Category: राज्य

  • दुनिया का अकेला देश जो अब भी हिंदू कैलेंडर से चलाता है आधिकारिक कामकाज

    दुनिया का अकेला देश जो अब भी हिंदू कैलेंडर से चलाता है आधिकारिक कामकाज

    नई दिल्ली।

    हिंदू नववर्ष शुरू हो चुका है. भारत में 1954 में ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ विक्रम संवत कैलेंडर को भी मान्यता दे दी थी लेकिन सरकारी कामकाज अंग्रेजी कैलेंडर से ही चलता है. दुनिया का एक देश ऐसा भी है, जिसमें सरकारी कामकाज हिंदू कैलेंडर से ही चलता है. भारत का ये पड़ोसी देश हिंदू कैलेंडर को ही मान्यता देता है.हालांकि वर्ष 1954 से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने हिंदू कैलेंडर यानि विक्रम संवत को ग्रेगोरियन फारमेट के साथ अपना लिया था लेकिन देश का सारा कामकाज ग्रेगोरियन कैलेंडर फारमेट से ही होता है. नेपाल ने हमेशा हिंदू कैलेंडर को ही माना है. इसे विक्रमी कैलेंडर भी कहते हैं. ये ग्रेगोरियन कैलेंडर से 57 साल आगे चलता है. इसे विक्रम संवत कैलेंडर भी कहते हैं.

    करीब 57 ईसा पूर्व से ही भारतीय उपमहाद्वीप में तिथियों एवं समय का आंकलन करने के लिए विक्रम संवत, बिक्रम संवत अथवा विक्रमी कैलेंडर का प्रयोग किया जा रहा है. ये यह हिन्दू कैलेंडर नेपाल का आधिकारिक कैलेंडर है. वैसे भारत के कई राज्यों विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल भी किया जाता है.
    नेपाल में 1901 से आधिकारिक तौर पर इस्तेमाल
    नेपाल में आधिकारिक तौर पर विक्रम संवत कैलेंडर का इस्तेमाल 1901 ईस्वी में शुरू किया गया.नेपाल के राणा वंश द्वारा बिक्रम संवत को आधिकारिक हिंदू कैलेंडर बनाया गया. नेपाल में नया साल बैशाख महीने (ग्रेगोरियन कैलेंडर में 13-15 अप्रैल) के पहले दिन से शुरू होता है. चैत्र महीने के आखिरी दिन के साथ समाप्त होता है. नए साल के पहले दिन नेपाल में सार्वजनिक अवकाश होता है.

    ये चांद की स्थितियों के साथ सौर नक्षत्र वर्ष का भी उपयोग करता है. विक्रम संवत कैलेंडर का नाम राजा विक्रमादित्य के नाम पर रखा गया था, जहां संस्कृत शब्द ‘संवत’ का प्रयोग “वर्ष” को दर्शाने के लिए किया गया है. विक्रमादित्य का जन्म 102 ईसा पूर्व और उनकी मृत्यु 15 ईस्वी को हुई थी.

    57 ईसा पूर्व में भारतवर्ष के प्रतापी राजा विक्रमादित्य ने देशवासियों को शकों के अत्याचारी शासन से मुक्त किया था. उसी विजय की स्मृति में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से विक्रम संवत की भी शुरुआत हुई थी.इसमें भी 12 महीने का एक साल और 07 दिन का हफ्ता
    इस संवत् का आरम्भ गुजरात में कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से और उत्तरी भारत में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है. बारह महीने का एक वर्ष और सात दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत् से ही शुरू हुआ. महीने का हिसाब सूर्य व चन्द्रमा की गति पर रखा जाता है.

    ये 12 राशियां 12 सौर मास हैं. पूर्णिमा के दिन, चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है. चंद्र वर्ष, सौर वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा है, इसीलिए प्रत्येक 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है.

    क्यों ये बेहतर है
    विक्रम संवत में कई ऐसी बातें हैं जो इसे अंग्रेजी कैलेंडर से ज्यादा बेहतर बनाती हैं. हिन्दुओं के सभी तीज-त्यौहार, मुहूर्त, शुभ-अशुभ योग, सूर्य-चंद्र ग्रहण, हिन्दी पंचांग की गणना के आधार पर ही तय होते हैं. इंसान के जन्म से लेकर मृत्यु तक हर एक महत्वपूर्ण काम की शुरुआत हिन्दी पंचांग से मुहूर्त देखकर ही की जाती है.

    तब संवत शुरुआत के लिए विक्रमादित्य ने माफ किया पूरी प्रजा का ऋण
    विक्रम संवत के जनक विक्रमादित्य राजा भर्तृहरि के छोटे भाई थे. भर्तृहरि को उनकी पत्नी ने धोखा दिया तो उन्होंने राज्य छोड़कर संन्यास ले लिया. राज्य सौंप दिया विक्रमादित्य को. ऐसा माना जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपनी प्रजा का पूरा ऋण माफ कर दिया था, ताकि लोगों की आर्थिक दिक्कतें खत्म हो जाएं. उस समय जो राजा अपनी प्रजा का पूरा कर्ज माफ कर देता था, उसके नाम से ही संवत प्रचलित हो जाता था. इस कारण उनके नाम से विक्रम संवत प्रचलित हो गया.

    विक्रम संवत से पहले कौन सा पंचांग चलता था
    करीब 5 हजार साल पहले यानी द्वापर युग से भी पहले सप्तऋषियों के नाम से संवत चला करते थे. द्वापर युग में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ. इसके बाद श्रीकृष्ण के नाम से संवत प्रचलित हुआ. द्वापर युग के बाद कलियुग शुरु हुआ था. श्रीकृष्ण संवत के करीब 3000 साल बाद विक्रम संवत की शुरुआत हुई, जो आज तक प्रचलित है.

    इस साल हिंदू कैलेंडर कितने महीने का
    हिंदू कैलेंडर के मुताबिक नया साल 12 महीनों का ही होगा. दरअसल बीता हिंदू वर्ष अधिमास के कारण 12 की जगह 13 महीनों का था. लेकिन इस बार विक्रम संवत वर्ष 2081 सामान्य ही रहेगा और इसमें 12 महीने होंगे.

  • लखनऊ की टीम को झटका, तूफानी तेज गेंदबाज अगले मैच से बाहर, 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से डालता है बॉल

    लखनऊ की टीम को झटका, तूफानी तेज गेंदबाज अगले मैच से बाहर, 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से डालता है बॉल

    नई दिल्ली।
    इंडियन प्रीमियर लीग में अपनी तेज रफ्तार गेंद से सनसनी पैदा करने वाले युवा तेज गेंदबाज मयंक यादव चोटिल हो गए हैं. लखनऊ सुपर जायंट्स का यह तेज गेंदबाज पेट की मांसपेशियों में खिंचाव के कारण 12 अप्रैल को घरेलू मैदान पर दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ अगले आईपीएल मैच में नहीं खेल पाएगा. केएल राहुल की कप्तानी वाली टीम ने टूर्नामेंट का पहला मैच हारने के बाद लगातार तीन जीत दर्ज की है.

    एलएसजी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने यह जानकारी देते हुए कहा कि वह पूरे सप्ताह चिकित्सकों की निगरानी में रहेंगे. मयंक को रविवार रात लखनऊ में एलएसजी की गुजरात टाइटंस पर 33 रन की जीत के दौरान को चोट लग गई. एलएसजी के सीईओ विनोद बिष्ट ने यहां जारी बयान में कहा, ‘‘ मयंक को पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हुआ और एहतियात के तौर पर हम अगले सप्ताह तक उसके कार्यभार का प्रबंधन कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि हम उन्हें जल्द ही मैदान पर देखेंगे.’’बिष्ट के बयान का मतलब यह है कि मयंक ईडन गार्डन्स में कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ एलएसजी के इस सप्ताहांत (14 अप्रैल) में होने वाले मैच से भी बाहर रह सकते हैं. तेज गेंदबाजों के पेट के निचले हिस्से की चोटों को ठीक होने में अधिक समय लगता है ऐसे में देखना होगा कि वह कब तक मैदान पर वापसी करते हैं.

    मयंक गुजरात टाइटंस के खिलाफ पारी के चौथे ओवर में गेंदबाजी करने उतरे लेकिन टीम के फिजियो के साथ मैदान से बाहर जाने से पहले वह अपने ओवर में केवल दो बार 140 किमी प्रति घंटे से अधिक रफ्तार से गेंदबाजी कर पाये. उन्होंने अपने इस ओवर में 13 रन दिये. वह इसी चोट के कारण वह दिल्ली के लिए रणजी ट्रॉफी सत्र के दौरान भी बेंच पर ही बैठे रहे.मयंक अपने करियर में टखने और हैमस्ट्रिंग की चोटों से जूझते रहे थे. उन्होंने पंजाब किंग्स के खिलाफ इस सत्र में अपना आईपीएल पदार्पण किया था और 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर प्रभावित किया. रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ अपने दूसरे आईपीएल मैच में इस गेंदबाज ने 14 रन देकर तीन विकेट झटके थे जिसमें उन्होंने 156.7 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से इस आईपीएल की सबसे तेज गेंद फेंकी थी.

  • टी20 विश्व कप 2024 जरूर खेले 2 खिलाड़ी, रोहित शर्मा प्लेइंग XI में रखना ना भूले, पूर्व तेज गेदबाज ने सुझाया नाम

    टी20 विश्व कप 2024 जरूर खेले 2 खिलाड़ी, रोहित शर्मा प्लेइंग XI में रखना ना भूले, पूर्व तेज गेदबाज ने सुझाया नाम

    नई दिल्ली।
    इंडियन प्रीमियर लीग पर भारतीय चयनकर्ताओं की नजर बनी हुई है. इसी महीने के अंत तक टी20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम का चयन होना है. टूर्नामेंट में अच्छा खेल दिखाने वालों को इस मेगा आईसीसी टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिल सकता है. भारत के पूर्व तेज गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने जून में होने वाले टी20 विश्व कप के लिए सोमवार को शिवम दुबे और रिंकू सिंह को अंतिम एकादश में शामिल करने की वकालत की.

    दुबे इस आईपीएल सत्र में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी रहे हैं. उन्होंने 160 से अधिक के स्ट्राइक-रेट से रन बनाये हैं. वेस्टइंडीज में स्पिन की अनुकूल परिस्थितियों में दुबे का योगदान अमूल्य साबित हो सकता है. उनके साथ ही बाएं हाथ के विस्फोटक बल्लेबाज रिंकू ने अमेरिका और कैरेबियाई देशों में होने वाले टी20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम में शामिल होने के लिए मजबूत दावा पेश किया है.प्रसाद ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘स्पिनरों के खिलाफ बड़े शॉट खेलने की क्षमता के कारण शिवम दुबे, सर्वश्रेष्ठ टी20 अंतरराष्ट्रीय बल्लेबाज होने के कारण सूर्या (कुमार यादव) और अपनी असाधारण फिनिशिंग क्षमता के लिए रिंकू सिंह. यह बहुत अच्छा होगा अगर भारत टी20 विश्व कप में इन तीनों को अंतिम एकादश में शामिल करने का कोई रास्ता ढूंढ ले. टीम में विराट (कोहली) और रोहित (शर्मा) की मौजूदगी के कारण इन पांचों के बाद सिर्फ एक विकेटकीपर बल्लेबाज के लिए जगह बचेगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि यह कैसे होता है.’’

  • दिल्ली पुलिस ने पहले हिरासत में लिया, फिर छोड़ा… TMC नेता बोले- हम नहीं जाएंगे, थाने में ही रहेंगे

    दिल्ली पुलिस ने पहले हिरासत में लिया, फिर छोड़ा… TMC नेता बोले- हम नहीं जाएंगे, थाने में ही रहेंगे

    नई दिल्ली।
    लोकसभा चुनाव से ठीक पहले निर्वाचन आयोग के दफ्तर के बाहर टीएमसी नेताओं का प्रदर्शन जारी है. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग के प्रमुखों को बदलने की मांग को लेकर सोमवार को दिल्ली में निर्वाचन आयोग कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया. हालांकि, कुछ देर बाद पुलिस ने उन्हें रिहा कर दिया, मगर टीएमसी नेता थाने से बाहर जाने को राजी नहीं हुए. मंगलवार को भी टीएमसी का प्रतिनिधिमंडल थाने में ही डटा है.

    इससे पहले सोमवार को हिरासत में लिए जाने के कुछ घंटे बाद पार्टी नेताओं ने कहा था कि वे मंदिर मार्ग थाने में अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे. उधर, कोलकाता में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने दिल्ली पुलिस द्वारा पार्टी के नेताओं को हिरासत में लिए जाने के संबंध में शिकायत दर्ज कराने के लिए शाम में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस से मुलाकात की. टीएमसी सूत्रों के अनुसार, अभिषेक बनर्जी की अगुवाई में 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल रात करीब नौ बजे राज्यपाल के आवास पर गया. अभिषेक बनर्जी ने कहा कि यह ‘लोकतंत्र की हत्या’ है. उन्होंने दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की आलोचना की.इस बीच, दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कहा था कि तृणमूल कांग्रेस नेताओं को रिहा कर दिया गया है. हालांकि, तृणमूल नेताओं ने कहा कि वे रातभर थाने में ही रहेंगे और अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे. तृणमूल कांग्रेस सांसद डेरेक ओब्रायन, नदीमुल हक, डोला सेना, साकेत गोखले और सागरिका घोष, विधायक विवेक गुप्ता, पूर्व सांसद अर्पिता घोष, शांतनु सेन तथा अबीर रंजन बिश्वासन एवं पार्टी की छात्र शाखा की पश्चिम बंगाल इकाई के उपाध्यक्ष सुदीप राहा शाम करीब चार बजे निर्वाचन आयोग के दफ्तर गए थे.

    टीएमसी के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने अपनी मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए निर्वाचन आयोग की पूर्ण पीठ से मिलने के बाद शाम करीब पांच बजे 24 घंटे के लिए धरने पर बैठने की घोषणा की थी. आयोग से मुलाकात करने वाले नेताओं में शामिल राज्यसभा सदस्य सागरिका घोष ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने आयोग से लोकसभा चुनाव में समान अवसर सुनिश्चित करने और विपक्षी दलों एवं इनके नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के ‘‘दुरुपयोग’’ को रोकने का आग्रह किया.तृणमूल कांग्रेस आरोप लगा रही है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार के इशारे पर विपक्षी दलों को निशाना बना रही हैं. धरने के दौरान घोष ने कहा, ‘हमने निर्वाचन आयोग से चुनावी शुचिता बनाए रखने के लिए संसदीय लोकतंत्र के नाम पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया. ईडी, सीबीआई, एनआईए, आयकर विभाग को विपक्ष के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका जाए.’

    धरना दे रहे टीएमसी नेताओं ने अपने हाथों में तख्तियां थामी हुई थीं, जिन पर लिखा था, ‘‘एनआईए के महानिदेशक, ईडी और सीबीआई के निदेशकों को तुरंत बदला जाए. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि सभी टीएमसी नेताओं को रिहा कर दिया गया है. हालांकि, ओब्रायन ने मंदिर मार्ग थाने के गेट के पीछे से संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारा 24 घंटे का धरना थाने के अंदर या बाहर जारी रहेगा। हम इसे जारी रखेंगे. इस बीच, निर्वाचन आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा कि आयोग को तृणमूल कांग्रेस के धरने पर कुछ नहीं कहना है.

  • ट्रेन नहीं तूफान…441 KM की दूरी 4 घंटे में, 8 घंटे में दिल्‍ली से काशी

    ट्रेन नहीं तूफान…441 KM की दूरी 4 घंटे में, 8 घंटे में दिल्‍ली से काशी

    नई दिल्‍ली ।

    भारतीय रेल पिछले कुछ वर्षों से यात्रियों को बेहतरीन सुविधाओं के साथ यात्रा करने का अनुभव प्रदान करने के लिए प्रयासरत है. इस क्रम में एक तरफ जहां ट्रेनों की औसत रफ्तार बढ़ाई गई है, वहीं दूसरी तरफ हाई-स्‍पीड ट्रेनों का परिचालन भी क्रमबद्ध तरीके से शुरू किया गया है।इसकी पहली कड़ी में वंदे भारत सेमी हाई-स्‍पीड ट्रेन का संचालन शुरू किया गया है. प्रीमियम वंदे भारत ट्रेनों का परिचालन देश के विभिन्‍न मार्गों पर हो रहा है. यात्री इससे यात्रा करने का लुत्‍फ भी उठा रहे हैं. इसी क्रम में आज बात करते हैं नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन (NDLS) से चलकर वाराणसी जंक्‍शन (BSB) तक जाने वाली तूफान मेल वंदे भारत एक्‍सप्रेस ट्रेन की।दिल्‍ली से धर्मनगरी काशी की दूरी 759 किलोमीटर है. पहले इस दूरी को तय करने में 12 से 14 घंटे तक का वक्‍त लगता था. वंदे भारत का परिचालन शुरू होने के बाद से इन दोनों शहरों के बीच की दूरी महज 8 घंटों में पूरा करना संभव हो सका है. नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन से प्रस्‍थान करते ही यह ट्रेन तूफान की तरह लहराते हुए पटरियों पर दौड़ने लगती है. दिल्‍ली के बाद यह ट्रेन सीधे कानपुर सेंट्रल स्‍टेशन पर जाकर ठहरती है. इस तरह दिल्‍ली-काशी वंदे भारत ट्रेन का पहला स्‍टॉपेज 441 किलोमीटर के बाद है. इस बीच यह ट्रेन नॉनस्‍टॉप दौड़ती रहती है।

    दिल्‍ली-वाराणसी वंदे भारत एक्‍सप्रेस ट्रेन का रनिंग स्‍टेटस.

    सिर्फ दो स्‍टॉपेज

    दिल्‍ली-वाराणसी वंदे भारत एक्‍सप्रेस ट्रेन (ट्रेन संख्‍या 22436 और अप में 22435) देश की राजधानी से प्रस्‍थान करते ही रॉकेट की गति से पटरियों पर दौड़ने लगती है. सेमी हाई-स्‍पीड ट्रेन पलभर में आंखों से ओझल हो जाती है. नई दिल्‍ली रेलवे स्‍टेशन से प्रस्‍थान करने के बाद यह ट्रेन सीधे कानपुर सेंट्रल रेलवे स्‍टेशन पर ठहरती है. कानपुर सेंट्रल से प्रस्‍थान करने के बाद वंदे भारत सीधे प्रयागराज जंक्‍शन पर रुकती है. इस दौरान यह ट्रेन 194 किलोमीटर की दूरी बिना किसी स्‍टॉपेज के तय करती है. प्रयागराज के बाद यह ट्रेन सीधे अपने गंतव्‍य स्‍टेशन वाराणसी जंक्‍शन पर ठहरती है. बता दें कि द‍िल्‍ली से वाराणसी की कुल दूरी 759 किलोमीटर है. नई दिल्‍ली-वाराणसी वंदे भारत एक्‍सप्रेस ट्रेन यह दूरी महज 8 घंटे में तय कर लेती है।

    रेलवे के प्रयास से बढ़ी है औसत रफ्तार

    भारतीय रेल ट्रेनों की रफ्तार को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहा है. इसके लिए इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का विकास किया जा रहा है. पटरियों और ट्रैफिक सिग्‍नल सिस्‍टम को अत्‍याधुनिक बनाया जा रहा है. रेलवे ने पिछले कुछ वर्षों में पटरियों को दुरुस्‍त करने पर काफी काम किया है. रेलवे ट्रैक को दुरुस्‍त किया गया है, ताकि उसे हाई-स्‍पीड ट्रेनों के लिए अनुकूल बनाया जा सके. साथ ही एंटी कॉलीजन डिवाइस भी इंस्‍टॉल किया जा रहा है, जिससे ट्रेन हादसों में कमी लाई जा सके. वंदे भारत ट्रेनों में अत्‍याधुनिक सुविधाओं से लैस कोच का इस्‍तेमाल किया जा रहा है।

  • प्रियंका चोपड़ा की बेटी मालती मैरी को आइसक्रीम खाते देख फैंस बोले, ‘सो क्यूट’, फोटो हुई वायरल

    प्रियंका चोपड़ा की बेटी मालती मैरी को आइसक्रीम खाते देख फैंस बोले, ‘सो क्यूट’, फोटो हुई वायरल

    मुंबई ।

    हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक में अपना जलवा बिखेर चुकी एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा सोशल मीडिया पर छाई रहती हैं। हाल ही में प्रियंका चोपड़ा भारत आई थीं, जहां उन्होंने अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड किया था। अब प्रियंका फिर से अमेरिका वापस चली गई हैं। बता दें कि प्रियंका चोपड़ा इन दिनों अपनी बेटी मालती मैरी की देखभाल कर रही है। इस बीच बॉलीवुड की क्वीन प्रियंका चोपड़ा का एक पोस्ट सामने आया है, जो कि इंटरनेट वर्ल्ड में लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। इस फोटो को देखने के बाद फैंस का दिन बन गया है।

    प्रियंका चोपड़ा ने शेयर की बेटी मालती की क्यूट तस्वीर

      एक्ट्रेस प्रिंयका चोपड़ा ने एक बार फिर से अपनी बेटी की तस्वीर शेयर की है, जिसे देख फैंस गदगद हो गए हैं। दरअसल, वर्ल्ड आइकन प्रियंका चोपड़ा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट को अपडेट करते हुए एक स्टोरी लगाई है, जो कि इंटरनेट पर तेजी से वायरल हो रही है। इस नए पोस्ट में प्रियंका की बेटी मालती मैरी चोपड़ा जोनस आइसक्रीम खाती नजर आ रही हैं। फोटो में प्रियंका की लाडली बेहद क्यूट लग रही हैं। इस तस्वीर पर लोग जमकर रिएक्ट करते हुए मालती पर प्यार बरसा रहे हैं।

    कब बॉलीवुड में वापसी करेंगी प्रियंका चोपड़ा

    बताते चलें कि एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा साल 2019 में बॉलीवुड मूवी स्काई इज पिंक में नजर आई थीं। इसके बाद से ही वो बॉलीवुड से दूर है। प्रियंका चोपड़ा अब हॉलीवुड इंडस्ट्री में अपना जलवा बिखेर रही हैं। मालूम हो कि फैंस चाहते हैं कि प्रियंका चोपड़ा जल्द ही बॉलीवुड में वापस करें। हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि वो फिर से कब बॉलीवुड इंडस्ट्री में काम करेंगी या नहीं। बता दें कि प्रियंका चोपड़ा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं और अक्सर अपने फैंस के साथ तस्वीरें और वीडियोज शेयर करती रहती हैं।

  • ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और ‘मैदान’ की रिलीज में हुआ ये बदलाव, एडवांस बुकिंग के लौटाए जा रहे पैसे!

    ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और ‘मैदान’ की रिलीज में हुआ ये बदलाव, एडवांस बुकिंग के लौटाए जा रहे पैसे!

    मुंबई।

    अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ ईद पर सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। वहीं, इस दिन अजय देवगन की फिल्म ‘मैदान’ भी सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है। इस तरह से बॉक्स ऑफिस पर दो बड़ी फिल्मों का क्लैश होने वाला है। फिलहाल, दोनों फिल्मों को लेकर फैंस काफी ज्यादा एक्साइटेड हैं। इसी बीच लेटेस्ट मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और अजय देवगन की ‘मैदान’ की रिलीज में बदलाव किया गया है। आइए जानते हैं कि दोनों फिल्मों की रिलीज को लेकर क्या अपडेट आया है।

    ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और ‘मैदान’ के शोज की बदली टाइमिंग

      पॉपुलर स्टार्स अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और अजय देवगन की ‘मैदान’ की रिलीज डेट आने के बाद से ही बॉक्स ऑफिस क्लैश को लेकर बातें हो रही हैं। अब लेटेस्ट मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि दोनों फिल्मों की रिलीज में कुछ बदलाव किया गया है। ‘बॉलीवुड हंगामा’ की रिपोर्ट के मुताबिक, मल्टीप्लेक्स ऑफिशियल ने बताया है कि फिल्म ‘मैदान’ के मेकर्स की तरफ से मैसेज आया कि अब शो की स्क्रीनिंग शाम 6 बजे से होगी और इससे पहले के शोज चलाने से मना कर दिया गया है। वहीं, फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ के मेकर्स ने भी यही बात कही है। मल्टीप्लेक्स ऑफिशियल ने आगे बताया है कि ‘बड़े मियां छोटे मियां’ और ‘मैदान’ के शोज में बदलाव के चलते 10 अप्रैल को शाम 6 बजे से पहले के सभी शोज की बुकिंग को कैंसल करना पड़ रहा है और लोगों के पैसे लौटाए जा रहे हैं।

    10 अप्रैल को वर्किंग डे के चलते फिल्म की कमाई पर पड़ेगा प्रभाव

    एक अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इंडस्ट्री के एक इनसाइडर ने बताया है कि 10 अप्रैल को वर्किंग डे होने की वजह से कम ही लोग फिल्म देखने जा पाएंगे। वहीं, 11 अप्रैल को ईद की छुट्टी का फिल्म को फायदा मिलेगा। बताते चलें कि अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ का डायरेक्शन अली अब्बास जफर ने किया है। अजय देवगन की फिल्म ‘मैदान’ का डायरेक्शन अमित शर्मा ने किया है।

  • आर्मी ऑफिसर बनने का था सपना, बन गईं टीवी की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस, अमिताभ बच्चन संग कर चुकी हैं काम

    आर्मी ऑफिसर बनने का था सपना, बन गईं टीवी की हाईएस्ट पेड एक्ट्रेस, अमिताभ बच्चन संग कर चुकी हैं काम

    मुंबई।
    फिल्मों में सफलता, दौलत और शोहरत आसानी से नहीं मिलती है. इस इंडस्ट्री में कुछ भी हासिल करने के लिए एक्टर्स को ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है. बॉलीवुड स्टार्स की बात हो या टीवी एक्टर्स की हर किसी के करियर में अलग-अलग तरह की चुनौतियां आती हैं और एक्टर्स को इन चुनौतियों का सामना करते हुए आगे बढ़ना पड़ता है. आज टीवी की जिस लोकप्रिय एक्ट्रेस की यहां बात कर रहे हैं वो दिव्यांका त्रिपाठीे की.

    दिव्यांका त्रिपाठी ने साल 2004 में ‘इंडियाज बेस्ट सिनेस्टार की खोज’ से करियर की शुरुआत की थी और साल 2006 में वह टीवी के पॉपुलर सीरियल ‘बनूं मैं तेरी दुल्हन’ में लीड रोल में नजर आई थीं. इस सीरियल से उन्होंने घर-घर में पहचान बनाई थी. दिव्यांका तीन साल तक इस सीरियल का हिस्सा रही थीं.

    ‘बनूं मैं तेरी दुल्हन’ के बाद दिव्यांका त्रिपाठी ने ‘खाना खजाना’, ‘इंतजार’, ‘मिस्टर एंड मिसेज शर्मा इलाहबादवाले’, ‘रामायण’, ‘तेरी मेरी लव स्टोरीज’, ‘अदालत’, ‘ये है मोहब्बतें’ जैसे सीरियल्स में काम किया है. ‘ये है मोहब्बतें’ से दिव्यांका त्रिपाठी को एक बार फिर दर्शकों के बीच बेशुमार लोकप्रियता मिली.

    टीवी शोज की जानी-मानी एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी को टीवी के पॉपुलर स्टंट रियलिटी शो ‘खतरों के खिलाड़ी’ में भी देखा जा चुका है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक आज ये एक्ट्रेस हर एपिसोड के लिए 1-1.5 लाख रुपये की मोटी फीस चार्ज करती हैं.

    टीवी की फेवरेट बहू दिव्यांका त्रिपाठी आज भले ही पर्दे पर राज कर रही हैं, लेकिन असल में वह कभी अभिनय की दुनिया में आना ही नहीं चाहती थीं. भोपाल की रहने वाले ये एक्ट्रेस इंडियन आर्मी में अफसर बन देश की सेवा करना चाहती थीं, लेकिन उनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था

    भोपाल के एक लोकल ब्यूटी पेजेंट ने दिव्यांका त्रिपाठी की किस्मत पलट दी थी. उन्होंने मस्ती-मजाक में दोस्तों के कहने पर भोपला के ब्यूटी पेजेंट में हिस्सा लिया था और वह इसकी विजेता बन गई थीं और यहीं से मॉडलिंग की दुनिया में उनकी नई शुरुआत हुई.

    दिव्यांका त्रिपाठी टीवी ही नहीं बल्कि बॉलीवुड की उन चंद खुश किस्मत एक्ट्रेसेज में शुमार हैं जिन्हें सदी के महानायक अमिताभ बच्चन संग स्क्रीन साझा करने का मौका मिला था. दिव्यांका त्रिपाठी और अमिताभ बच्चन वॉशिंग पाउडर घड़ी के ऐड में साथ दिखे थे.

  • Prashant Kishore की Rahul Gandhi को सलाह, कहा- सफलता नहीं मिलने पर ब्रेक लेना सही

    Prashant Kishore की Rahul Gandhi को सलाह, कहा- सफलता नहीं मिलने पर ब्रेक लेना सही

    नई दिल्ली।
    वर्ष 2019 के चुनाव में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने सबंधी राहुल गांधी के फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वायनाड निर्वाचन क्षेत्र के सांसद ने तब लिखा था कि वह पीछे हट जाएंगे और किसी और को दायित्व सौंपेंगे।

    जाने-माने राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सुझाव दिया है कि यदि कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते हैं तो राहुल गांधी को अपने कदम पीछे खींचने पर विचार करना चाहिए। किशोर ने ‘पीटीआई’ संपादकों के साथ बातचीत में कहा कि गांधी, सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए, अपनी पार्टी चला रहे हैं और पिछले 10 वर्ष में अपेक्षित परिणाम नहीं देने के बावजूद वह न तो रास्ते से हट रहे हैं और न ही किसी और को आगे आने दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे अनुसार यह भी अलोकतांत्रिक है।’’ उन्होंने विपक्षी पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए एक योजना तैयार की थी लेकिन उनकी रणनीति के क्रियान्वयन पर उनके और कांग्रेस नेतृत्व के बीच मतभेदों के चलते वह अलग हो गए थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी के राजनीति से दूर रहने और 1991 में पीवी नरसिंह राव के कार्यभार संभालने को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब आप एक ही काम पिछले 10 वर्ष से कर रहे हैं और सफलता नहीं मिल रही है तो एक ब्रेक लेने में कोई बुराई नहीं है… आपको चाहिए कि पांच साल तक यह जिम्मेदारी किसी और को सौंप दें। आपकी मां ने ऐसा किया है।’’ उन्होंने कहा कि दुनियाभर में अच्छे नेताओं की एक प्रमुख विशेषता यह होती है कि वे जानते हैं कि उनमें क्या कमी है और वे सक्रिय रूप से उन कमियों को दूर करने के लिए तत्पर रहते हैं।

    किशोर ने कहा, ‘‘लेकिन राहुल गांधी को ऐसा लगता है कि वह सब कुछ जानते हैं। यदि ऐसा लगता है कि आपको मदद की आवश्यकता नहीं है तो कोई भी आपकी मदद नहीं कर सकता। उन्हें लगता है कि वह सही हैं और वह मानते हैं कि उन्हें ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो उनकी सोच को मूर्त रूप दे सके। यह संभव नहीं है। ’’ वर्ष 2019 के चुनाव में पार्टी की हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने सबंधी राहुल गांधी के फैसले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि वायनाड निर्वाचन क्षेत्र के सांसद ने तब लिखा था कि वह पीछे हट जाएंगे और किसी और को दायित्व सौंपेंगे। लेकिन वास्तव में, उन्होंने जो लिखा था उसके विपरीत काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कई नेता निजी तौर पर स्वीकार करेंगे कि वे पार्टी में कोई भी निर्णय नहीं ले सकते, यहां तक कि गठबंधन सहयोगियों के साथ एक भी सीट या सीट साझा करने के बारे में भी वे तब तक कोई फैसला नहीं ले सकते ‘‘जब तक उन्हें ‘एक्सवाईजेड’ से मंजूरी नहीं मिल जाती’’। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग हालांकि निजी तौर पर यह भी कहता है कि स्थिति वास्तव में विपरीत है और राहुल गांधी वह फैसला नहीं लेते, जो वे चाहते हैं कि राहुल गांधी लें। किशोर ने कहा कि कांग्रेस और उसके समर्थक किसी भी व्यक्ति से बड़े हैं और गांधी को इस बात को लेकर अड़े नहीं रहना चाहिए कि बार-बार अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के बावजूद वही पार्टी के लिए उपयोगी साबित होंगे। प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के इस दावे पर सवाल उठाया कि उनकी पार्टी को चुनाव में असफलताओं का सामना इसलिए करना पड़ रहा है क्योंकि निर्वाचन आयोग, न्यायपालिका और मीडिया जैसी संस्थाओं को सरकार अपने प्रभाव में ले रही है। उन्होंने कहा कि यह आंशिक रूप से सच हो सकता है लेकिन पूरा सच नहीं है। उन्होंने कहा कि 2014 के चुनाव में कांग्रेस की सीटों की संख्या 206 से घटकर 44 हो गई थी और उस वक्त वह सत्ता में थी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का विभिन्न संस्थानों पर बहुत कम प्रभाव था। किशोर ने इस बात पर जोर दिया कि मुख्य विपक्षी दल के कामकाज में ‘‘संरचनात्मक’’ खामियां है और उसे अपनी सफलता के लिए इन खामियों को दूर करना जरूरी है। पार्टी के पतन की कगार पर होने संबंधी दावों के बारे में पूछे जाने पर किशोर ने ऐसे दावों का खंडन करते हुए कहा कि ऐसा कहने वाले लोग देश की राजनीति को नहीं समझते हैं और इस तरह के दावों में दम नहीं है।

    किशोर ने कहा, ‘‘कांग्रेस को केवल एक पार्टी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। देश में इसके वजूद को कभी खत्म नहीं किया जा सकता। यह संभव नहीं है। कांग्रेस ने अपने इतिहास में कई बार खुद को उभारा है।’’ उन्होंने कहा कि आखिरी बार ऐसा तब हुआ था जब सोनिया गांधी ने दायित्व संभाला था और इसके बाद 2004 के चुनावों में कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की थी। यह पूछे जाने पर कि पार्टी द्वारा अपनी पुनरुद्धार योजना में उन्हें शामिल करने के बाद क्या गलत हुआ, उन्होंने कहा कि कांग्रेस उनकी योजनाओं को लागू करने के लिए एक अधिकार प्राप्त कार्य समूह चाहती थी, जो उसकी संवैधानिक संस्था नहीं है और वह इस प्रस्ताव से सहमत नहीं थे। किशोर ने आम आदमी पार्टी द्वारा कांग्रेस की जगह लेने और उसके दिल्ली मॉडल को अन्य राज्यों में दोहराने की संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी कोई सम्भावना नहीं है। इसकी जो कमजोरी मुझे दिखती है वह यह है कि इसकी कोई वैचारिक या संस्थागत जड़ें नहीं हैं।’’ कांग्रेस और कई क्षेत्रीय दलों के खिलाफ भाजपा के ‘‘परिवारवाद’’ के आरोप के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्वीकार किया कि यह मुद्दा लोगों के बीच बना हुआ है। उन्होंने कहा कि किसी के उपनाम के कारण नेता बनना आजादी के बाद के युग में एक फायदा हो सकता था, लेकिन अब यह एक बोझ है। उन्होंने पूछा, ‘‘चाहे वह राहुल गांधी हों, अखिलेश यादव हों या तेजस्वी यादव हों। हो सकता है कि उनकी संबंधित पार्टियों ने उन्हें अपना नेता स्वीकार कर लिया हो, लेकिन लोगों ने नहीं। क्या अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी को जीत दिलाने में सक्षम हैं?’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि भाजपा को इस मुद्दे से नहीं जूझना पड़ा क्योंकि उसने हाल ही में सत्ता हासिल की है और उसके नेताओं के परिवार के सदस्यों को पद देने का दबाव अब आएगा। किशोर ने 2014 से भाजपा, कांग्रेस और विभिन्न विचारधारा वाले क्षेत्रीय क्षत्रपों सहित कई प्रमुख दलों के लिए काम किया है, लेकिन एक नयी राजनीति की शुरुआत करने के घोषित लक्ष्य के साथ अक्टूबर 2022 से उन्होंने अपने गृह राज्य बिहार में अपनी जन सुराज यात्रा पर ध्यान केंद्रित किया है।

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    फिल्मों से ज्यादा वेब सीरीज से कमाई करती है ये 38 साल की हीरोइन, कहलाती है OTT क्वीन, इतने करोड़ है नेटवर्थ

    मुंबई।
    जिस एक्ट्रेस के बारे में हम यहां आपसे जिक्र कर रहे हैं, वो दर्जनों हिंदी फिल्मों का हिस्सा रह चुकी हैं और उन्होंने साउथ फिल्मों में भी काम किया है. हालांकि, ओटीटी पर उनका जो जलवा है वो बड़े पर्दे पर नहीं दिखा. लिहाजा लोग उन्हें ओटीटी क्वीन कहते हैं.

    बॉलीवुड के सबसे बहुमुखी और जाने-माने चेहरों में से एक, राधिका आप्टे को ओटीटी क्वीन कहा जाता है. राधिका आप्टे का जन्म 7 सितंबर 1985 को तमिलनाडु के वेल्लोर में एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता डॉ. चारुदत्त आप्टे एक न्यूरोसर्जन और सह्याद्री अस्पताल, पुणे के अध्यक्ष हैं. राधिका का पालन-पोषण पुणे में हुआ है और वे एक नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से आती हैं. बड़े होने के दौरान उन्हें 8 साल तक कथक सिखाया गया, जिससे उनका रुझान थिएटर की ओर बढ़ गया.राधिका आप्टे एक ऐसी अभिनेत्री हैं, जिन्होंने मुख्य रूप से हिंदी, तमिल, तेलुगु और मराठी फिल्मों में काम किया है. उन्होंने साल 2005 में Vaah! Life Ho Toh Aisi! से अपने अभिनय की शुरुआत की थी. इस फिल्म में समें शाहिद कपूर, अमृता राव और संजय दत्त भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में थे.

    लेकिन कई फिल्मों का हिस्सा होने के अलावा, राधिका वेब सीरीज में अपने शानदार काम के लिए ज्यादा फेमस हैं जिसने उन्हें ‘ओटीटी की रानी’ का उपनाम दिया है. नेटफ्लिक्स की क्राइम ड्रामा सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ और एंथोलॉजी फिल्म ‘लस्ट स्टोरीज’ में अपने काम के लिए राधिका ने खासकर दर्शकों का अटेंशन लिया है.राधिका बड़े पर्दे और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. वो मराठी फिल्म इंडस्ट्री में भी उतनी ही लोकप्रिय अभिनेत्री हैं. अपनी बहुमुखी प्रतिभा के कारण, उन्होंने वेब सीरीज में अपनी भूमिकाओं के लिए क्रिटिक्स के जरिए भी तारीफें हासिल की हैं.लगातार एक से बढ़कर एक सुपरहिटवेब सीरीज में काम करने के बाद राधिका की लोकप्रियता के कारण उन्हें अब ओटीटी प्लेटफार्मों पर सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्रियों में से एक माना जाता है. उन्हें वेब सीरीज से उतना पैसा मिल जाता है जितनी कि एक एक्ट्रेस फिल्म करने के बाद भी नहीं कमा पाती.

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, राधिका ओटीटी प्लेटफॉर्म पर हर प्रोजेक्ट के लिए 4 करोड़ रुपये चार्ज करती हैं. उनकी कुल संपत्ति करीब 66 करोड़ रुपये आंकी गई है और वो मुख्य रूप से फिल्मों व मॉडलिंग असाइनमेंट से कमाई करती हैं. उनके पास लंदन में एक फ्लैट है जबकि मुंबई के वर्सोवा में एक डीलक्स घर भी है. इसके अलावा, उनके लक्जरी कार संग्रह में बीएमडब्ल्यू एक्स2, एक वोक्सवैगन टिगुआन और एक ऑडी ए4 शामिल हैं.