Category: हेल्थ न्यूज़

  • छत्तीसगढ़ का पहला आयुर्वेदिक हॉस्पिटल

    छत्तीसगढ़ का पहला आयुर्वेदिक हॉस्पिटल

    रायपुर।

    छत्तीसगढ़ का पहला आयुर्वेदिक हॉस्पिटल डॉ अभिमन्यु आयुर्वेद मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल का भव्य शुभारंभ माननीय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के कर कमलो से बुधवार को कमल विहार रायपुर में होने जा रहा है । यह हॉस्पिटल २० बिस्तरों का सर्वसुविधायुक्त मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल है यहाँ पेन, पाइल्स, पंचकर्म,पीडिया, गायनी व स्किन संबंधी समस्त रोगों के उपचार की सुविधा उपलब्ध रहेगी, फिजियोथेरेपी की भी सुविधा उपलब्ध रहेगी ।हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ अभिमन्यु साहू ने बताया कि हमारा डॉ अभिमन्यु पेन रिलीफ सेंटर पिछले 5 वर्षो से रायपुर के समता कॉलोनी में संचालित है जहां पिछले 5 वर्षो में जोड़ों,नसों, मांसपेशियों के दर्द के लगभग 12500 मरीजों का सफलतापूर्वक ईलाज किया जा चुका है जिसकी सबसे बड़ी ख़ासियत है, यह ईलाज पूर्णतः आयुर्वेदिक है जिसके कोई साईड इफेक्ट नहीं है तथा लागत भी कम आती है।

    डॉ अभिमन्यु साहू ने बताया हमारे यहां ना सिर्फ छ.ग. बल्कि भारत के विभिन्न हिस्सो जैसे उड़ीसा, झारखंड, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात से मरीज आते है कुछ मरीज विदेशो से भी सलाह लेते है उनकी तकलीफ दूर करने के लिए हमने 2 वर्षे पहले अष्ठवेदा टेलीमेडीसीन सुविधा की शुरूवात की, इस सुविधा का सैकडो मरीज लाभ उठा रहे है। हम हमारी बहुत सी दवाईयां पिछले 4 वर्षों से खुद ही निर्मित कर रहे है ताकि मरीज़ों को सर्वोत्तम दवा व उपचार मिल सके, यह दवाईयां बाजार में आयुर्जीनोमिक्स बोटेनिकल के नाम से उपलब्ध है।डॉ अभिमन्यु ने आगे बताया कि मैं बहुत समय से छत्तीसगढ़ में एक आयुर्वेदिक हॉस्पिटल की कमी महसूस कर रहा था क्योंकि बहुत से रोगों का इलाज करने मरीज़ को भर्ती करने की आवश्यकता पड़ती है, और छत्तीसगढ़ की लोगों को इसके लिए प्रदेश से बाहर जाना पड़ता था पर अब यह कमी दूर हो गई है प्रदेशवासियों को बाहर नहीं भटकना पड़ेगा।

    हमारा यह हॉस्पिटल सर्वसुविधायुक्त है हमारे यहां प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धतियां जैसे पंचकर्म, शिरोधारा, क्षारसूत्र, लेज़र आदि की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। हमारे हॉस्पिटल में डीलक्स रूम, प्राइवेट रूम, सेमी प्राइवेट रूम, पैथ लैब, माइनर ओ.टी., मेडिकल आदि की सुविधाएँ उपलब्ध रहेगी , हमारा हॉस्पिटल मरीज़ों की सेवा में 24×7 तत्पर रहेगा ।हॉस्पिटल के उद्घाटन के शुभ अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मुख्य अतिथि के रूप में, माननीय अरुण साव जी कार्यरक्म की अध्यक्षता करेंगे । तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में स्वास्थ्य मंत्री  श्याम बिहारी जायसवाल,   राजेश मूनत (विधायक),   मोतीलाल साहू (विधायक),   संदीप साहू (विधायक),   भूलन सिंह मरावी (विधायक),   इंद्र कुमार साहू (विधायक),  टहल सिंग साहू (प्रदेश अध्यक्ष- साहू समाज) आदि उपस्थित रहेंगे

  • करैत के डसने से मरणासन्न मासूम को मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में मिला नया जीवन

    करैत के डसने से मरणासन्न मासूम को मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में मिला नया जीवन

    रायगढ़ ।

    तीन तस्वीरों से समझा जा सकता है कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार के प्रयास कैसे लोगों के जीवन में संजीवनी का काम कर रहे हैं। यह तस्वीर 3 साल के मासूम मानविक की है, जिसे जहरीले करैत सांप ने डस लिया था। मरणासन्न हालत में उसे मेडिकल कॉलेज रायगढ़ में इलाज के लिए जब भर्ती कराया गया तो सांप का जहर पूरे शरीर में फैल चुका था उसकी स्थिति काफी गंभीर हो चुकी थी। शरीर में लकवे का असर दिख रहा था और सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। शुरुआती 40 से 42 घंटे तक वह पूरी तरह से होश में नहीं आया था और उसे वेंटीलेटर में रखना पड़ा था। मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल रायगढ़ के डॉक्टरों ने एक हफ्ते तक गहन इलाज कर उसकी जान बचाई और नया जीवनदान दिया।करैत भारत में पाए जाने वाले सर्वाधिक जहरीले सांपों में से एक है। इसका जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है। जिससे नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है। सही समय पर इलाज न मिले तो जान बचने की गुंजाइश कम होती है। ऐसे में एक छोटे मासूम बच्चे की रायगढ़ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में मिले उचित इलाज से जान बचाई जा सकी।

    रायगढ़ के खरसिया ब्लॉक के औरदा गांव के निवासी तुलेश्वर चौहान के 3 साल के बेटे मानविक चौहान को सोते समय घर में सुबह पांच बजे के करीब जहरीले करैत सांप ने दाहिने हाथ की उंगली में काट लिया। परिजन बच्चे को सिविल अस्पताल खरसिया लेकर गए। वहां चिकित्सकों द्वारा प्राथमिक उपचार कर बच्चे को बेहतर ईलाज के लिए संत बाबा गुरु घासीदास जी स्मृति शासकीय चिकित्सालय रायगढ़ में रेफर कर दिया गया। बच्चे को सुबह लगभग 8 बजे के आसपास संत बाबा गुरु घासीदास जी स्मृति शासकीय चिकित्सालय रायगढ़ के आपातकालीन विभाग में अत्यंत गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया। बच्चे के शरीर में सॉप का जहर फैल चुका था, बच्चे की आँखों की दोनों पलकों में लकवा मार चुका था, सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, मुँह से झाग आ रहा था, बच्चे के हाथ-पैर ठंडे पड़ गए थे एवं नाड़ी भी कमजोर हो रही थी। बच्चे को आपातकालीन विभाग में ही बाल्य एवं शिशुरोग विभाग के आपातकालीन ड्युटी में उपस्थित डाक्टरों द्वारा त्वरित ईलाज प्रारंभ कर चिकित्सकों की आपातकालीन टीम द्वारा आई.सी.यू. वार्ड में शिफ्ट किया गया। गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉ.एल. के. सोनी, विभागाध्यक्ष बाल्य एवं शिशुरोग के नेतृत्व में डॉक्टरों और स्टॉफ नर्सों की टीम के अथक प्रयासों से बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार आना शुरू हुआ। बच्चे के शरीर में सांप के जहर का असर कम होने के उपरांत बच्चे को 3 दिवस पश्चात वेंटीलेटर से बाहर निकाला गया। वेंटीलेटर से बाहर निकलने के पश्चात् बच्चे के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ। एक हफ्ते तक चले गहन इलाज से बच्चे के स्वास्थ्य में पूर्ण सुधार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दिया गया।

    परिजनों ने कहा मेडिकल कॉलेज के इलाज से लौटी बच्चे की मुस्कुराहट

    किसी भी माता पिता के लिए अपने बच्चे को जिंदगी और मौत से लड़ते देखना बहुत हृदयविदारक होता है। नन्हा मानविक अपने माता पिता की इकलौती संतान है। करैत के डसने से उसकी हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि शुरुआती 40 से 42 घंटे तक वह पूरी तरह से होश में नहीं था। लेकिन मेडिकल कॉलेज में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम के साथ सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध होने से उसका बेहतर इलाज संभव हुआ। पिता तुलेश्वर चौहान कहते हैं कि डॉक्टरों के प्रयासों से उसके बच्चे की मुस्कान वापस लौट आई।

    उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए राज्य सरकार बेहद संवेदनशील है। मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय ने राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए स्वास्थ्य बजट को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। स्वस्थ छत्तीसगढ़ के लिए यह जरूरी है कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था कुशल चिकित्सकों के हाथों में रहे। लेकिन आज से 24 वर्ष पहले छत्तीसगढ़ में सिर्फ एक शासकीय मेडिकल कालेज था जिसमें मात्र 100 एमबीबीएस की सीटें थीं। बीते 24 वर्षों में राज्य में शासकीय मेडिकल कालेजों की संख्या 1 से बढ़कर 10 हो गयी है और एमबीबीएस की सीटें भी बढ़कर 1460 हो गयी हैं। शासकीय मेडिकल कालेजों में 291 स्नातकोत्तर की सीटें भी बढ़ी हैं जिससे राज्य को विशेषज्ञ चिकित्सक मिल रहे हैं।वो छत्तीसगढ़ जो 1 नवंबर 2000 को जन्म लेते समय बीमारू राज्य का दर्जा रखता था वो आज बीते जमाने की बात हो गयी है। वर्तमान में मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय की सरकार ये बात भली भांति समझती है कि भारत की तर्ज पर छत्तीसगढ़ को भी वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाना है तो स्वास्थ्य ही वो पहली कड़ी है जो राज्य को सक्षम और समृद्ध बनाएगा। खुशी की बात ये है कि राज्य की वर्तमान सरकार इस पर लगातार प्रयास कर रही है और इसके बेहतर परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं।प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री  श्याम बिहारी जायसवाल स्वास्थ्य सेवाओं को सजग रूप से आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। राज्य स्तर पर डीकेएस और मेकाहारा जैसे अस्पताल अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हो रहे हैं तो वहीं संभाग स्तर पर सुपर स्पेशिलिटी अस्पतालों का कार्य निरंतर जारी है। इसी तरह से जिले और ब्लाक स्तर पर आयुष्मान आरोग्य मंदिर राज्य के लोगों की सेहत का विशेष ध्यान रख रहे हैं।

  • मल्टीग्रेन दलिया से कुपोषण और एनीमिया को मिल रही मात

    मल्टीग्रेन दलिया से कुपोषण और एनीमिया को मिल रही मात

    रायपुर ।

     

    दंतेवाड़ा जिले में कुपोषण और एनीमिया एक बड़ी समस्या रही है। इसको देखते हुए जिला प्रशासन की विशेष पहल पर सुपोषण योजना के तहत आंगनबाड़ी के बच्चों को मल्टीग्रेन दलिया दिए जाने की अभिनव पहल के बड़े ही सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। जिले में बीते अप्रैल माह में कुल कुपोषित बच्चों की संख्या 8082 थी, जो अब घटकर 6969 रह गई है। इसको देखते हुए यह उम्मीद है कि निकट भविष्य में दंतेवाड़ा जिले में कुपोषण और एनीमिया को न्यूनतम स्तर लाने में मल्टीग्रेन दलिया का उपयोग कारगर सिद्ध होगा। यह मल्टीग्रेन दलिया रागी, कोदो, कोसरा, बाजरा, ज्वार आदि से स्थानीय महिला स्व-सहायता समूह द्वारा तैयार कर आंगनबाड़ियों को प्रदाय किया जा रहा है।राष्ट्रीय पोषण माह में मल्टीग्रेन दलिया नियद नेल्लानार के ग्राम गमावाडा एवं धुरली के आंगनबाड़ी केंद्र में 3 से 6 वर्ष के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने के समय अर्थात 3 बजे के आसपास खिचड़ी या हलवा के रूप में बनाकर दिया जाता है, जिससे आंगनबाड़ी केन्द्र से प्राप्त गर्म भोजन व घर में मिलने वाले शाम के भोजन के बीच में ‘‘न्यूट्रिशनल गैप‘‘ को पूरा करती है। मल्टीग्रेन दलिया पौष्टिक होने के साथ-साथ बच्चों को खाने में पसंद है। जिसके कारण आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है। इसके चलते ‘‘अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेषन‘‘ (ईसीसीई) गतिविधियों के क्रियान्वयन भी कारगर साबित हुआ है।

     

    दंतेवाड़ा जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में मिलेट आधारित दलिया को मिड-डे मील के रूप में शामिल किया गया है। बच्चों और उनके माता-पिता से मिले सकारात्मक फीडबैक ने इस योजना की सफलता को और भी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। बच्चों में पहले की तुलना में अधिक ऊर्जा, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और शारीरिक विकास में तेजी देखी गई है।

    गौरतबल है कि मिलेट्स के पोषक तत्वों एवं स्वास्थ्यवर्धक गुणों से पूरे देश-दुनिया परिचित हो चुकी है। जब से देश में चावल, गेहूं की भरपूर पैदावार होने लगी, तब से मिलेट्स यानि मोटे अनाजों से लोगों ने मुहं मोड़ लिया था। देश-दुनिया को मोटे अनाजों की पौष्टिकता, इसमें विद्यमान मल्टी विटामिन्स तथा कई रोगो के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का पता लगा है, तब से उसके उपयोग को बढ़ावा मिला है। मोटा अनाज अब श्री अन्न कहा जाने लगा है। मिलेट्स सभी के लिए सुपाच्य एवं मरीजों के विभिन्न व्याधियों में फायदेमंद इस अनाज की मांग अब एकाएक बढ़ चुकी है। खास तौर पर महिलाओं एवं बच्चों के सेहत के लिए इसका उपभोग लाभकारी है।

  • कार्डियक अरेस्ट के केस में सही समय पर सीपीआर मिलने से बढ़ जाती है मरीज के जीवित रहने की संभावना: डॉ. प्रतिभा जैन शाह

    कार्डियक अरेस्ट के केस में सही समय पर सीपीआर मिलने से बढ़ जाती है मरीज के जीवित रहने की संभावना: डॉ. प्रतिभा जैन शाह

     रायपुर ।

    कार्डियक अरेस्ट के केस में सही समय पर कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन ( सीपीआर) नहीं मिलने पर रोगी की मृत्यु हो जाती है। कार्डियक अरेस्ट के केस में यह देखने को मिला है कि सही समय पर सीपीआर मिलने से व्यक्ति के जीवित रहने की संभावना 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। वहीं सही समय पर सीपीआर नहीं मिलने पर हर एक मिनट में मृत होने की संभावना बढ़ती जाती है और लगभग 6 से 8 मिनट में मरीज की पूर्णतः मस्तिष्क क्षति हो जाती है जिसे मेडिकल भाषा में हाइपोक्सिक ब्रेन डैमेज कहते हैं। यह स्थिति तब निर्मित होती है जब मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता है।’’ यह जानकारी बेसिक लाइफ सपोर्ट एवं एडवांस कार्डियक लाइफ सपोर्ट की कार्यशाला के अंतिम दिन प्रशिक्षण देते हुए कोर्स इंस्ट्रक्टर डॉ. प्रतिभा जैन शाह ने प्रतिभागी चिकित्सा छात्रों को दी। पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के चौथी मंजिल स्थित स्किल लैब में आयोजित इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को आज हाई क्वालिटी सीपीआर, डिफिब्रिलेशन, कार्डियोवर्शन एवं पेसिंग की प्रैक्टिस करवाई गई।

        पं. नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय एवं अम्बेडकर अस्पताल के एनेस्थेसिया एवं पेन मैनेजमेंट विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यशाला की कोर्स कोऑर्डिनेटर एवं इंस्ट्रक्टर विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिभा जैन शाह एवं इमर्जेंसी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. शिवम पटेल हैं। इनके साथ ही श्री बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस रायपुर की डॉ. अनीषा नागरिया, रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल रायपुर के इमरजेंसी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. बालाजी शाह, गुजरात के डॉ. जनक खम्बोल्झा और एम्स जोधपुर की डॉ. भारती गिंडलानी ने छात्रों को बीएलएस एवं एसीएलएस कोर्स का प्रशिक्षण दिया।आपात स्थितियों में लोगों की जीवन रक्षा करने के लिए आयोजित इस कार्यशाला की सराहना करते हुए अधिष्ठाता डॉ. विवेक चौधरी ने कहा कि व्यक्ति को कार्डियक अरेस्ट कहीं भी, किसी भी जगह हो सकता है ऐसे में बेसिक लाइफ सपोर्ट कोर्स से प्राप्त प्रशिक्षण की मदद से हम लोगों का बहुमूल्य जीवन बचा सकते हैं। यह कोर्स हमें सिखाता है कि विपरीत पस्थितियों में बिना घबराये नाड़ी और श्वसन गति का परीक्षण करके हम व्यक्ति की जान बचा सकते हैं।

    इमर्जेंसी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. शिवम पटेल ने हाई क्वालिटी सीपीआर का प्रशिक्षण देते हुए बताया कि 30 बार चेस्ट कंप्रेशन के बाद 2 बार ब्रेथ देना होता है। सीपीआर कोई भी कर सकता है इसके लिए डॉक्टर या मेडिकल टीम होना जरूरी नहीं है। आजकल स्कूल-कॉलेज में भी बेसिक कार्डियक लाइफ सपोर्ट की ट्रेनिंग दी जाती है। लोगों की अधिक से अधिक जीवन रक्षा के लिए इस प्रशिक्षण पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है और ऐसे प्रोग्राम को सपोर्ट करने की जरूरत भी है।  विशेषज्ञों ने बेसिक लाइफ सपोर्ट के अंतर्गत छात्रों को चेस्ट कंप्रेशन (जीवन रक्षा के लिए छाती पर दबाव डालने की विधि) की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया और मैनकिन (डमी) में बारी-बारी से सबको अभ्यास करवाया। एडवांस कार्डियक लाइफ सपोर्ट के बारे में पढ़ाते हुए विशेषज्ञ डॉ. जनक खम्बोल्झा ने कार्डियक अरेस्ट के पहले मरीज में होने वाले साइन और सिम्पटंम्स के बारे में पढ़ाया। उन्होंने  कार्डियक अरेस्ट को रोकने के उपाय बताये। मरीज को कब, कितने एनर्जी से शॉक देना है और हार्ट रेट एवं रिदम को नॉर्मल लाने की प्रैक्टिस करवायी गई। सभी छात्रों को ग्रुप में बांट कर, बारी-बारी सबको टीम लीडर बनाकर रियल टाइम केस सिनेरियो देकर प्रैक्टिस करवाई गई। सभी की लिखित और प्रायोगिक परीक्षा ली गई जिसमें उत्तीर्ण होने का अंक 84 प्रतिशत था। सभी छात्र इस परीक्षा में शत-प्रतिशत उत्तीर्ण हुए।

  • जिले में प्रतिदिन मोबाइल यूनिट द्वारा पशु चिकित्सा शिविर का किया जा रहा आयोजन

    जिले में प्रतिदिन मोबाइल यूनिट द्वारा पशु चिकित्सा शिविर का किया जा रहा आयोजन

      जांजगीर-चांपा ।

    छ.ग. शासन पशुधन विकास विभाग द्वारा पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना के घटक अंतर्गत मोबाइल पशु चिकित्सा ईकाई का माह-अक्टूबर 2023 से क्रियान्वयन किया जा रहा है। उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाये ने बताया कि जिले में 05 विकासखंडो में 01-01 मोबाइल चिकित्सा ईकाई संचालित है। जिसका प्रमुख उद्देश्य पशुधन चिकित्सा सेवा तंत्र को मजबूत कर ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रो में भ्रमण व कैंप आयोजित कर एम्बुलेटरी सेवाएँ यथा प्रजनन, उपचारात्मक, निवारक सेवाएँ प्रदान करना, पशुधन व कुक्कुट सामान्य स्वास्थ्य स्थिति तथा रोग की जांच, पशुधन का इलाज़, बीमारी का पता लगाने के लिए ‘‘ऑन द स्पॉट रोग‘‘ जांच सेवा प्रदान करना, रोग उद्भेद नियंत्रण, विभागीय योजनाओ का प्रचार प्रसार एवं पशुओ के रोग प्रतिबंधात्मक टीकाकरण, उपचार और अन्य विभागीय सेवाओ इत्यादि के क्रम में जागरूकता पैदा करना है। उक्तानुसार मोबाइल पशु चिकित्सा ईकाई द्वारा रोस्टर अनुसार प्रतिदिन सुबह 8 बजे से सायं 4 बजे तक प्रत्येक विकासखंड के 03 ग्रामो में प्रतिदिन प्रति मोबाइल यूनिट द्वारा पशु चिकित्सा शिविर के माध्यम से नियमित सेवाएँ प्रदाय की जा रही है। उक्त एमव्हीयू का सेवा  शासन के द्वारा टोल फ्री नं 1962 जनहित में जारी किया गया है।

  • स्वास्थ्य मंत्री ने किया मेकाहारा अस्पताल का निरीक्षण

    स्वास्थ्य मंत्री ने किया मेकाहारा अस्पताल का निरीक्षण

    रायपुर ।

    स्वास्थ्य मंत्री  श्याम बिहारी जायसवाल ने आज रायपुर के मेकाहारा अस्पताल का निरीक्षण किया।  जायसवाल ने अस्पताल में भर्ती मरीजों को मिल रही सुविधाओं का जायजा लिया और मरीजों से बात कर उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की।  जायसवाल ने इस दौरान दंतेवाड़ा से आए मोतियाबिंद ऑपरेशन कराने वाले मरीजों से भी मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल के स्टाफ और चिकित्सकों से भी बात कर उन्हें बेहतर काम करने और मरीजों की उचित देख देख करने के निर्देश दिए।

  • रायपुर में 100 बिस्तरों वाला प्राकृतिक व योग चिकित्सा अस्पताल की सौगात

    रायपुर में 100 बिस्तरों वाला प्राकृतिक व योग चिकित्सा अस्पताल की सौगात

    रायपुर।

    आयुष मंत्रालय – भारत सरकार व केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद् द्वारा छत्तीसगढ़ रायपुर में बनेगा 100 बिस्तरों वाला प्राकृतिक व योग चिकित्सा अस्पताल व अनुसंधान संस्थान माननीय इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम द्वारा 29 अक्टूबर 2024 – मंगलवार को प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी जी रखेंगे आधारशिला, छत्तीसगढ़ राज्य में प्राईवेट महाविद्यालय 2002 से “बी एन वाय एस” अर्थात बेचलर आफ नेचुरोपैथी व योगिक महाविद्यालय नगपुरा – दुर्ग जिले में संचालित है जहां 5 वर्षीय मेडिकल विषयों की पढ़ाई एवं इन्टर्नशीप के बाद अर्हता व पंजीयन आयुष मंत्रालय छत्तीसगढ़ द्वारा ही दिया जाता है।इस महाविद्यालय से 280 से अधिक चिकित्सकों का पंजीकरण है जो कि रोजगार के अभाव में अन्य राज्य व विदेशों में रोजगार हेतु मजबूर हैं व बहुत सारे चिकित्सकों द्वारा जिविकोपार्जन हेतु दूसरे क्षेत्र अथवा अन्य फिल्ड में कार्य किया जा रहा हैं।

    लेकिन अब वर्तमान सरकार की दूरदर्शिता और भारतीय चिकित्सा पद्धति का उन्नयन किया जा रहा है जिसमें यह अस्पताल बी एन वाय एस चिकित्सकों एवं योग स्नातकों के लिए वरदान साबित होने जा रहा है निश्चित ही माननीय प्रधानमंत्री  मोदी जी के नेतृत्व में व राज्य सरकार माननीय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी, माननीय स्वास्थ्य मंत्री  श्याम बिहारी जायसवाल जी के तालमेल से छत्तीसगढ़ प्राकृतिक व योग चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बनाते हुए आज के समय के जरूरत के हिसाब से जिसमें प्रदुषित वातावरण दवाईयों के साईड इफेक्ट जैसे चुनौतियों लड़ते हुए समस्त जनमानस को “सर्वे भवन्तु सुखिन: – सर्वे संतु निरामया:” को सिद्ध करते हुए अग्रणी भूमिका निभाएगा व राज्य में राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा पद्धति आयोग NCISM के तहत सरकारी बी एन वाय एस डिग्री (यू जी) एवं सरकारी पी जी डिग्री एवं योग व प्राकृतिक चिकित्सा थेरेपिस्ट कोर्स महाविद्यालय संस्थान की स्थापना करेंगे जिससे आने वाली युवा पीढ़ी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति की साइंस व वैज्ञानिक पद्धतियों को समझते हुए लोगों व मरीजों का सही इलाज कर सकेंगे।साथ ही छत्तीसगढ बी एन वाय एस चिकित्सक संघ, केंद्र सरकार, राज्य सरकार व केन्द्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद् के इस भागीरथी प्रयास की सराहना करता है धन्यवाद ज्ञापित करता है एवं आभार व्यक्त करता है।

  • गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित प्रसव के लिए बेहतर सुविधा – स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल

    गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित प्रसव के लिए बेहतर सुविधा – स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल

    रायपुर ।

    मुख्यमंत्री   विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य सुविधाओं एवं संसाधनों में लगातार इजाफा हो रहा है। स्वास्थ्य मंत्री  श्याम बिहारी जायसवाल के निर्देश पर स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने का प्रयास सतत रूप से जारी है। इसी कड़ी में बलौदाबाजार में कलेक्टर   दीपक सोनी के मार्गदर्शन में जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। जिला अस्पताल बलौदाबाजार में इस वर्ष जनवरी 2024 से माह सितंबर तक 9 माह में कुल 1816 सफल प्रसव कराए गए हैं। उक्त प्रसव में से 1354 सामान्य प्रसव तथा 462 सिजेरियन शामिल है। सिजेरियन में आकस्मिक और पूर्व नियोजित दोनों ही सम्मिलित हैं।
    जिला अस्पताल बलौदाबाजार के सिविल सर्जन डॉक्टर के. के. टेम्भूरने ने बताया कि अस्पताल में तीन स्त्री रोग विशेषज्ञों के साथ कुशल प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ अपनी सेवाएं देते हैं। यहाँ आधुनिक सुविधाओं से युक्त प्रसव कक्ष स्थापित है। प्रसव के बाद नवजात शिशु के देखभाल हेतु विशेष एस.एन.सी.यू. भी स्थापित है। उक्त कुल प्रसव में 161 बच्चों को उक्त एस.एन.सी.यू. में भर्ती कर उनकी विशेष देखभाल भी की गई।

    ग्राम खैरा से माह सितंबर में अपनी 23 वर्षीय पत्नी को प्रसव पीड़ा पर जिला अस्पताल लेकर आएं नोहर पटेल ने बताया कि अस्पताल में आने पर उन्हे बताया गया कि फीटल डिस्ट्रेस की स्थिति है जिसमें भ्रुण तक ऑक्सीजन पहुँचने में दिक्कत होती है और बच्चे की धड़कन बढ़ती है। ऐसे में ऑपेरशन के माध्यम से प्रसव हुआ जिसमें मां और बच्चे दोनों ही स्वस्थ हैं। इसी प्रकार प्रोलांग लेबर (देर तक प्रसव पीड़ा) की स्थिति में आये हुए गिरौदपुरी के पास स्थित ग्राम खोसड़ा के रहने वाले महेंद्र पैकरा ने बताया कि 28 वर्षीय उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा काफी देर से हो रही थी जिस कारण जिला अस्पताल लेकर आया तथा यहाँ ऑपेरशन के माध्यम से प्रसव हुआ। अस्पताल में दवाई और अन्य सुविधाएं निःशुल्क प्राप्त हुई। इस प्रकार के ऑपेरशन का निजी अस्पताल में काफी पैसा खर्च होता, जो बच गया।
    मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बलौदाबाजार डॉ. राजेश कुमार अवस्थी के अनुसार जिला अस्पताल एन.क्यू.ए.एस. प्रमाण पत्र धारी संस्था है। यह प्रमाण पत्र उच्च गुणवत्त्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करने के कारण राष्ट्रीय स्तर के मूल्यांकन के बाद प्राप्त हुआ है। अस्पताल में प्रसव की इस सुविधा को लगातार बेहतर से और बेहतर करने का प्रयास जारी है, जिससे आम जनता को इसका लाभ प्राप्त हो सके।

  • आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के प्रयासों से दीप्ति और दिव्या हुई सुपोषित

    आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के प्रयासों से दीप्ति और दिव्या हुई सुपोषित

    महासमुंद  ।

    महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रयासों और एकीकृत बाल विकास परियोजना सरायपाली के आंगनबाड़ी केंद्र केदुवा ब की यह कहानी कुपोषण से जूझते बच्चों के लिए प्रेरणादायक है। इस कहानी में पिता तरुण की दो बेटियां दीप्ति और दिव्या, जो पहले अति गंभीर कुपोषण का शिकार थीं, आज सुपोषित होकर स्वस्थ और निरोगी हो गई हैं।दीप्ति, जिसकी उम्र 2 वर्ष 10 माह थी, का वजन मात्र 9 किलोग्राम और ऊंचाई 85 सेंटीमीटर थी, जबकि दिव्या, जिसकी उम्र 9 माह थी, का वजन 5.7 किलोग्राम और ऊंचाई 67 सेंटीमीटर थी। इन कम वजन और ऊंचाई के कारण दोनों बच्चियों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित हो रहा था। जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा भूख परीक्षण किया गया, तो यह स्पष्ट हुआ कि उन्हें उचित पोषण की सख्त आवश्यकता है।आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने माता-पिता के घर बार-बार जाकर उन्हें समझाने का प्रयास किया, ताकि दोनों बच्चियों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जा सके। कार्यकर्ता के लगातार प्रयासों के बाद, जुलाई 2024 में दोनों बच्चियों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया। वहाँ 15 दिन तक शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की सतत निगरानी में रहकर, उन्हें पोषण युक्त भोजन, रेडी-टू-इट खाद्य पदार्थ, और घर में तैयार पोषक तत्वों से भरपूर आहार दिया गया। सतत निगरानी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियमित गृह भेंट से आज दीप्ति का वजन 10.9 किलोग्राम और ऊंचाई 88 सेंटीमीटर हो गया है, जबकि दिव्या का वजन 7.4 किलोग्राम और ऊंचाई 72 सेंटीमीटर है। अब दोनों बेटियों के माता-पिता उनके सुपोषित होने से बहुत खुश हैं और महिला एवं बाल विकास विभाग का आभार व्यक्त करते हैं।

  • मुख्यमंत्री साय के हाथो दिव्यांगजनों को मिला निःशुल्क बस पास

    मुख्यमंत्री साय के हाथो दिव्यांगजनों को मिला निःशुल्क बस पास

      रायपुर ।

    दिव्यांग जनों के जीवन को आसान और सुखमय बनाने मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय ने जशपुर के ग्राम बगिया में 07 दिव्यांगों को निःशुल्क बस पास वितरित कर उन्हें शॉल, श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया।कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने दिव्यांग लक्ष्मी बाई, विकास नायक, तिजनु राम, देव कुमार चौहान, संध्या सिदार, सोनम सिदार, सुशीला तिग्गा, सुशीला बाई नायक, पूजा नारंगे सहित वरिष्ठ नागरिकों को निःशुल्क बस पास वितरित किए। पहली बार सिकलसेल से पीड़ित 18 वर्षीय सोनम सिदार एवं 08 वर्षीय बालक देव कुमार चौहान को भी बस पास प्रदान किया गया।उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ शासन समाज कल्याण विभाग द्वारा दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 के तहत ‘दिव्यांगजन निःशुल्क बस-यात्रा पास’ का प्रावधान किया गया है। जिसमें परिवहन विभाग के समन्वय से दिव्यांगजनों के लिए निःशुल्क बस-यात्रा पास तथा रेल यात्रा हेतु रियायत प्रमाण पत्र बनाये जाते हैं।

    दिव्यांगजनों की दिक्कतें हुई दूर सिकलसेल बीमारी से ग्रसित चराईडांड निवासी सोनम सिदार ने कहा कि उन्हें ईलाज के लिए बार बार जशपुर या अन्य बड़े शहरों में इलाज के लिए जाना पड़ता था। निःशुल्क बस पास मिल जाने से उनके आने जाने के खर्च की दिक्कत खत्म हो जाएगी और उनकी पढ़ाई भी नियमित रूप से हो सकेगी। अस्थिबाधित दिव्यांग विकास नायक ने कहा कि पहले वे कहीं आने जाने में दिक्कत महसूस करते थे। ऐसे में निःशुल्क बस पास मिलने से ना सिर्फ राज्य अपितु दूसरे राज्य में भी आना जाना कर सकेंगे। उन्होंने निःशुल्क बस पास के लिए मुख्यमंत्री  साय का आभार व्यक्त किया।