Category: राज्य

  • इमरान खान के कमबैक प्रोजेक्ट का चल गया पता, मामा आमिर खान की इस मूवी से एक्टिंग में करेंगे वापसी!

    इमरान खान के कमबैक प्रोजेक्ट का चल गया पता, मामा आमिर खान की इस मूवी से एक्टिंग में करेंगे वापसी!

    नई दिल्ली।

     सुपरस्टार आमिर खान के भांजे इमरान खान पिछले कुछ समय से एक्टिंग की दुनिया में अपने कमबैक को लेकर चर्चा में छाए हुए हैं. एक्टर ने पिछले साल खुद हिंट दिया था कि वह बहुत जल्द बॉलीवुड में वापसी कर रहे हैं. अब इरमान खान के कमबैक प्रोजेक्ट को लेकर लेटेस्ट जानकारी सामने आई है. चर्चा है कि इमरान खान की फिल्म का नाम ‘हैप्पी पटेल’ होगा, जिसे उनके मामा आमिर खान प्रोड्यूस करेंगे.

    Peeping Moon ने अपनी एक रिपोर्ट में सोर्स के आधार पर बताया कि इमरान खान ने पिछले साल बॉलीवुड में वापसी की संभावना का हिंट देने के 8 महीने बाद फिल्म को सेलेक्ट कर लिया है. वह आमिर खान प्रोडक्शंस की फिल्म ‘हैप्पी पटेल’ में नजर आएंगे, जिसमें उनका लीड रोल होगा. यह एक अनोखी कॉमेडी फिल्म होगी. सोर्स ने ये भी बताया कि इस गोवा में इस फिल्म की शूटिंग भी शुरू हो चुकी है.

    वीर दास डायरेक्ट करेंगे फिल्म
    रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि ‘हैप्पी पटेल’ स्टैंडअप कॉमेडियन और एक्टर वीर दास की डायरेक्टोरियल डेब्यू फिल्म होगी. इससे पहले वीर दास और इमरान खान साल 2011 में रिलीज हुई फिल्म ‘डेल्ही बेली’ में साथ काम कर चुके हैं, जिसे आमिर खान ने प्रोड्यूस किया था. बॉक्स ऑफिस पर ये मूवी बड़ी हिट साबित हुई थी.

  • अरिजीत सिंह ने कॉन्सर्ट के बीच, पाकिस्तानी एक्ट्रेस से मांगी माफी, गाया मशहूर गाना ‘जालिमा’, VIDEO वायरल

    अरिजीत सिंह ने कॉन्सर्ट के बीच, पाकिस्तानी एक्ट्रेस से मांगी माफी, गाया मशहूर गाना ‘जालिमा’, VIDEO वायरल

    नई दिल्ली।

     माहिरा खान पाकिस्तानी एक्ट्रेस हैं, मगर उनकी फैन फॉलोइंग दुनियाभर में है. एक्ट्रेस का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह दुबई में अरिजीत सिंह के म्यूजिकल कॉन्सर्ट को एन्जॉय करती नजर आ रही हैं. अरिजीत सिंह ने कॉन्सर्ट में उनकी फिल्म ‘रईस’ का मशहूर गाना ‘जालिमा’ गाया. वायरल वीडियो में, अरिजीत सिंह दर्शकों को माहिरा खान के बारे में बता रहे हैं. दरअसल, गायक पहली नजर में माहिरा को पहचान नहीं पाए थे.

    अरिजीत सिंह वीडियो में कहते नजर आ रहे हैं, ‘आप लोगों को हैरान होना चाहिए, क्या मैं खुलासा कर दूं? मैं बेहतर तरीके से खुलासा करता हूं. क्या हम कैमरा इस ओर कर सकते हैं. मैं इन शख्स को पहचानने की कोशिश कर रहा था, तब मुझे याद आया कि मैंने इनके लिए गाना गाया है. देवियों और सज्जनों माहिरा खान मेरे सामने बैठी हुई हैं. सोचिए कि मैंने उनका गाना ‘जालिमा’ गाया और यह उनका गाना है. वे गा रही हैं और खड़ी हैं और मैं उन्हें पहचान नहीं पाया. मुझे माफ कर दीजिए. मैम आपका आभार और बहुत-बहुत धन्यवाद.’
    एक्ट्रेस ने पिछले साल की थी शादी
    माहिरा खान काले कपड़ों में बेहद हसीन लग रही थीं. उन्होंने दर्शकों की ओर हाथ हिलाकर अभिवादन किया. एक्ट्रेस ने पिछले साल अक्टूबर में दूसरी बार पाकिस्तानी बिजनेसमैन सलीम करीम से शादी की थी. हाल में, उनकी प्रेग्नेंसी की खबर सुर्खियां बटोर रही थीं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘रेडिट’ में एक पोस्ट चर्चा में है, जिसमें दावा है कि माहिरा खान दूसरी बार मां बनने वाली हैं. कहा जा रहा है कि एक्ट्रेस ने अपने कुछ प्रोजेक्ट्स से दूरी बना ली है.
    ‘रईस’ से किया था बॉलीवुड डेब्यू
    सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है, ‘मुझे करीबी सूत्रों से पता चला है कि माहिरा खान नेटफ्लिक्स के बड़े प्रोजेक्ट और फिल्म से बाहर हो गई हैं. उन्हें उम्मीद है कि वे अगस्त या सितंबर में दूसरी बार मां बनेंगी. इसे लेकर जल्द खुलासा हो सकता है या फिर वह बेबी के जन्म के बाद जानकारी दे सकती हैं.’ बता दें कि माहिरा खान ने पाकिस्तान के कई पॉपुलर शोज जैसे ‘हमसफर’, ‘बिन रोए’, ‘हम कहां से सच्चे थे’ और ‘रजिया’ में काम किया है. उन्होंने साल 2016 में फिल्म ‘रईस’ से बॉलीवुड डेब्यू किया था, जिसमें शाहरुख खान नजर आए थे.
  • चुनाव के दौरान किसी उम्मीदवार की मौत हुई तो क्या करता है आयोग? क्या है नियम

    चुनाव के दौरान किसी उम्मीदवार की मौत हुई तो क्या करता है आयोग? क्या है नियम

    नई दिल्ली।

    लोकसभा चुनाव का दो चरण संपन्न हो चुका है और 5 चरण का मतदान बाकी है. चुनाव के दौरान कुछ लोकसभा सीटों से प्रत्याशियों के निधन की दुखद खबरें भी आईं. जैसे मध्य प्रदेश की बैतूल लोकसभा सीट, जहां 26 अप्रैल को चुनाव होना था लेकिन यहां से बसपा के उम्मीदवार अशोक भलावी का हार्ट अटैक के चलते निधन हो गया. उधर, उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में मतदान के ठीक बाद बीजेपी प्रत्याशी की मौत हो गई. अगर चुनाव के दौरान किसी प्रत्याशी की मौत हो जाती है तो चुनाव आयोग क्या करता है? क्या चुनाव रद्द हो जाता है?

    मौत के केस में EC क्या करता है?
    लोक प्रतिनिधित्व कानून (Representation of Peoples Act 1951) में कहा गया है कि अगर चुनाव के दौरान किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार की मौत हो जाती है तो धारा 52 के तहत संबंधित सीट पर मतदान स्थगित किया जा सकता है. इस धारा में कहा गया है कि उपरोक्त प्रावधान तभी लागू होगा जब उम्मीदवार की नामांकन की आखिरी तारीख को सुबह 11.00 बजे के बाद और मतदान शुरू होने तक किसी भी समय मृत्यु हो जाती है. इसके बाद संबंधित आरओ, चुनाव आयोग को तथ्यों से अवगत कराता है. इसके बाद चुनाव आयोग संबंधित राजनीतिक दल को मृत उम्मीदवार के स्थान पर किसी अन्य उम्मीदवार को नामांकित करने के लिए कहता है.

    संबंधित राजनीतिक दल को सात दिनों के भीतर नामांकन करना होता है. यदि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची मतदान स्थगित होने से पहले ही प्रकाशित हो चुकी है, तो चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की एक नई सूची तैयार की जाती है और प्रकाशित की जाती है, जिसमें मृत उम्मीदवार के स्थान पर नामांकित उम्मीदवार का नाम भी शामिल होता है. बैतूल की बात करें तो यहां बसपा उम्मीदवार की मौत, नाम वापसी के आखिरी दिन के ठीक एक दिन बाद हुई, इसलिए चुनाव स्थगित कर दिया गया और 7 मई को मतदान होगा.

    हालांकि, मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार कुंवर सर्वेश कुमार सिंह की मतदान के बाद मृत्यु हुई, ऐसे में यदि वह मतगणना के बाद सीट विजेता के रूप में उभरते हैं, तो उस सीट पर उपचुनाव होगा.

    EVM डैमैज हो गई तो?
    अगर किसी मतदान केंद्र पर चुनाव के दौरान किसी कारणवश बाधा आती आती है और ईवीएम को नुकसान पहुंचता है तो रिप्रेजेंटेशन ऑफ़ पीपल एक्ट के सेक्शन 58 के तहत चुनाव आयोग मतदान को निरस्त कर सकता है. इस धारा में कहा गया है कि यदि कोई अनाधिकृत व्यक्ति ईवीएम छीन लेता है या गलती से अथवा जानबूझकर ईवीएम नष्ट कर दी जाती है, खो जाती है या डैमेज हो जाती है, ढंग से काम नहीं करती है तो संबंधित मतदान केंद्र का रिटर्निंग ऑफिसर तत्काल चुनाव आयोग को इसकी सूचना देगा. साथ ही संबंधित राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भी तथ्यों से अवगत कराएगा. इसके बाद चुनाव आयोग, वहां चुनाव रद्द कर नए सिरे से मतदान कराने की घोषणा कर सकता है.

    लोक प्रतिनिधित्व कानून में साफ-साफ कहा गया है कि अगर किसी सीट पर मतदान निरस्त होता है तो वहां चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों और उनके एजेंट को चुनाव आयोग लिखित सूचना देगा. साथ ही संबंधित क्षेत्र में सार्वजनिक सूचना और मुनादी के जरिए आम जनता को भी इसकी सूचना दी जाएगी. नियम के मुताबिक अगर मतदाता ने पहले वोट दिया है और मतदान निरस्त हो जाता है तो दूसरी बार मतदान के दौरान उसकी मिडिल यानी बीच वाली उंगली पर स्याही लगाई जाएगी.

    बूथ कैप्चरिंग पर क्या होता है?
    बूथ कैप्चरिंग जैसी स्थिति से निपटने के लिए सेक्शन 135 ए में प्रावधान किए गए हैं. इसमें कहा गया है कि यदि किसी पोलिंग स्टेशन पर जबरन कब्जा कर लिया जाता है, चुनाव में बाधा डाली जाती है, चुनिंदा मतदाताओं को ही मत डालने की इजाजत दी जाती है, चुनाव अधिकारियों को जबरन डराया-धमकाया जाता है अथवा मतगणना स्थल पर कब्जा कर लिया जाता है तो इस स्थिति में कम से कम एक साल की सजा का प्रावधान है. यह 3 साल तक बढ़ सकता है. अगर सरकारी अफसर इसमें लिप्त पाया जाता है तो उसे 5 साल तक की सजा हो सकती है.

    सेक्शन 58 ए में कहा गया है कि अगर किसी पोलिंग बूथ पर बूथ कैप्चरिंग होती है तो वहां प्रिसाइडिंग अफसर फौरन ईवीएम का कंट्रोल यूनिट बंद कर देगा और बैलट यूनिट से अलग कर देगा. इसके बाद वह आरओ को इसकी सूचना देगा, जो चुनाव आयोग को सारे तथ्यों से अवगत कराएंगे. इसके आधार पर चुनाव आयोग निम्न फैसला ले सकता है…

    बाढ़-भूकंप आ गया तो?
    अब बात करते हैं प्राकृतिक आपदा की. अगर चुनाव के दौरान बाढ़, भूकंप जैसी कोई प्राकृतिक आपदा आ जाती है तो संबंधित मतदान केंद्र का प्रिसाइडिंग अफसर सेक्शन 57(1) के तहत मतदान स्थगित कर सकता है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ़ द पीपल एक्ट 1951 में कहा गया है की बाढ़, तूफान जैसी स्थिति में मतदान निरस्त किया जा सकता है. अगर प्राकृतिक आपदा के चलते किसी मतदान केंद्र पर ईवीएम जैसी जरूरी चीजें नहीं पहुंच पाई हैं तो भी मतदान निरस्त किया जा सकता है. इसके अलावा दंगा, हिंसा जैसे केस में भी मतदान निरस्त किया जा सकता है.

  • कांग्रेस के मेनिफेस्टो पर PM मोदी का हमला, बोले- 10 दिन तक मीडिया की जांच का इंतजार…

    कांग्रेस के मेनिफेस्टो पर PM मोदी का हमला, बोले- 10 दिन तक मीडिया की जांच का इंतजार…

    नई दिल्ली।

    पीएम नरेंद्र मोदी ने एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कांग्रेस के मेनिफेस्टो पर जोरदार हमला बोला है. पेश है इंटरव्यू का संपादित अंश.

    सवाल. राजस्थान में एक रैली में आप ने कांग्रेस के घोषणापत्र पर सीधा हमला बोला. आपने यहां तक कहा कि उनके पास एक योजना है, जिसके जरिये वे धन बांटना चाहते हैं. वे पता लगाना चाहते हैं कि किसके पास कितनी बचत है, किसके पास कितना पैसा है, किसके पास कितना सोना, चांदी है और वे इसे मुसलमानों और घुसपैठियों के बीच बांटना चाहते हैं. क्या यह धमकी इतनी वास्तविक है? क्या आप इसे ऐसे देखते हैं?

    पीएम नरेंद्र मोदी. जहां तक कांग्रेस के घोषणापत्र की बात है तो कोई मुझे बताए कि क्या चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों के घोषणापत्र महज दिखावा होते हैं? हर राजनीतिक दल के घोषणा पत्र को पढ़ना मीडिया का काम है. मैं इस पर मीडिया की टिप्पणी का इंतजार कर रहा था.’ मैंने पहले दिन ही घोषणापत्र पर टिप्पणी कर दी थी. घोषणापत्र देखने के बाद मुझे लगता है कि इस पर मुस्लिम लीग की छाप है. मुझे लगा कि मीडिया चौंक जाएगा. लेकिन वे वही कहते रहे जो कांग्रेस ने पेश किया. फिर मैंने सोचा कि ये इकोसिस्टम का बहुत बड़ा घोटाला लगता है और मुझे सच्चाई सामने लानी होगी. मैंने 10 दिन तक इंतजार किया कि घोषणापत्र की बुराइयों को कोई न कोई सामने लाएगा क्योंकि अगर इसे निष्पक्ष तरीके से सामने लाया जाता है तो यह अच्छा है. आखिरकार, मुझे इन सच्चाइयों को सामने लाने के लिए मजबूर होना पड़ा.

    सवाल. 2006 का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें मनमोहन सिंह जी ने कहा है कि संसाधनों पर पहला हक गरीब मुसलमानों का है. ये बात उन्होंने साफ तौर पर कही है. आपने मेनिफेस्टो में यह भी बताया है कि वह ओबीसी आरक्षण का एक हिस्सा लेकर मुसलमानों को देना चाहेंगे और 2004-2014 के बीच उन्होंने चार-पांच बार ऐसा करने की कोशिश की है.

    पीएम नरेंद्र मोदी. आपने बहुत दिलचस्प सवाल पूछा है. जवाब लंबा होगा लेकिन देश की खातिर मुझे आपको बताना ही पड़ेगा. आप कांग्रेस का इतिहास देखिये. यह मांग 1990 के दशक से उठती रही है. देश में समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग है, जिसे लगता था कि उनके लिए कुछ किया जाना चाहिए, इसके लिए विरोध प्रदर्शन भी हुए. 1990 से पहले कांग्रेस ने इसका पूरा विरोध किया और इसे दबा दिया. फिर उन्होंने जो भी आयोग बनाये, जो भी समितियां बनाईं, उनकी रिपोर्ट भी ओबीसी के पक्ष में आने लगी. वे इन विचारों को नकारते, अस्वीकार करते और दबाते रहे. लेकिन 90 के दशक के बाद वोट बैंक की राजनीति के कारण उन्हें लगा कि कुछ करना चाहिए.

    तो, उन्होंने पहला पाप क्या किया था? 90 के दशक में उन्होंने कर्नाटक में मुसलमानों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करने का फैसला लिया. इसलिए वे पहले इस विचार को दबा रहे थे और अपवित्र कर रहे थे, लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए उन्होंने मुसलमानों को ओबीसी का लेबल दे दिया. कांग्रेस केंद्र से बेदखल हो गई. यह योजना 2004 तक रुकी रही. 2004 में जब कांग्रेस वापस आई तो उसने तुरंत आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को ओबीसी कोटा देने का फैसला किया. कोर्ट में मामला उलझ गया. भारत की संसद ने संविधान की मूल भावना के अनुरूप ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया था. अब, उन्होंने इस 27 प्रतिशत कोटा को हथियाने की कोशिश की.

    2006 में राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक हुई थी, जहां सिंह के बयान पर भारी हंगामा हुआ था. वे दो साल तक चुप रहे. 2009 के घोषना पत्र में उन्होंने फिर इसका जिक्र किया. 2011 में, इस पर एक कैबिनेट नोट है जहां उन्होंने मुसलमानों को ओबीसी हिस्सा देने का फैसला किया. उन्होंने यूपी चुनाव में भी यह कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. 2012 में आंध्र हाईकोर्ट ने इसे रद्द कर दिया. वे सुप्रीम कोर्ट गए, वहां भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली. 2014 के घोषणापत्र में भी धर्म के आधार पर आरक्षण की बात कही गई थी. जब भारत का संविधान बना तो कोई भी आरएसएस या बीजेपी के लोग मौजूद नहीं थे. वहां पंडित नेहरू और बाबा साहब अंबेडकर जैसे महापुरुष मौजूद थे. जिन्होंने लंबे चिंतन के बाद यह फैसला लिया कि भारत जैसे देश में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता.

    2024 के चुनावों के लिए उनका घोषणापत्र देखें. इस पर मुस्लिम लीग की छाप है. जिस तरह से वे संविधान का उल्लंघन कर रहे हैं, जिस तरह से वे अंबेडकर का अपमान कर रहे हैं… एससी और एसटी के आरक्षण पर खतरा है. क्या मुझे देश की जनता को इसकी जानकारी नहीं देनी चाहिए? मेरा मानना है कि इस देश को शिक्षित करना, सही बातें बताना उन सभी विद्वान लोगों की जिम्मेदारी है, जो ज्ञान के धनी हैं, जो निष्पक्ष हैं.

  • एक बार फिर से आरक्षण पर बहस: सरकार बनने के बाद एनडीए करेगी आरक्षण को समाप्त, भागवत बोले- राहुल गांधी लोगों को कर रहे गुमराह

    एक बार फिर से आरक्षण पर बहस: सरकार बनने के बाद एनडीए करेगी आरक्षण को समाप्त, भागवत बोले- राहुल गांधी लोगों को कर रहे गुमराह

     नई दिल्ली।

    भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर आरक्षण को लेकर लगातार आरोप लगते रहे हैं। इस बीच एक बार फिर विपक्ष आरक्षण के मुद्दे को लेकर आरएसएस पर निशाना साधा है। तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने आरक्षण को लेकर कहा है कि आरएसएस-भाजपा आरक्षण का विरोध करते हैं। वहीं उनके इस बयान का आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हैदराबाद में ही आकर दिया है।

    बता दें कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने शनिवार को आरोप लगाया था कि आरएसएस-भाजपा आरक्षण का विरोध करते हैं। दरअसल, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले साल नागपुर में कहा था कि जब तक समाज में भेदभाव है तब तक आरक्षण दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि भेदभाव समाज में व्याप्त है, भले ही यह दिखायी नहीं देता हो। इसके अलावा लोकसभा चुनाव में भी आरक्षण को लेकर जमकर बयानबाजी हो रही है। एक तरफ जहां विपक्ष का कहना है कि सरकार बनने के बाद एनडीए आरक्षण को समाप्त कर देगी और संविधान को बदल देगी।

    वीडियो में किया गया झूठा दावा

    बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत हैदराबाद में एक शैक्षणिक संस्थान में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वीडियो में झूठा दावा किया गया है कि आरएसएस आरक्षण का विरोध करता है। उन्होंने कहा कि जब से आरक्षण अस्तित्व में आया है, संघ ने संविधान के अनुसार आरक्षण का पूरी तरह समर्थन किया है।

    क्या था राहुल गांधी का बयान?

    राहुल गांधी ने कहा था कि मोदी जी आपसे आरक्षण का अधिकार छीनना चाहते हैं. अधिकार, आवाज और आरक्षणये सारी चीजें आपको संविधान से ही मिला है. लेकिन मोदी जी आपसे ये छीन लेना चाहते हैं. संविधान से पहले राजा महराजा हिंदुस्तान पर राज करते थे. अगर आज हिंदुस्तान के गरीबों, पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के पास अधिकार है, आवाज है तो ये संविधान की देन है. नरेंद्र मोदी संविधान को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. अगर वे चुनाव जीतेंगे तो संविधान बदल देंगे.

  • राजस्थान रॉयल्स का प्लेऑफ में पहुंचना लगभग तय… 4 टीमों के एक समान अंक.. इनपर लटकी तलवार

    राजस्थान रॉयल्स का प्लेऑफ में पहुंचना लगभग तय… 4 टीमों के एक समान अंक.. इनपर लटकी तलवार

    नई दिल्ली।

     राजस्थान रॉयल्स का विजय अभियान जारी है. संजू सैमसन की कप्तानी वाली टीम ने लखनऊ सुपरजायंट्स को 7 विकेट से हराकर आईपीएल 2024 में अपनी आठवीं जीत दर्ज की. 9 मैचों में 8 जीत के साथ राजस्थान के 16 अंक हो गए हैं और यह टीम प्लेऑफ में अपनी जगह लगभग पक्की कर ली है. आईपीएल के इतिहास में ऐसा में पहले कभी नहीं हुआ है कि कोई टीम सोलह अंक लेकर प्लेऑफ में ना पहुंची हो. राजस्थान 16 अंक लेकर पॉइंट टेबल में टॉप पर है. हालांकि एक और जीत उसे स्वत: प्लेऑफ में एंट्री करा देगी.

    आईपीएल 2024 पॉइंट टेबल में टॉप फोर में राजस्थान के बाद कोलकाता नाइटराइडर्स, एसआरएच, एलएसजी और डीसी का नंबर आता है . टॉप पर विराजमान राजस्थान रॉयल्स के बाद दूसरे, तीसरे और चौथे नंबर की टीमों के एक समान 10 अंक हैं. वहीं चेन्नई सुपरकिंग्स और गुजरात टाइटंस 8-8 अंकों के साथ क्रमश: पांचवें और छठे नंबर पर है. पंजाब किंग्स, मुंबई इंडियंस और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के हालत खराब हैं.

    पंजाब, मुंबई और आरसीबी के लिए मुश्किल हुई राह
    पंजाब किंग्स ने अभी तक 9 मैच खेल लिए हैं. उसे 3 में जीत मिली है जबकि 7 मैचों में हार झेलनी पड़ी है. 5 बार की चैंपियन मुंबई इंडियंस का भी यही हाल है. हार्दिक पंड्या की कप्तानी वाली मुंबई 9 में से सिर्फ 3 मैच जीत पाई है. 6-6 अंक के साथ पंजाब और मुंबई 8वें और 9वें नंबर पर है वहीं आरसीबी 9 में से 7 मैच गंवा चुकी है. 4 अंक लेकर आरसीबी सबसे निचले क्रम यानी 10वें नंबर पर है.

    दिलचस्प हुई प्लेऑफ की रेस
    इस बार प्लेऑफ की रेस बड़ी दिलचस्प हो गई है. पंजाब और मुंबई के पास अब 5-5 मुकाबले बचे हैं. दोनों टीमें यदि बाकी के अपने पांचों मैच जीत जाती हैं तो फिर उनके एक समान 16-16 अंक हो जाएंगे वहीं दिल्ली कैपिटल्स और गुजरात टाइटंस को अब एक हार भी महंगी पड़ेगी. सीएसके के पास अभी 6 मैच है. यदि कुछ टीमों के एक समान अंक होते हैं तो फिर प्लेऑफ में पहुंचने के लिए उन्हें नेटरनरेट पर आश्रित रहना होगा.

    टॉप फोर में बने रहने के लिए राजस्थान को एक जीत जरूरी
    2008 की चैंपियन राजस्थान रॉयल्स को टॉप फोर में बने रहने के लिए सिर्फ एक जीत जरूरी है. यदि राजस्थान बाकी बचे अपने सभी पांचों मैच हार जाता है तो भी उसके पास प्लेऑफ में पहुंचने के मौके रहेंगे. कोलकाता नाइट राइडर्स और सनराइजर्स हैदराबाद के पास पर्याप्त सांस लेने की गुंजाइश है क्योंकि दोनों टीमों ने आठ मैचों में पांच जीत हासिल की हैं.

  • क्‍या महिला पुलिस अफसर घरेलू हिंसा का शिकार नहीं हो सकतीं? जानें दिल्‍ली हाईकोर्ट ने क्‍या कहते हुए पलटा आदेश

    क्‍या महिला पुलिस अफसर घरेलू हिंसा का शिकार नहीं हो सकतीं? जानें दिल्‍ली हाईकोर्ट ने क्‍या कहते हुए पलटा आदेश

    नई दिल्ली।

     दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला पुलिस अधिकारी के पति को IPC के तहत क्रूरता के आरोप से आरोपमुक्त करने के आदेश को रद्द कर दिया. अदालत ने कहा कि किसी भी लैंगिक या पेशे के संबंध में रूढिवादी धारणा अदालत के आदेश में नहीं प्रदर्शित होना चाहिए और हर फैसले में लिंग-तटस्थता रहनी चाहिए. जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि सत्र अदालत के निष्कर्ष आपराधिक न्यायशास्त्र और निष्पक्ष सुनवाई के सिद्धांतों पर आधारित नहीं, बल्कि एक अनुचित धारणा और पूर्वाग्रह पर आधारित थे कि एक पुलिस अधिकारी कभी भी घरेलू हिंसा का शिकार नहीं हो सकती.

    हाईकोर्ट ने एक हालिया आदेश में कहा, ‘विशेष रूप से एक न्यायाधीश के रूप में यह धारणा रखना कि एक महिला (पुलिस अधिकारी के रूप में अपने पेशे के आधार पर) संभवतः अपने व्यक्तिगत या वैवाहिक जीवन में पीड़ित नहीं हो सकती है, अपनी तरह का अन्याय है और गलत धारणा है.’ आदेश में आगे कहा गया, ‘न्यायाधीशों को यह नहीं भूलना चाहिए कि फैसला लिखते समय लिंग तटस्थ होने का विचार न केवल यह है कि निर्णय में प्रयुक्त शब्दावली और शब्द लिंग तटस्थ हों, बल्कि इसका अर्थ यह भी है कि न्यायाधीश का विचार लिंग या पेशे के आधार पर पूर्वकल्पित धारणाओं या पूर्वाग्रहों से मुक्त होना चाहिए.’

    हाईकोर्ट का बड़ा आदेश
    दिल्‍ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि लिंग-तटस्थता का सार निर्णय की प्रत्येक पंक्ति में झलकना चाहिए और न्यायाधीश को ऐसे विचार विकसित करने चाहिए जो स्वाभाविक रूप से लिंग-तटस्थ हों. उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में न्यायिक शिक्षा में लैंगिक संवेदनशीलता के विषय को शामिल करने का भी आह्वान किया और दिल्ली न्यायिक अकादमी को इसे पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए कहा. अदालत ने कहा कि कानून के तहत न्याय और समानता के सिद्धांतों की अनदेखी की गई और शिकायतकर्ता महिला के लिंग और पेशेवर पृष्ठभूमि पर अनुचित जोर दिया गया.

    दिल्‍ली पुलिस में कार्यरत दंपति का मामला
    अदालत ने कहा कि मामले में, पति और पत्नी दोनों दिल्ली पुलिस में कार्यरत थे, लेकिन सत्र अदालत ने पत्नी की स्थिति को उसके खिलाफ माना गया, जबकि इसके विपरीत, आरोपी पति की पेशेवर स्थिति के कारण माना गया कि उसने अपनी पत्नी को नहीं डराया धमकाया होगा. आदेश में कहा गया कि न्यायिक अकादमियों का मुख्य कर्तव्य यह सुनिश्चित करने पर होना चाहिए कि न्यायाधीश वादियों को लैंगिक पूर्वाग्रह के चश्मे से न देखें, बल्कि किसी भी छिपे हुए पूर्वाग्रह या धारणा से अवगत रहते हुए लैंगिक तटस्थता, निष्पक्षता, समानता के नजरिये से अपने फैसले लिखें. हाईकोर्ट ने कहा, ‘हर महिला, चाहे उसकी स्थिति या पृष्ठभूमि कुछ भी हो, समान सम्मान, पहचान और कानूनी सुरक्षा तक पहुंच की हकदार है. यह विचार पुरुषों पर भी लागू होता है.’
  • SIT के शिकंजे में एक्टर साहिल खान, महादेव बेटिंग ऐप केस में गिरफ्तार, लाया जा रहा मुंबई

    SIT के शिकंजे में एक्टर साहिल खान, महादेव बेटिंग ऐप केस में गिरफ्तार, लाया जा रहा मुंबई

    मुंबई।

    मुंबई क्राइम ब्रांच की SIT ने महादेव बेटिंग ऐप मामले में अभिनेता साहिल खान को हिरासत में लिया है. उन्हें छत्तीसगढ़ में हिरासत में लिया गया है और मुंबई लाया जा रहा है. बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा गिरफ्तारी पूर्व जमानत की उनकी याचिका खारिज होने के बाद उन्हें मुंबई साइबर सेल की विशेष जांच टीम (SIT ) ने छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार किया है.

    SIT ने हाल में खान से इस मामले में पूछताछ की थी. एसआईटी विवादास्पद महादेव सट्टेबाजी ऐप के प्रमोटरों और राज्य में कुछ वित्तीय एवं रियल एस्टेट कंपनियों के बीच कथित अवैध लेन-देन के संबंध में जांच कर रही है. पुलिस द्वारा इस मामले में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, यह घोटाला करीब 15,000 करोड़ रुपए का है.

    ‘स्टाइल’ और ‘एक्सक्यूज मी’ फिल्म में काम कर चुके हैं साहिल
    पुलिस ने बताया कि खान और 31 अन्य व्यक्तियों के खिलाफ जांच जारी है जिसके तहत उनके बैंक खातों, मोबाइल फोन, लैपटॉप और अन्य तकनीकी उपकरणों की जांच की जा रही है. अधिकारी ने बताया कि इस मामले में अभी तक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है और जांच जारी है. ‘स्टाइल’ और ‘एक्सक्यूज मी’ जैसी फिल्मों में काम कर चुके साहिल खान एक फिटनेस विशेषज्ञ हैं.

    साहिल ने दावा किया कि उनका अनुबंध 24 महीने के लिए था, जिसमें उनके सोशल मीडिया पर प्रचार वीडियो पोस्ट करने के लिए 3 लाख का मासिक भुगतान था. इसके बावजूद, अदालत ने अवैध संचालन में उनकी प्रत्यक्ष संलिप्तता का हवाला देते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. वहीं अधिकारियों ने उल्लेख किया कि साहिल खान, एक फिटनेस विशेषज्ञ और यूट्यूबर के रूप में, कथित तौर पर ऐप को बढ़ावा देने और अधिक लोगों को इसका उपयोग करने के लिए लुभाने के इरादे से सेलिब्रिटी सभाएं आयोजित करते थे.

  • नेशनल लोक अदालत हेतु विद्युत विभाग

    नेशनल लोक अदालत हेतु विद्युत विभाग

    राजगढ़़।

    राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली की वार्षिक कार्ययोजना के परिपालन में तथा म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के निर्देशानुसार प्रदेश के समस्त जिला एवं तहसील स्तर पर नेशनल लोक अदालतों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में वर्ष 2024 की द्वितीय नेशनल लोक अदालत जिसका आयोजन 11 मई, 2024 को प्रधान जिला न्यायाधीश व अध्यक्ष राजीव कर्महे के मार्गदर्शन तथा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण योगीराज पाण्डेय के समन्वय से जिला राजगढ़ न्यायालय सहित तहसील न्यायालयों में किया जाना है।

    कार्यालय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राजगढ़ द्वारा जिला एवं तहसील न्यायालय स्तर पर नेशनल लोक अदालत सफलतापूर्वक आयोजित करने हेतु विशेष प्रयास किये जा रहे हैं, इसी क्रम में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री योगीराज पाण्डेय के मुख्य आतिथ्य में जिला ए.डी.आर. सेंटर राजगढ़ में 18 अप्रैल, 2024 को न्यायिक अधिकारी राजेश कुमार देवलिया के मुख्य आथित्य में विद्युत विभाग के अधिकारियों के साथ तथा दिनांक 19 अप्रैल, 2024 को सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राजगढ़ के मुख्य आथित्य में समस्त बैंकों के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गई।

    बैठक में उपस्थित मुख्य अतिथि व सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, राजगढ़ द्वारा आगामी 11 मई, 2024 को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत में पक्षकारों के मामलों को सुलह-समझौते की कार्यवाही के माध्यम से सुलझाये जाने व विभागों द्वारा प्रदान नेशनल लोक अदालत में दी जाने वाली विशेष छूट प्रदान हेतु अपने विचार व्यक्त किये ताकि, आमजनों के मामलों का निराकरण सरलता, शीघ्रता से हो सके तथा आपसी सदभाव व भाईचारा बना रहे।

  • राज्य वाटर स्पोर्ट्स अकादमी की

    राज्य वाटर स्पोर्ट्स अकादमी की

    राजगढ़़।

    मध्यप्रदेश राज्य वाटर स्पोर्ट्स अकादमी भोपाल द्वारा भोपाल द्वारा वर्ष 2024-25 हेतु वाटर स्पोर्ट्स अकादमी की रोईंग विधा का प्रतिभा चयन कार्यक्रम 04 अप्रैल से 30 अप्रैल, 2024 तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में आयोजित किया जा रहा है। जिसके क्रम में जिला राजगढ का प्रतिभा चयन ट्रायल मंगलवार 23अप्रैल को प्रातः 9 से 11 बजे तक जिला मुख्यालय पर स्थित स्वीमींग पूल में वाटर स्पोर्ट्स चयन समिति द्वारा किया गया।

    जिसमें जिले के बालक एवं बालिका वर्ग में कुल 40 बच्चें ने भाग लिया। जिला स्तर पर प्रतिभा का चयन राज्य वाटर स्पोर्ट्स के कोच अनिल शर्मा, शेखर बाथम एवं संभागीय खेल अधिकारी शर्मिला डावर द्वारा किया गया। जिला स्तरीय चयन ट्रायल में चयनित खिलाडी राज्य स्तरीय अकादमी भोपाल में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगें। पूर्व वर्षों में वाटर स्पोटर्स विधा में राजगढ़ से चयनित कुल 09 खिलाड़ी उमा चौहान, रितिका दांगी, सतीश यादव, मनोज यादव, अजय यादव, अंशु यादव, शुभम यादव, वाशु चंद्रवंशी, गोविंद बैरागी (एशियन गेम्स 2018 में चयनित) राष्ट्रीय एवं अन्र्राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हुए है।

    इस अवसर पर जिला खेल प्रशिक्षक कल्पना भण्डारी, जिला खेल प्रशिक्षक कप्तान सिंह, प्रदीप चंदेल, लोकेन्द्र सिंह उपस्थित रहे।