जांजगीर-चांपा / कोरोना काल की महामारी के बीच जब लोगो की नौकरियां जा रही थी तब परम कुर्रे ने खेती किसानी का दामन थामा। उन्होंने कृषि विभाग की केन्द्र एवं राज्य प्रवर्तित योजनाओं का लाभ लेकर न केवल पामगढ़ बल्कि जिले के आस पास क्षेत्र में उन्नतशील किसान के रूप में पहचान बनाई। 11 एकड़ की जमीन पर वह विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन करते हुए अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने कृषि के साथ ही उद्यानिकी, पशुपालन एवं मछली पालन के क्षेत्र में हाथ अजमाए और इसमें भी वह सफल हुए।
जांजगीर-चांपा जिले के विकासखंड पामगढ़ के अंतर्गत ग्राम पंचायत राहौद के रहने वाले उच्चशिक्षित परम कुमार कुर्रे जिन्हें उन्नतशील किसान के रूप में पहचना जाता है। लेकिन आज से चार साल पहले उन्हें कोई नही जानता था। वह शिक्षकीय कार्य में प्राइवेट सेवा देकर अपनी जिन्दगी की गाड़ी को आगे बढ़ा रहे थे कि इसी दौरान कोरोना काल जैसा समय आया जब उन जैसे कार्य करने वालों को घर पर बैठना पड़ा। यही वह समय था जब उनके जीवन में नया बदलाव आया। उन्होंने अपने परिवार के साथ मिलकर गांव में खेती हर जमीन को अच्छी पैदावार के लिए तैयार किया और जांजगीर सहित रायपुर के कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से प्रशिक्षण लेकर बेहतर कार्य करने की कृषि प्रणाली को सीखा। यह प्रशिक्षण परम कुर्रे के लिए बहुत कारगर सिद्ध हुआ। परम कुर्रे बताते है कि कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मछलीपालन के कार्यों से जुड़कर वह अच्छी खासी आमदनी अर्जित कर रहें हैं। लगभग उन्हें 10 से 12 लाख रूपए की आमदनी हो रही है और वह गांव के उन्नतशील किसान बनकर उभरे हैं।
वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एनके दिनकर ने बताया कि ग्राम राहौद के कृषक परम कुमर कुर्रे को आत्मा योजनांतर्गत कृषि विभाग से समन्वित कृषि प्रणाली विषय पर प्रशिक्षण दिया गया तथा कृषि भूमि समन्वित कृषि प्रणाली अपनाकर खेती प्रारंभ कराया गया। जिसमें 2.5 हेक्टेयर भूमि पर कृषि संबंधी गतिविधियां खरीफ में धान, रबी में चना, मटर एवं सरसों फसल की खेती की करते हुए लागत घटाकर 4 से 5 लाख रू. का लाभ प्राप्त किया। इसी प्रकार 1.5 हे. भूमि में उद्यानिकी की फसल जैसे टमाटर, भिंडी, ,बैंगन, करेला एवं खीरा फसलों की खेती से औसतन लागत घटाकर 3.5 से 4.0 लाख रू. का लाभ हो जाता है, घर मंे 10 साहीवाल नस्ल के गाय है जिससे औसतन 15 से 20 लीटर दूध सालभर मिलता है उससे भी 1 लाख रू. तक लाभ हो जाता है मेरे पास खुद का छोटा तालाब में 0.25 हे. में रोहू कतला मछली का पालन कर अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं।
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कृषि विभाग के साथ मिलकर परम कुर्रे बने उन्नतशील किसान
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विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के लिये 5,180 करोड़ रूपये से अधिक की स्वीकृति
भोपाल,
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रि-परिषद की बैठक मंत्रालय में हुई।मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिये 5 हजार 180 करोड़ रूपये से अधिक की स्वीकृति दी गई। इसमें से 5 हजार 42 करोड़ रूपये की पुनरीक्षित और 137 करोड़ रूपये से अधिक प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। स्वीकृत की गई परियोजनाओं में पन्ना जिले के विकासखंड शाहनगर में 600 करोड़ रूपए के स्थान पर 775 करोड़ रूपए की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। इस योजना के बन जाने से क्षेत्र के 577 ग्राम पेयजल सुविधा से भी लाभान्वित होंगे। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011 में स्वीकृत राशि 261 करोड़ 54 लाख रूपए की लागत से पवई मध्यम सिंचाई परियोजना स्वीकृत की गई थी। सिंचाई क्षेत्र बढ़ने पर वर्ष 2018 में 600 करोड़ रूपए की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई। वर्ष 2011 में सिंचाई क्षेत्र 9 हजार 952 हेक्टेयर था, जो 2018 में बढ़कर 19 हजार 534 हेक्टेयर हुआ और अब बढ़कर 25 हजार 820 हेक्टेयर हो गया है।
इसी प्रकार बुरहानपुर जिले के विकासखंड बुरहानपुर में सिंचाई क्षेत्र बढ़ने से 144 करोड़ 72 लाख रूपए की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। वर्ष 2017 में राशि 104 करोड़ 45 लाख रूपए की लागत से यह सिंचाई परियोजना स्वीकृत की गई थी। तत्समय 2310 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र परियोजना में शामिल था, जो कि अब बढ़कर 3750 हेक्टेयर क्षेत्र हो चुका है।
साथ ही सागर जिले की बण्डा तहसील में सिंचित भूमि बढ़ने, डूब क्षेत्र में परिवारों की संख्या में वृद्धि होने से भू-अर्जन की लागत में वृद्धि होने एवं विद्युत खपत में वृद्धि होने से 3 हजार 219 करोड़ 62 लाख करोड़ रूपए की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है। वर्ष 2022 में राशि 26 करोड़ 54 लाख रूपए की लागत से यह सिंचाई परियोजना स्वीकृत की गई थी। परियोजना में 28 ग्रामों की 4 हजार 646 हेक्टेयर से अधिक भूमि प्रभावित हो रही है और 4 हजार से अधिक परिवारों का विस्थापन होना है। इस योजना के बन जाने से क्षेत्र के 313 ग्राम लाभान्वित होंगे।
इसी तरह सतना जिले के विकासखंड रामनगर में सिंचाई क्षेत्र बढ़ने से 53 करोड़ 69 लाख रूपए की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। इस योजना के बन जाने से क्षेत्र के 26 ग्राम लाभान्वित होंगे। वर्ष 2018 में राशि 36 करोड़ 17 लाख रूपए की लागत से यह सिंचाई परियोजना स्वीकृत की गई थी। तत्समय 2600 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र परियोजना में शामिल था, जो अब बढ़कर 3961 हेक्टेयर क्षेत्र हो चुका है।
इसके साथ विदिशा जिले के विकासखंड लटेरी में सिंचाई क्षेत्र बढ़ने से 627 करोड़ 45 लाख रूपए की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। वर्ष 2016 में राशि 383 करोड़ 15 लाख रूपए की लागत से यह सिंचाई परियोजना स्वीकृत की गई थी। तत्समय 9,990 हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र परियोजना में शामिल था, जो अब बढ़कर 12 हजार 814 हेक्टेयर क्षेत्र हो चुका है। पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना की लागत में भी वृद्धि हुई है।
इसी प्रकार सीहोर जिले की जावर तहसील में सिंचाई क्षेत्र बढ़ने से 222 करोड़ 3 लाख रूपये लागत की कान्याखेडी मध्यम सिंचाई परियोजना (सैंच्य क्षेत्र 4605 हेक्टेयर) की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है। वर्ष 2018 में राशि 102 करोड़ 71 लाख रूपए की लागत से यह सिंचाई परियोजना स्वीकृत की गई थी। ततसमय 7 ग्रामों का 2400 हेक्टेयर क्षेत्र परियोजना में शामिल था, जो कि अब बढ़कर 11 ग्रामों का 3800 हेक्टेयर क्षेत्र हो चुका है।
मंत्रि-परिषद द्वारा बुरहानपुर जिले में 137 करोड़ 77 लाख रूपये लागत की छोटी उतावली मध्यम सिंचाई परियोजना (सैंच्य क्षेत्र 4000 हेक्टेयर) की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई है। परियोजना से दबाव युक्त (होज) पद्धति से बुरहानपुर तहसील के 9 ग्रामों को सिंचाई सुविधा का लाभ प्राप्त होगा।
डायल-100 योजना के निरंतर संचालन के लिए 69 करोड़ 48 लाख की स्वीकृति
मंत्रि-परिषद द्वारा केन्द्रीकृत पुलिस कॉल सेंटर एवं नियंत्रण कक्ष तंत्र (डायल-100) योजना के निरंतर संचालन के लिए अनुबंधित फर्म M/s-BVG India Ltd. की अनुमोदित दरों में 15 प्रतिशत अधिक 6 माह (01 अक्टूबर 2023 से 31 मार्च 2024 तक) के लिये अनुबंधन अवधि में वृद्धि अथवा नवीन निविदा उपरांत चयनित निविदाकार द्वारा डायल-100 सेवा के संचालन का कार्य प्रारंभ करने की तिथि तक, जो भी अवधि कम हो तक की वृद्धि के लिये अनुमानित लागत 69 करोड़ 48 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की गयी।
CITIIS 2.0 के अंतर्गत मध्यप्रदेश की स्मार्ट सिटी को प्रारंभिक रूप से चयन प्रक्रिया में शामिल होने एवं योजना के क्रियान्वयन की स्वीकृति
मंत्रि-परिषद द्वारा भारत सरकार द्वारा क्रियान्वित CITIIS 2.0 के अंतर्गत मध्यप्रदेश की स्मार्ट सिटी को प्रारंभिक रूप से चयन प्रक्रिया में शामिल होने एवं योजना के क्रियान्वयन की स्वीकृति दी गई। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा CITIIS 2.0 का प्रारंभ 16 नवम्बर 2023 को किया गया। योजना का उददेश्य जलवायु संवेदनशील योजना एवं क्रियान्वयन को बढ़ावा देना तथा शहरी जलवायु के क्रियान्वयन के लिए निवेश को प्रेरित करना, संस्थागत तंत्र का निर्माण, भागीदारी प्रोत्साहन एवं क्षमतावर्धन है। योजना में 100 स्मार्ट सिटीज के मध्य चैलेंज के माध्यम से 18 स्मार्ट सिटी शहरों का चयन किया जाना है। इसके अंतर्गत राज्य की सात स्मार्ट सिटी को प्रारंभिक रूप से चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया है।
म.प्र. पंचायत सेवा नियम 2011 में अनुकंपा नियुक्ति के संशोधन की स्वीकृति
मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश पंचायत सेवा (ग्राम पंचायत सचिव भर्ती और सेवा की शर्तें) यम, 2011 में अनुकंपा नियुक्ति के संशोधन नियम-5-क को अंतःस्थापित करने की स्वीकृति दी गई। स्वीकृति अनुसार जिस जिला पंचायत के अंतर्गत ग्राम पंचायत सचिव सेवारत था, उस जिला पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायतों में संबंधित प्रवर्ग का पद रिक्त न होने की स्थिति में अन्य जिले में जहां संबंधित प्रवर्ग में ग्राम पंचायत सचिव का पद रिक्त हो, पात्रता अनुसार नियुक्ति दी जा सकेगी। इस संबंध में पंचायत राज संचालनालय द्वारा ग्राम पंचायत सचिव के रिक्त पद वाली जिला पंचायत को संबंधित का आवेदन प्रेषित किया जायेगा।
राज्य राजमार्गों के उन्नयन के लिये 5 हजार 812 करोड़ रूपये की परियोजना की स्वीकृति
मंत्रि-परिषद द्वारा न्यू डेव्हलपमेंट बैंक की सहायता से म.प्र. में राज्य राजमार्गों के उन्नयन के लिये 5 हजार 812 करोड़ रूपये की परियोजना की स्वीकृति दी। परियोजना के लिए 4 हजार 68 करोड़ रूपये का ऋण न्यू डेव्हलपमेंट बैंक द्वारा प्रदाय किया जायेगा एवं शेष 1 हजार 744 करोड़ रूपये राज्य शासन द्वारा वहन किया जायेगा। योजनांतर्गत प्रदेश में लगभग 884.63 कि.मी. राज्य राजमार्गों/मुख्य जिला मार्गों का विकास 2-लेन मय पेव्हड शोल्डर/4-लेन में इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एण्ड कंसस्ट्रक्शन (ई.पी.सी.) मॉडल पर किया जावेगा। परियोजना के क्रियान्वयन के फलस्वरूप नागरिकों को अच्छी गुणवत्ता की सुरक्षित सड़कों पर आवागमन की सुविधा प्राप्त होगी। प्रदेश में सड़कों के विकास के लिए मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम एवं लोक निर्माण विभाग द्वारा पूर्व में एनडीबी परियोजना अंतर्गत लगभग 3500 किमी सड़कों एवं 350 पुलों के निर्माण का कार्य किया गया हैं।
शहडोल में 14.50 किमी रिंग रोड के निर्माण के लिये 81 करोड़ रूपये की स्वीकृति
मंत्रि-परिषद द्वारा शहडोल जिले के नगर ब्यौहारी के लिए प्रथम चरण मे 14.50 किमी रिंग रोड निर्माण के लिये 81 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई। ब्यौहारी नगर में 27 किमी लंबाई का रिंग रोड 147.46 करोड़ रूपए की लागत से निर्मित किया जाना है। परियोजना परीक्षण समिति द्वारा प्रथम चरण में 14.50 किमी के निर्माण के लिए 81 करोड़ रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति जारी करने की अनुशंसा की है। इस रोड के बन जाने से शहर में यातायात का दबाव कम होगा, सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी और लम्बी दूरी के भारी वाहन नगर के बाहर से ही निकल सकेंगे। साथ ही रीवा, सीधी, कटनी, उमरिया, शहडोल जिलों के मार्ग, नगर के बाहर आपस में जुड़ सकेंगे।
जबलपुर में उच्चस्तरीय झूंला पुल के निर्माण के लिये 177 करोड़ 12 लाख रूपये से अधिक की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति
मंत्रि-परिषद द्वारा जबलपुर से लम्हेटा के मध्य नर्मदा नदी पर पहुंच मार्ग सहित उच्चस्तरीय झूला पुल (केबल स्टे) के निर्माण के लिये लागत राशि 177 करोड़ 12 लाख 97 हजार रूपये की पुनरीक्षित प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। वर्ष 2018 में जबलपुर से लम्हेटा के बीच नर्मदा नदी पर पहुंच मार्ग सहित झूला पुल के निर्माण के लिए 49 करोड़ 73 लाख रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई थी। तकनीकी कारणों से परियोजना की लागत बढ़कर 177 करोड़ 13 लाख रूपये हो गई है। इसके निर्माण से 18 गांव के 45 हजार जनसंख्या और पर्यटकों को सुगमता होगी। पंचक्रोशी यात्रा के 5 से 10 लाख श्रद्धालुओं को घूमकर या नाव से नदी पार करके नहीं जाना पड़ेगा तथा वर्षाकाल में आवागमन में किसी प्रकार का अवरोध भी नहीं आएगा।
नीमच में बायपास निर्माण के लिये 111 करोड़ रूपये अधिक की स्वीकृति
मंत्रि-परिषद द्वारा नीमच जिले में 111 करोड़ 67 लाख रूपये की लागत से बनने वाले नीमच बायपास व्हाया जयसिंहपुरा बघराना नयागांव मार्ग लंबाई 21.20 कि.मी. के निर्माण के लिये प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। इस बायपास के बन जाने से मंदसौर तथा चितौडगढ़ की तरफ से यातायात एवं नीमच के जीरन /चीताखेडा क्षेत्र से आने वाले यातायात को मंदी में तथा राजस्थान के छोटी सादडी /बाँसवाड़ा आने-जाने में सुविधा मिलेगी। शहर का आन्तरिक यातायात भी सुगम बनेगा।
अशोकनगर में करीला माता मंदिर तक सड़क निर्माण के लिये 134 करोड़ रूपये की स्वीकृति
अशोकनगर जिले में शाढ़ौरा (एस.एच.-20) से करीला माता मंदिर (बेलई करीला मुख्य जिला मार्ग) व्हाया बामोरी ताल, ककरुआ राय, पिपरिया राय, कचनार, झितिया, करैया बुदधू, राजपुर, फतेहपुर, खिरिया, हरिपुर चक्क, पीपलखेडा, दंगलिया, जमुनिया मार्ग लंबाई 54.40 कि.मी. के निर्माण के लिए राशि रूपए 134.43 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। इस मार्ग के बन जाने से करीला जानकी माता मंदिर आने वाले लगभग 25 लाख श्रद्धालु लाभांवित होंगे। राजस्थान और प्रदेश के अन्य स्थानों से आने वाले श्रद्धालु कम समय में करीलाधाम पहुँच सकेंगे।
उज्जैन-जावरा के मध्य 4-लेन ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड हाईवे निर्माण के लिये 5 हजार 17 करोड़ 22 लाख रूपए की स्वीकृति
मंत्रि-परिषद द्वारा उज्जैन शहर को जावरा स्थित एक्सप्रेस-वे इंटरचेंज से जोड़ने के लिये 102.80 किमी लम्बे ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड हाइवे के निर्माण की स्वीकृति दी है। इस परियोजना का निर्माण पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप हाइब्रिड एनयूटी आधार पर होगा। परियोजना की लागत 5 हजार 17 करोड़ 22 लाख रूपए है। परियोजना पर 17 वर्षों में कुल व्यय 5 हजार 17 करोड़ 22 लाख रूपए में से 557 करोड़ रूपए का भुगतान सड़क विकास निगम और 4460 करोड़ रूपए का भुगतान राज्य बजट से किया जायेगा। इस मार्ग पर 7 बड़े पुल, 26 छोटे पुल, 270 पुलिया, 5 फ्लाई ओवर, 2 रेलवे ओवरब्रिज बनाये जाएंगे। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा दिल्ली एवं मुम्बई के मध्य 8 लेन एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है। इस राजमार्ग की 247 कि.मी. लम्बाई राज्य के मंदसौर, रतलाम एवं झाबुआ जिलों से गुजरता है। एक्सप्रेस-वे के इस भाग में 7 स्थानों पर एक्सप्रेस-वे से जुडने के लिये इंटरचेंज दिये गये हैं। इनमें से एक इंटरचेंज जावरा के पास भूतेड़ा पर स्थित है। क्षेत्र के औद्योगिक विकास एवं अर्थव्यवस्था में गुणात्मक सुधार को दृष्टिगत रखते हुये उज्जैन शहर को जावरा स्थित एक्सप्रेस-वे इंटरचेंज से जोड़ने के लिये यह निर्णय लिया गया है।
म.प्र. राज्य न्यायिक अकादमी के नवीन भवन निर्माण के लिये 485 करोड़ रूपये से अधिक की स्वीकृति
मंत्रि-परिषद द्वारा जबलपुर के ग्राम मंगेली बरेला बायपास रोड़ स्थित मध्यप्रदेश राज्य न्यायिक अकादमी के लिये नवीन भवन निर्माण की योजना कुल लागत 485 करोड़ 84 लाख रूपये की स्वीकृति दी। वर्तमान में मध्यप्रदेश में न्यायिक अधिकारियों के स्वीकृत पदों की संख्या 2044 तथा कार्यरत न्यायिक अधिकारियों की संख्या 1847 है। इस प्रकार प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में न्यायिक अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किये जाते हैं। इस दौरान न्यायाधीशगण को अकादमी के परिसर में ही रहकर अपना प्रशिक्षण प्राप्त करना होता है। इसके अतिरिक्त राज्य न्यायिक अकादमी तहसील स्तर एवं जिला स्तर पर अधिवक्तागण को भी प्रशिक्षण प्रदान करती है तथा अन्य विभागों के अधिकारी जिनकी न्यायिक प्रणाली में भागीदारी आवश्यक होती है जैसे अभियोजन अधिकारी, पुलिस/अन्वेषणकर्ता अधिकारी, राजस्व अधिकारी, बाल कल्याण अधिकारी, वन संरक्षक की संबंधित अधिनियम और न्यायिक प्रणाली के संबंध में संवेदनशीलता को बढ़ाने के लिये प्रशिक्षण सत्र आयोजित करती है। वर्तमान में राज्य न्यायिक अकादमी का भवन अत्यंत छोटा कार्यरत न्यायिक अधिकारियों की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए उक्त भवन पर्याप्त नहीं है। इसलिये नवीन भवन निर्माण की स्वीकृति दी गई है।
प्रदेश में पीपीपी मोड पर चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना की स्वीकृति
मंत्रि-परिषद द्वारा प्रदेश में चिकित्सा महाविद्यालयों को पीपीपी मोड पर स्थापित करने की स्वीकृति दी। उक्त निर्णय से जिले में चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना होने से जिले के मरीजों को तृतीयक स्तर की सेवाएं उपलब्ध हो सकेंगी। स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए मानव संसाधन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये एवं जिला अस्पतालों का उन्नयन करके मरीजों को उच्चतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदाय करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है।
अन्य निर्णय
मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश शैक्षणिक सेवा (महाविद्यालयीन शाखा) भर्ती नियम, 1990 अंतर्गत कार्यरत सीधी भर्ती/पदोन्नत/पदनामित प्राध्यापकों को यू.जी.सी. छठवें वेतनमान में 1 जनवरी 2006 से रुपये 37400-67000+ए.जी.पी. 10 हजार रूपये का वेतनमान देने की स्वीकृति प्रदाय की गई है। साथ ही 14 सितम्बर 2012 के विभागीय आदेश को संशोधित करने तथा 19 मार्च 2013 के विभागीय आदेश को निरस्त करने के लिये उच्च शिक्षा विभाग को अधिकृत किया गया है
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दिल्ली किसान महापंचायत में शामिल होंगे छत्तीसगढ़ के किसान
रायपुर/ भारतीय किसान यूनियन छत्तीसगढ़ के सक्रिय कार्यकर्ताओं का बैठक प्रदेश अध्यक्ष संजय पंत की अध्यक्षता एवं प्रदेश प्रभारी प्रवीण क्रांति की उपस्थिति में टाटीबंध रायपुर में सम्पन्न हुआ बैठक का संचालन प्रदेश महासचिव तेजराम विद्रोही ने किया।
उक्त आशय की जानकारी देते हुए भारतीय किसान यूनियन छत्तीसगढ़ के महासचिव तेजराम विद्रोही ने बताया कि बैठक में किसान आंदोलन की राष्ट्रीय एवं राज्य की परिस्थितियों के ऊपर चर्चा किया गया साथ ही राज्य में सांगठनिक विकास के 30 अप्रैल तक सदस्यता अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के देशव्यापी आह्वान पर 14 मार्च 2024 को दिल्ली के रामलीला मैदान में एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए आयोजित होने वाली किसान महापंचायत में छत्तीसगढ़ से भारतीय किसान यूनियन के करीब दो सौ कार्यकर्ता भाग लेने का निर्णय लिया गया है। सभी किसानों को सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी मिल सके इसके ऊपर जारी आंदोलन पर केंद्र सरकार द्वारा फैलाये जा रहे भ्रम पर किसानों ने कहा कि
भारत सरकार केवल 23 फसलों के लिए एमएसपी प्रदान करती है और इस मूल्य पर खरीद की गारंटी नहीं करती है। गेहूं और धान के लिए पंजाब, हरियाणा, म.प्र. और उ.प्र. में कुछ मंडियां मौजूद हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में धान की कुछ सरकारी खरीद होती। भारतीय कपास प्राधिकरण द्वारा विभिन्न प्रकार से कपास की खरीद की जाती है। सरकारी तौल केंद्रों के माध्यम से मिलों में बिक्री से गन्ने की कीमत का आश्वस्त की जाती है। नाफेड कुछ दालें खरीदता है। खरीद एक समान नहीं है, उदाहरण के लिए, सरकार अपने गेहूं का 70% केवल पंजाब और म.प्र. से खरीदती है जो पंजाब के उत्पादन का 70% और म.प्र. के उत्पादन का 35% है, लेकिन उ.प्र. के उत्पादन का केवल 15% सरकार द्वारा खरीदा जाता है।
इसका नतीजा यह हुआ कि धान का एमएसपी जो 2023 में 2183 रुपये प्रति क्विंटल था, बिहार और पूर्वी उ.प्र. में व्यापारियों द्वारा 1200 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत तक खरीदा गया, क्योंकि वहां कोई सरकारी खरीद नहीं है। इसी तरह, 2023-24 के लिए गेहूं का एमएसपी 2125 रुपये था, और कई क्षेत्रों में 1800 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा गया था। इसके अलावा 2 साल पहले मक्के का एमएसपी 1900 रुपये प्रति क्विंटल था और 1100 रुपये प्रति क्विंटल पर बिका। कीमत में यह गिरावट इसलिए आती है क्योंकि खरीद की कोई गारंटी नहीं है। एमएसपी बाजार में मौलिक दर निर्धारित कर देता है और कॉर्पोरेट व्यापारिक कंपनियों से जुड़े बिचौलिए बाजार पर राज करते हैं क्योंकि किसानों के पास रखने और भंडारण करने की क्षमता नहीं होती है, जिससे उन्हें औने पौने दाम पर अपनी उपज बिक्री करनी पड़ती है।
स्वामीनाथन फार्मूले के अनुसार सी – 2+50% का न्यूनतम समर्थन मूल्य:भाजपा 2014 में किए गए अपने चुनावी वादे से पीछे हटकर किसानों को धोखा दे रही है। 2023-24 के लिए घोषित गेहूं और धान का एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्विंटल और 2183 रुपये प्रति क्विंटल था। क्रमशः इसकी गणना ए – 2 + एफ एल लागत पर की गई थी। ए – 2 भुगतान लागत है, यानी, किसान बीज और सिंचाई सहित अन्य लागत के लिए कितना भुगतान करता है। एफ एल प्रति सीजन केवल 8 दिनों के काम के लिए पारिवारिक श्रम की अनुमानित लागत है। सी – 2, ये व्यापक लागत है जिसमें भूमि किराया, ट्रैक्टर सहित कृषि उपकरणों का मूल्यह्रास, पूर्ण श्रम लागत और निवेशित पूंजी पर ब्याज भी शामिल करता है। आम तौर पर कहें तो इससे लागत में लगभग 25-30% का इजाफा हो जाएगा। सी – 2+50% पर घोषित एमएसपी तदनुसार बढ़ जाएगा। छत्तीसगढ़ में जब मोदी की गारंटी के नाम पर जब छत्तीसगढ़ में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3100 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदी का गारंटी देता है तब इसे पूरे भारत मे लागू क्यों नहीं करता।
बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्णा नरवाल, प्रदेश सह सचिव कमलसिंह कुशवाहा, अम्बिकापुर जिला अध्यक्ष परमानंद तिर्की, बीजापुर जिला अध्यक्ष धन्नूर सम्बईय्या, कोंडागांव जिला मीडिया प्रभारी रामपत कश्यप, जगदलपुर जिला अध्यक्ष शुभमसिंह, सुकमा जिला अध्यक्ष सुदामा नाग, गरियाबंद जिला संयोजक मदनलाल साहू, नारायणपुर जिला अध्यक्ष रुबजी सलाम, दंतेवाडा जिला अध्यक्ष जयराम कश्यप, रायपुर जिला संयोजक यूसुफ खान सहित सक्रिय कार्यकर्ता भाग लिए। -
कृषि विश्वविद्यालय के प्रयासों से छुईखदान के देशी कपूरी पान को मिली पहचान
रायपुर,। छत्तीसगढ़ में पान की खेती के लिये प्रसिद्ध राजनांदगांव जिले के छुईखदान में देशी कपूरी पान को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने एक नई पहचान दिलाई है। इंदिरा गांधी कृषि विश्विद्यालय के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में पान की खेती करने वाले छुईखदान के ग्राम धारा के किसान बन्टू राम महोबिया को पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण द्वारा कृषक किस्म “छूईखदान देशी कपूरी पान” के नाम से पंजीकृत कर नौ वर्षों तक इस किस्म के उत्पादन, विक्रय, विपणन, वितरण, आयात एवं निर्यात करने का एकाधिकार दिया गया है। इस प्रमाणपत्र के माध्यम से भारत सरकार श्री महोबिया को भारत में कहीं भी अपनी पंजीकृत किस्म का विपणन करने का विशेष लाइसेन्स प्रदान किया गया है। बन्टू राम महोबिया छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जिले के ग्राम धारा के निवासी है। कई दशकों से ये परंपरागत तरीके से देशी कपूरी पान की खेती करते आ रहे है। इस पान का परीक्षण कलकत्ता और बैगलोर में स्थित DSU सेंटर में किया गया है। भारत में पंजीकृत यह पहली पान की किस्म है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में कपूरी पान का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। वर्षों से यह पान डोंगरगढ़ की बम्लेश्वरी माता को अर्पित किया गया है। सांस्कृतिक महत्व के अलावा कपूरी पान के अन्य कई लाभ भी है। अनुसंधान के अनुसार, यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है और पाचन संबंधी समस्याओं में भी मददगार साबित होता है। साथ ही, यह अनेक गंभीर बीमारियों के जोखिम को भी कम करने में मदद करता है। कपूरी पान का सेवन गर्मियों में किया जाता है जिससे शरीर में शीतलता की अनुभूति होती है। कपूरी देशी पान की पत्तियां पीले हरे रंग की दीर्घ वृत्ताकार, डंठल की लंबाई 6.94 से.मी. डंठल की मोटाई 1.69 से.मी., पत्ती की लंबाई 9.70 से.मी. तथा चैड़ाई 6.64 से.मी. पत्ती क्षेत्र सूचकांक 3.94 से.मी. पत्ती का वजन 12.84 ग्रा. तथा पत्तियों की उपज 80-85 प्रति पौध है। कपूरी पान के पंजीयन करने में डॉ. नितिन रस्तोगी, डॉ.एलिस तिरकी, डाॅ. आरती गुहे, डाॅ. बी.एस. असाटी एवं डॉ. अविनाश गुप्ता की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. गिरीश चंदेल और निदेशक अनुसंधान डॉ. विवेक त्रिपाठी के कुशल नेतृत्व में यह कार्य सम्पन्न हो सका।
बन्टू राम महोबिया का परिवार बीते 100 वर्षों से पान की इस दुर्लभ किस्म का उत्पादन और संवर्धन का कार्य कर रहे है। छुईखदान का जलवायु और यहां की सफेद मिट्टी पान की इस किस्म के लिए उपयुक्त है। पान की खेती में लागत बढ़ने और कई तरह की बीमारी आने के चलते यहां खेती सिमट गई। 30 ये 35 साल पहले छुईखदान का पान देशभर में प्रसिद्ध था। पहले छुईखदान के पान की इलाहाबाद, वाराणसी, कलकत्ता, मंबई समेत भारत के कई बड़े शहरों में सीधे सप्लाई होती थी। विशेषकर वाराणसी में छुईखदान का पान नाम से ही बिकता था। पर धीरे-धीरे खेती का रकबा कम होते ही पहचान खोने लगी। अब देशी कपूरी पान को प्राप्त यह पंजीयन भारत मे इस किस्म की ख्याति को पुनः प्राप्त करेगा और फिर से छुईखदान में पान की खेती लहलहाएगी।उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने पौधों के किस्मों के संरक्षण, किसानों और पौधा प्रजनकों के अधिकारों की रक्षा, और पौधों की नई किस्मों को बढ़ावा देने के लिए “पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण (पी.वी.वी.एफ.आर.ए.) अधिनियम, 2001” को भारत में लागू किया। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. दीपक शर्मा विगत 2012 से पी.पी.वी.एफ.आर.ए. के नोडल अधिकारी के रूप में कृषकों की प्रजातियों के पंजीयन के कार्य कर रहे हैं। इनके प्रयासो के परिणाम स्वरूप छत्तीसगढ़ के 2 कृषक समूह और 19 किसानों को पी.पी.वी.एफ.आर.ए. के द्वारा पुरस्कृत किया गया है। अभी तक छत्तीसगढ़ से पौधों के किस्मों के पंजीयन के लिए कुल 1830 आवेदन किए गए है, जिनमें से 462 पंजीयन प्रमाणपत्र जारी किए जा चुके हैं। भारत में पी.पी.वी.एफ.आर.ए. द्वारा पंजीकृत पौधों के किस्मों की सूची में छत्तीसगढ़ वर्तमान में दूसरे स्थान पर है, हालांकि, लंबित पंजीकरण प्रमणपत्र जारी होने पर छत्तीसगढ़ शीर्ष स्थान प्राप्त कर लेगा।
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प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न
टीकमगढ़,
कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ द्वारा प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय (20-21 फरवरी 2024) को कृषक प्रशिक्षण ग्राम लुहर्रा एवं लडवारी में आयोजन किया गया। यह कृषक प्रशिक्षण प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. किरार, वैज्ञानिक डॉ. आर. के. प्रजापति, डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. यू.एस. धाकड़, डॉ.सुनील कुमार जाटव, डॉ. आई.डी. सिंह एवं जयपाल छिगारहा द्वारा दिया गया।
डॉ. बी.एस. किरार ने प्रशिक्षण के दौरान प्राकृतिक खेती एवं रासायनिक युक्त खेती में अन्तर को समझाया और वर्तमान में प्राकृतिक खेती की आवश्यकता क्यों पड़ रही है और रासायनिक युक्त खेती का मानव स्वास्थ्य, मिट्टी, जल एवं वायु की गुणवत्ता पर पड़ने वाले दुष्परिणामों से अवगत कराया गया और बताया कि मनुष्य को लंबी आयु एवं स्वस्थ जीवन के लिए प्राकृतिक/जैविक खेती करना नितांत आवश्यक है साथ ही रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशक दवाओं से बचना चाहिए। इसके लिए किसान भाईयों को वर्मीकम्पोस्ट खाद बनाकर अपने खेतों में डालना चाहिए, इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढती है और अपने खेत की मृदा स्वस्थ रहती है।
केंद्र के वैज्ञानिक डॉ.सुनील कुमार जाटव ने प्राकृतिक खेती अंतर्गत फसलों एवं सब्जियों में कीट-व्याधियों के प्रबंधन अंतर्गत अग्नेयास्त्र, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र एवं दशपर्णी आदि का घोल बनाना एवं उनके उपयोग के बारे में विस्तार से बताया। प्रशिक्षणार्थियों को प्राकृतिक खेती के घटकों बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, संजीवक, आच्छादन, अंतरवर्तीय खेती, वाफसा आदि के बनाने की विधि एवं उपयोग का समय व प्रति एकड़ मात्रा के उपयोग के बारे में विस्तार से बताया गया। बीजामृत घोल तैयार कर बीजों का उपचार (संशोधन) करना बहुत जरूरी है। बीजामृत द्वारा शुद्ध बीज जल्दी एवं अच्छी मात्रा में अंकुरित होते हैं और जड़ें तेजी से बढ़ती हैं साथ ही बीज एवं भूमि द्वारा फैलने वाली बीमारियाँ रूकती हैं और पौधे की वृद्धि अच्छी होती है। घन जीवामृत अंतर्गत 100 कि.ग्रा. देशी गाय का गोबर, 1 कि.ग्रा. गुड़, 2 कि.ग्रा. दलहन का आटा (चना, उड़द, मूँग, अरहर), एक मुठ्ठी पीपल/बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी और थोड़ा सा गोमूत्र, आदि पदार्थों को अच्छी तरह से मिलाकर गूँध लें ताकि उसका हलुवा, लड्डू जैसा गाढ़ा बन जाये। उसे 2 दिन तक बोरे से ढककर रखें और थोड़ा पानी छिड़क दें। इस गीले घन जीवामृत को आप छाया या हल्की धूप में अच्छी तरह से फैलाकर सुखा लें। सूखने के बाद इसको लकड़ी से पीटकर बारीक करें और बोरों में भरकर छाया में भण्डारण करें। घन जीवामृत को आप सुखाकर 6 महीने तक रख सकते हैं।
फसल की बुवाई के समय प्रति एकड़ 100 कि.ग्रा. छना हुआ बीज में मिलाकर बुवाई करें। जीवामृत एक एकड़ जमीन के लिए देशी गाय का गोबर 10 कि.ग्रा., देशी गाय का मूत्र 8-10 ली., गुड़ 1-2 कि.ग्रा., बेसन 1-2 कि.ग्रा., पानी 180 ली. और पेड़ के नीचे की 1 कि.ग्रा. मिट्टी, आदि सामग्रियों को एक प्लास्टिक ड्रम में डालकर लकड़ी के एक डण्डे से हिलाकर घोलना चाहिए। इस गोल को 2-3 दिनों तक छाया में सड़ने के लिए रख देना चाहिए। दिन में 2 बार लकड़ी के डण्डे से घड़ी की सुई की दिशा में घोल को 2 मिनट तक घुमाना चाहिए। जीवामृत घोल को सिंचाई के साथ देना चाहिए। डॉ. आई. डी . सिंह ने बताया कि मृदा परीक्षण आवश्य कराये एवं इसकी विधि से अवगत कराया। जिस से फसल में संतुलन जैव उर्वरक दिया जा सके और भूमि को रसायनों से मुक्त किया जा सके । -
कृषि पंप कनेक्शन के साथ कैपेसिटर लगाने की अपील
रायपुर । गर्मी के मौसम में धान और चने की फसल में सिंचाई के लिये एक साथ कृषि पंप चलने से लोड बढ़ गया है। यह समस्या उन क्षेत्रों में गंभीर है जहां पंप कनेक्शनों का घनत्व ज़्यादा है।डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के प्रबंध निदेशक श्री मनोज खरे ने बताया कि बेमेतरा इलाक़े में कृषि पंपों का घनत्व बहुत ज़्यादा हो गया है। प्रत्येक पंप की मोटर इंडक्टिव (क्वाइल से बना) लोड है। जब एक साथ बहुतायत में पंप चलते हैं तो पूरे सिस्टम का लोड असंतुलित होकर बहुत ज़्यादा इंडक्टिव हो जाता है और विद्युत प्रणाली का पॉवर फ़ैक्टर कम हो जाता है। ऐसी स्थिति में ट्रांसफार्मर प्रणाली पर एक तरह की छद्म लोडिंग बढ़ जाती है और वोल्टेज कम हो जाता है।इसके लिये ज़रूरी है कि राज्य शासन द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप प्रयेक किसान अपने पंप पर कैपेसिटर लगाये।इस समस्या के समाधान के लिये छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी अपने स्तर पर हर संभव प्रयास कर रही है जैसे ट्रांसफ़ॉर्मरों की क्षमता वृद्धि, सबस्टेशनों में कैपेसिटर बैंक की स्थापना। साथ ही किसानों से अपने कृषि पंप कनेक्शन में केपिसिटर लगाने की अपील की गई है।दुर्ग जिले के नांदघाट क्षेत्र में ग्रामीणों व्दारा लो वोल्टेज की समस्या को लेकर जानकारी दी गई थी, जिसका निराकरण करने पॉवर कंपनी ने त्वरित प्रयास शुरू कर दिये हैं। कार्यपालक निदेशक (संचारण एवं संधारण) के नेतृत्व एक टीम आज बेमेतरा भेजी गई। टीम ने इस समस्या के निराकरण के लिये त्वरित कार्य आरंभ कर दिया है। क्षेत्र के फेल ट्रांसफ़ॉर्मर तुरंत बदले जाने की व्यवस्था की जा रही है।उन्होंने बताया कि बेमेतरा के नाँदघाट इलाक़े में समस्या सबसे गंभीर है। साथ ही, पहली बार, सुबह के समय शाम से ज़्यादा लोड जा रहा है।पॉवर कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि रबी फसल में प्रमुख रूप से धान लगाये जाने के कारण कृषि पंपों के माध्यम से खेतों में सिंचाई हेतु अधिक मात्रा में पानी के उपयोग होने से आकस्मिक रूप से विद्युत लाईनों एवं ट्रांसफार्मर पर अधिक भार आ गया है, जलस्तर नीचे जाने से पंप ज़्यादा लोड खींच रहे हैं। फलस्वरूप कुछ क्षेत्रों में लो-वोल्टेज की समस्या उत्पन्न हो गई है। अतः समस्त कृषकों से आग्रह है कि अपने स्थापित पंप के स्टार्टर के समीप कैपेसीटर स्थापित करें, ताकि कुछ सीमा तक लो-वोल्टेज की समस्या का निदान हो सके एवं पंप जलने की समस्या से बचा जा सके। यह प्रमाणित तकनीकी उपाय है और इससे समस्या तत्काल काफ़ी हद तक हल हो जाएगी।
बाक्स
पंप की क्षमता – केपिसिटर0 से 3 एचपी तक- 1 केवीएआर
3 से 5 एचपी तक – 2 केवीएआर
5 से 7.50 एचपी तक- 3 केवीएआर
7.50 से 10 एचपी तक- 4 केवीएआर
10 एचपी से 15 एचपी तक- 5 केवीएआर -
प्राकृतिक खेती के जरिए सफलता की नई कहानी लिख रहे महिला किसान
दंतेवाड़ा / प्रकृति की गोद में बसा जिला दंतेवाड़ा में प्राकृतिक रूप से खेती का प्रचलन रहा है जिला अंतर्गत वर्तमान में कृषकों के द्वारा छिड़काव विधि से खेती की जाती है। किन्तु पिछले कुछ समय से कई क्षेत्रों में कृषकों द्वारा कुछ रासायनिक खादों का भी उपयोग देखा जा रहा है। रासायनिक खाद के उपयोग के दुष्परिणामों के प्रभावों को रोकने एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जिला अंतर्गत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, बिहान अंतर्गत पिछले 04 वर्षों से मिशन की महिला किसानों को वैज्ञानिक विधि से खेती के गुण सिखाये जा रहें है इसी तारतम्य में जिले के समुदाय आधारित संहवनीय कृषि उप योजना से जुड़े 03 विकासखंड दंतेवाड़ा, गीदम व कुआकोंडा में कार्यरत 80 से अधिक कृषि मित्रों को प्राकृतिक खेती के संबंध में कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, केवीके, एवं बिहान योजना के मास्टर प्रशिक्षकों के द्वारा प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिला मिशन प्रबंधन इकाई से आजीविका टीम ने बताया कि रासायनिक खाद के उपयोग से उपजे सब्जियों के सेवन से मानव शरीर में बहुत से दुष्प्रभाव पड़ते हैं चूंकि जिला दंतेवाड़ा पूर्ण रूप से जैविक जिला बनने की ओर अग्रसर है मिशन अंतर्गत यह प्रयास किया जा रहा है कि जिले के प्रत्येक महिला किसान प्राकृतिक खेती को अपनाये इसके साथ ही उक्त प्रशिक्षण में मृदा प्रबंधन पर भी जानकारी दिया जा रहा है जिससे किसान अपने मिटटी की उर्वरता को और बढ़ायें और अपने फसल से अच्छी उपज लेकर अपनी आय में वृद्वि करें। प्राकृतिक खेती आज बदलते वक्त की मांग है. यही कारण है कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसान सफलता की नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं और अपने आस-पास के किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं।
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कृषि विज्ञान केन्द्र में कृषक संगोष्ठी का हुआ आयोजन
जांजगीर-चांपा / कलेक्टर आकाश छिकारा के निर्देशन में कृषि विज्ञान केंद्र जांजगीर-चांपा में उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी विभाग द्वारा कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान संगोष्ठी एकीकृत हानिकारक कीट एवं रोग प्रबंधन, उद्यानिकी आदि से संबंधित जानकारी दी गई। कृषक संगोष्ठी में बताया गया कि जिले में बेहतर खेती किसानी के लिए अनुकूल जलवायु के साथ-साथ पर्याप्त प्राकृतिक, मानव संसाधन उपलब्ध है। फसलों की विविधता भी पर्याप्त है। किसान परम्परागत रूप से खेती किसानी की बारिक समझ रखते है। बदलते हुए मौसमीय परिवेश में किसानो को कम पानी मांग वाली नवीनतम किस्मों का चयन करना चाहिए। आजीविका परियोजना के कल्याणकारी कार्यक्रमों से बेहतर ढंग से जुड़कर लाभ लेने के लिये प्रेरित किया। इस अवसर पर कृषि स्थाई समिति के सभापति राजकुमार साहू, सहायक संचालक उद्यान रंजना माखीजा, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केन्द्र डॉ राजीव दीक्षित, वैज्ञानिक डॉ रंजीत मोदी ने संबोधित करते हुए कृषि से संबंधित जानकारी कृषकों को विस्तार से दी। इस दौरान अरविंद कुमार ने भारतीय बीमा कंपनी की गतिविधियों एवं कृषि में बीमा के फायदे के बारे में जानकारी दी। डॉ आशीष प्रधान ने पौधे में होने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम किस तरह से की जाए और फसलों को नष्ट होने से किस तरह से बचाया जा सके इसकी जानकारी कृषकों को दी। चन्द्रशेखर खरे, प्रशांत जेठवा ने सुक्ष्म सिंचाई के बारे में विस्तार से बताया। जिले के उन्नतशील उद्यानिकी से जुड़े कृषकों ने कृषि के क्षेत्र में किये जा रहे नवाचारों को साझा किया। इस दौरान कृषक अनुप कटकवार, परम कुर्रे, अग्रवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में ग्रामीण विस्तार अधिकारी डॉ तरुण केंवट, अर्पणा सिंह सहित संबंधित अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि से खुशहाल हो रहा जगदीश का परिवार
जांजगीर-चांपा / प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। जांजगीर चांपा जिले के अकलतरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम सोनसरी के किसान जगदीश यादव खेतिहर किसान हैं। वे खेती-बाड़ी कर अपने एवं परिवार का जीवन बसर रहे हैं। लेकिन फसल लगाने के लिये अच्छी गुणवत्ता का बीज एवं खाद समय पर न खरीद पाने के कारण भरपूर उपज नहीं ले पाते थे और इस उधेड़बून में अपना जीवन यापन कर रहें थे, कि एक दिन उनके जीवन में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना बहार लेकर आयी और हर चार माह में मिलने वाली राशि ने उनके जीवन में खुशहाली भर दी। योजना के तहत प्राप्त धनराशि से वह अपनी व अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।
किसान जगदीश यादव बताते हैं कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत साल भर में उनके खाते में 6000 रुपये आते है। अब तक उन्हे 15 किस्त रूप में 30 हजार रुपए की राशि मिल चुकी है। जिससे उनको आर्थिक रूप से सहायता मिल रही है। वह इस राशि से उच्च गुणवत्ता के खाद, बीज खरीद रहे है और फसल में लगने वाले कीट रोग की दवाई खरीदकर उसका छिड़काव अपने खेतों में कर रहें है। फसल में कीड़े नहीं लगने के कारण अधिक फसल का उत्पादन हो रहा है। अच्छे उत्पादन होने से उन्हें अच्छी आमदनी भी हो रही है। जिससे उनके घर की आर्थिक सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ है। फसल से होने वाली आय से अपने बच्चों को उच्च शिक्षा देने में खर्च कर रहें है और इसके लिए वह शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना को बधाई दे रहें है।
उप संचालक कृषि ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई योजना है। जिसका उद्देश्य प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए तक की न्यूनतम सहायता प्रदान करना है। सभी छोटे और सीमांत किसानों को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए पीएम किसान योजना के तहत वित्तीय लाभ के रूप में प्रदान किये जा रहें हैं। सभी कृषि भूमि धारक किसान परिवारों को 6 हजार रुपए प्रतिवर्ष राशि 2 हजार रुपए की तीन सामान किस्तों में प्रदान किया जाता है।
स/क्र 01 -
किसान आंदोलन पर दमन के खिलाफ किसानों ने किया प्रदर्शन
रायपुर, 28 फरवरी 2024 / दिल्ली सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन पर दमन के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा छत्तीसगढ़ के घटक संगठनों ने देशव्यापी आह्वान पर राजधानी रायपुर में डॉ भीमराव अंबेडकर प्रतिमा के पास प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है।ज्ञापन में किसानों ने कहा कि किसान आंदोलन ने पिछले बार सैकड़ो किसानों की कुर्बानी दी है, उस वक्त केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बड़े जोर शोर से प्रचार किया था कि ये कृषि कानून किसानों के हित में है, किसानों के राष्ट्रव्यापी विरोध के कारण सरकार ने जन विरोधी तीन कृषि कानून को वापस ले लिया और किसानों की शेष मांगो को पूरा करने के लिए एक कमिटी बनाया लेकिन दो साल गुजर जाने के बाद भी एक मांग पूरा नहीं हुआ, तब किसानों ने मजबूर होकर दिल्ली कुच करने का फैसला लिया तब केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए दुश्मन देश की सेना जैसी व्यवहार करना शुरू कर दिया है,अब तक 05 किसानों की मृत्यु हो चुका है।हजारो लोग जख्मी है, शम्भू बॉडर एवं दिल्ली से जाने वाले अन्य बॉर्डर पर युद्ध जैसा माहौल बना दिया गया है। किसान शांति पूर्वक दिल्ली जाने चाहते हैं।उन्हें दिल्ली जाने से रोका जा रहा है, सरकार के साथ पांच राउंड की बैठक किसानो की हुई है, सरकार किसानों से पूर्व में किये गये वादों को पूरा करने के बजाय सौदेबाजी करने पर तुली है। केंद्र की मोदी सरकार एक तरफ डॉ स्वामीनाथन आनंद को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करती है वहीं दूसरी तरफ स्वामीनाथन की किसानों के लिए जो अनुशंसा है उसे लागू नहीं करती है क्या यह एक धोखा नहीं है,देश के मेहनतकश मजदूर, किसान एवं आदिवासियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा,उन पर लगातार दमन बढ़ रहा है,इन्हें अदानी अम्बानी का गुलाम बनाने पर सरकार तुली,यह एक चिंताजनक विषय है।
ये मांगे हैं शामिल
1. मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण रखें, भोजन, दवाओं, कृषि-इनपुट और मशीनरी जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी हटाएं, पेट्रोलियम उत्पादों और रसोई गैस पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में काफी कमी करें।
2. वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, दिव्यांग व्यक्तियों, खिलाड़ियों को रेलवे द्वारा कोविड के बहाने वापस ली गई रियायतें बहाल की जाएं।
3. खाद्य सुरक्षा की गारंटी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाना।
4. सभी के लिए मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और स्वच्छता के अधिकार की गारंटी। नई शिक्षा नीति, 2020 को रद्द करें।
5. सभी के लिए आवास सुनिश्चित करें।
6. वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) का कड़ाई से कार्यान्वयन, वन (संरक्षण) अधिनियम, 2023 और जैव-विविधता अधिनियम और नियमों में संशोधन वापस लें जो केंद्र सरकार को निवासियों को सूचित किए बिना जंगल की निकासी की अनुमति देते हैं। जोतने वाले को भूमि सुनिश्चित करें।
7. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, सरकारी विभागों का निजीकरण बंद करें और राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को ख़त्म करें। खनिजों और धातुओं के खनन पर मौजूदा कानून में संशोधन करें और स्थानीय समुदायों, विशेषकर आदिवासियों और किसानों के उत्थान के लिए कोयला खदानों सहित खदानों से लाभ का 50 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित करें।
8. बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 को वापस लें। कोई प्री-पेड स्मार्ट मीटर नहीं।
9. काम के अधिकार को मौलिक बनाया जाये। स्वीकृत पदों को भरें और बेरोजगारों के लिए रोजगार पैदा करें। मनरेगा का विस्तार और कार्यान्वयन (प्रति वर्ष 200 दिन और 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी)। शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम बनायें।
10. किसानों को बीज, उर्वरक और बिजली पर सब्सिडी बढ़ाएं, किसानों की उपज के लिए एमएसपी सी2$50 प्रतिशत की कानूनी गारंटी दें और खरीद की गारंटी दें। किसानों की आत्महत्याओं को हर कीमत पर रोकें।
11. कॉर्पोरेट समर्थक पीएम फसल बीमा योजना को वापस लें और जलवायु परिवर्तन, सूखा, बाढ़, फसल संबंधी बीमारियों आदि के कारण किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सभी फसलों के लिए एक व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना स्थापित करें।
12. चार श्रम सहिंता को वापस लिया जाए।
13. सभी कृषक परिवारों को कर्ज के जाल से मुक्त करने के लिए व्यापक ऋण माफी योजना की घोषणा करें।
14. केंद्र सरकार द्वारा दिए गए लिखित आश्वासनों को लागू करें, जिसके आधार पर ऐतिहासिक किसान संघर्ष को निलंबित कर दिया गया था। सभी शहीद किसानों के लिए सिंधू सीमा पर स्मारक, मुआवजा दें और उनके परिवारों का पुनर्वास करें, सभी लंबित मामलों को वापस लें, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी पर मुकदमा चलाया जाए।
15. एनपीएस को खत्म करें। ओपीएस को बहाल करें और सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें।
16. संविधान के मूल मूल्यों-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता, विविध संस्कृतियों, भाषाओं, कानून के समक्ष समानता और देश की संघीय संरचना आदि पर हमला बंद करें।
17. विश्व व्यापार संगठन(डब्लू टी ओ) से भारत बाहर आये।छत्तीसगढ़ राज्य से संबंधित इन मांगों को भी रखा
1. जल जंगल जमीन से आदिवासियों पर दमन एवं बेदखली बंद हो।
2. हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला उत्खनन के लिए जारी स्वीकृति रदद् किया जाए।
3. बस्तर संभाग में माओवाद के नाम पर निर्दोष आदिवासियों पर हमले बंद हो और सभी मुठभेड़ों
का न्यायिक जांच किया जाए।
4. छत्तीसगढ़ में गेल इंडिया पाईप लाइन से प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए।
5. नया रायपुर प्रभावित किसानों के मांगों पर चर्चा कर उन्हें पूरा किया जाए। 6. आंगनबाड़ी,अंशकालिक एवं अनियमित कर्मचारियों को स्थायी किया जाए।प्रदर्शन में जिला किसान संघ बालोद के संयोजक जनकलाल ठाकुर, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से नवाब जिलानी, ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के संयोजक विश्वजीत हारोडे, आदिवासी भारत महासभा के संयोजक सौरा यादव, भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश प्रभारी प्रवीण क्रांति प्रदेश महासचिव तेजराम विद्रोही, क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच के संयोजक तुहिन, छत्तीसगढ़ किसान महासभा के सदस्य बिसहत कुर्रे, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के संयोजक हेमंत टंडन, कृषक बिरादरी के सदस्य पवन सक्सेना सहित सतवीर सिंह, पलविंदर सिंह पन्नू, रेखराम साहू, सोमन यादव, उत्तम कुमार, भुनुराम, कृष्णा नरवाल, मोहम्मद यूसुफ, लखबीर सिंह आदि शामिल रहे।