Category: कृषि

  • खरीफ फसलों का बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 जुलाई

    खरीफ फसलों का बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 जुलाई

    रायपुर ।

    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मौसम खरीफ वर्ष 2024 के क्रियान्वयन हेतु फसल बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2024 निर्धारित की गई हैं। योजना में धान सिंचित, धान असिंचित फसलों, उड़द, मूंग, मूंगफली, कोदो, कुटकी, मक्का, अरहर /तुअर, रागी एवं सोयाबीन को शामिल किया गया है। इस योजना से किसानों को प्रतिकूल मौसम सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि आदि प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मौसम खरीफ वर्ष 2024 अंतर्गत जिले में अधिकाधिक कृषकों को बीमा आवरण में सम्मिलित करने हेतु फसल बीमा प्रचार-प्रसार हेतु जागरूकता अभियान शुरू किया गया है।

    कृषि विभाग ने किसानों से अनुरोध किया है कि अपना आधार कार्ड खरीफ वर्ष के लिए दिनांक 31 जुलाई 2024 से पूर्व बैंक में अपडेट करा लें। फसल बीमा पोर्टल पर बिना आधार प्रमाणिकरण के बीमा मान्य नहीं होगा। फसल लगाने वाले सभी अऋणी किसानों को प्रस्ताव पत्र के साथ नवीनतम आधार कार्ड की छायाप्रति, नवीनतम भूमि प्रमाण-पत्र (बी-1, खसरा) की कॉपी, बैंक पासबुक के पहले पन्ने की कॉपी जिस पर एकाउंट , आईएफएससी कोड, बैंक का पता साफ-साफ दिख रहा हो, फसल बुवाई प्रमाण-पत्र अथवा प्रस्तावित फसल बोने का आशय का स्वघोषणा पत्र, किसान का वैध मोबाईल नंबर एवं बटाईदार, कास्तकार, साझेदार किसानों के लिये फसल साझा, कास्तकार का घोषणा पत्र इत्यादि दस्तावेज प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा ।

    धान सिंचित के लिए बीमा राशि 60 हजार प्रति हेक्टेयर और प्रीमियम 1200 रुपए तथा असिंचित फसल के लिए बीमा राशि 43 हजार प्रति हेक्टेयर और प्रीमियम 860, उड़द व मूंग के लिए बीमा राशि 22 हजार प्रति हेक्टेयर और प्रीमियम 460 रुपए निर्धारित की गयी है। इसी प्रकार मूंगफली की बीमा राशि 42 हजार प्रति हेक्टेयर और प्रीमियम 840 रुपए, कोदो की बीमा राशि 16 हजार प्रति हेक्टेयर और प्रीमियम 320 रुपए, कुटकी की बीमा राशि 17 हजार प्रति हेक्टेयर और प्रीमियम 340 रु. ,मक्का की बीमा राशि 36 हजार प्रति हेक्टेयर और प्रीमियम 720 रुपए,अरहर की बीमा राशि 35 हजार प्रति हेक्टेयर और प्रीमियम 700 रुपए, रागी की बीमा राशि 15 हजार प्रति हेक्टेयर और प्रीमियम 300 रुपए तथा सोयाबीन की बीमा राशि 41 हजार और प्रीमियम 820 रुपए निर्धारित की गई है।
    इस संबंध में अधिक जानकारी आधिकारिक वेबसाइट https://pmfby.gov.in/farmer से प्राप्त कर सकते हैं।

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत फसल बीमा कराने अंतिम तिथि निर्धारित 31 जुलाई तक करा सकते है बीमा

    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना अंतर्गत फसल बीमा कराने अंतिम तिथि निर्धारित 31 जुलाई तक करा सकते है बीमा

    जांजगीर-चांपा।

    प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ वर्ष 2024-25 के बेहतर एवं सुगमतापूर्वक क्रियान्वयन हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार तथा किसानों के फसल बीमा के लिये शासन द्वारा बजाज एलांज जनरल इंश्योरेंस कम्पनी अनुबंध किया गया है, बीमा की इकाई ग्राम स्तर निर्धारित की गई है। बीमा इकाई में अधिसूचित फसल का रकबा 10 हेक्टेयर या उससे अधिक होने पर उक्त फसल को संबंधित बीमा इकाई में अधिसूचित किया गया है।उप संचालक कृषि ने बताया कि जिला जांजगीर-चांपा में खरीफ में मुख्य अधिसूचित फसल धान सिंचित एवं धान अंसिंचित निर्धारित है। धान सिंचित फसल के बीमा के लिये बीमित राशि 60000 प्रति हेक्टेयर एवं एवं धान असिंचित फसल के बीमा के लिये बीमित राशि 43000 रु प्रति हेक्टेयर निर्धारित है। बीमित राशि का 2 प्रतिशत धान सिंचाई हेतु 1200 रू./ हेक्टेयर, एवं धान असिंचित के लिये 860 रू. प्रति हेक्टेयर कृषक अंश निर्धारित किया गया है। इस योजना में ऋणी कृषक (भू-धारक एवं बटाईदार) एवं गैर ऋणी कृषक (भू-धारक एवं बटाईदार) कृषको बीमा आवरण में सम्मिलित होने की पात्रता है।

    ऐसे सभी कृषक जिनका मौसम खरीफ वर्ष 2024-25 में सहकारी बैंकों एवं निजी बैंकों से त्रण लेने वाले समस्त ऋणी कृषकों के लिये यह योजना स्वैच्छिक है। ऋणी कृषकों के लिये अधिसूचित फसल के लिये वित्तीय संस्थानों में मौसमी कृषि ऋण की सीमा, कृषकों के बीमा आवेदन, प्रस्ताव प्राप्त करने की अंतिम तिथि के एक सप्ताह पूर्व निर्धारित प्रारूप में बीमा नहीं कराने के सम्बंध में आवेदन प्रस्तुत करना अनिवार्य है। एक ही अधिसूचित क्षेत्र एवं अधिसूचित फसल के लिये अलग-अलग वित्तीय संस्थानों से कृषि ऋण स्वीकृत होने की स्थिति में कृषक को एक ही वित्तीय संस्थान से बीमा करवाना होगा एवं कृषक इसकी सूचना संबंधित बैंक को स्वयं देगा। अधिसूचित इकाई में अधिसूचित फसल उगाने वाले सभी गैर ऋणी कृषक जो इस योजना में शामिल होने के इच्छुक हों, वे क्षेत्र बुआई पुष्टि प्रमाण पत्र जो क्षेत्री पटवारी, ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी द्वारा सत्यापित हो तथा अन्य आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत कर योजना में सम्मिलित हो सकते है। अऋणी किसानों कों बीमा आवरण में अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित करने के लिये मैदानी स्तर पर ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी ग्रामों में चौपाल, शिविर, के माध्यम से सतत संपर्क कर प्रोत्साहित एवं योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार का कार्य कर रहें है, इस हेतु उप संचालक कृषि आर.एन. गांगे, अनुविभागीय कृषि अधिकारी एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारियों द्वारा विकासखण्डों में सतत भ्रमण कर व्यक्तिगत रूप से समीक्षा कर अधिक से अधिक संख्या में अऋणी किसानों को बीमा का लाभ दिलाने हेतु समझाइश दी जा रही है एवं उप संचालक कृषि द्वारा जिले के किसानों से इस वर्ष कम वर्षा होने के कारण फसलों को होने वाले क्षति के लिए अधिक से अधिक संख्या में फसल बीमा कराने की अपील की कराने की गई है। बीमा की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2024 निर्धारित की गई है।

  • किसानों की मदद में जुटी सरकार, खाद-बीज वितरण में उल्लेखनीय वृद्धि

    किसानों की मदद में जुटी सरकार, खाद-बीज वितरण में उल्लेखनीय वृद्धि

    रायपुर/

    उल्लेखनीय वृद्धि – छत्तीसगढ़ के किसानों को उनकी मांग के अनुरूप प्रमाणित खाद-बीज का वितरण किया जा रहा है। प्रदेश के किसानों को अब तक 8.61 लाख मीट्रिक टन खाद वितरित हो चुका है, जो लक्ष्य का 63 प्रतिशत है। इसी प्रकार 7.85 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज का वितरण भी हो चुका है, जो लक्ष्य का 80 प्रतिशत है

     

    कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, प्रदेश में मानसून की बौछारों के साथ खेती-किसानी जोरों पर है। अब तक 23.02 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न फसलों की बोनी हो चुकी है। इस खरीफ सीजन में 48.63 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बोनी का लक्ष्य रखा गया है।

    08 जुलाई 2024 की स्थिति में प्रदेश में 200.8 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है, जबकि वार्षिक औसत वर्षा 1236 मिमी होती है। इस वर्ष खरीफ 2024 के लिए 9.78 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज वितरण का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 9.04 लाख क्विंटल बीज का भंडारण हो चुका है और 7.85 लाख क्विंटल बीज का वितरण किया जा चुका है।

     

    इस खरीफ सीजन में 13.68 लाख मेट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य है, जिसमें से 12.80 लाख मेट्रिक टन उर्वरक का भंडारण किया गया है और 8.61 लाख मेट्रिक टन उर्वरक का वितरण हो चुका है।

    मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कृषि विभाग की समीक्षा बैठक में किसानों को सुगमता से खाद-बीज उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। किसी भी प्रकार की लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं। सोसायटियों में पर्याप्त खाद-बीज का भंडारण कर सतत निगरानी की जा रही है।

  • देश में अब तक खरीफ बोनी 378 लाख हेक्टेयर से ज्यादा दलहनी फसलों का क्षेत्र 50 फीसदी बढ़ा

    देश में अब तक खरीफ बोनी 378 लाख हेक्टेयर से ज्यादा दलहनी फसलों का क्षेत्र 50 फीसदी बढ़ा

     नई दिल्ली/

    देश में अब तक खरीफ की बुवाई 378 लाख 72 हजार हेक्टेयर में हो गई है जबकि गत वर्ष अब तक 331 लाख 90 हजार हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस प्रकार गत वर्ष की तुलना में बुवाई लगभग 14.10 फीसदी बुवाई बढ़ी है। श्रीअन्न सह मोटे अनाजों की बुवाई को छोड़कर अन्य सभी फसलों की बुवाई में तेजी आई है।

    कृषि मंत्रालय द्वारा 8 जुलाई 2024 तक जारी आंकड़ों के अनुसार प्रमुख फसल धान अब तक 59.99 लाख हेक्टेयर में बोई गई है जबकि गत वर्ष समान अवधि में 50.26 लाख हेक्टेयर में बोनी हुई थी। इसी प्रकार दलहन का रकबा अभी तक 36.81 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो गत वर्ष की समान अवधि में 23.78 लाख हेक्टेयर था, इसमें अरहर की बुवाई 20.82 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि गत वर्ष इसी अवधि में 4.09 लाख हेक्टेयर में बोनी हुई थी।
    उड़द की बुवाई अब तक 5.37 लाख हेक्टेयर में की गई है। वहीं मूंग की बुवाई 8.49 लाख हेक्टेयर में हुई है। गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष अब तक मोटे अनाज की बुवाई कम क्षेत्र में हुई है। अब तक 58.48 लाख हेक्टेयर में बोनी हो गई है जबकि गत वर्ष अब तक 82.08 लाख हेक्टेयर में बोनी हुई थी। इसमें मक्का की बुवाई अब तक 41.09 लाख हेक्टेयर में की गई है। गत वर्ष इस अवधि में 30.22 लाख हेक्टेयर में हुई थी। ज्वार 3,66 लाख हेक्टेयर में बोया गया है वहीं बाजरा भी 11.41 लाख हेक्टेयर में बोया गया है। जबकि गत वर्ष समान अवधि में 43.02 लाख हेक्टेयर में बोया गया था।

    इसी प्रकार तिलहनी फसल का कुल रकबा 80.31 लाख हेक्टेयर हो गया है जो गत वर्ष अब तक 51.97 लाख हेक्टेयर था। सोयाबीन की बुवाई अब तक 60.63 लाख हेक्टेयर  में हो गई है जो गत वर्ष अब तक 28.86 लाख हेक्टेयर में हुई थी। इसी प्रकार मूंगफली की बुवाई 17.85 लाख हेक्टेयर में हुई है। वहीं सूरजमुखी की बोनी अब तक 46 हजार हेक्टेयर में हुई है।
    नकदी फसल गन्ने का रकबा अब तक 56.88 लाख हेक्टेयर  हो गया है। जो गत वर्ष अब तक 55.45 लाख हेक्टेयर था। जूट और मेस्टा का रकबा 5.63 लाख हेक्टेयर हो गया है वहीं कपास का रकबा 80.63 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो गत वर्ष इसी अवधि के दौरान 62.34 लाख हेक्टेयर था।

  • तिल का अच्छा उत्पादन पाने के उपाय

    तिल का अच्छा उत्पादन पाने के उपाय

    भोपाल/

     

    तिल की उन्नत किस्में – उप संचालक कृषि  रवि आम्रवंशी ने बताया कि तिल एक प्रमुख तिलहनी फसल है। उन्होंने तिल के बीजों की उन्नत किस्मों की जानकारी देते हुए बताया कि टी-4, टी- 12, टी-13 एवं टी-78 तिल के प्रमुख उन्नत किस्म के बीज हैं। किसानों को फसल का बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए प्रति एकड़ क्षेत्र में 4 से 5 किलोग्राम बीज की मात्रा की आवश्यकता होती है। बीज जनित रोग जड़ गलन की रोकथाम हेतु बीज को 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से केप्टान या थीरम फफूंदनाशक से उपचारित करें अथवा 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें।

    बुवाई की विधि – बुवाई की विधि का तिल की उपज पर सीधा प्रभाव पड़ता है। किसानों को तिल की बुवाई सीधी पंक्तियों में करें। पंक्तियों के बीच की दूरी परस्पर 30 से 45 सेंटीमीटर हो। साथ ही दो पौधों के बीच की दूरी भी 10 से 15 सेंटीमीटर हो। तिल के बीज का आकार छोटा होने के कारण इसे गहरा नहीं बोयें। तिल की खेती के लिए मटियार रेतीली भूमि उपयुक्त है, लेकिन अम्लीय या क्षारीय मिट्टी अनुपयुक्त है। तिल की खेती के लिए मृदा का पीएच मान 5.5 से 8.0 हो।

    खेत की तैयारी – तिल की बोनी से पहले खेतों को तैयार करने के बाद मिट्टी को पाटा लगाकर भुरभुरा बना लें। मानसून आने से पहले खेत की जुताई कर समतल करें तथा एक या दो जुताई करके खेत को तैयार कर लें। तिल की बुवाई से पूर्व खेत तैयार करते समय सड़ी हुई गोबर की खाद 10-15 टन प्रति एकड़ मिट्टी में अच्छी तरह से मिला दें तथा रासायनिक उर्वरक में 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 45 किलोग्राम फास्फोरस एवं 15 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर दें।

    हानिकारक कीट एवं रोग और उनकी रोकथाम – फसल में गाल मक्खी कीट की रोकथाम के लिए क्विनालफास 25 ई.सी. की एक लीटर मात्रा का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। इसके अलावा फली एवं पत्ती छेदक से फसलों की सुरक्षा के लिए कार्बोरिल 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का फसल पर छिड़काव करें। झुलसा एवं अंगमारी की रोकथाम के लिए किसानों को मैन्कोजेब या जिनेब डेढ़ किलोग्राम या कैप्टान दो से ढाई किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने तथा 15 दिन बाद इसे पुन: दोहराने की सलाह दी।

    खरपतवार नियंत्रण – खरपतवार नियंत्रण के लिए किसानों को तिल के बीज बोने के तुरंत बाद एलकोलर 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या 60 मिलीलीटर एलकोलर 10 लीटर पानी में मिलाकर जमीन पर स्प्रे करना तथा आवश्यकता के अनुसार हाथ की निराई और गुड़ाई करना उचित है। बोनी से पूर्व या बोनी के बाद फूल और फली आने की अवस्था अच्छी उपज के लिये सिंचाई की क्रांतिक अवस्थायें हैं। किसानों द्वारा इन तीनों अवस्थाओं में सिंचाई करना फसलों के लिए लाभकारी होता है। उन्होंने बताया कि तिल की फसल ढाई महीने में पक कर तैयार हो जाती है। फसल की सभी फलियां प्राय: एक साथ नहीं पकती, किंतु अधिकांश फलियों का रंग भूरा पीला पडऩे पर ही फसल की कटाई करें। तिल का उत्पादन लगभग इसका 5 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ होता है। उपरोक्त वर्णित विधि को अपनाकर किसान उन्नत तरीके से तिल की खेती कर सकते हैं। खरीफ मौसम के साथ-साथ इसकी बुवाई गर्मी और अर्ध-सर्दी के मौसम में भी की जाती है।

  • कृषि के विकास में वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान: मंत्री रामविचार नेताम

    कृषि के विकास में वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान: मंत्री रामविचार नेताम

    रायपुर ।

    कृषि मंत्री  रामविचार नेताम ने कहा है कि देश में कृषि और उद्यानिकी के विकास में कृषि वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कृषि वैज्ञानिकों को वर्तमान दौर में लोगों के जरूरत के मुताबिक कृषि क्षेत्र में अपडेट रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले देश में भुखमरी की स्थिति थी। आवश्यकता के अनुरूप अनाज का उत्पादन नहीं हो पाता था, जिसके कारण अन्य हमें देशों पर निर्भर रहना पड़ता था। हमारे देश के कृषि वैज्ञानिकों, रिसर्चर, प्रोफेसर के नीत नए तकनीकों की खोज और उत्पादन में वृद्धि के प्रयास का प्रतिफल है कि आज हमारे पास अन्न का पर्याप्त भंडार है और दूसरे देशों को निर्यात भी करते हैं। मंत्री   नेताम आज कृषि महाविद्यालय रायपुर में आयोजित तीन दिवसीय छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केन्द्रों की 31वीं क्षेत्रीय कार्यशाला’  के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। मंत्री श्री नेताम ने इस मौके पर कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा लगायी गयी प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा पत्रिकाओं का विमोचन किया।
    कृषि मंत्री  नेताम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘‘एक गांव, एक फसल’’ का आव्हान किया है। देश को सक्षम और समृद्धशाली बनाने के प्रधान मंत्री मोदी के इस सोंच के अनुरूप कृषि वैज्ञानिकों और इस क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को नवीन तकनीक और  दलहन-तिलहन व मिलेट्स फसलों का खोज कर उत्पादन में वृद्धि करने की दिशा में कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश भर में अनेक जिलों में कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित हैं। कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक का रिसर्च और किसानों में विभिन्न फसलों के प्रति जागरूकता उनकी महती योगदान को दर्शाता है। श्री नेताम ने इस मौकंे पर उन्होंने हरित क्रांति के जनक महान कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम.एस. स्वामी नाथन को भी याद किया।

    कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. (कर्नल) गिरिश चंदेल ने कहा कि कृषि के विकास और किसानों को समृद्ध बनाने में कृषि विज्ञान केन्द्रों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मूल रूप से कृषि विश्वविद्यालय का काम शिक्षा विस्तार और शोध का है। लेकिन वास्तव में कृषि विद्यालय के शोध को किसानों तक पहुंचाने का काम कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किया गया है। यह एक सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि कृषि को सुदृढ़ बनाने विज्ञान केन्द्रों द्वारा नए-नए तकनीकों किसानों तक पहुंचने का काम किया गया है। जिससे कम लागत और उत्पादन में वृद्धि संभव हुआ है। आज बाजार आधारित कृषि विकास की जरूरत है कृषि विज्ञान केन्द्र इस पर काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ मंे अब धान का पर्याप्त उत्पादन हो रहा है। देश में चावल निर्यात में छत्तीसगढ़ का 17 से 18 प्रतिशत का योगदान है। उन्होंने कहा कि मिलेट फसलों कोदो-कुटकी का अच्छा बाजार का भी उपलब्ध हो रहा है। मिलेट फसल के अच्छे भाव मिलने से किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं।

        कार्यशाला को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार) डॉ. रंजय के. सिंह और कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान जबलपुर के निदेशक डॉ. एस.आर.के. सिंह ने भी संबोधित किया। इस मौके पर मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिक, शोधकर्ता, प्राध्यापक और छात्र-छात्राएं उपस्थित थी। कार्यशाला का आयोजन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर और कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान जबलपुर के संयुक्त तत्वाधान में किया जा रहा है।

  • किसानों को खाद, बीज समय पर मिले: मुख्य सचिव जैन

    किसानों को खाद, बीज समय पर मिले: मुख्य सचिव जैन

    रायपुर ।

    मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने कहा है कि चालू खरीफ सीजन में किसानों को समय पर खाद, बीज उपलब्ध कराया जाए। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के हितग्राही कृषकों को लाभान्वित करने के लिए शिविर लगाकर बैंक खातों में आधार सीडिंग सहित केवायसी यदि पेंडिंग है तो इसे तत्काल पूर्ण किया जाए। एफ.आर.ए. के हितग्राहियों के नामांतरण के लिए आवश्यक कार्यवाही की जाए।   जैन आज प्रदेश के संभागायुक्तों और कलेक्टरों से वीडियोकॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में चर्चा कर रहे थे।मुख्य सचिव ने कहा है कि नवीन न्याय संहिता को 1 जुलाई 2024 से लागू होना है इसके लिए जल्द ही जिलों में वर्कशॉप करने के लिए सभी इंतजाम किए जाए। उन्होंने कहा कि वर्कशॉप में जिले में प्रबुद्ध नागरिकों और कॉलेज के विद्यार्थियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि नामातंरण, बटांकन, डायवर्सन सहित अन्य विवादित एवं अविवादित राजस्व प्रकरणों के निराकरण के लिए विशेष अभियान चलाएं। इसी प्रकार से श्रम पोर्टल में दर्ज श्रमिकों के राशन कार्ड बनाया जाए।

    मुख्य सचिव ने कहा कि विकसित छत्तीसगढ़ 2047 के विजन डॉक्यूमेंट बनाने का कार्य राज्य नीति आयोग के द्वारा किया जा रहा है। यह कार्य समय-सीमा में पूर्ण किया जाना है। सभी कलेक्टर इस संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव नीति आयोग को उपलब्ध कराएं। उन्होंने सड़क सुरक्षा समिति की नियमित बैठक कराने और सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रण के लिए आवश्यक उपाय करने और सड़कों पर आवारा पशु नहीं आए इसके लिए सड़कों के चयनित स्टेचर्स पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए।

    मुख्य सचिव  जैन ने नारी शक्ति से जल शक्ति अभियान की तैयारी की समीक्षा में कहा कि महिला स्व-सहायता समहों एवं महिलाओं की सहभागिता ली जाए।  इसी प्रकार जल जीवन मिशन योजनाओं के अंतर्गत नल से जल के लिए निर्मित टंकियों, पंपो के संधारण संचालन के संबंध में पंचायतों से आवश्यक समन्वय करने के निर्देश दिए। ध्वनि से होने वाले प्रदूषण नियंत्रण पर विशेष ध्यान दें। निर्धारित सीमा से अधिक प्रदूषण करने वाले ध्वनि विस्तारक यंत्रों जब्ती, अभियोजन एवं राजसात की कार्यवाही की जाए। उन्होंने राजस्व नक्शों के जियो-रिफ्रेंसिंग हेतु प्राप्त सेटेलाईट नक्शों के मिलान और सत्यापन कार्यों को तेजी से पूर्ण कराने के निर्देश दिए।
    वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्री के सचिव श्री बसवराजू एस., कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती शहला निगार, योजना आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के सचिव   अंकित आनंद, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव श्री अविनाश चंपावत सहित गृह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, कृषि, आवास एवं पर्यावरण, परिवहन, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, जल संसाधन, नगरीय प्रशासन सहित अन्य विभागों के अधिकारी शामिल हुए।

  • मुख्यमंत्री साय बने किसान: खेतों में बीज छिड़काव कर खेती-किसानी का शुभारंभ

    मुख्यमंत्री साय बने किसान: खेतों में बीज छिड़काव कर खेती-किसानी का शुभारंभ

    रायपुर ।

    छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज एक प्रेरणादायक कदम उठाते हुए अपने गृह ग्राम बगिया में किसान की भूमिका निभाई। उन्होंने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए मानसून की शुरुआत के साथ ही अपने पुश्तैनी खेतों में धान की बोनी का शुभारंभ किया। यह दृश्य न केवल ग्रामीणों के लिए उत्साहजनक था, बल्कि पूरे राज्य के किसानों के लिए एक प्रेरणा स्रोत भी बना।मुख्यमंत्री साय ने खुद धान की बीज को अपने हाथों से खेतों में बिखेरा। इस मौके पर पारंपरिक वस्त्र और पगड़ी पहने हुए मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ जुड़ाव और उनकी समस्याओं के प्रति अपने संवेदनशीलता का प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने खेतों में बीज छिड़काव से पहले पारंपरिक पूजा-अर्चना भी की, जो जशपुर और सरगुजा अंचल के किसानों की पुरानी परंपरा है। इस परंपरा के अनुसार, परिवार का मुखिया पहले बीज छिड़कता है और उसके बाद परिवार के अन्य सदस्य उसका अनुसरण करते हैं।

    मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा, खेती-किसानी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है। मैं भी एक किसान परिवार से हूं और खेती-किसानी की परंपराओं को जीवित रखना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि हमारे किसान आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए अपनी उपज को बढ़ाएं, लेकिन साथ ही अपनी पारंपरिक विरासत को भी बनाए रखें।यह पहल न केवल पारंपरिक कृषि पद्धतियों को पुनर्जीवित करने का प्रयास है, बल्कि इससे यह भी संदेश मिलता है कि मुख्यमंत्री किसानों के साथ खड़े हैं और उनकी समस्याओं को समझते हैं। हाल ही में, मुख्यमंत्री श्री साय ने कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर राज्य में बेहतर खरीफ फसल के लिए जरूरी तैयारियों की समीक्षा की थी। उन्होंने अधिकारियों को किसानों के लिए खाद-बीज की पर्याप्त व्यवस्था करने और कृषि में तकनीक के अधिक प्रयोग पर जोर दिया था।मुख्यमंत्री की इस पहल ने राज्य के किसानों में एक नई उम्मीद जगा दी है। बगिया गांव के किसानों ने कहा, मुख्यमंत्री जी का हमारे साथ खेतों में काम करना हमारे लिए गर्व की बात है। इससे हमें प्रेरणा मिलती है और यह दिखाता है कि वे वास्तव में हमारी समस्याओं को समझते हैं और उनका समाधान करना चाहते हैं।
    मुख्यमंत्री   साय ने स्वयं खेती-किसानी कर नया उदाहरण प्रस्तुत किया है कि कैसे एक नेता अपने पारिवारिक और प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए जमीनी स्तर पर जनता के साथ जुड़ सकता है।मुख्यमंत्री श्री साय ने किसानों से अपील की कि वे आधुनिक तकनीक और पारंपरिक ज्ञान का मिश्रण कर अपनी कृषि उत्पादकता को बढ़ाएं। उन्होंने कहा, हमारी सरकार किसानों की हर संभव मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम कृषि क्षेत्र में नवाचार और तकनीकी विकास को बढ़ावा देंगे, ताकि हमारे किसान अधिक उत्पादन कर सकें और अपने जीवन स्तर को सुधार सकें।इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कृषि आधारित रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को आधुनिक उपकरण के लिए सब्सिडी और तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाएगी।

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

     

  • भव्य और सफल आयोजन रहा राष्ट्रीय आम महोत्सव: डॉ. अलंग

    भव्य और सफल आयोजन रहा राष्ट्रीय आम महोत्सव: डॉ. अलंग

    रायपुर ।

    इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी, छत्तीसगढ़ शासन तथा प्रकृति की ओर सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में 12 से 14 जून तक आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव का समापन हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि संभागायुक्त रायपुर एवं महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय अलंग थे। समारोह की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में संचालक उद्यानिकी  एस. जगदीशन उपस्थित थे।

    प्रदर्शनी में शामिल विभिन्न श्रेणियों, उत्कृष्ट प्रादर्शां को पुरस्कृत किया गया

    समापन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. संजय अलंग ने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय आम महोत्सव एक अनोखा और सफल आयोजन रहा, जिसमें देश भर के 600 से अधिक कृषक प्रतिभागियों द्वारा आम की 350 विभिन्न किस्मों के दो हजार से अधिक प्रादर्श छत्तीसगढ़ वासियों के अवलोकनार्थ रखे गए थे। इस आम महोत्सव को रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के लोगों का प्यार मिला और तीन दिनों तक आमों की इतनी सारी और विविध किस्मों को दखने के लिए दर्शक उमड़े रहे। तीन दिनों के आयोजन के दौरान लगभग 5 लाख रूपये के आम एवं पौधों की बिक्री होना आयोजन की सफलता को दर्शाता है। उन्होंने इस सफल आयोजन हेतु इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल, प्रशासनिक अधिकारियों, वैज्ञानिकों तथा आयोजन समिति के सदस्यों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

    समारोह की अध्यक्षता करते हुए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालनालय उद्यानिकी एवं प्रकृति की ओर संस्था की सहयोग से पहली बार तीन दिवसीय राष्ट्रीय आम महोत्सव आयोजित किया गया, जिसे आम नागरिकों का जबरदस्त प्रतिसाद मिला। उन्होंने कहा कि आम महोत्सव में लगाई गई आम प्रदर्शनी को देखने हजारों लोग आए। महात्सव के दौरान आम की किस्मों तथा व्यंजनों पर केन्द्रित विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। डॉ. चंदेल ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा आगामी वर्ष इस आम महोत्सव को और भी भव्य तथा विस्तृत रूप में आयोजित किया जाएगा। संचालक उद्यानिकी  एस. जगदीशन ने बताया कि छत्तीसगढ़ की आबोहवा आम की खेती के लिए काफी उपयुक्त है। राज्य की 46 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में लगभग ढ़ाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फलों की खेती की जा रही है, जिसमें एक लाख हेक्टेयर रकबे में आम का उत्पादन हो रहा है। समापन समारोह में आम महोत्सव के दौरान लगाई गई प्रदर्शनी के अंतर्गत विभिन्न श्रेणियों में शामिल प्रादर्शां को प्रथम, द्वितीय, तृतीय तथा सांत्वना पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। आम से बने व्यंजनों की प्रतियोगिता हेतु भी पुरस्कार प्रदान किये गये। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाली उत्कृष्ट संस्थाओं को भी सम्मानित किया गया।

    समापन समारोह में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव  जी.के. निर्माम, संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, प्रकृति की ओर संस्था के अध्यक्ष  मोहन वर्ल्यानी सहित बड़ी संख्या में प्रगतिशील कृषक प्रतिभागी, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी, विभिन्न कृषि महाविद्यालयों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के कृषि वैज्ञानिक तथा छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

  • जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक आयोजित

    जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक आयोजित

        जांजगीर-चांपा ।

     कलेक्टर आकाश छिकारा की अध्यक्षता में खरीफ वर्ष 2024 के कार्यक्रम निर्धारण हेतु जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक कलेक्टोरेट कार्यालय के सभाकक्ष में संपन्न हुई। बैठक में समिति के सचिव कार्यपालन अभियंता हसदेव नहर जल संभाग जांजगीर के द्वारा बांध में जल उपलब्धता की जानकारी दी गयी, जिसके अनुसार हसदेव बांगो परियोजना अंतर्गत जांजगीर-चांपा, सक्ती, कोरबा एवं रायगढ़ जिले हेतु अगामी खरीफ वर्ष 2024 हेतु सिंचाई क्षमता 02 लाख 47 हजार 400 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि 10 जून की स्थिति में हसदेव बांगो बांध में कुल जल भराव क्षमता का 43.08 प्रतिशत है।

    समिति द्वारा विचारोपरान्त हसदेव बांगो परियोजना के अन्तर्गत हसदेव बायीं तट नहर प्रणाली एवं हसदेव दांयी तट नहर प्रणाली में खरीफ सिंचाई वर्ष 2024 हेतु 05 जुलाई से पानी प्रवाहित करने का निर्णय लिया गया है। बैठक में जलाशयों में उपलब्ध जल भराव, खरीफ वर्ष 2024 के सिंचाई कार्यक्रम, फसल का लक्ष्य निर्धारण तथा खाद, बीज व कीटनाशक की उपलब्धता जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। बैठक में विधायक जांजगीर-चांपा  ब्यास कश्यप, अकलतरा विधायक   राघवेन्द्र कुमार सिंह, विधायक जैजैपुर बालेश्वर साहू, विधायक रामपुर  फूल सिंह राठिया, पूर्व विधायक  केशव चन्द्रा, जिला पंचायत उपाध्यक्ष  राघवेन्द्र प्रताप सिंह, जिला पंचायत सदस्य राजकुमार साहू,  दिनेश शर्मा,  गुलजार सिंह,  दुष्यंत सिंह, राजशेखर सिंह,  संदीप तिवारी, शिव कुमार तिवारी,  जिला पंचायत सीईओ  गोकुल कुमार रावटे, सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

       बैठक में अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने, नहरों की मरम्मत करने, जल संसाधन विभाग के जलाशय एवं अन्य रकबों को अतिक्रमण से मुक्त कराने के संबंध में कृषक प्रतिनिधियों के सुझावों पर चर्चा हुई। बैठक में कलेक्टर ने खाद बीज के भंडारण तथा वितरण की चर्चा करते हुए खाद बीज की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कृषि विभाग एवं राजस्व विभाग को आपसी समन्वय के साथ अतिक्रमण में लाल झंडा लगाकर चिन्हांकन करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सोसायटी में खाद बीज उठाव के लिए किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या ना हो। उन्होंने कहा कि सोसायटी में खाद-बीज का भंडारण करने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने कहा कि उन्नत किस्म और कम अवधि वाले धान बीज का उपयोग करना किसानों के लिए अधिक फायदेमंद है। किसानों को इसका उपयोग करके, जमीन की उर्वरता बनाए रखने के लिए फसल चक्र लेने प्रोत्साहित करने कहा।