बता दें कि बीते दिनों दुर्गा उत्सव के दौरान विसर्जन समारोह में 13 साल के बच्चे की मौत हुई थी। मृतक राजधानी के साईं बोर्ड स्थित स्लम एरिया का रहने वाला पांचवीं कक्षा का छात्र था। 14 अक्टूबर को 13 साल के समर बिल्लोरे की दुर्गा विसर्जन झांकी के दौरान डीजे की तेज आवाज सुनते ही मौत हो गई थी। प्रतिमा विसर्जन के दौरान सब लोग डीजे की धुन पर नाच रहे थे। वहीं 13 साल का समर भी नाच रहा था। बच्चा अचानक नाचते-नाचते जमीन पर गिर पड़ा। परिजन उसे तुरंत अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उसे घोषित कर दिया। परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा कि डीजे की तेज आवाज के कारण समर को हार्ट अटैक आया और उसकी मौत हो गई।
यहां के मूर्तिकारों के हाथों का जादू ऐसा कि इनकी बनाई मिट्टी के श्री गणेशजी की प्रतिमाओं की प्रदेश ही नहीं देश के कई राज्यों में डिमांड रहती है। प्रतिमाओं के निर्माण में यहां के कुम्हार परिवारों के साथ 1000 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मिलता है। बदले में इन्हें 300 से 1500 रुपए तक प्रतिदिन मिल जाता है। एक सीजन में इन प्रतिमाओं से 8 से 10 करोड़ रुपए का कारोबार हो जाता है।
शिल्पग्राम के नाम से पूरे प्रदेश में विख्यात ग्राम थनौद में चक्रधारी परिवार चार पीढ़ियों से मिट्टी से मूर्तियां गढऩे का काम कर रहा है। इनकी दक्षता ऐसी है कि इन परिवारों और इनके गांव का नाम मध्यप्रदेश, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल के साथ महाराष्ट्र व मुम्बई तक भी पहुंच गया है। इस बार भगवान गणेशजी की करीब 10 हजार छोटी और 1200 से ज्यादा बड़ी प्रतिमाओं का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा करीब 2000 दुर्गा जी की प्रतिमाओं का भी निर्माण यहां होता है।
5 दिन रहता है मेले जैसा माहौल
मूर्तिकला में लगे लोगों के अलावा यहां के स्थानीय दुकानदारों को भी रोजगार मिलता है। मूर्तिकाल लव चक्रधारी बताते हैं कि प्रतिमाओं की पंडाल के लिए रवानगी के दौरान यहां समितियों के लोगों के साथ भक्तों की भीड़ भी पहुंचती है। इससे 5 से 7 दिन तक मेले जैसा माहौल रहता है। यहां कई प्रकार के स्टॉल लगते हैं। इनसे ग्रामीणों की आमदनी होती है। यह स्थिति गणेश चतुर्थी के अलावा नवरात्रि में भी होती है।
2000 से ज्यादा दुर्गाजी प्रतिमा के ऑर्डर
मूर्तिकार लव चक्रधारी बताते हैं कि भगवान गणेशजी के बाद मां दुर्गा की प्रतिमाओं का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। अकेले थनौद में ही 2000 से ज्यादा दुर्गा प्रतिमाएं बनती हैं। इनकी न्योछावर राशि 20 हजार से 2 लाख 25 हजार तक रहती है। इन प्रतिमाओं के निर्माण के लिए त्योहारों के खास सीजन को छोड़कर पूरे साल वर्कशॉप में काम चलता रहता है।
40 वर्कशॉप, हर में 30 से 40 लोग
थनौद में मूर्ति निर्माण की 40 बड़े वर्कशॉप है 30 से 40 लोग करते हैं काम।
इनमें मिट्टी लाने, उसे तैयार करने के अलावा दक्ष कारिगर, प्रशिक्षु भी शामिल।
मूर्तिकारों के अलावा उनके परिवार के सदस्य व महिलाएं भी बंटाती हैं हाथ।
यहां डिमांड ऐसी है कि हर साल समय की कमी के कारण आर्डर लौटाने पड़ते हैं।
इस बार 1 फीट से 25 फीट तक की मूर्तियां तैयार की जा रही है।
1 फीट की मूर्ति की न्योछावर राशि 300 रुपए से शुरू है वहीं बड़ी मूर्तियां साज सज्जा के आधार पर 30 हजार से 3 लाख 50 हजार रुपए तक।