Category: राज्य

  • क्‍या नेहरू की वजह से पाकिस्‍तान के हाथ में चला गया आधा कश्‍मीर

    क्‍या नेहरू की वजह से पाकिस्‍तान के हाथ में चला गया आधा कश्‍मीर

    नई दिल्‍ली,14 नवंबर 2022 /
    कश्‍मीर मुद्दे पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की नीतियों पर चर्चा गरम है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने उन्‍हें दोबारा कठघरे में खड़ा किया है। रिजीजू के मुताबिक, नेहरू गलत आर्टिकल का हवाला देकर संयुक्‍त राष्‍ट्र की शरण में गए। इसने पाकिस्‍तान को बेवजह इसमें पार्टी बना दिया।
    देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) और कश्‍मीर विवाद को अक्‍सर जोड़कर देखा जाता है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) तो आए दिन नेहरू को इसके लिए कठघरे में खड़ा करती है। उसने फिर एक बार ऐसा किया है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू (Kiren Rijiju) ने कश्‍मीर मुद्दे को लेकर नेहरू पर हमला बोला है। उन्‍होंने दावा किया कि पाकिस्‍तान के हमले के बाद नेहरू ने गलत आर्टिकल के तहत संयुक्‍त राष्‍ट्र (UN) का दरवाजा खटखटाया। इसने पाकिस्‍तान को आक्रांता के बजाय इसमें पार्टी बना दिया। जाने-माने इतिहासकार प्रोफेसर कपिल कुमार ने भी हमारे सहयोगी चैनल ‘टाइम्‍स नाउ नवभारत’ के साथ बातचीत में आजादी के बाद कश्‍मीर मसले पर नेहरू की गलत नीतियों को उजागर किया। उनके मुताबिक, नेहरू के कारण पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाला कश्‍मीर (PoK) बन गया। आइए, यहां केंद्रीय मंत्री और इतिहासकार कपिल कुमार ने जो कहा है, उसके आईने में कश्‍मीर मुद्दे को लेकर नेहरू की भूमिका समझने की कोशिश करते हैं।
    रिजीजू ने बिना किसी लाग-लपेट के देश के पहले प्रधानमंत्री को कश्‍मीर मुद्दे को उलझाने के लिए कसूरवार ठहराया। उन्‍होंने दावा किया कि कश्‍मीर पर पाकिस्‍तान के हमले के बाद नेहरू गलत आर्टिकल के तहत संयुक्‍त राष्‍ट्र की चौखट पर चले गए। इसने पाकिस्‍तान को आक्रांता की जगह इस मुद्दे में पार्टी बना दिया।
    नेहरू पर लगाया देश को गुमराह करने का आरोप
    कानून मंत्री ने नेहरू को देश को गुमराह करने का भी आरोप लगाया। रिजीजू बोले – नेहरू ने संयुक्त राष्ट्र के जनमत संग्रह के ‘मिथक’ को कायम रखा। साथ ही संविधान के विभाजनकारी अनुच्छेद 370 का निर्माण किया। यही नहीं, नेहरू ने महाराजा हरि सिंह की भारत में विलय की याचिका को एक बार नहीं, तीन बार खारिज किया। रिजीजू ने यह हमला उस दिन किया जब सोमवार को नेहरू की जयंती थी। रिजीजू के मुताबिक, समय आ गया है जब इतिहास को गलत तरीके से पेश करने के सभी प्रयासों का खंडन होना चाहिए। जम्‍मू-कश्‍मीर और लद्दाख के लोगों को सच से रूबरू करना चाहिए।

    इतिहासकार प्रो अनिल कुमार ने भी नीत‍ियों को बताया गलत
    कानून मंत्री ने जो बातें कहीं करीब-करीब वही चीजें इतिहासकार प्रोफेसर कपिल कुमार ने भी बोलीं। हमारे सहयोगी चैनल के साथ चर्चा में शामिल हुए कुमार ने कहा कि इसे गलती कहना भी गलत है। गलती तो वो होती है जो अनजाने में की जाती है। नेहरू ने ही आजादी के बाद लॉर्ड माउंटबैटन को भारत का गवर्नर जनरल बनाया था। उन्‍होंने कहा कि कुछ चीजें युवाओं को नहीं बताई जाती हैं। इन्‍हें जानना जरूरी है। पहली बात यह है कि जो 562-563 रियासतें थीं वो सभी भारत का हिस्‍सा थीं। ये कोई स्‍वतंत्र राज्‍य नहीं थे। ब्रिटिश काल में इन्‍हें इंडियन प्रिंसली स्‍टेट कहा जाता था। दूसरे इंडियन प्रोविंस थे। अंग्रेजों ने भारत को दो टुकड़ों में नहीं 564 टुकड़ों में बांटा था। इन सबको स्‍वतंत्र देश बताकर वो इन्‍हें आजाद कर गए थे।

  • किसानों के सशक्तिकरण के लिये संकल्पित शिव-राज

    किसानों के सशक्तिकरण के लिये संकल्पित शिव-राज

    भोपाल,14 नवंबर 2022 /
    धरती पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने जबसे प्रदेश की कमान सम्हाली है, तभी से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के सपने को साकार करने में हर पल गुजरा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान कहते हैं कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास में किसान की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने इसी सोच के मद्देनजर किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिये निरंतर कार्य किये हैं, जो आज भी बदस्तूर जारी हैं। अपनी स्थापना के 67वें वर्ष में मध्यप्रदेश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी प्रदेश है, जिसने कई कीर्तिमान रचते हुए लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है।

    प्रदेश आज विकसित राज्यों की दौड़ में शामिल है। गेहूँ उत्पादन के साथ ही उपार्जन में भी हम अव्वल हैं। हमने पंजाब जैसे राज्यों को पीछे कर बता भी दिया है और जता भी दिया है कि प्रदेश के किसान मुख्यमंत्री श्री चौहान के साथ परिश्रम की पराकाष्ठा करने को दृढ़ प्रतिज्ञ हैं। गुणवत्ता में भी हम सबसे मुकाबला करने को तत्पर हैं। राज्य सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाएँ, कुशल और सक्षम नेतृत्व, वैज्ञानिकों के साथ ही किसानों की मेहनत का सुफल है कि प्रदेश की रायसेन मण्डी में धान समर्थन मूल्य से 1200 रूपये अधिक तक बिक रहा है। सरकार सतत प्रयास कर रही है कि किसानों को उनकी उपज का दोगुना से ज्यादा लाभ मिले।

    प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना से जनता को लाभान्वित करने में मध्यप्रदेश प्रथम पयदान पर है। उक्त योजना का लाभ देश में सबसे पहले हरदा जिले के किसान रामभरोस विश्वकर्मा को मिला। प्रदेश कृषि अधो-संरचना निधि के उपयोग में भी देश में अव्वल है। प्रदेश में इस निधि से 1508 प्रकरण में 852 करोड़ रूपये की राशि वितरित की गई है, जो देश में अब तक किये गये व्यय की कुल 45 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के साथ ही मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में किसानों को प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 2-2 हजार रूपये की दो किश्तें प्रदान की जा रही हैं। अब तक प्रदेश के 80 लाख किसानों को 4751 करोड़ रूपये की राशि का भुगतान किया जा चुका है। प्रदेश प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से सबसे अधिक किसानों को लाभान्वित करने वाला राज्य है। योजना में रबी 2020-21 में ही 49 लाख किसानों को 7618 करोड़ रूपये की दावा राशि का भुगतान किया गया।

    सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को लाभान्वित करने के लिये वन ग्रामों को भी योजना में शामिल करना, फसल अधिसूचित करने के लिये न्यूनतम सीमा 100 के स्थान पर 50 हेक्टेयर करना, क्षति आकलन के लिये बीमा पोर्टल को लेण्ड रिकॉर्ड के एनआईसी पोर्टल से लिंक करना, अवकाश के दिनों में भी बैंक खुलवा कर किसानों का बीमा कराना और बीमा कव्हरेज के स्केल ऑफ फायनेंस को 100 प्रतिशत तक करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य किये।

    प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। सिंचाई सुविधाओं में अकल्पनीय विस्तार हुआ है। आज प्रदेश में सिंचित क्षेत्र का रकबा लगभग 45 लाख हेक्टेयर तक पहुँच चुका है। वर्ष 2025 तक इसे बढ़ाकर 65 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। प्रदेश जैविक खेती में पहले स्थान पर है। गुड गवर्नेंस इण्डेक्स 2021 में कृषि संबद्ध क्षेत्र में मध्यप्रदेश नम्बर वन है। कृषि विकास के लिये प्रदेश में ड्रोन, डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस तकनीक पर काम हो रहा है। इसके लिये कृषि क्षेत्र में आधुनिक एवं उन्नत तकनीकों के प्रयोग के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थान, इंटरनेशनल सेंटर फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च इन ड्राई एरिया (एकार्डा) की मदद ली जा रही है। एम-पोर्टल से एसएमएस द्वारा कृषि संबंधी सलाह किसानों को दी जा रही है। प्रदेश में बीज, उर्वरक, कीटनाशक लायसेंस प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन की गई है।

  • आधुनिक चिकित्सा उपकरण और उपचार व्यवस्था से लैस हुई प्रदेश की स्वास्थ्य संस्थाएँ

    आधुनिक चिकित्सा उपकरण और उपचार व्यवस्था से लैस हुई प्रदेश की स्वास्थ्य संस्थाएँ

    भोपाल,14 नवंबर 2022 /
    मध्यप्रदेश के 67वें स्थापना दिवस पर नागरिकों को ह्रदय से बधाई और शुभकामनाएँ। प्रदेश के गठन के बाद बीते 66 वर्षों के सफर में खासतौर से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के मामले में शुरूआती वर्षों से लेकर 50 वर्ष बीतने तक निराशाजनक तस्वीर दिखाई देती है। राज्य के गठन के बाद आधी सदी बीतने तक स्वास्थ्य संस्थाएँ आधुनिक चिकित्सा उपकरण, उपचार, जाँचें और स्वास्थ्य संस्थाओं के इन्फ्रा-स्ट्रक्चर में कोई खास उपलब्धि अर्जित नहीं हुई। इस सबके बावजूद पिछले 20 वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, स्वास्थ्य संबंधी अधोसंरचना, आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के साथ विशेषज्ञ चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टॉफ की उपलब्धता को सुनिश्चित करने की दिशा में तेजी से काम हुआ है। पिछले दो दशक में स्वास्थ्य संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के ही चलते इस सदी की सर्वाधिक भीषण कोरोना महामारी की चुनौती का मुकाबला कर स्वास्थ्य विभाग सफल हुआ है।

    प्रदेश में वर्तमान में 12 हजार 386 स्वास्थ्य संस्थाएँ हैं। इनमें 10 हजार 280 उप स्वास्थ्य केन्द्र, 1266 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 356 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 119 सिविल अस्पताल, 313 सिविल डिस्पेंसरी (शहरी) और 52 जिला अस्पताल हैं। इन स्वास्थ्य केन्द्रों में 42 हजार 911 सामान्य बिस्तर, 15 हजार 80 आइसोलेशन बेड, 2673 आईसीयू बेड और 6630 एच.डी.यू. बेड्स हैं। यह इसलिए उल्लेखनीय है कि वर्ष 2003 में स्वास्थ्य संस्थाओं में कुल 21 हजार 234 बिस्तर उपलब्ध थे और आइसोलेशन, आईसीयू और एच.डी.यू. बेड्स तो उपलब्ध ही नहीं थे। इस तरह हम पायेंगे कि स्वास्थ्य संस्थाओं में पिछले वर्षों के दौरान 24 हजार 383 आइसोलेशन, आईसीयू और एसडीयू बेड्स की उपलब्धता के साथ ही वर्ष 2003 की तुलना में सामान्य बिस्तरों दोगुनी होकर 42 हजार 911 हो गए हैं।

    स्वास्थ्य संस्थाओं में चिकित्सक, विशेषज्ञ चिकित्सक, दंत चिकित्सक और नर्सिंग स्टॉफ में भी बढ़ोत्तरी की गई है। वर्तमान में 5256 चिकित्सक, 1116 विशेषज्ञ चिकित्सक, 103 दंत चिकित्सक और 11 हजार 405 नर्सिंग स्टॉफ है। प्रदेश की स्वास्थ्य संस्थाओं के माध्यम से नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने के लिये 33 हजार 84 एनएचएम की नियुक्ति की गई है। प्रदेश के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में वर्ष 2003 में उपलब्ध 214 प्रकार की ई.डी.एल. औषधियाँ अब बढ़कर 530 प्रकार की हो गई है। स्वास्थ्य संस्थाओं में ऑक्सीजन सिलेण्डर के माध्यम से सीमित ऑक्सीजन प्रदाय की सुविधा की तुलना में प्रदेश में 204 पीएसए प्लांट्स के माध्यम से स्वास्थ्य संस्थाओं में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।

    स्वास्थ्य संस्थाओं में विभिन्न प्रकार की जाँचों की सुविधा भी बढ़ाई गई है। वर्ष 2003 में 45 प्रकार की जाँच होती थी। वर्तमान में 132 प्रकार की जाँच की जा रही हैं। हब एण्ड स्पोक मॉडल पैथालॉजी में 324 हब और 1610 स्पोक्स से प्रत्येक उप स्वास्थ्य केन्द्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक 45 प्रकार की पैथालॉजी जाँच की सुविधा उपलब्ध है। पीपीपी मोड पर 49 जिला चिकित्सालयों में सीटी स्केन की भी सुविधा उपलब्ध है। प्रदेश में 58 एस.एन.सी.यू., 165 एन.वी.एस.यू., 59 पी.आई.सी.यू. और 315 एन.आर.सी. की स्थापना भी की गई है। वर्तमान में 59 संस्थाओं में डायलिसिस की सेवाएँ दी जा रही हैं।

    मरीजों को अस्पताल लाने-ले जाने के लिये वर्ष 2003 में केवल 256 एम्बुलेंस थीं, जिसमें लगभग 8 गुनी वृद्धि करते हुए वर्तमान में 2052 एम्बुलेंस उपलब्ध है।

  • मानव सभ्यता की विकास यात्रा की सहभागिता रही हैं म.प्र. की जनजातीय भाषाएँ

    मानव सभ्यता की विकास यात्रा की सहभागिता रही हैं म.प्र. की जनजातीय भाषाएँ

    भोपाल,14 नवंबर 2022 /
    किसी भी मानव-समुदाय की पृथक पहचान उसकी जीवन-शैली, सांस्कृतिक परंपराओं और भाषा-बोली से होती है। आज स्थिति यह है कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया में दुनिया की सैकड़ों बोलियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं। किसी भी सभ्यता के विकास में भाषा की प्रमुख भूमिका होती है। मनुष्य अपने भाव अथवा विचार भाषा के माध्यम से ही अन्य व्यक्ति तक सम्प्रेषित करता है। इस प्रकार भाषा मनुष्य को सामाजिक प्राणी बनाने में केन्द्रीय तत्व के रूप में कार्य करती है। जनजाति समुदायों की भाषाओं पर विचार करते हुए यह तथ्य और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। ये भाषाएँ मानव-सभ्यता की विकास-यात्रा में सहयात्री रही हैं, इसलिये इनमें आरंभिक मनुष्य द्वारा अन्वेषित और अर्जित पारंपरिक ज्ञान संचित है,जो अत्यंत मूल्यवान है।

    जनजातीय भाषाओं का एक-एक शब्द संबंधित समुदाय की सांस्कृतिक निधि है। इन भाषाओं की परंपरागत वाचिक (मौखिक) संपदा के माध्यम से ही मानव-इतिहास, सभ्यता-संस्कृति, वनस्पति और जीव-जगत, कृषि, वास्तु एवं अन्य कला-कौशलों संबंधित ज्ञान की परंपरा को समझा जा सकता है। अन्य उन्नत भाषाओं और सभ्यताओं से सघन संपर्क के कारण जनजातीय भाषाओं के स्वरूप में बदलाव आ रहा है। भाषा की यह परिवर्तनशीलता एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। भारत की सांस्कृतिक विविधता में भाषिक भिन्नता एक प्रमुख घटक है। राष्ट्र की इस वैविध्यपूर्ण विशेषता को अक्षुण्ण रखने के लिए विभिन्न भाषा-बोलियों को बचाए रखना आवश्यक है। यह निश्चित है कि भाषाओं को बचाने का काम उसे बोलने वाले ही कर सकेंगे।

    मध्यप्रदेश में 43 अनुसूचित जनजातियाँ अथवा उनके समूह हैं। पहले प्रत्येक जनजाति समुदाय की अलग भाषा हुआ करती थी। अब केवल भीली, भिलाली, बारेली, पटलिया, गोंडी, ओझियानी, अगरिया, बैगानी, कोरकू, मवासी, नहाली ही कुछ क्षेत्रों में परिवर्तित रूपों के साथ संबंधित समुदायों की प्राय: पुरानी पीढ़ी द्वारा बोली जाती हैं। अन्य जनजातियों की बोलियाँ लुप्त हो चुकी हैं, जैसे-कोल की कोलिहारी, परधान की परधानी, भारिया की भरियाटी, सहरिया की सहरानी, खैरवार या कोंदर की खैरवारी तथा भिम्मा, नगारची, मोंगिया सहित अन्य जनजातियों की भाषाएँ भी।

    भारत की मान्य भाषाएँ वे हैं, जो आठवीं अनुसूची में सम्मिलित हैं।तकनीकी रूप से ये प्रायः वे भाषाएँ हैं, जिनके प्रयोक्ताओं की संख्या तुलनात्मक दृष्टि से अधिक है और जिनका समृद्ध साहित्यिक इतिहास है। इनके अलावा भी देश में अनेक भाषाएँ हैं,जिनका प्रयोग व्यापक क्षेत्र में होता है और जिनमें प्रचुर मात्रा में साहित्य भी उपलब्ध है। वर्ष 1961 की जनगणना में कुल 1652 मातृभाषाएँ चिन्हित की गयीं थीं, जिनमें से 184 भाषाओं को बोलने वालों की संख्या 10 हजार से अधिक थी। ‘पीपुल ऑफ इंडिया’ के अनुसार भारत में 75 प्रमुख भाषाएँ हैं, जबकि मातृभाषा के रूप में 325 बोलियों का प्रयोग होता है। ‘एथनोलॉग’ में उल्लेख किया गया है कि भारत में कुल 398 भाषाएँ रही हैं, जिनमें से 387 जीवित हैं और 11 मृत हो चुकी हैं। एक आकलन के अनुसार 32 भाषाएँ ऐसी हैं, जिनका प्रयोग 10 लाख अथवा उससे अधिक लोग करते हैं। यूनेस्को की मान्यता पर ध्यान दें तो भारत में 400 भाषाएँ हैं, जिनमें से 70 से 80 प्रतिशत विलोपन के क्षेत्र में हैं।

    आयुक्त भाषाई अल्पसंख्यक द्वारा वर्ष 2005 में प्रस्तुत ‘लघु भाषाएँ : विशेष प्रतिवेदन’ में उल्लेखानुसार भारत में कुल 116 भाषाएँ हैं, जिनमें से 22 आठवीं अनुसूची में तथा 94 उसके बाहर हैं। इनके अलावा दस हजार से कम प्रयोक्ताओं वाली अनेक बोलियाँ हैं, जिनमें से 44 सुपरिभाषित हैं। इसी प्रतिवेदन में बताया गया है कि चार अण्डमानीय भाषाएँ- अका 50, जारवा 300, सैंटिनलीज़ 100 तथा ओंजे 100 भाषा-भाषियों के साथ जीवित हैं।

  • भूतो न भविष्यति जनजातीय जननायक भगवान बिरसा मुण्डा

    भूतो न भविष्यति जनजातीय जननायक भगवान बिरसा मुण्डा

    भोपाल,14 नवंबर 2022 /
    भगवान बिरसा मुण्डा ने अपने 25 वर्ष के जीवन काल में ही जमींदारी प्रथा, राजस्व व्यवस्था इंडियन फारेस्ट एक्ट-1882 और धर्मातरण के खिलाफ अंग्रेजों एवं ईसाई पादरियों से संघर्ष किया। भगवान बिरसा मुण्डा जनजातियों की धार्मिक व्यवस्था, संस्कृति, परम्परा, अस्तित्व एवं अस्मिता रक्षक के प्रतीक हैं। वे संपूर्ण जनजातीय समाज का गौरव है। भारत सरकार ने बिरसा मुण्डा जयंती – 15 नवम्बर को “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। “जनजातीय गौरव दिवस” मनाना जनजातीय समाज का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण सनातन समाज का एकात्म भाव है।

    भारत के विभिन्न प्रान्तों में बसी लगभग 705 जनजातियाँ जब अपने सपूतों की गौरव गाथा को याद करने बैठती हैं तो एक स्वर्णिम नाम उभरता है बिरसा मुण्डा, जिसे जनजातीय बन्धु बड़े प्यार और श्रद्धा के साथ बिरसा भगवान के रूप में नमन करते हैं। जनजातीय समाज ने एक नहीं अनेक रत्न दिए हैं। मणिपुर के जादोनांग, नागा रानी गाईदिन्ल्यु, राजस्थान के पूंजा भील, आंध्रप्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू, बिहार झारखण्ड के तिलका मांझी, सिद्धू-कान्हू वीर बुधु भगत, नीलाम्बर-पीताम्बर, जीतराम बेदिया, तेलंगा खड़िया, जतरा भगत, केरल के पलसी राजा तलक्ल चंदू, महाराष्ट्र के वीर राघोजी भांगरे, असम में शम्भूधन फुन्गलोसा आदि पर किसे गर्व नहीं होगा? बिरसा मुण्डा इन सबके प्रतीक हैं।

    छोटा नागपुर (झारखण्ड) के उलीहातू ग्राम में 15 नवम्बर 1875 के दिन इस वीर शहीद जनजातीय जननायक का जन्म हुआ था। पिता सुगना मुण्डा और माता करमी अत्यन्त निर्धन थे और दूसरे गाँव जाकर मजदूरी का काम किया करते थे। उनके दो भाई एवं दो बहनें भी थीं। बिरसा का बचपन एक सामान्य वनवासी बालक की तरह ही धूल में खेलते, जंगलों में विचरते, भेड़-बकरियाँ चराते और बाँसुरी वादन करते बीता।

    बालक बिरसा को उनके पिता पढ़ा-लिखा कर बड़ा साहब बनाना चाहते थे। माता-पिता ने उन्हें मामा के घर आयूबहातू भेज दिया। जहाँ बिरसा ने भेड़-बकरी चराने के साथ शिक्षक जयपाल नाग से अक्षर ज्ञान और गणित की प्रारम्भिक शिक्षा पाई। बिरसा ने बुर्जू मिशन स्कूल में प्राथमिक शिक्षा पाई। आगे की पढ़ाई के लिए वे चाईबासा के लूथरेन मिशन स्कूल में दाखिल हुए।

    बिरसा के जीवन में बड़ा बदलाव उनकी स्कूली शिक्षा के दौरान ही आया। उन्हें इसी दौरान अहसास हुआ कि गरीब वनवासियों को शिक्षा के नाम पर ईसाई धर्म के प्रभाव में लाया जा रहा है। उन्होंने इसे अपने और अपने वनवासी भाई-बंधुओं के धर्म पर संकट माना। यह वह समय था जब वनवासियों के अधिकारों और धर्म की रक्षा के लिए ईसाई स्कूलों के विरोध में सरदार आन्दोलन शुरू हुआ था। बिरसा उस आन्दोलन में शामिल हो गये। बिरसा ने बचपन से मुण्डा आदिवासियों के शोषण को करीब से देखा था। आये दिन आदिवासियों पर अंग्रेजी राज के अनाचार से उनके मन में क्रांतिकारी ज्वाला प्रज्ज्वलित हो गयी।

    बिरसा ने स्वाध्याय, चिंतन और साधना से स्वयं को परिष्कृत किया और फिर समाज को, अपना धर्म, अपनी मिट्टी और अपनी संस्कृति का परिचय कराया। धर्म परिवर्तन का विरोध किया। अपने धर्म के सिद्धांतों को समझाया। कुरीतियों को पाटने और अपनी संस्कृति बचाने के बिरसा के सामाजिक आन्दोलन से लोगों में चेतना जागी, विश्वास जागा। उन्हें अपने पूर्वजों की श्रेष्ठ परम्परा का आभास हुआ और जो लोग जोर-जबरदस्ती शोषण के डर से ईसाई हो गये थे उनकी अपने घर वापसी होने लगी।

    बिरसा की चमत्कारी शक्ति और सेवा भावना के कारण वनवासी उन्हें भगवान का अवतार मानने लगे। वे उन्हें धरती आबा कहकर पुकारते। तभी वर्ष 1893-94 में सिंहभूम, मानभूम, पालामऊ और अन्य क्षेत्रों में खाली पड़ी भूमि को अंग्रेज सरकार ने भारतीय वन अधिनियम के तहत आरक्षित वन क्षेत्र घोषित किया। इसके अंतर्गत वनवासियों के अधिकारों को कम कर दिया गया। जंगलों पर सरकारी कब्जा कर लिया गया। बिरसा के नेतृत्व में वनवासियों ने याचिका दायर कर अपने अधिकारों की मांग की।

  • राष्ट्रपति के मध्यप्रदेश आगमन पर मिनिस्टर-इन-वेटिंग नामांकित

    राष्ट्रपति के मध्यप्रदेश आगमन पर मिनिस्टर-इन-वेटिंग नामांकित

    भोपाल,14 नवंबर 2022 /
    भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के 15 एवं 16 नवंबर 2022 को मध्यप्रदेश के भोपाल, जबलपुर और शहडोल आगमन पर अगवानी, विदाई और सत्कार के लिए राज्य मंत्रि-परिषद के 3 सदस्य मिनिस्टर-इन-वेटिंग नामांकित किये गये हैं। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा 15 एवं 16 नवंबर को भोपाल विमानतल, परिवहन मंत्री श्री गोविन्द सिंह राजपूत 15 नवंबर को जबलपुर विमानतल और पिछड़ा-वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रामखेलावन पटेल शहडोल हेलीपेड पर मिनिस्टर-इन-वेटिंग रहेंगे।

  • लाड़ली लक्ष्मियों को उच्च शिक्षा के लिये मिलेंगे 25 हजार रूपये

    लाड़ली लक्ष्मियों को उच्च शिक्षा के लिये मिलेंगे 25 हजार रूपये

    भोपाल,14 नवंबर 2022 /
    किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बेटियों को लखपति बनाने के साथ ही पढ़ाई-लिखाई के भी सभी बंदोबस्त किये हैं। उन्होंने कहा कि लाड़ली लक्ष्मी 2.0 योजना से अब बेटियों को महाविद्यालयीन पढ़ाई के लिये 25 हजार रूपये की राशि मिलेगी। मंत्री श्री पटेल ने हरदा में लाड़ली उत्सव कार्यक्रम में बालिकाओं को लाड़ली लक्ष्मी प्रमाण-पत्र प्रदान किये।

    मंत्री श्री पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बालिकाओं की पढ़ाई-लिखाई की जिम्मेदारी भी ले ली है। अब बालिकाओं को कॉलेज में प्रवेश करने पर निश्चित राशि प्रदाय की जायेगी। उच्च शिक्षा के लिये उन्हें 25 हजार रूपये की राशि 2 किश्तों में मिलेगी। मंत्री श्री पटेल ने कहा कि नारी सशक्तिकरण के लिये सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएँ संचालित की जा रही हैं।

    लाड़ली लक्ष्मी 2.0 योजना में हरदा जिले की चयनित 6 बालिकाएँ कुमारी सलोनी भाटी, आयुषी, मीना धुर्वे, सेजल वर्मा, प्रतिमा धुर्वे तथा मोनिका गौर बुधवार को राज्य स्तरीय कार्यक्रम में भोपाल में शामिल हुई।

  • टेल ऐंड के किसानों को प्राथमिकता से पानी उपलब्ध कराएँ

    टेल ऐंड के किसानों को प्राथमिकता से पानी उपलब्ध कराएँ

    भोपाल,14 नवंबर 2022 /
    किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा है कि तवा बांध से सिंचाई के लिए पानी सभी किसानों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होगा। उन्होंने दूरभाष पर अधीक्षण यंत्री जल संसाधन श्री राजाराम मीणा को टेल ऐंड के किसानों को सिंचाई के लिए प्राथमिकता से पानी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। श्री पटेल ने अधीक्षण यंत्री को टेल ऐंड पर जाकर मौका मुआयना करने को भी निर्देशित किया है।

    मंत्री श्री पटेल ने अधीक्षण यंत्री जल संसाधन को रबी की सिंचाई के लिए तवा बांध से किसानों को समुचित मात्रा में पानी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि नहर के टेल ऐंड से अपर एरिया तक निरंतर मौका मुआयना किया जाकर निगरानी रखी जाए जिससे कि सभी किसानों को समय पर पानी उपलब्ध हो सके। होशंगाबाद, सिवनी मालवा, इटारसी और हरदा के किसानों को उनके लिए निर्धारित की गई मात्रा में पानी उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित करें।

    किसानों को गाँव में उपलब्ध कराएँगे खाद

    मंत्री श्री पटेल ने कहा है कि पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है। किसानों को खाद की कमी नहीं आने दी जाएगी। उन्होंने बताया है कि किसानों को उनके गाँव में खाद उपलब्ध कराया जाएगा। इसका क्रियान्वयन भी हरदा के आदिवासी अंचल के ग्राम काल्या खेड़ी, कांकरदा, पिल्या खाल गाँव से प्रारंभ हो गया है। किसानों ने खाद की गाँव पहुँच सेवा पर कृषि मंत्री श्री पटेल और सरकार के प्रयासों पर प्रसन्नता व्यक्त की है।

  • रतलाम शहर के लिए आप जितनी राशि चाहेंगे मुख्यमंत्री उससे अधिक राशि देंगे

    रतलाम शहर के लिए आप जितनी राशि चाहेंगे मुख्यमंत्री उससे अधिक राशि देंगे

    भोपाल,14 नवंबर 2022 /
    राज्य शासन मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में जनसेवा का कार्य कर रहा है। राज्य शासन का ध्येय जनता की सेवा है। अपने दायित्वों का निर्वाह राज्य शासन द्वारा बखूबी किया जा रहा है। विकास के कार्यों को लगातार अंजाम दिया जाता रहेगा। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने यह बात रतलाम में विकास कार्यों के भूमि-पूजन कार्यक्रम में कही। मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने रतलाम में 1536 लाख 35 हजार रुपए लागत के शहर के विकास कार्यों का भूमि-पूजन किया। उन्होंने रतलाम शहर विकास के लिए 200 करोड़ रुपए राशि स्वीकृति की। श्री सिंह ने कहा कि शहर के विकास के लिए राशि की कमी नहीं आने दी जाएगी। आप जितना चाहेंगे उससे अधिक राशि मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा दी जाएगी।

    मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि 2024 तक सभी आवासहीनों को आवास उपलब्ध करा दिया जाएगा। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी के अन्तर्गत 9 लाख आवास बनाने के लक्ष्य के तहत अब तक 6 लाख आवास निर्मित किये जा चुके हैं, इस कार्य में मध्यप्रदेश नम्बर वन है। मंत्री श्री सिंह ने विधायक श्री चेतन्य काश्यप के रतलाम नगर को महानगर बनाने के विजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि विधायक श्री काश्यप तथा महापौर श्री प्रहलाद पटेल की मांग अनुसार शहर में विकास कार्यों के लिए 200 करोड रुपए की सौगात दी जायेगी, इसमें अमृत मिशन में 136 करोड़ रुपए तथा स्वच्छ भारत मिशन कार्यों के लिए 17 करोड़ रुपए सम्मिलित है। उन्होंने कहा कि कालोनियों के नियमितीकरण के लिए विधायक श्री चेतन्य काश्यप द्वारा लगातार बात की गई तो राज्य शासन ने श्री काश्यप की अध्यक्षता में एक कमेटी बना दी। कमेटी की अनुशंसा अनुसार शासन ने विधानसभा में कानून पारित करके लागू कर दिया है। रिडेंसीफिकेशन पालिसी में हमने सड़कों को भी शामिल किया है। अवैध एवं अविकसित कालोनियों को बनाने एवं विकसित करने के लिए जितनी भी राशि की जरुरत होगी, दी जाएगी। प्लाटों के विभक्तिकरण एवं जलापूर्ति के सम्बन्ध में भी समाधान निकाला जाएगा।

    सांसद श्री गुमान सिंह डामोर ने कहा कि रतलाम शहर में तेजी से विकास हो रहा है। नगर महानगर बनने की ओर अग्रसर हो रहा है। विधायक श्री चेतन्य काश्यप लगातार शहर की समृद्धि के लिए कार्य कर रहे हैं। विधायक श्री चेतन्य काश्यप ने कहा कि प्रदेश सरकार शहर के नागरिकों की सुविधा के लिए हरसंभव संसाधन एवं सुविधाएँ उपलब्ध करा रही है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा संजीवनी क्लीनिक प्रारंभ किए गए हैं। नगर में 10 संजीवनी क्लीनिक बनाए जाएंगें, नागरिकों को अपने घर के नजदीक ही निःशुल्क उपचार की सुविधा उपलब्ध होगी।

    विधायक श्री दिलीप मकवाना ने विधायक श्री चेतन्य काश्यप के नेतृत्व में रतलाम नगर में तेजी से किये जा रहे विकास कार्यो की प्रशंसा करते हुए कहा कि रतलाम नगर को महानगर बनाया जाना है। महापौर श्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि नवीन परिषद के 100 दिवस पूर्ण हो चुके हैं, इन 100 दिवसों में परिषद द्वारा 21 करोड़ से अधिक की राशि के विकास कार्यों का भूमि-पूजन किया जा चुका है और आज रविवार को 15 करोड़ से अधिक की राशि के विकास कार्यों का भूमि-पूजन किया गया है।

    निगम अध्यक्ष श्रीमती मनीषा शर्मा ने कहा कि विधायक श्री काश्यप के कार्यकाल में नगर ने विकास की रफ्तार पकड़ी है, जो दिन प्रतिदिन तेज होती जा रही है। अब वह दिन दूर नहीं जब रतलाम महानगर कहलाएगा। इस दौरान स्थानीय जन-प्रतिनिधि और नागरिक उपस्थित थे।

  • चेतन्य काश्यप फाउंडेशन के प्रतिभा सम्मान समारोह में दो हजार से अधिक बच्चों का किया गया सम्मान

    चेतन्य काश्यप फाउंडेशन के प्रतिभा सम्मान समारोह में दो हजार से अधिक बच्चों का किया गया सम्मान

    भोपाल,14 नवंबर 2022 /
    चेतन्य काश्यप फाउंडेशन द्वारा रविवार को बरबड़ स्थित विधायक सभागृह रतलाम में आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने रिस्ट वाच एवं प्रतीक चिन्ह से बच्चों को सम्मानित किया। मंत्री श्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि दुनिया में सबसे तेज गति से कोई चीज चलती है, तो वह समय है। समय की महत्ता को सब समझें और खूब पढ़ें। चेतन्य काश्यप फाउंडेशन ने समय का महत्व बताने के लिए ही प्रतिभाओं को उपहार स्वरूप घड़ी दी है। यह प्रतिभाएँ देश का भविष्य हैं। इनके भविष्य को संवारने का काम कोई कर रहा है, तो वह देश में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, प्रदेश में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और रतलाम में श्री चेतन्य काश्यप।

    मंत्री श्री सिंह ने कहा कि श्री चेतन्य काश्यप ने सेवा प्रकल्प के माध्यम से खेल, शिक्षा और कुपोषण सहित आवास के कई काम किए हैं।

    फाउंडेशन अध्यक्ष और विधायक श्री चेतन्य काश्यप ने कहा कि प्रतिभा सम्मान शब्द नगर की भूमिका बताता है। बच्चों के उत्साह वर्धन के लिए 2014 से यह आयोजन शुरू किया। पहले वर्ष 1700 बच्चे सम्मानित हुए थे, लेकिन इस वर्ष यह संख्या 2100 हो गई है। प्रतिवर्ष संख्या बढ़ना बताता है कि हमारे नगर में शिक्षा के प्रति जागरूकता आई है।

    सांसद श्री गुमान सिंह डामोर ने इस मौके पर कहा कि चेतन्य काश्यप की दृष्टि अद्भूत है। इन्ही के प्रयासों से मेडिकल कॉलेज जल्द बना और कोरोना में उसने अपनी उपयोगिता सिद्ध की। कोविड में फाउंडेशन के माध्यम से ऑक्सीजन प्लांट की सौगात दी। सेवा के यह कार्य सिर्फ रतलाम ही नहीं बल्कि जिले सहित अन्य जिलों में भी किए गए है। ग्रामीण विधायक श्री दिलीप मकवाना ने कहा कि श्री चेतन्य काश्यप रतलाम को हमेशा नंबर एक बनाने का प्रयास करते हैं।

    महापौर श्री प्रहलाद पटेल ने बच्चों से कहा कि आप रतलाम की प्रतिभा और रतलाम का भविष्य हैं। विधायक श्री काश्यप रतलाम की प्रतिभाओं को प्रोत्साहन दे रहे हैं। इनके द्वारा कई सालों पूर्व अंहिसा ग्राम की स्थापना की गई थी। ऐसे गरीब लोग जिनके पास रहने की कोई व्यवस्था नहीं है, उनके लिए आवास की व्यवस्था की और वहीं पर रोजगार देने की योजना भी बनाई है। कार्यक्रम को निगम अध्यक्ष श्रीमती मनीषा शर्मा, पूर्व महापौर श्री शैलेंद्र डागा ने भी संबोधित किया।

    सम्मान समारोह में दसवीं एवं बारहवीं बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत और उससे अधिक अंक लाने वाले दो हजार से अधिक मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम के दौरान 93 प्रतिशत से अधिक अंक वाले 82 बच्चे मंचासीन रहे।