Category: कृषि

  • जशपुरिया स्ट्राबेरी से महकेगा छत्तीसगढ़

    जशपुरिया स्ट्राबेरी से महकेगा छत्तीसगढ़

    रायपुर, 02 फरवरी 2023/ छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में स्ट्राबेरी की खेती लोकप्रिय होे रही है। अपने लजीज स्वाद और मेडिसिनल वेल्यू के कारण यह बड़े स्वाद के खाया जाता है। राज्य के जशपुर, अंबिकापुर, बलरामपुर क्षेत्र में कई किसान इसकी खेती कर रहे हैं। स्ट्राबेरी की मांग के कारण यह स्थानीय स्तर पर ही इसकी खपत हो रही है। इसकी खेती से मिलने वाले लाभ के कारण लगातार किसान आकर्षित हो रहे हैं। एक एकड़ खेत में इसकी खेती 4 से 5 लाख की आमदनी ली जा सकती है। जशपुर जिले में 25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती की है। जशपुर में विंटर डान प्रजाति की स्ट्राबेरी के पौधे लगाए गए हैं। इन किसानों को उद्यानिकी विभाग की योजना राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत तकनीकी मार्गदर्शन और अन्य सहायता मिल रही है। किसानों का कहना है कि छत्तीसगढ़ में होने वाली स्ट्राबेरी की गुणवत्ता अच्छी है और साथ ही स्थानीय स्तर पर उत्पादन होने के कारण व्यापारियों को ताजे फल मिल रहे हैं। जिसके कारण उन्हें अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।

    *धान के मुकाबले 8 से 9 गुना फायदा*
    स्ट्राबेरी की खेती धान के मुकाबले कई गुना फायदे का सौदा है। जहां धान की खेती के लिए मिट्टी का उपजाऊपन के साथ साथ ज्यादा पानी और तापमान की जरूरत होती है वहीं स्ट्राबेरी के लिए सामान्य भूमि और सामान्य सिंचाइ में भी यह बोई जा सकती है। धान की खेती में जहां देख-रेख की ज्यादा जरूरत पड़ती है वहीं स्ट्राबेरी के लिए देख-रेख की कम जरूरत पड़ी है, सिर्फ इसके लिए ठंडे मौसम की जरूरत होती है। जहां धान से एक एकड़ में करीब 50 हजार की आमदनी ली जा सकती है वहीं स्ट्राबेरी की खेती में 3 से 4 लाख की आमदनी हो सकती है। इस प्रकार धान से 8-9 गुना आमदनी मिलती है। स्ट्राबेरी की खेती छत्तीसगढ़ के ठंडे क्षेत्रों में ली जा सकती है। इसके लिए राज्य के अंबिकापुर, कोरिया, बलरामपुर, सूरजपुर जशपुर का क्षेत्र उपयुक्त है।

    *ठंडे क्षेत्र खेती के लिए उपयुक्त*
    जशपुर में जलवायु की अनूकूलता को देखते हुए 25 किसानों ने 6 एकड़ में स्ट्राबेरी की फसल ली गई है। इन किसानांे ने अक्टूबर में स्ट्राबेरी के पौधे रोपे और दिंसबर में पौधे से फल आना शुरू हो गए। फल आते ही किसानों ने हरितक्राति आदिवासी सहकारी समिति के माध्यम से या स्वयं अच्छी पैकेजिंग की। पैकेजिंग के साथ कुछ समय में प्रतिसाद मिलना शुरू हो गए। जशपुर में 25 किसानों ने दो-दो हजार पौधे लगाए हैं। इससे हर किसान को अब तक करीब 40 से 70 हजार रूपए की आमदनी हो चुकी है। किसानों ने बताया कि स्ट्राबेरी के पौधों पर मार्च तक फल आएंगे, इससे करीब एक किसान को एक से डेढ़ लाख रूपए की आमदनी संभावित है। वहीं एक किसान से करीब 3000 किलो स्ट्राबेरी फल होने और सभी किसानों से कुल 75000 किलोग्राम स्ट्राबेरी के उत्पादन होने की संभावना है।

    *जमीन का उपजाऊ होना आवश्यक नहीं*
    जशपुर के किसान श्री धनेश्वर राम ने बताया कि पहले उनके पास कुछ जमीन थी जो अधिक उपजाऊ नहीं थी वह बंजर जैसी थी। मुश्किल से कुछ मा़त्रा में धान की फसल हो पाती थी। जब उन्हें विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन मिलने पर फलंों की खेती प्रारंभ की। नाबार्ड संस्था से सहयोग भी मिला। उन्हांेने 25 डिसमील़ के खेत में स्ट्राबेरी के 2000 पौधे का रोपण किया। तीन माह में ही अच्छे फल आ गए हैं। मार्केट में इसकी उन्हें 400 रूपए प्रति किलो की कीमत मिल रही हैं। उन्हें अभी तक करीब 70 हजार रूपए की आय हो गई है। उन्हें राष्ट्रीय बागवानी मिशन से मल्चिंग और तकनीकी मदद मिली है।

    *सौंदर्य प्रसाधन और दवाईयों में उपयोग*
    स्ट्राबेरी का उपयोग कई प्रकार के खाद्य पदार्थों में किया जाता है। आइस्क्रीम, जेम जेली, स्क्वैश आदि में स्ट्राबेरी फ्लेवर लोकप्रिय है। इसके अलावा इसका उपयोग पेस्ट्री, टोस्ट सहित बैकरी के विभिन्न उत्पादनों में किया जाता है। स्ट्राबेरी में एण्टी आक्सीडेंट होने के कारण इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के सौंदर्य प्रसाधनों लिपिस्टिक फेसक्रीम के अलावा बच्चों की दवाईयों में फ्लेवर के लिए किया जाता है।

    *ग्र्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती का असर: रविन्द्र चौबे कृषि मंत्री*
    छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने की पहल का असर अब खेती किसानी में दिखने लगा है। खेती किसानी में मिल रहे इनपुट सब्सिडी का उपयोग किसान अन्य फसलों के लिए कर रहे हैं। किसान अब परम्परागत धान की खेती की जगह बागवानी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। किसानों के इस नवाचारी पहल की लिए बधाई और शुभकामनाएं।

  • प्रदेश में धान खरीदी का आकड़ा 107 लाख मीट्रिक टन से पार

    प्रदेश में धान खरीदी का आकड़ा 107 लाख मीट्रिक टन से पार

    रायपुर, 31 जनवरी 2023/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में 1 नवम्बर 2022 से शुरू हुई धान खरीदी का महाभियान निरंतर जारी है। प्रदेश में धान खरीदी का आंकड़ा अब तक के रिकार्ड बनाते हुए 107 लाख मीट्रिक टन से पार हो गया है। धान खरीदी का कल 31 जनवरी आखरी दिन है। अब तक राज्य के 23.39 लाख किसानों ने धान विक्रय किया है। धान खरीदी के भुगतान के लिए मार्क फेड द्वारा अपैक्स बैंक को 22 हजार करोड़ रूपए जारी कर दिया गया है।

    उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी धान खरीदी के साथ-साथ कस्टम मिलिंग के लिए निरंतर धान का उठाव जारी है। अब तक कुल धान खरीदी 107 लाख मीट्रिक टन में से लगभग 96 लाख मीट्रिक टन धान के उठाव के लिए डीओ जारी किया गया है, जिसके विरूद्ध मिलर्स द्वारा 89 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान का उठाव किया जा चुका है। खाद्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 30 जनवरी को 6,905 किसानों से 23 हजार टन से अधिक धान की खरीदी की गई है। ऑनलाइन प्राप्त टोकन के जरिए किसानों से 2 हजार टन धान की खरीदी हुई है।

    इस साल राज्य में 24.98 लाख किसानों का पंजीयन हुआ है, जिसमें लगभग 2.32 लाख नये किसान शामिल हैं। किसानों को धान विक्रय में सहूलियत हो इस लिहाज से इस वर्ष राज्य में 135 नए उपार्जन केन्द्र शुरू किए गए, जिससे राज्य में धान खरीदी के लिए 2617 उपार्जन केन्द्र हो गया हैं। सामान्य धान 2040 रूपए प्रति क्विंटल तथा ग्रेड-ए धान 2060 रूपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जा रहा है। इसी तरह राज्य में धान खरीदी की व्यवस्था पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। सीमावतÊ राज्यों से धान के अवैध परिवहन को रोकने के लिए चेक पोस्ट पर माल वाहकों की चेकिंग की जा रही है। राज्य सरकार इस वर्ष प्रदेश के पंजीकृत किसानों से लगभग 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा है। धान खरीदी केन्द्रों में किसानों की चहल-पहल और धान की आवक से अनुमानित आंकड़े पार हो जाएंगे।

  • उद्यानिकी फसलों के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर 3 लाख रूपए तक का ऋण

    उद्यानिकी फसलों के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर 3 लाख रूपए तक का ऋण

    रायपुर, 31 जनवरी 2023/ छत्तीसगढ़ में उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहें है। राज्य शासन द्वारा उद्यानिकी फसल उत्पादक कृषकों को तीन लाख रूपए तक की सीमा तक शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराने दिया जा रहा है। कृषि उत्पादन आयुक्त डाॅ. कमलप्रीत सिंह ने उद्यान विभाग के अधिकारियों को उद्यानिकी योजनाओं के साथ ही उद्यानिकी फसलों के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर दी जा रही अल्पकालीन सुविधा के भी प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए। वे आज उद्यानिकी विभाग की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में उद्यानिकी विभाग के संचालक श्री माथेश्वरन व्ही. सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
    बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि धान के बदले अन्य फसल लिये जाने पर प्रति एकड़ 10 हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, इसका भी प्रचार-प्रसार करें। डाॅ. सिंह ने विभाग के फ्लैगशीप योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि गौठानों में तैयार किये गये उत्पादों के विक्रय के लिए आस-पास के विभिन्न संस्थाओं यथा स्कूल, आश्रम, कैम्प (बी.एस.एफ, केन्द्रीय एवं अन्य पुलिस बल), छात्रावास, चिकित्सालय, आंगनबाड़ी इत्यादि संस्थाओं से सामुदायिक बाड़ियों को लिंक किया जावे। उन्होंने उद्यान विभाग के अधिकारियों को उद्यानिकी उत्पादों के सैल्प लाइफ को बढ़ाने के संबंध में विभाग से जिमीकंद एवं कटहल के सैम्पल को रेडिएशन की प्रक्रिया कराये जाने केे लिए भाभा एटोमिक रिसर्च सेन्टर (BARC)  मुम्बई भेजे जाने के भी निर्देश दिए।
    कृषि उत्पादन आयुक्त डाॅ. कमलप्रीत सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के घटक मधुमक्खी पालन का क्रियान्वयन वन विभाग से समन्वय कर अधिक वन क्षेत्र वाले जिलों में किया जावे। उन्होंने समस्त जिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि जिलों को प्रदायित राशि में सर्वप्रथम राज्य पोषित योजनाओं की पूर्ति तद्पश्चात् केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं की पूर्ति एवं उक्त दोेनो योजनाओं की पूर्ति होेने के उपरांत डीएमएफ मद का उपयोग किया जावे। उद्यानिकी मित्र योजना की समीक्षा करते हुए डाॅ. सिंह ने कहा कि हायर सेकेण्डरी स्कूलों में उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित योजना की जानकारी प्रदान किए जाए, जिससे स्कूलों के छात्र-छात्राओं में बागवानी के प्रति रूचि बढे एवं स्कूल शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत छात्र-छात्राओं द्वारा विभागीय योजनाओं का लाभ लेकर कृषि कार्यों को भी रोजगार के रूप में अपनाया जावे। उन्होंने समस्त राज्य एवं केन्द्र पोषित योजना अंतर्गत किये जा चुके कार्यों की शत् प्रतिशत वित्तीय पूर्ति मार्च माह से पूर्व करना सुनिश्चित करने के निर्देश समस्त जिला स्तरीय अधिकारियों कोे दिए। साथ ही उन्होंने राज्य एवं केन्द्र पोषित योजनांतर्गत उद्यानिकी प्रशिक्षण एवं भ्रमण संबंधित कार्य जल्द पूर्ण कराने कहा।
    बैठक में राज्य पोषित योजना के घटक कम्यूनिटी फैसिंग हेतु आगामी वर्ष 2023-24 हेतु भी पूर्ति खरीफ मौसम में पूर्ण किये जाने के लिए निर्देशित किया गया। इस संबंध में कम्यूनिटी फैसिंग का नेशनल मिशन आॅन एडीबल आॅयल योजनांतर्गत चयनित किये गये कृषकों के साथ अभिसरण कर योजना का लाभ दिए जाने कहा गया। नेशनल मिशन आॅन एडीबल आयल-आॅयल पाॅम योजना की समीक्षा करते हुए डाॅ. सिंह ने योजनांतर्गत अधिक से अधिक कृषकों को लाभान्वित किए जाने के निर्देश दिए। साथ ही रोपण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने हेतु अन्य नवीन संस्थाओं के साथ अनुबंध किया जाने को भी कहा।
    राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के समीक्षा दौरान उन्होंने कहा कि जिलों से चर्चा कर वर्ष 2022-23 में जिन घटकों की पूर्ति जिन जिलों द्वारा नहीं की जा सकेगी उन घटकों के लक्ष्य परिवर्तित कर अन्य जिलों को आबंटित किया जावे। बैठक में श्री माथेश्वरन व्ही द्वारा विभाग अंतर्गत संचालित विभिन्न योजनाओं हेतु प्राप्त आबंटन एवं अद्यतन हुए व्यय की जानकारी प्रदान की गई। बैठक में अपर संचालक उद्यान श्री भूपेद्र कुमार पाण्डेय, संयुक्त संचालक उद्यान श्री व्ही के चतुर्वेदी, संयुक्त संचालक (अभियंत्रिकी) श्री एम पी अवधिया, उप संचालक उद्यान (द्वय) श्री नीरज कुमार शाहा एवं श्री मनोज कुमार अम्बष्ट तथा समस्त जिलों के उप एवं सहायक संचालक उद्यान उपस्थित थे।
  • उद्यानिकी उत्पादक कृषकों को 3 लाख तक शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर मिलेगा ऋण

    उद्यानिकी उत्पादक कृषकों को 3 लाख तक शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर मिलेगा ऋण

    रायपुर,23 जनवरी 2023। उद्यानिकी फसल उत्पादक कृषकों को राशि रूपये 3.00 लाख तक की सीमा तक शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर अल्पकालीन ऋण उपलब्ध कराने हेतु अधिसूचना जारी किया गया है। अतः उक्त प्रावधान की जानकारी अधिक से अधिक कृषकों को उपलब्ध करावें, डॉ. कमलप्रीत सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त, छत्तीसगढ़ शासन, कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी के विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा लेते हुए समस्त जिलों के उप/सहायक संचालक उद्यान को निर्देशित किया। बैठक में संचालनालयीन स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ समस्त जिलों के उप/सहायक संचालक उद्यान भी उपस्थित हुए।
    कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में आहूत बैठक में उद्यानिकी की समीक्षा के दौरान संचालक उद्यानिकी माथेश्वरन व्ही द्वारा विभाग अंतर्गत संचालित विभिन्न योजनाओं हेतु प्राप्त आबंटन एवं अद्यतन हुए व्यय की जानकारी दी।से कृषि उत्पादन आयुक्त महोदय को अवगत कराया गया। उक्त की समीक्षा करते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त महोदय ने समस्त राज्य एवं केन्द्र पोषित योजना अंतर्गत किये जा चुके कार्यों की शत् प्रतिशत वित्तीय पूर्ति मार्च माह से पूर्व करना सुनिश्चित करने के निर्देश समस्त जिलाधिकारी को दिए। साथ ही उनके द्वारा राज्य एवं केन्द्र पोषित योजनांतर्गत उद्यानिकी प्रशिक्षण एवं भ्रमण संबंधित कार्य जल्द पूर्ण कराकर उक्त घटकों की वित्तीय पूर्ति भी निर्धारित समयावधि में करने हेतु आदेशित किया गया।
    फ्लैगशीप योजना की समीक्षा के दौरान कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि गौठानों में तैयार किये गये उत्पादों के विक्रय हेतु आस पास के विभिन्न संस्थाओं यथा स्कूल, आश्रम, कैम्प (बी.एस.एफ, केन्द्रीय एवं अन्य पुलिस बल), छात्रावास, चिकित्सालय, आंगनबाड़ी एवं अन्य से सामुदायिक बाड़ियों को लिंक किया जावे।
    धान के बदले अन्य फसल लिये जाने पर प्रति एकड़ राशि रू. 10000 की प्रोत्साहन राशि वाली योजना पर प्रचार प्रसार कर अधिक से अधिक कृषकों को धान के स्थान पर अन्य फसल लिये जाने हेतु प्रोत्साहित करने का निर्देश समस्त जिलों के उद्यान अधिकारियों को दिया गया।
    उद्यानिकी मित्र बनाने के संबंध में कृषि उत्पादन आयुक्त ने हायर सेकेण्डरी स्कूलों में उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित योजना की जानकारी प्रदान किए जाने के निर्देश दिए जिससे स्कूलों के छात्र/छात्राओं में बागवानी के प्रति रूचि बढे एवं स्कूल शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत छात्र/छात्राओं द्वारा विभागीय योजनाओं का लाभ लेकर कृषि कार्यों को भी रोजगार के रूप में अपनाया जावे।
    राज्य पोषित योजना के घटक कम्यूनिटी फैसिंग हेतु आगामी वर्ष 2023-24 हेतु भी पूर्ति खरीफ मौसम में पूर्ण किये जाने के लिए निर्देशित किया गया। इस संबंध में कम्यूनिटी फैसिंग का नेशनल मिशन ऑन एडीबल ऑयल योजनांतर्गत चयनित किये गये कृषकों के साथ अभिसरण कर योजना का लाभ दिए जाने के भी निर्देश दिए।
    उद्यानिकी उत्पादों के सैल्प लाइफ को बढ़ाने के संबंध में विभाग से जिमीकंद एवं कटहल के सैम्पल को रेडिएशन की प्रक्रिया कराये जाने हेतु भाभा एटोमिक रिसर्च सेन्टर (BARC), मुम्बई भेजे जाने हेतु संचालक उद्यानिकी को निर्देशित किया गया।
    राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के घटक मधुमक्खी पालन का क्रियान्वयन वन विभाग से समन्वय कर अधिक वन क्षेत्र वाले जिलों में किया जावे।
    कृषि उत्पादन आयुक्त महोदय द्वारा समस्त जिलाधिकारियों को निर्देशित किया गया कि जिलों को प्रदायित राशि में सर्वप्रथम राज्य पोषित योजनाओं की पूर्ति तद्पश्चात् केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं की पूर्ति एवं उक्त दोेनो योजनाओं की पूर्ति होने के उपरांत डीएमएफ मद का उपयोग किया जावे।
    राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के समीक्षा दौरान निर्देशित किया गया कि जिलों से चर्चा कर वर्ष 2022-23 में जिन घटकों की पूर्ति जिन जिलों द्वारा नहीं की जा सकेगी। उन घटकों के लक्ष्य परिवर्तित कर अन्य जिलों को आबंटित किया जावे।
    नेशनल मिशन ऑन एडीबल आयल-ऑयल पॉम योजना की समीक्ष करते हुए आयुक्त ने योजनांतर्गत अधिक से अधिक कृषकों को लाभान्वित किए जाने के निर्देश दिए। साथ ही रोपण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने हेतु अन्य नवीन संस्थाओं के साथ अनुबंध किया जाने को भी कहा।
    बैठक में संचालनालय स्तर से अपर संचालक उद्यान भूपेद्र कुमार पाण्डेय, संयुक्त संचालक उद्यान व्ही के चतुर्वेदी, संयुक्त संचालक (अभियंत्रिकी) श्री एम पी अवधिया, उप संचालक उद्यान (द्वय)  नीरज कुमार शाहा एवं मनोज कुमार अम्बष्ट तथा समस्त जिलों के उप एवं सहायक संचालक उद्यान उपस्थित थे।

  • गेहूं की बंपर फसल के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिशें

    गेहूं की बंपर फसल के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिशें

    रायपुर 12 दिसंबर 2022/
    भोपाल । गेहूं की बंपर फसल के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सिफारिशें – बीज दर और बुवाई की विधि – बीज दर दानों के आकार, जमाव प्रतिशत, बोने का समय, बोने की विधि एवं भूमि की दशा पर निर्भर करती है। सामान्यत: यदि 1000 बीजों का भार 38 ग्राम है तो एक हेक्टेयर के लिये लगभग 100 कि.ग्रा. बीज की आवश्यकता होती है। यदि दानों का आकार बड़ा या छोटा है तो उसी अनुपात में बीज दर घटाई या बढ़ाई जा सकती है। इसी प्रकार सिंचित क्षेत्रों में समय से बुआई के लिये 100 कि.ग्रा./हे. बीज पर्याप्त होता है। विभिन्न परिस्थितियों में बुआई हेतु फर्टी-सीड ड्रिल (बीज एवं उर्वरक एक साथ बोने हेतु), जीरो-टिल ड्रिल (जीरोटिलेज या शून्य कर्षण में बुआई हेतु), फर्ब ड्रिल (फर्ब बुआई हेतु) आदि मशीनों का प्रचलन बढ़ रहा है। इसी प्रकार फसल अवशेष को बिना साफ किए हुए अगली फसल के बीज बोने के लिये रोटरी-टिल ड्रिल भी उपयोग में लाई जा रही है।

    उर्वरकों की मात्रा एवं उनका प्रयोग

    गेहूं उगाये जाने वाले ज्यादातर क्षेत्रों में नत्रजन की कमी पाई जाती है। फास्फोरस तथा पोटाश की कमी भी क्षेत्र विशेष में पाई जाती है। पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में गंधक की कमी पाई गई है। इसी प्रकार सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे जस्ता, मैगनीज तथा बोरान की कमी गेहूं उगाये जाने वाले क्षेत्रों में देखी गई है। इन सभी तत्वों को भूमि में मृदा-परीक्षण को आधार मानकर आवश्यकता अनुसार प्रयोग करें। लेकिन ज्यादातर किसान विभिन्न कारणों से मृदा परीक्षण नहीं करवा पाते हैं। ऐसी स्थिति में गेहूं के लिये संस्तुत दर निम्न हैं।

    असिंचित दशा में उर्वरकों को कूड़ों में बीजों से 2-3 से.मी. गहरा डाले तथा बालियां आने से पहले यदि पानी बरस जाए तो 20 किग्रा/हे. नत्रजन को टॉप ड्रेसिंग के रूप में देे।

    एनपीके

    सिंचित दशाओं में फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा तथा नत्रजन की 1/3 मात्रा बुवाई से पहले भूमि में अच्छे से मिला दे। नाईट्रोजन 2/3 मात्रा प्रथम सिंचाई के बाद तथा शेष आधा तृतीय सिंचाई के बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में देे।

    धान, मक्का एवं कपास के बाद गेहूं लेने वाले क्षेत्रों में गंधक, जस्ता, मैगनीज एवं बोरान की कमी की संभावना होती है तथा कुछ क्षेत्रों में इसके लक्षण भी देखे गए हैं। ऐसे क्षेत्रों में अच्छी पैदावार के लिये इनका प्रयोग आवश्यक हो गया है।

    गंधक

    गंधक की कमी को दूर करने के लिये गंधक युक्त उर्वरक जैसे अमोनियम सल्फेट अथवा सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग अच्छा रहता है। जस्ते की कमी वाले क्षेत्रों में जिंक सल्फेट 25 कि.ग्रा./हे. की दर से धान-गेहूं फसल चक्र वाले क्षेत्रों में साल में कम से कम एक बार प्रयोग करें। यदि इसकी कमी के लक्षण खड़ी फसल में दिखाई दें तो 100 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट तथा 500 ग्रा. बुझा हुआ चूना 200 ली. पानी में घोलकर 2-3 छिडक़ाव करें। इसके बाद आवश्यकतानुसार एक सप्ताह के अंतर पर 2-3 छिडक़ाव साफ मौसम एवं खिली हुई धूप में करें।

    पौध संरक्षण

    गेहूं की फसल में बथुआ, कडबथुआ, कडाई, जंगली पालक, सिटिया घास/गुल्ली डंडा, प्याजी जंगली जई आदि खरपतवार पाये जाते हैं। इनके उन्मूलन के लिये कस्सी/ कसोला से निराई गुड़ाई करें। अधिक मात्रा में खरपतवार होने पर निम्नलिखित खरपतवारनाशी का प्रयोग करें।

    गुल्ली डंडा जंगली जई

    500 ग्राम आइसोप्रोट्यूरान (ऐरिलान, टोरस, रक्षक, आइसोगार्ड) या 160 ग्राम टोपिक/पोईट 120 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 35-45 दिन के बाद स्प्रे करें। कंडाई या अन्य चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के विनाश के लिये मैटसल्फ्यूरान (एलग्रिप, एलगो, हुक) 8 ग्राम/एकड़ की दर से बिजाई के 30-35 दिन बाद स्प्रे करें।

    जस्ते की कमी।

    हल्की भूमि में जस्ते की कमी होने पर नीचे से तीसरी या चौथी पुरानी पत्ती के मध्य में हल्के पीले धब्बे दिखाई देते हैं। ऐसे लक्षण होने पर 5 किग्रा यूरिया और एक किग्रा जिंक सल्फेट 200 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव करें।

    बीमारियां एवं रोकथाम

    गेहूं की फसल में पीला, भूरा या काला रतुआ दिसम्बर, जनवरी/फरवरी में कम तापक्रम होने से आता है। रोगरोधी किस्मों के अलावा 800 ग्राम डाइथेन एम-45 का 250 लीटर पानी में मिलाकर छिडक़ाव कर दें। ममनी, टुण्डू रोग या मोल्या रोग नियंत्रण हेतु 6 कि.ग्रा. टैमिक 10जी या 13 कि.ग्रा. फ्यूराडान 3 जी/एकड़ बिजाई के समय दें।

    गेहूं की विभिन्न अवस्थाओं में सिंचाई से होता है फायदा

    रबी फसलों में गेहूँ को ही सबसे अधिक सिंचाई से फायदा होता है। देशी उन्नत जातियों अथवा गेहूँ की ऊंची किस्मों की जल की अवश्यकता 25 से 30 से.मी. है। इन जातियों में जल उपयोग की दृष्टि से तीन क्रांतिक अवस्थाएं होती हैं। जो क्रमश: कल्ले निकलने की अवस्था (बुआई के 30 दिन बाद) पुष्पावस्था (बुआई के 50 से 55 दिन बाद) और दूधिया अवस्था (बुआई के 95 दिन बाद) आदि है।

    इन अवस्थाओं में सिंचाई करने से निश्चित उपज में वृद्धि होती है। प्रत्येक सिंचाई में 8 से.मी. जल देना आवश्यक है। बौनी गेहूँ की किस्मों को प्रारंभिक अवस्था से ही पानी की अधिक आवश्यकता होती है-क्राउन रूट (शिखर या शीर्ष जड़ें) और सेमीन जडें़ की अवस्था में शिखर जड़ोंं से पौधों में कल्लों का विकास होता है जिससे पौधों में बालियां ज्यादा आती हैं और फलस्वरूप अधिक उपज मिलती है। सेमीनल जडें़ पौधों को प्रारंभिक आधार देती हैं। अत: हर हालत में बुआई के समय खेत में नमी काफी मात्रा में हो। पलेवा देकर खेत की तैयारी करके बुआई करने पर अच्छा अंकुरण होता है। इन जातियों को 40 से 50 से.मी. जल की आवश्यकता होती है। और प्रति सिंचाई 6 से 7 से.मी. जल देना जरूरी है। अगर दो सिंचाइयों की सुविधा है तो पहली सिंचाई बुआई के 20-25 दिनों बाद प्रारंभिक जड़ों के निकलने के समय करें और दूसरी सिंंचाई फूल आने के समय यदि तीन सिंचाइयाँ करना संभव है तो पहली सिंचाई बुआई के 20 से 25 दिन बाद (शिखर जडें़ निकलने के समय), दूसरी  गांठों के पौधों में बनने के समय (बुआई के 60-65 दिन बाद) और तीसरी सिंचाई पौधों में फूल आने के बाद करें।

    जहां चार सिंचाईयों की सुविधा हो वहां, पहली सिंचाई बुआई के 21 दिन बाद शिखर जड़ों के निकलते समय, दूसरी पौधों में कल्लों के निकलते समय (बुआई के 40 से 45 दिनों बाद), तीसरी बुआई के 60-65 दिनों बाद (पौधों में गांठें बनते समय) और चौथी सिंचाई पौधों में फूल आने के समय करें। चौथी और पाँचवी सिंचाई विशेष लाभप्रद सिद्ध नहीं होती है। इनको उसी समय करें जब मिट्टी में पानी की संचय की शक्ति कम हो। बलुई या बलुई दोमट मिट्टी में इस सिंचाई की जरूरत होती है।

    पिछेती गेहँू में पहली पांच सिंचाइयां 15 दिनों के अंतर से करें। फिर बालें निकलने के बाद यह अंतर 9 से 10 दिन का रखें। पिछेती गेहूँ की दैहिक अवस्था पिछड़ जाती है और बालों का निकलना और दानों का विकास तो ऐसे समय पर होता है, जबकि वाष्पीकरण तेजी से होता है और ऐसी दशा में खेत में नमी की कमी का दोनों के विकास पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, और इसी लिए दाना सिकुड़ जाता है। इसीलिए देर से बोये गये गेहूँ में जल्दी सिंचाई कम दिनों के अंतर से जरूरी है। सामान्यत: गेहँू की फसल में सिंचाई मुख्यत: बार्डर विधि में 60 से 70 प्रतिशत सिंचाई क्षमता मिल जाती है और क्यारी विधि की तुलना में 20-30 प्रतिशत बचत पानी की होने के साथ-साथ एवं श्रम की बचत भी होती है। जहां ढाल खेत की दोनों दिशाओं में हो वहां क्यारी पद्धति से सिंचाई करना लाभदायक है, जहाँ ट्यूबवेल द्वारा पानी दिया जाता है, वहां यह विधि अपनाई जाती है। जहाँ पर ज्यादा हल्की भूमि अथवा उबड़-खाबड़ हो वहाँ सिंचाई के लिए स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति सबसे उपयुक्त होती है। इस विधि में 70-80 प्रतिशत सिंचाई क्षमता मिल जाती है।

  • हिमाचल के गांव में पुलिस के हाथ लगे अहम सुराग

    हिमाचल के गांव में पुलिस के हाथ लगे अहम सुराग

    नई दिल्ली,21 नवम्बर 2022\ श्रद्धा हत्‍याकांड से जुड़ी एक-एक कड़ी को पुलिस जोड़ने में लगी है और दिल्ली पुलिस की जांच अब हिमाचल तक पहुंच गई है. दिल्ली पुलिस की टीम इस हत्याकांड की जांच के लिए हिमाचल के तोष पहुंची. तोष गांव जो कि हिमाचल के कसौल के बॉर्डर पर स्थित है. यहां से पुलिस को मामले में अहम इनपुट मिले हैं.

    पुलिस सुत्रों के अनुसार आफताब गांजे और चरस का आदी है. आफताब के फोन से तोष के कुछ ड्रग तस्करों के नम्बर भी मिले हैं. यहां पर गेस्ट हाउस मालिक से भी पुलिस पूछताछ कर रही है. पुलिस के अनुसार आफताब घूमने के लिए तोष गए थे.

    मुंबई की श्रद्धा आफताब के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में मुंबई में ही रहती थी. लेकिन बाद में दोनों दिल्ली शिफ्ट हो गए थे.  पुलिस का कहना है कि मई में ऑफताब ने दिल्ली के महरौली में श्रद्धा की हत्या कर दी थी और उसके शरीर के 35 टुकड़े कर दिए थे.

    आफताब अमीन पूनावाला ने श्रद्धा की 18 मई को हत्‍या की और उसकी बॉडी को रखने के लिए अगले दिन 300 लीटर का फ्रिज खरीदा था. इसी दिन उसने हथियार/औजार से शव को 35 टुकड़ों में बांट दिया. वह 18 दिन तक हर रात करीब दो बजे शरीर के हिस्‍सों को ठिकाने लगाने के लिए जाता था.

  • पशुपालन मंत्री पटेल का दौरा कार्यक्रम

    पशुपालन मंत्री पटेल का दौरा कार्यक्रम

    भोपाल,17 नवंबर 2022 /
    पशुपालन एवं डेयरी, सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण मंत्री श्री प्रेमसिंह पटेल 11 नवम्बर को इंदौर में अंतर्राष्ट्रीय कृषि मेला के उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे। श्री पटेल देर रात भोपाल लौट आयेंगे।

  • छत्तीसगढ़ में किसानों को लाख की खेती के लिए प्रोत्साहित करने विशेष पहल

    छत्तीसगढ़ में किसानों को लाख की खेती के लिए प्रोत्साहित करने विशेष पहल

    रायपुर, 10 नवम्बर 2022/ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के अनुरूप छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा किसानों को लाख की खेती के लिए प्रोत्साहित करने और उनकी आय में वृद्धि हेतु विशेष पहल की जा रही है। इसके परिपालन में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा बीहन लाख आपूर्ति तथा बीहन लाख विक्रय और लाख फसल ऋण की उपलब्धता के लिए मदद सहित आवश्यक व्यवस्था की गई है।
    राज्य में बीहन लाख की कमी को दूर करने हेतु कृषकों के पास उपलब्ध बीहन लाख को उचित मूल्य पर क्रय करने के लिए क्रय दर का निर्धारण किया गया है। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त) के लिए कृषकों को देय क्रय दर 550 रूपए प्रति किलो ग्राम तथा रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) के लिए कृषकों को देय क्रय दर 275 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है। इसी तरह कृषकों को बीहन लाख उपलब्ध कराने हेतु विक्रय दर का भी निर्धारण किया गया है। इसके तहत कुसुमी बीहन लाख (बेर वृक्ष से प्राप्त ) के लिए कृषकों को देय विक्रय दर 640 रूपए प्रति किलोग्राम और रंगीनी बीहन लाख (पलाश वृक्ष से प्राप्त) के लिए कृषकों को देय विक्रय दर 375 रूपए प्रति किलोग्राम निर्धारित है।

     


    राज्य सरकार द्वारा किसानों को लाख की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए जिला सहकारी बैंक के माध्यम से लाख फसल ऋण निःशुल्क ब्याज के साथ प्रदाय करने हेतु व्यवस्था की गई है। इसके तहत लाख पालन करने हेतु पोषक वृक्ष कुसुम पर 5 हजार रूपए, बेर पर 900 रूपए तथा पलाश पर 500 रूपए प्रति वृक्ष ऋण सीमा निर्धारित है। लाख पालन को वैज्ञानिक पद्धति से करने हेतु राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा कांकेर में प्रशिक्षण केन्द्र खोला गया है। इस केन्द्र में 03 दिवसीय संस्थागत प्रशिक्षण के साथ लाख उत्पादन क्लस्टर में ऑनफार्म प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।राज्य में योजना के सफल क्रियान्वयन और लाख उत्पादन में वृद्धि करने के लिए 20 जिला यूनियनों में 03 से 05 प्राथमिक समिति क्षेत्र को जोड़ते हुए लाख उत्पादन क्लस्टर का गठन भी किया गया है। इसके तहत प्रत्येक लाख उत्पादन क्लस्टर में सर्वेक्षण कर कृषकवार बीहन लाख की मांग की जानकारी ली जा रही है। इनमें कृषकों को संघ द्वारा निर्धारित मूल्य पर बीहन लाख प्रदाय करने हेतु आवश्यक कुल राशि को अग्रिम रूप से जिला यूनियन खाते में जमा कराना होगा। इसके तहत रंगीनी बीहन लाख के लिए कृषकों से प्राप्त मांग के अनुरूप राशि जमा किए जाने हेतु समय-सीमा 15 नवंबर तक निर्धारित है। इनमें कुसुमी बीहन लाख के लिए कृषकों से प्राप्त मांग के अनुरूप राशि जमा किए जाने हेतु 15 दिसंबर तक समय-सीमा निर्धारित है।

    गौरतलब है कि राज्य के विभिन्न जिलों में परंपरागत रूप से लाख की खेती होती है और लगभग 50 हजार कृषकों द्वारा कुसुम एवं बेर वृक्षों पर कुसुमी लाख, पलाश एवं बेर वृक्षों पर रंगीनी लाख पालन किया जाता है। राज्य में वर्तमान में 4 हजार टन लाख का उत्पादन होता है, जिसका अनुमानित मूल्य राशि 100 करोड़ रूपए है। राज्य में लाख उत्पादन को 10 हजार टन तक बढ़ाते हुए 250 करोड़ रूपए की आय कृषकों को देने का लक्ष्य है। इसके लिए लाख पालन करने वाले कृषकों को निःशुल्क ब्याज के साथ लाख फसल ऋण देने का अहम निर्णय लिया गया है। संपूर्ण देश में लाख उत्पादन के गिरावट के कारण वर्तमान में कुसुमी लाख का बाजार दर 300 रूपए से 900 रूपए प्रति किलोग्राम तक वृद्धि हुई है। इससे लाख खेती बढ़ाने हेतु किसानों का रूझान बढ़ रहा है।