Category: राज्य

  • पर्याप्त आपूर्ति से लाभान्वित हो रहे हैं किसान

    पर्याप्त आपूर्ति से लाभान्वित हो रहे हैं किसान

    भोपाल,15 नवंबर 2022 /
    मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में किसी भी जिले में खाद की कोई समस्या नहीं है। प्रत्येक जिले में पर्याप्त आपूर्ति की गई है। किसानों को कहीं लाइन नहीं लगानी पड़ रही है। किसानों द्वारा सुचारू रूप से खाद वितरण के लिए सरकार के प्रति धन्यवाद भी व्यक्त किया जा रहा है।

    मुख्यमंत्री श्री चौहान निवास कार्यालय में बैठक कर प्रदेश में खाद वितरण संबंधी जानकारी अधिकारियों से प्राप्त कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रदेश में उर्वरक व्यवस्था की समीक्षा भी की।

    अपर मुख्य सचिव कृषि श्री अशोक वर्णवाल ने बताया कि प्रदेश में पर्याप्त खाद और उर्वरक उपलब्ध है। आज की स्थिति में यूरिया 2.54 लाख मीट्रिक टन ट्रांजिट सहित, डीएपी 1.55 लाख मीट्रिक टन ट्रांजिट सहित और एनपीके 0.56 लाख मीट्रिक टन उपलब्ध है। यदि प्रतिशत के मान से देखें तो नवम्बर माह के कोटा में से डीएपी 77 प्रतिशत और यूरिया 57 प्रतिशत उपलब्ध है। केन्द्र सरकार से उर्वरकों का निरंतर आवंटन हुआ है। रेक निरंतर आ रही हैं। किसी भी स्थान पर समस्या नहीं है। विपणन संघ के 240 डबल लॉक केंद्रों से नगद वितरण हो रहा है। भीड़ वाले डबल लॉक केंद्रों पर 150 अतिरिक्त केंद्र मंजूर हुए हैं। निजी उर्वरक विक्रता भी डबल लॉक केंद्रों पर काउंटर स्थापित कर कार्य कर रहे हैं। प्रदेश में ऐसे 406 काउंटर हो गए हैं। वितरण केंद्रों पर किसानों के लिए टेंट और पेयजल संबंधी जरूरी व्यवस्थाएँ की गई हैं। बैठक में संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

    मुख्यमंत्री के प्रमुख निर्देश

    किसानों को खाद प्राप्त करने के लिए लाइन न लगानी पड़े, यह सुनिश्चित करें।

    उपलब्धता है तो वितरण में कमियाँ नहीं होना चाहिए।

    संबंधित एजेंसियाँ सजग और सक्रिय रहें। अधिकारी निरंतर भ्रमण कर व्यवस्थाएँ देखें।

    किसानों को आवश्यक सहूलियतें मिलती रहें।

    गड़बड़ी करने वालों के विरूद्ध कलेक्टर्स सख्त कदम उठाएँ।

  • ओंकारेश्वर के बाद बरगी और गांधी सागर जलाशयों में फ्लोटिंग प्लांट लगाने का विचार

    ओंकारेश्वर के बाद बरगी और गांधी सागर जलाशयों में फ्लोटिंग प्लांट लगाने का विचार

    भोपाल,15 नवंबर 2022 /
    मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से आज शाम निवास पर यूएस के कॉन्सुलेट जनरल (महा वाणिज्य दूत) श्री मिचेल हेंकी ने सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्री हेंकी को जनवरी में हो रही ग्लोबल इंवेस्टर समिट के लिए भी आमंत्रित किया। श्री हेंकी ने कहा कि भोपाल के कुदरती सौन्दर्य ने उन्हें प्रभावित किया है।

    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्री हेंकी का प्रदेश की जनता की ओर से स्वागत करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश, देश का हृदय प्रदेश है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के आहवान पर स्वच्छता के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश में सबसे आगे है। नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में रीवा जिले में स्थापित “रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्रोजेक्ट” एक प्रमुख परियोजना है जिसकी लागत 4 हजार 500 करोड़ रूपए और क्षमता 750 मेगावाट है। ओंकारेश्वर में सौर ऊर्जा से संचालित फ्लोटिंग संयंत्र की स्थापना की पहल की गई है। भविष्य में बरगी और गांधी सागर जलाशय पर भी ऐसे संयंत्र लगाने का विचार है।

    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भारत और यूएस के मध्य विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की व्यापक संभावनाएँ हैं। द्विपक्षीय व्यापार और निवेश की प्राथमिकताओं पर कार्य के लिए यह बैठक महत्वपूर्ण है। गत तीन वर्ष में मध्यप्रदेश से यूएस में होने वाले निर्यात में वृद्धि हुई है। वर्ष 2019-20 में 1.05 बिलियन यूएस डालर का निर्यात हुआ, वहीं यह आंकड़ा वर्ष 2020-21 में बढ़ कर 1.28 और वर्ष 2021-22 में बढ़ कर 1.43 बिलियन यूएस डालर हो गया है। मुख्य रूप से जो उत्पाद मध्यप्रदेश से यूएस निर्यात होते हैं उनमें बासमती चावल, दवाइयाँ, सूती वस्त्र, खाद्य तेल आदि शामिल हैं।

    यूएस और मध्यप्रदेश के बीच सहयोग की संभावनाएँ

    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बताया कि निवेश के रूप में मध्यप्रदेश की केंद्रीय और आदर्श भूमिका है। देश के करीब 60 प्रतिशत भू-भाग को मध्यप्रदेश से आसानी से कवर किया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा निवेशकों से नियमित संवाद होता है। यू.एस. एवं मध्यप्रदेश की उन्नत विनिर्माण, रिन्यूएबल एनर्जी, मशीनरी इक्विपमेंट्स, ऑटोमोबाइल, फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्षेत्रों में साझेदारी है। इसे यू.एस. एवं मध्यप्रदेश की सरकारी संस्था एमपीआईडीसी और यूएसटीडीए के मध्य एमओयू कर और आगे ले जाया जा सकता है।

    प्रदेश में कृषि विकास, उद्यानिकी और खाद्य प्र-संस्करण के क्षेत्र में बहुत अच्छा आधार स्थापित है। मध्यप्रदेश, भारत में गेहूँ का सबसे बड़ा निर्यातक राज्य है। इस क्षेत्र में भी यूएस के साथ साझेदारी कर टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कर निवेश की संभावनाएँ तलाशी जा रही हैं। कौशल विकास एवं प्रशिक्षण, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में सेंटर ऑफ एक्सीलेन्सेस, इन्क्यूबेशन सेंटर और कॉमन फेसिलिटी सेंटर को यूएस कंपनियों के साथ साझेदारी कर स्थापित करने के प्रयास हैं। प्रदेश में स्मार्ट सिटी विकास में साझेदारी एवं नवाचार के नवीन अवसर खोजने का कार्य भी प्राथमिकता में शामिल है। मध्यप्रदेश इन्फ्रा-स्ट्रक्चर (सड़क), वित्तीय और नवकरणीय क्षेत्रों में अधिक निवेश के लिए प्रयासरत है। प्रदेश में चयनित ओडीओपी उत्पादों को अमेरिका में विपणन के अवसर प्रदान करने की संभावनाएँ विद्यमान हैं। “स्टार्ट योर बिजनेस इन थर्टी डेज” की व्यवस्था का लाभ उद्यमियों को मिल रहा है।

  • प्रधानमंत्री  मोदी इंडोनेशिया में जी 20 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे

    प्रधानमंत्री मोदी इंडोनेशिया में जी 20 शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे

    भोपाल,15 नवंबर 2022 /
    मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को जी-20 प्रमुखों के 17वें शिखर सम्मेलन में शामिल होने पर बधाई और शुभकामनाएँ दी हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी की इंडोनेशिया के बाली की यह यात्रा “ वसुधैव कुटम्बकम” के कालातीत भारतीय मंत्र को व्यक्त करेगी, जो सभी के लिए समान विकास और साझा भविष्य के संदेश का प्रतीक है।

    जी 20 शिखर सम्मेलन भारतवासियों के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इस शिखर सम्मेलन के समापन-सत्र में जी 20 की अध्यक्षता का दायित्व भारत को सौंपा जाएगा।

  • ऐतिहासिक और अद्भुत क्षण है पेसा कानून का प्रभावशील होना

    ऐतिहासिक और अद्भुत क्षण है पेसा कानून का प्रभावशील होना

    भोपाल,15 नवंबर 2022 /
    मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश में जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और जनजातीय वर्ग के हित संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। प्रदेश के लिए 15 नवम्बर ऐतिहासिक और अद्भुत रहेगा। प्रदेश में जनजातीय वर्ग के कल्याण के लिए उल्लेखनीय कार्य हो रहा है। गत वर्ष प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर भोपाल पधारे थे। मध्यप्रदेश सरकार ने पेसा कानून नियम लागू करने की पहल की है। इसके माध्यम से राजस्व कार्यों के निपटारे,जल संसाधनों के प्रबंधन, वनोपज से जनजातीय वर्ग को अधिक लाभ पहुँचाने जैसे महत्वपूर्ण कार्य आसान होंगे।

    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती मध्यप्रदेश के लिए गौरव का दिन है। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु मध्यप्रदेश के प्रवास पर आ रही हैं। राष्ट्रपति महोदया के शहडोल और भोपाल में हो रहे कार्यक्रमों से जनजातीय वर्ग और प्रदेश के समस्त नागरिकों में उमंग का संचार होगा। प्रदेश का जन-जन उत्साहित दिखाई दे रहा है।

    मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज इन कार्यक्रमों की रूपरेखा के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कार्यक्रमों की तैयारियों की भी जानकारी प्राप्त की।

  • राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल से अमरीका के कॉन्सुलेट जनरल श्री मिचेल हेंकी ने की सौजन्य भेंट

    राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल से अमरीका के कॉन्सुलेट जनरल श्री मिचेल हेंकी ने की सौजन्य भेंट

    भोपाल,15 नवंबर 2022 /
    राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल से भारत में संयुक्त राष्ट्र अमरीका के कॉन्सुलेट जनरल श्री मिचेल हेंकी ने राजभवन पहुँच कर आज भेंट की।

    राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कॉन्सुलेट जनरल अमरीका श्री मिचेल हेंकी का शॉल, श्रीफल और स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल को अमरीका के कॉन्सुलेट जनरल श्री मिचेल हेंकी ने “द नेशनल पार्क्स” पुस्तक की प्रति भेंट कर अभिनंदन किया।

  • मानव सभ्यता की विकास यात्रा की सहभागिता रही हैं म.प्र. की जनजातीय भाषाएँ

    मानव सभ्यता की विकास यात्रा की सहभागिता रही हैं म.प्र. की जनजातीय भाषाएँ

    भोपाल,15 नवंबर 2022 /
    किसी भी मानव-समुदाय की पृथक पहचान उसकी जीवन-शैली, सांस्कृतिक परंपराओं और भाषा-बोली से होती है। आज स्थिति यह है कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया में दुनिया की सैकड़ों बोलियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं। किसी भी सभ्यता के विकास में भाषा की प्रमुख भूमिका होती है। मनुष्य अपने भाव अथवा विचार भाषा के माध्यम से ही अन्य व्यक्ति तक सम्प्रेषित करता है। इस प्रकार भाषा मनुष्य को सामाजिक प्राणी बनाने में केन्द्रीय तत्व के रूप में कार्य करती है। जनजाति समुदायों की भाषाओं पर विचार करते हुए यह तथ्य और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। ये भाषाएँ मानव-सभ्यता की विकास-यात्रा में सहयात्री रही हैं, इसलिये इनमें आरंभिक मनुष्य द्वारा अन्वेषित और अर्जित पारंपरिक ज्ञान संचित है,जो अत्यंत मूल्यवान है।

    जनजातीय भाषाओं का एक-एक शब्द संबंधित समुदाय की सांस्कृतिक निधि है। इन भाषाओं की परंपरागत वाचिक (मौखिक) संपदा के माध्यम से ही मानव-इतिहास, सभ्यता-संस्कृति, वनस्पति और जीव-जगत, कृषि, वास्तु एवं अन्य कला-कौशलों संबंधित ज्ञान की परंपरा को समझा जा सकता है। अन्य उन्नत भाषाओं और सभ्यताओं से सघन संपर्क के कारण जनजातीय भाषाओं के स्वरूप में बदलाव आ रहा है। भाषा की यह परिवर्तनशीलता एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। भारत की सांस्कृतिक विविधता में भाषिक भिन्नता एक प्रमुख घटक है। राष्ट्र की इस वैविध्यपूर्ण विशेषता को अक्षुण्ण रखने के लिए विभिन्न भाषा-बोलियों को बचाए रखना आवश्यक है। यह निश्चित है कि भाषाओं को बचाने का काम उसे बोलने वाले ही कर सकेंगे।

    मध्यप्रदेश में 43 अनुसूचित जनजातियाँ अथवा उनके समूह हैं। पहले प्रत्येक जनजाति समुदाय की अलग भाषा हुआ करती थी। अब केवल भीली, भिलाली, बारेली, पटलिया, गोंडी, ओझियानी, अगरिया, बैगानी, कोरकू, मवासी, नहाली ही कुछ क्षेत्रों में परिवर्तित रूपों के साथ संबंधित समुदायों की प्राय: पुरानी पीढ़ी द्वारा बोली जाती हैं। अन्य जनजातियों की बोलियाँ लुप्त हो चुकी हैं, जैसे-कोल की कोलिहारी, परधान की परधानी, भारिया की भरियाटी, सहरिया की सहरानी, खैरवार या कोंदर की खैरवारी तथा भिम्मा, नगारची, मोंगिया सहित अन्य जनजातियों की भाषाएँ भी।

  • भूतो न भविष्यति जनजातीय जननायक भगवान बिरसा मुण्डा

    भूतो न भविष्यति जनजातीय जननायक भगवान बिरसा मुण्डा

    भोपाल,15 नवंबर 2022 /
    भगवान बिरसा मुण्डा ने अपने 25 वर्ष के जीवन काल में ही जमींदारी प्रथा, राजस्व व्यवस्था इंडियन फारेस्ट एक्ट-1882 और धर्मातरण के खिलाफ अंग्रेजों एवं ईसाई पादरियों से संघर्ष किया। भगवान बिरसा मुण्डा जनजातियों की धार्मिक व्यवस्था, संस्कृति, परम्परा, अस्तित्व एवं अस्मिता रक्षक के प्रतीक हैं। वे संपूर्ण जनजातीय समाज का गौरव है। भारत सरकार ने बिरसा मुण्डा जयंती – 15 नवम्बर को “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। “जनजातीय गौरव दिवस” मनाना जनजातीय समाज का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण सनातन समाज का एकात्म भाव है।

    भारत के विभिन्न प्रान्तों में बसी लगभग 705 जनजातियाँ जब अपने सपूतों की गौरव गाथा को याद करने बैठती हैं तो एक स्वर्णिम नाम उभरता है बिरसा मुण्डा, जिसे जनजातीय बन्धु बड़े प्यार और श्रद्धा के साथ बिरसा भगवान के रूप में नमन करते हैं। जनजातीय समाज ने एक नहीं अनेक रत्न दिए हैं। मणिपुर के जादोनांग, नागा रानी गाईदिन्ल्यु, राजस्थान के पूंजा भील, आंध्रप्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू, बिहार झारखण्ड के तिलका मांझी, सिद्धू-कान्हू वीर बुधु भगत, नीलाम्बर-पीताम्बर, जीतराम बेदिया, तेलंगा खड़िया, जतरा भगत, केरल के पलसी राजा तलक्ल चंदू, महाराष्ट्र के वीर राघोजी भांगरे, असम में शम्भूधन फुन्गलोसा आदि पर किसे गर्व नहीं होगा? बिरसा मुण्डा इन सबके प्रतीक हैं।

    छोटा नागपुर (झारखण्ड) के उलीहातू ग्राम में 15 नवम्बर 1875 के दिन इस वीर शहीद जनजातीय जननायक का जन्म हुआ था। पिता सुगना मुण्डा और माता करमी अत्यन्त निर्धन थे और दूसरे गाँव जाकर मजदूरी का काम किया करते थे। उनके दो भाई एवं दो बहनें भी थीं। बिरसा का बचपन एक सामान्य वनवासी बालक की तरह ही धूल में खेलते, जंगलों में विचरते, भेड़-बकरियाँ चराते और बाँसुरी वादन करते बीता।

    बालक बिरसा को उनके पिता पढ़ा-लिखा कर बड़ा साहब बनाना चाहते थे। माता-पिता ने उन्हें मामा के घर आयूबहातू भेज दिया। जहाँ बिरसा ने भेड़-बकरी चराने के साथ शिक्षक जयपाल नाग से अक्षर ज्ञान और गणित की प्रारम्भिक शिक्षा पाई। बिरसा ने बुर्जू मिशन स्कूल में प्राथमिक शिक्षा पाई। आगे की पढ़ाई के लिए वे चाईबासा के लूथरेन मिशन स्कूल में दाखिल हुए।

  • जनजातीय नायक

    जनजातीय नायक

    भोपाल,15 नवंबर 2022 /
    जनजातीय गौरव दिवस – 15 नवंबर 2022 वह विशेष अवसर है जब ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले जनजातीय नायकों का कृतज्ञ स्मरण प्रासंगिक है। यह स्मरण हमें हमारी स्वतंत्रता के पीछे के त्याग, बलिदान और शौर्य-गाथाओं से तो परिचित करवायेगा ही बल्कि स्वतंत्रता को अक्षुण्ण्रखने के लिए हर कीमत पर भी प्रेरित करेगा। यहाँ प्रस्तुत है देश के और मध्यप्रदेश के कुछ चुनिंदा जनजातीय नायकों के संघर्ष और बलिदानों की संक्षिप्त गाथाएँ :-

    भगवान बिरसा मुण्डा

    मुण्डा क्रांति के नेतृत्वकर्ता और जन-समुदाय द्वारा बिरसा भगवान के रूप में पूजे जाने वाले बिरसा मुण्डा का जन्म नवंबर 1875 में हुआ था। 1 अक्टूबर 1894 को उनके नेतृत्व में मुण्डाओं ने अंग्रेजों से लगान (कर) माफी के लिये आन्दोलन किया। वर्ष 1895 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। कारावास से मुक्त होने के पश्चात उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र क्रांति का आह्वान किया, जो मार्च 1900 में उनकी गिरफ्तारी तक सतत रूप से चलता रहा। कारावास में दी गई यातनाओं और उत्पीड़न के कारण जून 1900 को रांची के कारावास में बिरसा भगवान की जीवन यात्रा समाप्त हुई।

    रायन्ना

    कित्तूर की रानी चेन्नम्मा के विश्वस्त सेनापति रायन्ना ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध आजीवन संघर्ष किया। राजा मल्लासरजा और रानी चेन्नम्मा के गोद लिए हुए पुत्र शिवलिंगप्पा को कित्तूर के सिंहासन पर वैध अधिकार दिलाने के लिए इन्होंने कंपनी के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष किया। छापेमार युद्ध शैली का प्रयोग कर इन्होंने बड़े पैमाने पर ब्रिटिश शक्ति को क्षति पहुँचाई। अंततः इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 26 जनवरी 1831 को मृत्युदंड दे दिया गया।

    सिद्धो संथाल

    सिद्धो मुर्मू का जन्म भोगनाडीह (वर्तमान में झारखण्ड राज्य में) गाँव में एक संथाल परिवार में 1815 ई. में हुआ था। ब्रिटिश शासन का अत्याचारी रूप इस क्षेत्र में भी देखने को मिल रहा था, जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध जून 1855 में सिद्धो के नेतृत्व में एक विद्रोह की शुरुआत हुई, जिसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है। संथालों ने आक्रामक ब्रिटिश सत्ता, जो तोप, बंदूकों और बड़ी मात्रा में गोला-बारूद से सुसज्जित थी, का सामना अपने परम्परागत तीर-कमान जैसे हथियारों से किया। सिद्धो ने वीरतापूर्वक युद्ध किया, परन्तु पकड़ लिए गए और इन्हें अगस्त 1855 में पंचकठिया नामक स्थान पर फाँसी दे दी गई।

  • जनजातीय वर्ग के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है मध्यप्रदेश सरकार

    जनजातीय वर्ग के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है मध्यप्रदेश सरकार

    भोपाल,15 नवंबर 2022 /
    मध्यप्रदेश को यह गौरव हासिल है कि यह देश की सर्वाधिक जनजातीय जनसंख्या का घर है। प्रदेश का इन्द्रधनुषीय जनजातीय परिदृश्य अपनी विशिष्टताओं की वजह से मानव-शास्त्रियों, सांस्कृतिक अध्येताओं, नेतृत्व शास्त्रियों और शोधार्थियों के विशेष आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहाँ की जनजातियाँ सदैव से अपनी बहुवर्णी संस्कृति, भाषाओं, रीति-रिवाज और देशज तथा जातीय परम्पराओं के साथ प्रदेश के गौरव का अविभाज्य अंग रही है।

    लम्बे समय तक प्रदेश का जनजातीय समुदाय अपनी इन तमाम विशिष्टताओं के बावजूद विकास की मुख्य-धारा से लगभग अलग-थलग रहा, पर अब यह स्थिति बदल रही है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पिछले अठारह वर्षों में प्रदेश की जनजातियों की सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति में व्यापक बदलाव आया है। अब वे अपनी गौरवशाली परम्पराओं के साथ आधुनिक समय के साथ कदमताल करते हुए अपने संवैधानिक अधिकारों के साथ मुख्य धारा में है और सरकारी सर्वोच्च प्राथमिकता में।

    इन 18 वर्ष में प्रदेश में जनजातीय वर्गों के कल्याण के लिये सबसे बड़ा काम जनजातीय वर्गों की आबादी के अनुपात में बजट में राशि के प्रावधान का हुआ। वर्ष 2003-04 में जनजातीय कार्य विभाग का बजट 746.60 करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2022-23 में 10 हजार 353 करोड़ रुपये का हो गया है। इस प्रकार बजट में 948 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

    प्रदेश के सभी 89 जनजातीय विकासखण्डों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में ग्राम स्तर तक राशन पहुँचाने के लिए “मुख्यमंत्री राशन आपके ग्राम” योजना लागू की गई है। अब तक 472 जनजातीय युवाओं को योजना के राशन वाहन हेतु 10 करोड़ 80 लाख रूपये की मार्जिन मनी की वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी गई है।

    सभी 89 जनजातीय विकासखण्ड में गर्भवती महिलाओं एवं 6 माह के बच्चों से 25 वर्ष तक के युवाओं में सिकलसेल रोग की रोकथाम के लिए हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन लागू कर सिकल सेल स्क्रीनिंग, रोकथाम, प्रबंधन, जैनेटिक काउंसलिंग एवं जन-जागरूकता का कार्य किया जा रहा है।

    प्रदेश में प्रतिवर्ष 15 नवम्बर को जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है। जनजातीय जननायकों की स्मृतियों को चिरस्थायी बनाने के लिए स्मारक और संग्रहालय बन रहे हैं। हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति, पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या मामा के नाम पर किया गया है। इन्दौर में भंवरकुआँ चौराहे पर टंट्या मामा की मूर्ति स्थापित की गई। छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय का नामकरण राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय और मंडला मेडिकल कॉलेज का नामकरण राजा ह्दयशाह मेडिकल कॉलेज किया गया है। क्रान्तिसूर्य टंट्या मामा के बलिदानों का स्मरण करते हुए इस वर्ष गौरव कलश यात्रा का आयोजन किया गया।

  • राष्ट्रपति के मध्यप्रदेश आगमन पर मिनिस्टर-इन-वेटिंग नामांकित

    राष्ट्रपति के मध्यप्रदेश आगमन पर मिनिस्टर-इन-वेटिंग नामांकित

    भोपाल,15 नवंबर 2022 /
    भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के 15 एवं 16 नवंबर 2022 को मध्यप्रदेश के भोपाल, जबलपुर और शहडोल आगमन पर अगवानी, विदाई और सत्कार के लिए राज्य मंत्रि-परिषद के 3 सदस्य मिनिस्टर-इन-वेटिंग नामांकित किये गये हैं। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा 15 एवं 16 नवंबर को भोपाल विमानतल, परिवहन मंत्री श्री गोविन्द सिंह राजपूत 15 नवंबर को जबलपुर विमानतल और पिछड़ा-वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रामखेलावन पटेल शहडोल हेलीपेड पर मिनिस्टर-इन-वेटिंग रहेंगे।