भिलाई।
छत्तीसगढ़ के भिलाई मदरटरेसा नगर में रहने वाला महादेव ऐप ऑनलाइन सट्टेबाज सरगना सौरभ चंद्राकर अंततः अब छत्तीसगढ़ आना ही होगा। दुबई में उसकी गिरफ्तारी इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर हुई, जिसे प्रवर्तन निदेशालय (ED) के अनुरोध पर जारी किया गया था। यह गिरफ्तारी भारतीय एजेंसियों के समन्वित प्रयासों का परिणाम है, जिसमें विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने प्रमुख भूमिका निभाई।
मोदी सरकार ने निभाया वादा
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में गृहमंत्री विजय शर्मा ने सीबीआई जांच कराने की घोषणा कर चौकाया था। महादेव ऐप सट्टेबाजी घोटाले की जांच को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया था। यह निर्णय 22 अगस्त को लिया गया। अब इस घोटाले के किंगपिन सौरभ चंद्राकर की गिरफ्तारी हुई है। इस कार्रवाई से प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के उस मजबूत रुख की याद दिलाई जा रही है। जब चुनाव के दौरान दुर्ग आमसभा में उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि तात्कालिन सरकार महादेव सट्टा चलाकर छत्तीसगढ़ के युवाओं के भविष्य से खेलवाड़ कर रही है। भाजपा सरकार आने पर घोटाले में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। जब सरकार बन गई। तब मुख्यमंत्री विष्णु साय ने यह कहा था कि सभी दोषियों को सख्त सजा दिलाने के लिए जांच CBI को सौंपी गई है।
सीबीआई और ईडी की अहम भूमिका
ईडी ने इस घोटाले की गहराई तक पहुंचने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच की, जिससे चंद्राकर की गतिविधियों का पर्दाफाश हुआ। इसके तहत 572.41 करोड़ रुपए की संपत्तियों को अब तक अटैच किया जा चुका है, जिसमें से 100 करोड़ रुपए की संपत्ति दुबई में स्थित है। ईडी के अधिकारियों ने कहा था कि सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल को दुबई में नजरबंद किया गया है। जल्द ही उन्हें भारत लाया जाएगा, लेकिन कागजी कार्रवाई के पेच में फसे रहा। इसके बाद मामले को सीबीआई को सौपा गया। सीबीआई ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी कागजी कार्रवाई को पूरा करते हुए उसे भारत लाने रास्ता साफ कर दिया।
गोपनीयता से की गई कार्रवाई
यह गिरफ्तारी गोपनीयता से की गई और केवल कुछ शीर्ष अधिकारियों को ही इसकी जानकारी थी। हमने इस कार्रवाई को पूरी तरह गुप्त रखा ताकि सौरभ चंद्राकर को आसानी से गिरफ्तार किया जा सके। इस ऑपरेशन की सफलता के पीछे दुर्ग रेंज के पुलिस महानिरीक्षक राम गोपाल गर्ग की सराहनीय भूमिका रही। उन्होंने सीबीआई में अपने 7 वर्षों के अनुभव का इस्तेमाल किया। सौरभ चंद्राकर की गिरफ्तार करने सीबीआई को हर वो दस्तावेज उपलब्ध कराए, जिससे उसकी गिरफ्तारी की जा सके।
आईजी ने वर्ष 2024 में गृहमंत्रालय को प्रोविजन अरेस्ट करने किया था अनुरोध
आईजी रामगोपाल गर्ग ने जुलाई 2024 में मानसून सत्र के दौरान गृह मंत्रालय को सौरभ चंद्राकर की प्रोविजनल अरेस्ट के लिए अनुरोध भेजा। सितंबर 2024 में गृह मंत्रालय ने इस मामले में कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाएष गर्ग ने सभी आवश्यक कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया। उनके जवाब के बाद ही प्रोविजनल अरेस्ट और प्रत्यर्पण प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा सका। इस उच्च-स्तरीय समन्वय का परिणाम ही सौरभ की गिरफ्तारी और उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में तेजी लाने में कारगर साबित हुआ।