चार विभूतियों को भी दिया भारत रत्न सम्मान
    इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को देश की चार महान हस्तियों – पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव एवं चौधरी चरण सिंह, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर और देश के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया था. इन चारों विभूतियों को मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया.

  • 2020 में आई शाहरुख खान की पहली वेब सीरीज! हर एपिसोड में 30 सेकेंड का काम

    2020 में आई शाहरुख खान की पहली वेब सीरीज! हर एपिसोड में 30 सेकेंड का काम

    मुंबई।

    शाहरुख खान साल 2018 में ‘जीरो’ लेकर आए. आनंद एल राय के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म से उन्हें बहुत उम्मीदे थीं. अनुष्का शर्मा-कैटरीना कैफ जैसी एक्ट्रेस होते हुए भी फिल्म डिजास्टर साबित हुई. इस फिल्म की असफलता ने उन्हें तोड़ दिया और उन्होंने लगभग 5 साल बड़े पर्दे से दूरी बनाए रखी. इस बीच उन्होंने ‘रॉकेट्री’ और ‘लाल सिंह चड्ढा’ में कैमियो किया. साल 2023 में आई ‘पठान’ ने उनका खोया हुआ स्टारडम दिलाया. इसी साल उन्होंने ‘जवान’ और ‘डंकी’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में भी दी.

    लेकिन शायद ही किसी को पता हो कि इस बीच उन्होंने एक वेब सीरीज में भी काम किया. इस वेब सीरीज के हर एपिसोड की शुरुआत शाहरुख से ही हुई. इस सीरीज को कबीर खान ने डायरेक्ट किया. शाहरुख ने इस वेब सीरीज के लिए कितनी फीस ली?

    इसका खुलासा खुद डायरेक्टर कबीर खान ने किया. कई एक्शन फिल्मों को बना चुके कबीर ने सीरीज ‘द फॉरगॉटन आर्मीः आजादी के लिए’ का डायरेक्शन किया था. 5 एपिसोड की इस सीरीज ऑडियंस ने खूब पसंद किया.

    यह सीरीज जनवरी 2020 में रिलीज ओटीटी प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हुई थी. सीरीज में सनी कौशल और शरवरी वाघ ने लीड रोल निभाया था. इसमें टी.जे भानु, करनवीर मल्होत्रा, रोहित चौधरी जैसे कलाकार थे.

    ‘द फॉरगॉटन आर्मी: आजादी के लिए’ में शाहरुख खान ने भी अप्रत्यक्ष तौर पर काम किया. वह इसमें स्क्रीन पर नहीं दिखे. वह बतौर नरैटर इस सीरीज का हिस्सा बने. हर एपिसोड में 30 सेकेंड का नरेशन, जिसे शाहरुख ने नरैट किया.

    खास बात यह है कि शाहरुख खान ने ‘द फॉरगॉटन आर्मी: आजादी के लिए’ में बिना पैसों के काम किया था. कबीर खान ने मैशेबल इंडिया को इंटरव्यू में इसका खुलासा किया. उन्होंने बताया कि सीरीज के हर एपिसोड में 30 सेकंड का एक इंट्रो था.

    यह इंट्रो उस एपिसोड का ऐतिहासिक संदर्भ बताता है. उन्होंने कहा, “मैंने सोचा कि किससे पूछना चाहिए. फिर लगा शाहरुख को यह करना चाहिए. मैंने उन्हें फोन किया और उन्होंने बिना देर किए नरैट करने के लिए हामी भर दी.

    कबीर खान और शाहरुख खान ने किसी प्रोजेक्ट के लिए पहली बार साथ काम किया था. कबीर ने शाहरुख की सरहाना की. वहीं, कई रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया कि शाहरुख ने ‘रॉकेट्री’ और ‘लाल सिंह चड्ढा’ में भी काम करने के लिए कोई फीस नहीं ली थी.
  • बोनी कपूर से नाराज हैं अनिल कपूर, आखिर क्यों आई भाई-भाई में दरार?

    बोनी कपूर से नाराज हैं अनिल कपूर, आखिर क्यों आई भाई-भाई में दरार?

     मुंबई। 

    बॉलीवुड फिल्म स्टार अनिल कपूर अपने बड़े भाई बोनी कपूर के बेहद करीब हैं। फिल्म इंडस्ट्री में इन दोनों भाईयों के बीच प्यार की मिसाल दी जाती है। मगर अब हाल ही में फिल्ममेकर बोनी कपूर ने एक ऐसा खुलासा किया है जिसे जानकर फैंस के बीच खलबली मच गई है। बोनी कपूर ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया कि उनके छोटे भाई अनिल कपूर उनसे नाराज चल रहे हैं। फिल्मेकर ने बताया कि अनिल कपूर ने लंबे वक्त से उनसे अच्छे से बात भी नहीं की है। इसकी वजह उनके प्रोडक्शन बैनर की मूवी ‘नो एंट्री 2’ है।

    आखिर बोनी कपूर से क्यों नाराज हैं अनिल कपूर?

    फिल्ममेकर अनिल कपूर ने इस बारे में बात करते हुए बताया कि इसकी वजह उनकी अगली फिल्म ‘नो एंट्री 2’ है। जिसे लेकर दोनों भाइयों के बीच झगड़ा चल रहा है। बोनी कपूर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बात करते हुए कहा कि उनके छोटे भाई अनिल कपूर जो इस फिल्म के पहले पार्ट का हिस्सा थे। लेकिन वो काफी नाराज हो गए जब उन्हें पता चला कि वो इस मूवी के दूसरे पार्ट का हिस्सा नहीं है। फिल्ममेकर ने कहा, ‘मैं नो-एंट्री सीक्वल के बारे में अनिल को बता पाता ये खबर लीक हो गई थी और वो काफी नाराज हो गए। दुर्भाग्य से ये खबर लीक हो गई। मुझे पता है कि वो सीक्वल का हिस्सा होना चाहते थे। लेकिन इसमें ऐसी कोई जगह नहीं थी। मैं ये बात उन्हें बताना चाहता था। समझाना चाहता था। लेकिन मेरा भाई आज तक मुझसे अच्छे से बात नहीं कर रहा है। मैं उम्मीद करता हूं कि ये सब जल्दी ठीक हो जाए।

    ‘नो एंट्री सीक्वल’ का हिस्सा नहीं हैं अनिल कपूर

    बता दें कि फिल्ममेकर बोनी कपूर ने साल 2025 में आई अपनी सुपरहिट मूवी ‘नो एंट्री’ के सीक्वल का ऐलान नई स्टारकास्ट के साथ किया था। इस मूवी में यंग जनरेशन की कास्टिंग की गई थी। फिल्म में वरुण धवन, अर्जुन कपूर और दिलजीत दोसांझ को कास्ट किया गया है। लेकिन ये बात अनिल कपूर के गले नहीं उतरी। जिसकी वजह से दोनों भाइयों के बीच मतभेद हो गए।

  • ठंडे बस्ते में गई सलमान खान-करण जौहर की ‘बुल’, वजह बनी ‘भाईजान’ की ‘दबंगई’?

    ठंडे बस्ते में गई सलमान खान-करण जौहर की ‘बुल’, वजह बनी ‘भाईजान’ की ‘दबंगई’?

    मुंबई । 

    बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान और करण जौहर की अपकमिंग मूवी ‘बुल’ को लेकर काफी लंबे वक्त से चर्चाएं थे। इस आर्मी ड्रामा फिल्म में सुपरस्टार सलमान खान एकदम अलग गेटअप में नजर आने वाले थे। सुपरस्टार सलमान खान का आर्मी कट लुक भी काफी चर्चा में रहा था। साल 2023 से इस फिल्म को लेकर चर्चाएं थीं। मगर अब सामने आई रिपोर्ट्स की मानें तो ये फिल्म बनते-बनते बंद हो गई। इसकी कई वजह फिल्मी हलकों में तेजी से फैल रही है। जिसे जानकर फैंस को भी तगड़ा झटका लगने वाला है। ‘बुल’ के साथ सलमान खान और करण जौहर करीब 25 साल बाद दोबारा साथ आने की तैयारी में थे। यही वजह है कि फिल्म को लेकर फैंस का क्रेज सांतवे आसमान पर था। मगर अब ये फिल्म ठंडे बस्ते में चली गई है।

    ‘बुल’ पर भारी पड़ा सलमान खान का एटिट्यूड

    टाइम्स नाउ की एक रिपोर्ट की मानें तो सुपरस्टार सलमान खान को ‘बुल’ की कहानी काफी पसंद आई थी। यही वजह थी कि वो निर्देशक विष्णुवर्धन और फिल्ममेकर करण जौहर की इस फिल्म को करने के लिए तुरंत तैयार हो गए थे। लेकिन बाद में सलमान खान इस फिल्म की मेकिंग तक में इन्वॉल्व होने लगे। जिसकी वजह से चीजें खराब होने लगीं।  ‘शुरुआत में जब सलमान खान ने इस फिल्म की कहानी सुनी तो वो इसे लेकर काफी खुश थे। वो तुंरत ही फिल्म को करने के लिए तैयार हो गए। लेकिन फिर पहले दिन से ही समस्याएं आने लगीं। वो हर दूसरे दिन करण जौहर या फिर विष्णुवर्धन को बुलाते या फिर टीम के दूसरे लोगों को बुलाते और प्रोजेक्ट को लेकर तरह-तरह के सवाल करते।सूत्र के मुताबिक सलमान खान का इन्वॉल्वमेंट इतना ज्यादा हो गया था कि चीजें खराब होने लगीं और इगो क्लैशेज तक होने लगे। जिसकी वजह से सलमान खान इस फिल्म से बाहर हो गए। सूत्र ने कहा, ‘ये काफी दर्द भरा रहा। बिल्कुल पैर को काटने जैसा। लेकिन करना पड़ा नहीं तो जहर आगे तक फैल जाता।’

    सलमान खान की बढ़ती फीस भी थी वजह

    इतना ही नहीं, सुनने में आया है कि इस मूवी के लिए सुपरस्टार सलमान खान ने मोटी फीस की डिमांड की थी। जो कुछ दिनों बाद और भी ज्यादा बढ़ा दी गई। धीरे-धीरे सलमान खान को इस फिल्म में शामिल करना मेकर्स के लिए काफी बोझ जैसा हो रहा था। जिसकी वजह से दोनों ने इस फिल्म से अपने रास्ते अलग कर लिए।

    ‘बुल’ के लिए नहीं मिल पा रही थीं सलमान खान की डेट्स

    यही नहीं, बॉलीवुड हंगामा की एक रिपोर्ट की मानें तो ‘बुल’ के लिए सलमान खान और करण जौहर एक पेज पर नहीं आ पा रहे थे। सलमान खान लगातार ‘बुल’ के लिए डेट्स फिक्स करने को लेकर करण जौहर से बात करते रहे। मगर दोनों ही प्रोजेक्ट्स के लिए डेट्स की टाइमलाइन नहीं फिक्स कर पाए। जिसके बाद सलमान खान ने ‘बुल’ से निकलकर अपने दोस्त साजिद नाडियाडवाला की अपकमिंग मूवी के लिए डेट्स बुक कर दीं।

  • कौन है 2019 का सबसे अमीर सांसद? टॉप-5 में एक भी BJP के नहीं; देखें लिस्ट

    कौन है 2019 का सबसे अमीर सांसद? टॉप-5 में एक भी BJP के नहीं; देखें लिस्ट

    नई दिल्ली।

    लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है. क्या आपको पता है कि 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने वाले सांसदों में सबसे अमीर कौन था? बीजेपी ने भले ही सबसे ज्या सीटें जीती हों, लेकिन अमीर सांसदों की सूची में टॉप-5 में उसके एक भी सांसद नहीं थे. आइये आपको बताते हैं, 2019 के टॉप-5 अमीर सांसद कौन थे…

    एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर (ADR) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में सांसद बनने वाल टॉप 5 अमीर नेताओं में पहले नंबर पर कांग्रेस सांसद नकुलनाथ थे. मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा से चुनाव जीतने वाले नकुल नाथ ने कुल 660 करोड़ रुपए की संपत्ति बताई थी. वह मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे हैं.

    अमीर सांसदों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर एच. वसंत कुमार (H Vasanthakumar) थे. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने वाले कुमार के पास 2019 में 417 करोड़ रुपए की संपत्ति थी. कन्याकुमारी से जीतने वाल वसंत कुमार तमिलनाडु कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं और उद्योगपति हैं.

    तीसरे नंबर पर कांग्रेस के टिकट पर बेंगलुरु ग्रामीण सीट से चुनाव जीतने वाले डीके सुरेश (DK Suresh) थे. उन्होंने अपने चुनावी हालतनामी में बताया था कि वह 338 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक थे. सुरेश ने भाजपा नेता अश्वथनारायण गौड़ा (Ashwathnarayan Gowda) को मात दी थी.

    टॉप 5 अमीर सांसदों की सूची में चौथे नंबर पर वाईएसआरसीपी नेता कानूमुरू रघुराम कृष्णा राजा (Kanumuru Raghurama Krishna Raja) थे, जिनके पास 325 करोड़ रुपए की संपत्ति थी. उन्होंने आंध्र प्रदेश की नरसापुरम सीट से जीत हासिल की थी और लोकसभा में पहुंचे थे.

    अमीर सांसदों की सूची में पांचवें नंबर पर तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के नेता जयदेव गल्ला (Jayadeva Galla) थे, जिन्होंने आंध्र प्रदेश की गुंटूर सीट से कड़े मुकाबले में जीत हासिल की थी. उनके पास 2019 में 305 करोड़ रुपए की संपत्ति हुआ करती थी. गल्ला चर्चित उद्योगपति हैं और अमरा राजा बैटरीज कंपनी के मालिक हैं.

  • जब सचिन तेंदुलकर MS धोनी की कप्तानी में खेल सकते हैं तो…’ हार्दिक की कैप्टेंसी पर बोले अश्विन

    जब सचिन तेंदुलकर MS धोनी की कप्तानी में खेल सकते हैं तो…’ हार्दिक की कैप्टेंसी पर बोले अश्विन

    नई दिल्ली।

     रोहित शर्मा के हाथों से कप्तानी जाने के बाद हार्दिक पंड्या के लिए फैंस का गुस्सा अब भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है. फैंस ने उन्हें मैदान पर कई बार रोस्ट किया. आईपीएल शुरू हुए हफ्ते भर से ज्यादा का समय हो गया है. लेकिन हार्दिक सोशल मीडिया पर लगातार रोस्ट हो रहे हैं. आर अश्विन ने सचिन तेंदुलकर और एमएस धोनी का उदाहरण देकर बताया है कि जब सचिन तेंदुलकर धोनी की कप्तानी में खेल सकते हैं तो रोहित हार्दिक की कप्तानी में क्यों नहीं.

    आर अश्विन ने कहा,” मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि अगर आप किसी खिलाड़ी को पसंद नहीं करते हो और उनकी बेइज्जती करते हो इसके लिए किसी टीम को क्लेरिफिकेशन देने की क्या जरूरत है. हम ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे ऐसा पहले कभी हुआ ही नहीं हो. सौरव गांगुली भी सचिन तेंदुलकर के अंदर भी खेले हैं और सचिन तेंदुलकर भी सौरव गांगुली के अंदर में खेले हैं. इन्होंने राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भी खेला है.

    अश्विन ने आगे कहा,” ये तीनों अनिल कुंबले की कप्तानी में भी खेल चुके हैं और ये सभी धोनी की कप्तानी में खेल चुके हैं. जब ये सभी दिग्गज धोनी की कप्तानी में खेल सकते हैं. धोनी विराट की कप्तानी में खेल सकते हैं. तो इसमें क्या दिक्कत आ रही है. क्या आपने किसी और देश में देखा है कि जो रूट और जैक क्राउली के फैंस आपस में लड़ रहे हो. ये पागलपन है. आपने कभी ये भी नहीं देखा होगा कि ऑस्ट्रेलिया में फैंस स्टीव स्मिथ और पैट कमिंस को लेकर लड़ रहे हो.”

    मुबई इंडियंस को आईपीएल 2024 में अब तक दो हार का सामना करना पड़ा है. 27 मार्च को मुंबई को लगातार दूसरी हार का सामना करना पड़ा था. हार्दिक पंड्या की कप्तानी वाली मुंबई को हैदराबाद में खेले गए मुकाबले में सनराइजर्स हैदराबाद ने 31 रन से पराजित किया था. इससे पहले गुजरात टाइटंस के खिलाफ मैच में भी मुंबई को हार का सामना करना पड़ा था. हार्दिक की कप्तानी में मुंबई का प्रदर्शन अब तक कुछ खास नहीं रहा है.
  • बच्चे को शिक्षा पाने का मौलिक अधिकार, मगर अपनी पसंद के स्कूल में नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

    बच्चे को शिक्षा पाने का मौलिक अधिकार, मगर अपनी पसंद के स्कूल में नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

    नई दिल्ली.

     दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में साफ कहा कि किसी बच्चे को अपनी पसंद के किसी विशेष स्कूल में शिक्षा पाने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है. अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21ए या शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (आरटीई अधिनियम) की धारा 12 के तहत उपलब्ध अधिकार केवल 14 वर्ष की आयु तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा तक सीमित है, न कि एक विशेष विद्यालय में ऐसी शिक्षा हासिल करने का अधिकार है. कोर्ट ने महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल के खिलाफ 7.5 साल की एक लड़की की मां द्वारा दायर रिट याचिका पर यह फैसला सुनाया.

    ‘वर्डिक्टम’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस सी. हरि शंकर की सिंगल बेंच ने कहा कि ‘इस तरह के आवेदन के अभाव में, किसी विशेष स्कूल में किसी विशेष कक्षा में प्रवेश के लिए कंप्यूटरीकृत ड्रॉ आयोजित करना और किसी बच्चे को शॉर्टलिस्ट करना, उसके प्रवेश पाने का कोई अधिकार नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 21ए या आरटीई अधिनियम की धारा 12 के तहत उपलब्ध अधिकार केवल चौदह साल की उम्र तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का है. यह किसी विशेष स्कूल में शिक्षा के लिए दाखिला हासिल करने का नहीं है.’

    कम्प्यूटर ड्रा में शॉर्टलिस्ट हुआ जिया का नाम
    जिया नाम की याचिकाकर्ता का जन्म 2016 में हुआ था और उसकी उम्र लगभग 7.5 साल थी. वह समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से संबंधित थी. तब उसकी मां ने शैक्षणिक सत्र 2022-23 के लिए कक्षा 1 में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत उसके दाखिले के लिए शिक्षा निदेशालय (डीओई) में आवेदन किया था. डीओई ने एक कम्प्यूटरीकृत ड्रा निकाला, जिसके बाद जिया को प्रतिवादी स्कूल में प्रवेश के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया.

    स्कूल का दाखिला देने से इनकार
    उसकी मां के कई बार स्कूल जाने के बावजूद स्कूल ने जिया को दाखिला देने से इनकार कर दिया. इसके बाद उसकी मां ने डीओई को आवेदन देकर उस स्कूल में जिया के लिए दाखिला सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप की मांग की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. इसलिए जिया ने अपनी मां के जरिये रिट याचिका दायर की. उसने शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए कक्षा II में ईडब्ल्यूएस छात्र के रूप में प्रवेश देने के लिए स्कूल को निर्देश देने के लिए एक आदेश जारी करने की मांग की थी. जिस पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.