Category: कृषि

  • खाद बीज के लिए किसानों को भटकना ना पड़े, समय पर पर्याप्त भंडारण हो: कलेक्टर डॉ सिंह

    खाद बीज के लिए किसानों को भटकना ना पड़े, समय पर पर्याप्त भंडारण हो: कलेक्टर डॉ सिंह

    रायपुर ।

    कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह ने आज तिल्दा विकासखंड के सारागांव और ग्राम अड़सेना के कृषि साख सहकारी समिति का निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान कलेक्टर ने किसानों से चर्चा की और खाद-बीज की उपलब्धता के संबंध में जानकारी ली। कलेक्टर ने अधिकारियों को किसानों को उनकी मांग के अनुरूप खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए है।

    कलेक्टर ने खाद बीज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजने को भी कहा। उन्होंने किसान क्रेडिट कार्ड के नियमों को आसान कर अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ दिलाने के भी निर्देश समिति के कर्मचारियों को दिये। डॉ सिंह ने हर दिन समिति खुलना सुनिश्चित करने के साथ साथ किसानों का पंजीयन और खाद बीज के लिए पर्ची देने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए। कलेक्टर डाॅ. सिंह ने कृषि विभाग के मैदानी अमला और अधिकारी को निरंतर अपने-अपने क्षेत्र का दौरा करने के साथ किसानों से संपर्क रखने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि खाद-बीज के भंडारण व उठाव पर निगरानी रखें। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ विश्वदीप, कृषि उप संचालक राजेंद्र कुमार कश्यप भी उपस्थित थे।
  • सेहत और अर्थव्यवस्था के लिए आम की फसल काफी महत्वपूर्ण

    सेहत और अर्थव्यवस्था के लिए आम की फसल काफी महत्वपूर्ण

    रायपुर  ।                                                                                                                                                                                                           कृषि मंत्री   रामविचार नेताम ने कहा कि आम का नाम लेते ही आम की खुशबू हर एक की जहन में आ जाता है। वैसे आम का नाम भले ही आम हो, लेकिन फलों का राजा और हम सबके स्वास्थ्य के लिए खास हैं, उससे भी ज्यादा खास वह किसान है जिन्होंने इस आम का उत्पादन किया है। उन्होंने देश और प्रदेश के किसानों को बधाई और धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रदेश के बेहतरी के लिए जिन किसानों ने जीवन का अमूल्य समय दिया है वह सम्मान के पात्र हैं। आम की फसल न सिर्फ सेहत के लिए बल्कि आर्थिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण है। आम का फसल लेकर किसान समृद्ध और सुदृढ़ हो रहे हैं। मंत्री श्री नेताम आज कृषि महाविद्यालय रायपुर में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव के शुभारंभ समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों के किसानों द्वारा लगभग 327 प्रकार के आम के किस्मों का प्रदर्शन किया गया है। इसके साथ ही आम से बने हुए 56 प्रकार के व्यंजनों की प्रदर्शनी लगाई गई है। इस मौके पर मंत्री श्री नेताम ने उत्कृष्ट किसानों को आम का पौधा भेंटकर सम्मानित किया।

    मंत्री   नेताम ने कहा कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा तो कहा ही जाता है इसके बाद यहां की और भी विशेषता है कि छत्तीसगढ़ की धरती में फल-फूल, मसाले से लेकर तमाम औषधि पौधों के फसलों के लिए उपयुक्त उर्वरा शक्ति उपलब्ध है। यहां की मिट्टी में विदेशों के आम के किस्मों के भी उत्पादन करने की क्षमता है। उन्होंने जापान की सबसे कीमती आम मियासाकी और छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मीठे और रसीले आम हाथी छूल का उदाहरण देते हुए कहा कि यह मिट्टी दोनों प्रकार के आम को उत्पादित करने की क्षमता रखता है।

      नेताम ने कहा कि हमें संकल्प लेना चाहिए कि प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से पूरे परिवार के लिए पेड़ लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम जीतने प्रकृति के नजदीक जाएंगे सुखद अनुभव करेंगे। वहीं हम प्रकृति से जीतने दूर जाएंगे चुनौती हमारे सामने आती रहेगी। उन्होंने कहा कि हम ऐसा वातावरण तैयार करें, फिर से प्रकृति सुन्दर हो।

    आम महोत्सव के शुभारंभ समारोह को सम्बोधित करते हुए विधायक   मोतीलाल साहू ने कहा कि आम प्रकृति का अनुपम भेंट है। आम में पोषण आहार के साथ-साथ खनिज तत्व भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है, जो हमारे शरीर के लिए लाभदायक है। विधायक श्री अनुज शर्मा ने कहा कि आम फलों का राजा है, कच्चे और पके आम, आम का नाम सुनते ही मुंह में पानी और मन में गुदगुदी आ जाती है। यह हमारे सेहत के लिए बेहतर है। उन्होंने कहा कि देशभर के किसानों का यहां एकत्र होना और आम के अलग-अलग किस्मों की जानकारी से किसानों को लाभ मिलेगा। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने स्वागत भाषण दिया।

    गौरतलब है कि इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी तथा स्वयं सेवी संस्था प्रकृति की ओर संयुक्त तत्वाधान में 12 से 14 जून तक तीन दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। राष्ट्रीय आम महोत्सव में आम की 327 से अधिक किस्मों एवं आम से बने 56 व्यंजनों का प्रदर्शन किया गया है। इस महोत्सव में आम की विभिन्न किस्मों की प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है, जिसमें छत्तीसगढ़ एवं देश के विभिन्न राज्यों के आम उत्पादन किसान शामिल हैं।
    आम प्रदर्शनी – बैगनफल्ली, बंगनफल्ली, सिन्दूरी, कजली, गोपालभोग, चौसा, खजरी चौसा, शरबती, खुसनारा, एप्पल मैंगो, नाजूक बदन, मिठुआ, अल्फांसी, आम्रपाली, बंगाल (लंगड़ा), थाईलैण्ड का थाई बनाना, जापान का मियाजाकी, सांईसुगंध, मल्लिका, दशहरी, तोतापरी, बस्तर का हाथीछूल जैसे 327 प्रकार के आम के किस्मों की प्रदर्शनी लगाई गई है।

    इस मौके पर उद्यानिकी विभाग के संचालक श्री एस. जगदीशन, प्रकृति की ओर संस्था के संचालक सहित सैकड़ों की संख्या में किसान उपस्थित थे।

  • किसानों को गुणवत्तापूर्ण खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हो: मंत्री रामविचार नेताम

    किसानों को गुणवत्तापूर्ण खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हो: मंत्री रामविचार नेताम

    रायपुर ।

    कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री रामविचार नेताम ने  आज मंत्रालय महानदी भवन में कृषि एवं संबंधित विभागों के आला अधिकारियों की बैठक लेकर खरीफ 2024-25 की तैयारियों की गहन समीक्षा की। मंत्री नेताम ने अधिकारियों को गुणवत्तापूर्ण खाद एवं प्रमाणित बीज एवं अन्य कृषि आदानों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी डिमांड के अनुरूप खाद-बीज की आपूर्ति सुनिश्चित करना विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी है। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को निरंतर अपने-अपने इलाको का दौरा कर खाद-बीज के भण्डारण एवं उठाव पर निगरानी रखने के साथ ही इनकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सैम्पलिंग और जांच पड़ताल जारी रखने के निर्देश दिए।

    बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त  शहला निगार ने जानकारी दी कि पिछले खरीफ विपणन वर्ष 2023 में सहकारिता क्षेत्र में समग्र रुप से 4.62 लाख क्विंटल बीज का वितरण किया गया था। चालू खरीफ वर्ष 2024 में सहकारी क्षेत्र में 5.44 लाख क्विंटल बीज मांग का आंकलन किया गया है। वर्तमान में बीज निगम के पास कुल 6.31 लाख क्विंटल बीज उपलब्ध है, जो मांग का 116 प्रतिशत है। 10 जून की स्थिति में कुल 4.16 लाख क्विंटल बीज का भण्डारण विभिन्न सहकारी सोसाटियो में किया गया है, जो मांग लगभग 76 प्रतिशत है।    कृषकों द्वारा अभी तक 2.41 लाख क्विंटल बीज का उठाव किया जा चुका है, जो विगत वर्ष की इसी अवधि में हुए उठाव 1.64 लाख क्विंटल की तुलना में 47 प्रतिशत अधिक है।बैठक में   निगार ने बताया कि सहकारी क्षेत्र में उर्वरक का वर्तमान भण्डारण   6.20 लाख टन है, जो मांग का 72 प्रतिशत है। कृषकों ने अब तक 3.29 लाख टन खाद का उठाव किया है। जो मांग का 38 प्रतिशत है।

    मंत्री श्री नेताम ने बीज एवं उर्वरक के भंडारण की स्थिति पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि संपूर्ण खरीफ सीजन में भण्डारण की इस गति को बरकरार रखा जाए, ताकि आपूर्ति बाधित न होने पाए। मंत्री  नेताम ने अधिकारियों को भारत सरकार के कृषि एवं रासायन मंत्रालय एवं उर्वरक प्रदाय कंपनियों से निरंतर समन्वय बनाये रखने के निर्देश दिए। उन्होंने नैनो फर्टिलाईजर को बढ़ावा देने, सीमावर्ती जिलों में उर्वरक परिवहन पर निगरानी रखने के भी निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने अपेक्स बैंक के अधिकारियों से कहा कि समितियों में भण्डारण क्षमता का आंकलन कर लिया जाए, यदि भण्डारण हेतु अतिरिक्त गोदाम की आवश्यकता हो तो इसका प्रस्ताव तत्काल उपलब्ध कराया जाए। बैठक में संचालक कृषि डॉ सारांश मित्तर, मार्कफेड, बीज निगम, अपेक्स बैंक, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों सहित कृषि और उद्यानिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

  • किसानों और ग्रामीणों के सच्चे साथी बनेंगे दामिनी और मेघदूत

    किसानों और ग्रामीणों के सच्चे साथी बनेंगे दामिनी और मेघदूत

    रायपुर ।

    किसानों और ग्रामीणों के दो सच्चे साथी अब हमेशा उनके साथ रहेंगे। एक उन्हें मौसम संबंधी जानकारी से लैस करेगा, तो दूसरा आकाशीय बिजली की कहर से बचाएगा। छत्तीसगढ़ में मानसून की दस्तक के साथ ही खेती-किसानी का काम-काज शुरू हो जाता है। किसान भाई मौसम संबंधी सटीक जानकारी के लिए मेघदूत और आकाशीय बिजली से जनहानि और पशुहानि से बचाव के लिए दामिनी एप्प का सहारा ले सकते हैं।भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने इन दोनों एप्प को लॉन्च किया है। इसे गूगल प्ले स्टोर के माध्यम से किसी भी एंड्राइड मोबाईल पर डाउनलोड किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ सरकार के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा सभी कलेक्टरों को राजस्व विभाग और अन्य विभागों के मैदानी अमले के माध्यम से इन दोनों ही एप्प का प्रचार-प्रसार करने के साथ ही गांवों में मुनादी करने के निर्देश दिए गए हैं।

    खेती-किसानी के सीजन में किसानों के लिए मौसम की सटीक जानकारी आवश्यक होती है, इससे खेती-किसानी का काम-काज व्यवस्थित और सुचारू ढंग से करने में मदद मिलती है। मेघदूत एप्प के माध्यम से किसान भाई मौसम पूर्वानुमान जैसे तापमान, वर्षा की स्थिति, हवा की गति एवं दिशा इत्यादि की जानकारी मिलेगी, जिससे किसान अपने क्षेत्र की मौसम से संबंधित पूर्वानुमान की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
    मानसून के दौरान ही आकाशीय बिजली की घटनाओं का सिलसिला शुरू हो जाता है, इसके कारण अधिक संख्या में जन एवं पशु हानि की सूचनाएं प्राप्त होती है। इन घटनाओं में कमी लाने और लोगों को सचेत करने के लिए दामिनी एप्प तैयार किया गया है। इस एप्प के माध्यम से 20 से 31 किलोमीटर के दायरे में आकाशीय बिजली का पूर्वानुमान मिल जाएगा। इससे पशुहानि और जनहानि को रोकने में मदद मिलेगी।

    ऐसे बनती है आकाशीय बिजली
    जब ठंडी हवा संघनित होकर बादल बनती है तब इन बादलों के अंदर गर्म हवा की गति और नीचे ठंडी हवा के होने से बादलों में धनावेश (पॉजिटिव चार्ज) ऊपर की ओर एवं ऋणावेश (निगेटिव चार्ज) नीचे की ओर होता है। बादलों में इन विपरीत आवेशों की आपसी क्रिया से विद्युत आवेश उत्पन्न होता है। इस प्रकार आकाशीय बिजली उत्पन्न होती है। फिर धरती पर पहुंचने पर आकाशीय बिजली बेहतर चालक को तलाशती हैं, जिससे वह गुजर सके। इसके लिए धातु और पेड़ उपयुक्त होते हैं। बिजली अक्सर इन्हीं माध्यमों से पृथ्वी में जाने का रास्ता चुनती है। इसलिए बरसात के दिनों में लोग बिजली के खंभों, पेड़ों और धातुओं से दूर रहना चाहिए तथा बिजली के उपकरणों का प्रयोग सावधानीपूर्वक करें। जितना हो सके आकाशीय बिजली की स्थिति में मोबाइल का उपयोग नहीं किया जाए।

  • विष्णु सरकार की सुध से खेती-किसानी को नया सम्बल

    विष्णु सरकार की सुध से खेती-किसानी को नया सम्बल

    रायपुर ।

    देश की जीडीपी में कृषि का बड़ा योगदान है। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार भी कृषि ही है और यह धान का कटोरा कहलाता है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने अल्पावधि में राज्य के किसानों के हित में कई फैसले लिए हैं, इससे राज्य में खेती-किसानी को नया सम्बल मिला है। किसान बेहद खुश है। उनके मन में एक नई उम्मीद जगी है।छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी तथा दो साल के बकाया धान बोनस की राशि 3716 करोड़ रूपए का भुगतान करके एक ओर जहां अपना संकल्प पूरा किया है, वहीं दूसरी ओर किसानों से बीते खरीफ विपणन वर्ष में 144.92 लाख मेट्रिक टन धान की रिकार्ड खरीदी की है। किसानों को समर्थन मूल्य के रूप में 31,914 करोड़ रूपए का भुगतान एवं किसान समृद्धि योजना के माध्यम से मूल्य की अंतर की राशि 13,320 करोड़ का भुगतान करके यह बता दिया है कि छत्तीसगढ़ की खुशहाली और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का रास्ता खेती-किसानी से ही निकलेगा।

    किसानों का मानना है कि राज्य सरकार के अब तक के फैसलों से यह स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार किसानों की हितैषी है। खेती-किसानी ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। कृषि के क्षेत्र में सम्पन्नता से ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी और विकसित राज्य बनाने का सपना साकार होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए छत्तीेसगढ़ सरकार ने इस साल कृषि के बजट में 33 प्रतिशत की वृद्धि की है।छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने संकल्प के मुताबिक समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान में प्रति क्विंटल 917 रूपए के मान से अंतर की राशि भी दे दी है। किसानों को प्रति क्विंटल के मान से 3100 रूपए के भुगतान की यह राशि देश में सर्वाधिक है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इस साल के बजट में कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत 10 हजार करोड़ की व्यवस्था की गई है।

    छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई अभिनव पहल की जा रही है। जशपुर जिले के कुनकुरी में कृषि व्यवसाय प्रबंधन महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र तथा बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर में पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट एवं प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी महाविद्यालय, सूरजपुर जिले के सिलफिली एवं रायगढ़ में शासकीय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, तथा मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के खडगंवा में कृषि महाविद्यालय खोलने की व्यवस्था बजट में की है।  कृषि में आधुनिक उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय की स्थापना एवं राज्य स्तरीय नवीन कृषि यंत्र परीक्षण प्रयोगशाला के भवन का निर्माण, दुर्ग एवं सरगुजा जिले में कृषि यंत्री कार्यालय तथा रासायनिक उर्वरकों की जांच के लिए सरगुजा जिले में गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी।

    राज्य के किसानों को सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए 8 हजार 500 करोड़ का लक्ष्य तथा भूमिहीन कृषि मजदूरों की सहायता हेतु दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना के तहत भूमिहीन परिवारों को प्रतिवर्ष 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता देने के लिए बजट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान है।छत्तीसगढ़ में किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, सौर सुजला योेजना के माध्यम से सिंचित रकबे में बढ़ोत्तरी का प्रयास किया जा रहा है। नवीन सिंचाई योजना के लिए 300 करोड़ रूपए, लघु सिंचाई की चालू परियोजनाओं के लिए 692 करोड़ रूपए, नाबार्ड पोषित सिंचाई परियोजनाओं के लिए 433 करोड़ रूपए एवं एनीकट तथा स्टाप डेम निर्माण के लिए 262 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान छत्तीसगढ़ सरकार ने किया है।

    छत्तीसगढ़ में किसानों एवं भूमिहीन मजदूरों की स्थिति में सुधार, कृषि एवं सहायक गतिविधियां के लिए समन्वित प्रयास पर राज्य सरकार का फोकस है। चालू वित्तीय वर्ष कृषि बजट 33 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 13 हजार 435 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। किसानों को सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए 8500 करोड़ रूपए की साख सीमा छत्तीसगढ़़ सरकार ने तय की है।मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय ने वर्तमान खरीफ सीजन को देखते हुए राज्यभर की सहकारी समितियों में सोसायटियो में गुणवत्तापूर्ण खाद-बीज भंडारण एवं उठाव की स्थिति पर निरंतर निगरानी रखने को कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसानों को खाद-बीज के लिए किसी भी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े, इसलिए पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए।

    मुख्यमंत्री ने अपने खेती-किसानी के दीर्घ अनुभव के आधार पर कहा है कि खरीफ सीजन में किसान भाईयों द्वारा डी.ए.पी. खाद की मांग ज्यादा की जाती है। इसको ध्यान में रखते हुए डी.ए.पी. खाद की मांग और सप्लाई पर विशेष निगरानी रखी जानी चाहिए। खाद-बीज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सेंम्पलिंग एवं प्रयोगशाला के माध्यम से जांच का विशेष अभियान संचालित किया जाए।खरीफ सीजन 2024-25 के लिए राज्य में 13.68 लाख मैट्रिक टन उर्वरकों की मांग के विरूद्ध अब तक 9.13 लाख मैट्रिक टन उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गयी है, जो मांग का 67 प्रतिशत है। सोसायटियों में विभिन्न खरीफ फसलों के बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। खरीफ सीजन 2024-25 में 5 लाख 59 हजार 203 क्विंटल बीज की मांग के विरूद्ध 6 लाख 39 हजार 4 क्विंटल  बीज उपलब्ध है, जो कि मांग का 114 प्रतिशत है। सोसायटियों से किसान लगातार बीज का उठाव कर रहे है। अब तक 03 लाख 75 हजार क्विंटल बीज का उठाव किसानों ने किया है, जो कि बीज की डिमांड का 67 प्रतिशत है।

  • बहुत कम लागत में शुरू करें इसकी खेती, सालों साल तक होगी अंधाधुंध कमाई

    बहुत कम लागत में शुरू करें इसकी खेती, सालों साल तक होगी अंधाधुंध कमाई

    नई दिल्ली।

    देश के किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़कर नकदी फसल की ओर ध्यान दे रहे हैं। कुछ ऐसे ही किसान अब जोजोबा (Jojoba) की खेती में जुट गए हैं। यह एक विदेशी मूल का पौधा है।

    इंटरनेशनल मार्केट में जोजोबा की जबरदस्त मांग

    इसे होहोबा के नाम से भी जाना जाता है। इंटरनेशनल मार्केट में जोजोबा की काफी मांग है। भारत में भी अब इसकी खेती शुरू की गई है। यह फसल ज्यादातर रेगिस्तान वाले इलाकों में होती है। भारत में राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां के किसान फसल के जरिए लाखों की कमाई सालाना करते हैं।

    जोजोबा तेल की कीमत ₹ 7000 प्रति लीटर 

    जोजोबा की खेती का मुख्य मकसद इसके बीजों से तेल निकालना है। बाजार में इसके तेल की डिमांड बहुत ज्यादा है। इस तेल की कीमत करीब 7000 रुपये प्रति लीटर है। इस तेल का इस्तेमाल फेस और स्किन लिए मॉइस्चराइजर, शैंपू- कंडीशनर, हेयर ऑयल, लिपस्टिक, एंटी-एजिंग और सन केयर प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं इसका इस्तेमाल केमिकल्स और दवाइयां बनाने में भी बड़े पैमाने पर होता है।

    कैसे करें जोजोबा की खेती

    जोजोबा कई तनों वाला एक झाड़ीदार या छोटा पेड़ होता है। यह रेगिस्तानी इलाकों में भी उगता है। यह पेड़ 8 से 19 फीट तक लंबा होता है। इसकी खेती के लिए ज्यादा किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। थोड़ी सी सिंचाई करने पर जोजोबा के पौधे ग्रोथ करने लगते हैं। रेतीली मिट्टी में भी जोजोबा के पौधे उग आते हैं। इन पौधों को किसी भी तरह के खाद की कोई जरूरत नहीं रहता है। कुल मिलाकर जिन इलाकों में पानी का भारी संकट हो। उन इलाकों में भी जोजोबा की खेती कर मोटी कमी कर सकते हैं। रेगिस्तान और बंजर जमीन में भी किसानों के लिए नई उम्मीद है। इसके फायदों से अंजान किसान इसे बेहद कम खर्च में उगाकर बंपर कमाई कर सकते हैं।

    100 साल से ज्यादा पौधे की उम्र

    दुनिया भर में जोजोबा की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। इसलिए इसके दाम भी अच्छे मिल जाते हैं। जोजोबा के 20 किलो बीज से करीब 10 लीटर तेल निकाल सकते हैं। अगर एक बार इस पेड़ को लगा दिया तो कम से कम 100 साल तक कमाई कर सकते हैं।

  • अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की गुणवत्ता का बेहतर होना जरूरी

    अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की गुणवत्ता का बेहतर होना जरूरी

    कोरबा।

    खेतों की उर्वरा शक्ति कैसी है, यह पता चलता है मिट्टी की गुणवत्ता से। कृषि विभाग की प्रयोगशाला इस काम को कर रही है। अब तक यहां 400 नमूनों की जांच की जा चुकी हैफसलों की अच्छी मात्रा के लिए खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता मायने रखती है। खेतों में कमी को कैसे दूर किया जाए, इसकी भी तकनीक है। कृषि अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष हमे 8000 मिट्टी के नमूनों की जांच करना है। अब तक 400 कि जांच हुई है।अलग अलग कारणों से खेतों की पैदावार पर असर पड़ता है। प्रदूषण या अन्य कारण बंजर जमीन की कमियां दूर करने के उपाय उपलब्ध है। हम किसानों को इसकी जानकारी देते है। याद रखना होगा कि सरकार ने मिट्टी परीक्षण का कार्य निशुल्क रखा है। किसान अपने खेत की मिट्टी देकर जान सकते है कि फसल चक्र के हिसाब से उनके खेत की मिट्टी अनुकूल है या नही।

  • कृषक प्रक्षेत्र पर बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत् 10 से 19 जून तक किया जाएगा फसल पंजीयन

    कृषक प्रक्षेत्र पर बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत् 10 से 19 जून तक किया जाएगा फसल पंजीयन

    जांजगीर-चांपा

    खरीफ वर्ष 2024 में कृषक प्रक्षेत्र पर बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत् फसल पंजीयन किया जाएगा। बीज प्रबंधक छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि वि.नि.लिमि.बीज प्रक्रिया केन्द्र खोखसा ने बताया कि 10 से 19 जून तक कृषक अपने समस्त दस्तावेज प्रस्तुत कर स्वयं उपस्थित होकर फसल पंजीयन करा सकते हैं। फसल पंजीयन लिए विकासखंड सक्ती के कृषक 10 जून, विकासखंड डभरा के कृषक 11 जून, विकासखंड जैजैपुर के कृषक 12 जून, विकासखंड मालखरौदा के कृषक 13 जून, विकासखंड नवागढ़ के कृषक 14 जून, विकासखंड बलौदा के कृषक 15 जून, विकासखंड पामगढ़ के कृषक 17 जून, विकासखंड अकलतरा के कृषक 18 जून एवं विकासखंड बम्हनीडीह के कृषक 19 जून को सुबह 9 बजे से 5 बजे तक स्वयं उपस्थित होकर फसल पंजीयन करा सकते हैं।
    कृषकों को पंजीयन हेतु पासपोर्ट साईज 2 नवीन कलर फोटो, ऋण-पुस्तिका, बी-1 एवं खसरा की नकल संबंधित पटवारी से सत्यापित कराकर एवं आधार कार्ड, पैन कार्ड तथा बैंक पास बुक की छायाप्रति पंजीयन के समय दो-दो प्रति में कृषक को स्वयं उपस्थित होकर पंजीयन कार्यवाही कराकर साथ में बीज ले जाना है। पंजीयन बी1 में लम्बरदार कृषक के नाम से ही पंजीयन किया जावेगा। तथा हिस्सेदार से लम्बरदार को सहमति पत्र लाना अनिवार्य होगा। ताकि बीज उपार्जन के समय कोई परेशानी न हो। बीज निगम में पंजीकृत रकबा का बीज सहकारी समिति में विकय नही किया जावे। कृषक को बीज निगम में पंजीकृत रकबा का भी समिति में पंजीयन कराना अनिवार्य है। पंजीयन की जानकारी कलेक्टर कार्यालय जांजगीर-चांपा व सक्ती, उप संचालक कृषि जांजगीर-चांपा व सक्ती, नोडल अधिकारी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक जांजगीर-चांपा व सक्ती के सूचना पटल पर चस्पा किया गया है।

  • पराली बेचकर कमाए 1 करोड़ रुपये! आप भी कर सकते हैं लाखों की कमाई, जल्द करें ये काम

    पराली बेचकर कमाए 1 करोड़ रुपये! आप भी कर सकते हैं लाखों की कमाई, जल्द करें ये काम

    फसल की कटाई के बाद बचे अवशेष यानी पराली से किसान लाखों की कमाई कर सकते हैं. जी हां सही सुना आपने. हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान परालीबेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. अगर आप भी ऐसा करना चाहते हैं तो पूरी खबर पढ़ें.

    रबी फसलों की कटाई अब पूरी हो चुकी है. कटाई के बाद किसान अपनी उपज को लेकर मंडियों में पहुंच रहे हैं. जबकि कटाई के बाद बचे फसल के अवशेष यानी पराली को किसानों ने खेतों में छोड़ दिया है. अब किसान अगले सीजन की तैयारियों में जुट गए हैं. जिसके लिए किसानों ने पराली का निपटारा करना शुरू कर दिया है. किसान अपने खेतों में ही पराली जला रहे हैं.

    हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में पराली जलाने की वजह से प्रदूषण का खतरा भी पैदा हो गया है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि पराली को जलाने के बजाय सही इस्तेमाल कर किसान इससे कमाई भी कर सकते हैं. इसके लिए कई राज्य सरकारें पराली के सही ढंग से निस्तारण की एवज में प्रति एकड़ मुआवजा भी दे रही है.

    खाद के रूप में कर सकते हैं पराली का इस्तेमाल

    बेहतर खेती के लिए किसान पराली को मल्चर, पलटावे हेल और रोटावेटर आदि की मदद से मिट्टी में मिला सकते हैं. ऐसा करने से किसान पराली को खाद के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. यह जमीन के पोषक तत्वों को बढ़ाने के साथ-साथ उसे उर्वरक भी बनाता है. किसान अगले सीजन की बुवाई से पहले पराली से खाद बनाकर अपने खेतों में इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे उन्हें अगल से खाद खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

    पराली से खाद कैसे बनाएं?

    पराली से खाद बनाने के लिए आप निम्न तरीकों को अपना सकते हैं:

    • बायो डिकंपोजर का उपयोग करके खाद बनाना.
    • पराली को एक गड्ढे में डालकर बायो डिकंपोजर कैप्सूल मिलाएं.
    • इसे ढक दें और 25-30 दिन तक छोड़ दें ताकि पराली कंपोस्ट में बदल जाए.
    • पूसा इंस्टीट्यूट के अनुसार, 4 कैप्सूल से 25 लीटर तक बायो डिकंपोजर घोल बनाया जा सकता है.

    बायोकार यूनिट का उपयोग करके खाद बनाना

    • एक बायोकार यूनिट एक 20 फीट चौड़ा और 11 फीट लंबा सिलेंडर होता है जिसमें छिद्र होते हैं.
    • पराली को इस सिलेंडर में भरा जाता है जो कि एक एकड़ क्षेत्र के लिए 10 क्विंटल होती है.
    • इसके ऊपर से जलाया जाता है और 100% ऑक्सीजन की उपलब्धता के साथ जलता है.
    • इससे पराली को खाद में बदला जा सकता है.
    • गुड़ और बेसन मिलाकर खाद बनाना
    • पराली को जलाने की बजाय इसमें गुड़ और बेसन मिलाकर खाद बनाई जा सकती है.
    • एक एकड़ में दो कट्टे यूरिया की आवश्यकता होती है लेकिन इस घोल का उपयोग करने के बाद केवल एक कट्टे में काम चल जाता है.
    • इन तरीकों का उपयोग करके पराली को जलाने की बजाय इसे खाद में बदला जा सकता है जो मिट्टी के लिए बेहद लाभकारी है.
    • हरियाणा में जमकर कमाई कर रहे किसान

    हरियाणा सरकार ने पराली के सही इस्तेमाल के लिए योजना शुरू की है. इससे किसान प्रति एकड़ पराली बेचकर 1000 रुपये तक कमाई कर सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी कुछ दिनों पहले अंबाला में किसानों ने पराली जलाने के बजाय उसे बेचकर 1 करोड़ 10 लाख 78 हजार 660 रुपया कमाया था. योजना के तहत कृषि एवं कल्याण विभाग ने किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी. किसानों ने बेलर से पराली की गांठ बनवाकर खेत से बाहर निकाला. उन्हें प्रति एक एकड़ एक हजार रुपये दिया गया. पुराने रिकॉर्ड की बात करें तो 910 किसानों ने वर्ष 2020-21 में योजना का लाभ लिया था. उन्हें सरकार की ओर से 68 लाख 65 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए गए.

  • कृषि विभाग ने जारी की लोबिया की उन्नत खेती के लिए जरूरी सलाह, जानें किसान किन बातों का रखें ध्यान

    कृषि विभाग ने जारी की लोबिया की उन्नत खेती के लिए जरूरी सलाह, जानें किसान किन बातों का रखें ध्यान

     लोबिया की खेती करने वाले किसानों के लिए कृषि विभाग ने हाल ही में जरूरी सलाह जारी की है, जिसके मुताबिक किसानों को लोबिया की उन्नत खेती करने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. इसके बारे में बताया गया है. यहां जानें पूरी डिटेल…

    लोबिया एक नगदी फसल है, जिसकी खेती कर किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं. लोबिया की खेती से अच्छा उत्पादन पाने के लिए  किसान को इसकी खेती फरवरी से अक्टूबर के महीने में करनी चाहिए. लोबिया की खेती/Cowpea Cultivation खासतौर पर मैदानी क्षेत्रों के किसानों के लिए उपयुक्त मानी जाती है. लोबिया को अफ्रीकी मूल की फसल भी माना जाता है. लोबिया में प्रोटीन और कैल्शियम की मात्रा अच्छी पाई जाती है. ये ही नहीं बल्कि हरी खाद बनाने के लिए भी किसान लोबिया का इस्तेमाल करते हैं. इतने सारे गुण पाए जाने के चलते बाजार में हमेशा इसकी मांग बनी रहती है.

    अगर आप हाल-फिलहाल में लोबिया की उन्नत खेती करने के बारे में विचार कर रहे हैं, तो कृषि विभाग की तरफ से लोबिया की खेती के लिए जरूरी सलाह जारी की गई है. ताकि किसान इसकी खेती से कम समय व कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर सके.

    लोबिया की उन्नत खेती के लिए कृषि विभाग ने जारी की सलाह

    • लोबिया गर्म जलवायु और अर्ध शुष्क क्षेत्रों की फसल है, इसके अधिकतम उत्पादन के लिए दिन का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 22 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त माना जाता है.
    • इसकी खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मृदा का चयन किया जा सकता है, जिसका PH मान समान्य होना चाहिए.
    • अंतिम जुताई के समय प्रति हैक्टेयर 50-10 टन सड़ी गोबर की खाद तथा बुआई के समय 15-20 किग्रा. नाइट्रोजन, 60 किग्रा. फॉस्फोरस और 50-60 किग्रा. पोटाश प्रति हैक्टेयर उपयोग करें.
    • लोबिया की खेती के लिए उन्नत किस्में

    वैसे तो हमारे देश में लोबिया की खेती के लिए कई तरह की बेहतरीन किस्में है, लेकिन किसानों के बीच लोबिया की कुछ ही उन्नत किस्में काफी अधिक लोकप्रिय है. जिनके नाम कुछ इस प्रकार से हैं. पंत लोबिया, लोबिया 263, अर्का गरिमा किस्म, लोबिया की पूसा बरसाती किस्म और लोबिया की पूसा ऋतुराज किस्म आदि. इसके अलावा किसानों को लोबिया की उन्नत किस्मों में पूसा धारनी, पूसा फाल्गुनी, पंत लोबिया-1 एवं 2, स्वर्ण हरित तथा काशी कंचन को शामिल किया जा सकता है.

    लोबिया के लिए बीज दर

    लोबिया की खेती से अच्छी पैदावार पाने के लिए किसानों को इसकी बीज दर का भी विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए. लोबिया की खेती के लिए किसानों को खेत में प्रति हेक्टेयर पर 12 से 20 किग्रा बीज डालने चाहिए. ध्यान रहे कि खेत में लोबिया के बीज की मात्रा किस्म और मौसम पर निर्भर करते हैं.