Category: कृषि

  • मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल: बेलतरा क्षेत्र के 12 गांवों को अब मिलेगा सिंचाई का पानी

    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल: बेलतरा क्षेत्र के 12 गांवों को अब मिलेगा सिंचाई का पानी

    रायपुर, 28 फरवरी 2024 /बिलासपुर जिले के बेलतरा क्षेत्र के 12 गांवों की खेती-किसानी अब बिलकुल बदल जाएगी, यह पूरा क्षेत्र लहलहा उठेगा। यहां खेतों में सिंचाई लिफ्ट इरीग्रेशन सिस्टम से की जाएगी। इस सिस्टम से खारंग जलाशय से 2500 एकड़ में सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिलेगा।मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार के पहले बजट में बेलतरा क्षेत्र के खारंग जलाशय के नजदीक के 12 गांवों को लिफ्ट एरिगेशन योजना के जरिए सिंचाई का पानी देने के लिए किए गए बजट प्रावधान से इन ग्रामीणों में वर्षों पुरानी अपनी मांग के पूरा होने का विश्वास जगा है। इन उत्साहित ग्रामीणों ने राजधानी रायपुर में विधानसभा पहुंचकर आज बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला के नेतृत्व में मुख्यमंत्री साय से मुलाकात की और बजट प्रावधान करने के लिए उनके प्रति आभार प्रकट किया।गौरतलब है कि बेलतरा क्षेत्र के नेवसा, गिधौरी, कर्रा, जाली, टेकर, गढ़वट, अकलतरी, बाम्हू, बेलतरा, कड़री, सलखा, लिम्हा (लिम्हा जलाशय) खारंग जलाशय के नजदीक हैं, वर्षों से यहां के किसान खेतों में पानी पहुंचाने की मांग करते रहे, लेकिन इन्हें सिंचाई की सुविधा नहीं मिली। मुख्यमंत्री  विष्णु देव साय द्वारा बजट में प्रावधान करने के बाद इन गांवों में पानी पहुंचाने के लिए नेवसा उद्वहन सिंचाई योजना का निर्माण किया जाएगा इससे इन गांवों की 2500 एकड़ जमीन की सिंचाई हो सकेगी। अधिकारियों ने बताया कि उद्वहन सिंचाई योजना में लगभग 45 करोड़ रूपए की लागत आयेगी। इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप, विधायक अजय चन्द्रकार, भैइयालाल राजवाड़े,  गोमती साय, अनुज शर्मा गजेन्द्र यादव भी इस अवसर पर उपस्थित थे।मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इन ग्रामीणों का स्वागत करते हुए कहा कि आपके आशीर्वाद से नई सरकार बनी है। यह किसानों की हितैषी सरकार है। हमारा देश कृषि प्रधान है। अधिकांश लोग खेती से जुड़े हैं। सिंचाई सुविधा मिलने से आप लोग और बेहतर तरीके से खेती कर सकेंगे। राज्य सरकार प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी कर रही है, 3100 रूपए प्रति क्विंटल दाम भी देंगे। अभी किसानों को समर्थन मूल्य का भुगतान किया गया है। अंतर की राशि भी एकमुश्त जल्द ही दी जाएगी।मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल जी की सरकार में किसान क्रेडिट कार्ड योजना प्रारंभ हुई। किसानों को बिना किसी ब्याज पर ऋण की सुविधा मिली। पहले महाजनों से कर्ज लेना पड़ता था और मूलधन का डेढ़ गुना चुकाना पड़ता था। किसान क्रेडिट कार्ड से किसानों को सुविधा हुई। फसल बीमा योजना का सरलीकरण भी उन्हीं के कार्यकाल में हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किसानों की आय दोगुना करने के लिए अनेक योजनाएं लागू की गई है। कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर कृषक कल्याण मंत्रालय कर दिया गया है। आधुनिक खेती की जानकारी देने के लिए किसान चैनल प्रारंभ किया गया है। पीएम सिंचाई योजना शुरू की गई। पशुपालन एवं मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है।जल संसाधन मंत्री  केदार कश्यप ने ग्रामीणों को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों की वर्षों पुरानी मांग पूरी होगी। 12 गांवों को सिंचाई सुविधा मिलने से दो फसल ले सकेंगे। किसानों की आय बढ़ेगी।

     

  • पत्रकारिता विवि के विद्यार्थियों ने जाना कृषि पत्रकारिता की महत्ता

    पत्रकारिता विवि के विद्यार्थियों ने जाना कृषि पत्रकारिता की महत्ता

    रायपुर। कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि के जनसंचार विभाग में विद्यार्थियों को कृषि पत्रकारिता की महत्ता और सम्भावनाओं से अवगत कराने के लिए 26 फरवरी को छत्तीसगढ़ के इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का शैक्षणिक भ्रमण कराया गया।

    यहां जनसंचार के विद्यार्थियों को बताया गया कि कैसे पौधों को सुरक्षित रखते हुए उनके पैदावार में सामान्य से अधिक बढ़ोतरी की जा सकती है और इस तकनिक के संचार करने से कृषकों क्या फायदा पहुंचाया जा सकता है इससे न सिर्फ किसानों को सुरक्षित फसल मिलेगी बल्कि फसल से होने वाले नुकसान में कमी लाई जा सकेगी। विद्यार्थियों को कृषि विवि के टीश्यु कल्चर के युनिट में भी ले जाया गया यहां कृषि विशेषज्ञ खुबचंद वर्मा नें विद्यार्थियों को गन्ना और केला की खेती के लिए अपनाई जाने वाली उन्नत तकनीक की जानकारी दी गई।
    इस तकनीक से कृषि करने का फायदा यह होता है कि किसानों की आय में भी वृद्घि की जा सकती है। इस युनिट में विद्यार्थियों को लैब का भी भ्रमण कराया गया जहां छोटी-छोटी मात्रा में फसल के नमूने के साथ विभिन्न जांच और प्रयोग किए जा रहे थे और सभी फसल के बीज रूपी छोटे-छोटे पौधों को किसानों तक पहुँचाने के लायक तैयार किया गया था।


    इसके बाद छत्तीसगढ़ में कृषि की विकास यात्रा को समझने के लिए उन्हें विश्वविद्यालय के कृषि संग्रहालय ले जाया गया। यहां अब तक छत्तीसगढ़ में कृषि के पुराने तकनीक जहां से लेकर नए तकनीक के दौर को संग्रहालय के मर्गदर्शक द्वारा विस्तार से बताया गया यहां विद्यार्थियों को यह जानकारी यह भी दी गई कि राज्य के अलग-अलग जिलों में वहां के जलवायु के हिसाब से किस तरह के किस्म की खेती की जाती है। मर्गदर्शक नें विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के धान की फसलों को दिखाया और उनके गुणों को भी बताया की कौन सी फसल कितनी जल्दी बढ़ती है और यह स्वास्थ्य के लिए कैसे लाभकारी होता है। इस संग्रहालय में कृषि के विकास यात्रा को समझने में विद्यार्थियों को बहुत ही रुचि दिखाई दी।
    अन्त में विश्वविद्यालय में लगे कृषि मेलें में भी भ्रमण कराया गया यहां विद्यार्थियों को कृषि से संबंधित बहुत से मशीन, बीज, उत्पाद और पुस्तकों के अलावा सुरक्षा सम्बंधित उपाय भी देखने को मिला। इस पूरे शैक्षणिक भ्रमण में कृषि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ जी. के. दास एवं जनसम्पर्क अधिकारी संजय नय्यर का विशेष सहयोग रहा और विशेषज्ञों का भी मार्गदर्शन भी मिला। और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि के जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राजेंद्र मोहंती, अतिथि व्याख्याता गुलशन वर्मा एवं नीलेश साहू के साथ ही साथ विभाग के विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहें।

  • नये कृषि अनुसंधानों एवं प्रौद्योगिकी को किसानों तक पहुंचाने में किसान मेलों की अहम भूमिका : डॉ. चंदेल

    नये कृषि अनुसंधानों एवं प्रौद्योगिकी को किसानों तक पहुंचाने में किसान मेलों की अहम भूमिका : डॉ. चंदेल

    रायपुर, दिनांक 23 फरवरी 2024। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने आज यहां कृषि महाविद्यालय रायपुर परिसर में आयोजित चार दिवसीय किसान मेला एवं कृषि प्रदर्शनी का शुभारंभ किया। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के तकनीकी मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ शासन के कृषि एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से आयोजित इस किसान मेले एवं कृषि प्रदर्शनी का आयोजन 26 फरवरी, 2024 तक किया जाएगा। इस किसान मेले में कृषि एवं किसानों के लिये उपयोगी कृषि संबंधी नवीन अनुसंधान प्रौद्योगिकी तथा नवाचारों पर आधारित कृषि यंत्रों, उपकरणों, सामग्री तथा तकनीकी को प्रदर्शित करने हेतु देश-विदेश की 100 से अधिक कम्पनियों द्वारा स्टॉल लगाये गये हैं जहां इनका विक्रय भी किया जा रहा है। प्रदर्शनी में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे नवीन कृषि अनुसंधान, प्रौद्योगिकी, विकास एवं विस्तार कार्यां को प्रदर्शित किया जा रहा है। विभिन्न कृषि वैज्ञानिकों एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा कृषि पाठशाला के माध्यम से किसानों को कृषि के नवीन अनुसंधानों एवं कृषि प्रौद्योगिकी से अवगत कराया जा रहा है। शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. चंदेल ने कहा कि नये कृषि अनुसंधानों तथा नई प्रौद्योगिकी को किसानों तक पहुंचाने में किसान मेलों की अहम भूमिका होती है।शुभारंभ समारोह में कुलपति डॉ. चंदेल द्वारा कृषि विश्वविद्यालय प्रकाशित न्यूज लेटर ‘‘आईजीकेवी वार्ता’’ का विमोचन किया गया। इस त्रैमासिक द्विभाषी न्यूज लेटर में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित शैक्षणिक, अनुसंधान एवं विस्तार गतिविधियों को हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषाओं में प्रकाशित किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित सब्जी गृह वाटिका किट एवं सब्जी गृह वाटिका बॉक्स का लोकार्पण भी किया। गृह पोषण वाटिका के अंतर्गत विकसित सब्जी गृह वाटिका बॉक्स में शहरी क्षेत्रों में घरों की छत पर सब्जी उगाने हेतु आवश्यक सभी सामग्री जैसे प्लास्टिक ग्रो बैग, बीज, जैविक खाद, जैविक रोगनाशी, जैविक कीटनाशी, वर्मिकम्पोस्ट तथा इनके उत्पादन की तकनीक शामिल की गई हैं जिससे लोग आसानी से अपने घरों पर ही ताजी एवं स्वादिष्ट सब्जियों का उत्पादन कर सकते हैं। इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री जी.के. निर्माम, निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. अजय वर्मा, संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, निदेशक प्रक्षेत्र एवं बीज डॉ. एस.एस. टुटेजा, निदेशक शिक्षण डॉ. एस.एस. सेंगर, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. संजय शर्मा, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय, रायपुर डॉ. जी.के. दास, अधिष्ठाता कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रायपुर डॉ. विनय पाण्डेय, अधिष्ठात खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, रायपुर डॉ. ए.के. दवे सहित विभिन्न विभागाध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक तथा बड़ी संख्या में प्रगतिशील कृषक उपस्थित थे।

  • कृषि विश्वविद्यालय में नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की रणनीति का मसौदा तैयार

    कृषि विश्वविद्यालय में नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की रणनीति का मसौदा तैयार

    रायपुर, दिनांक 21 फरवरी 2024। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आगामी शैक्षणिक सत्र से नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन हेतु रणनीति तैयार करने के लिए आज एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि कृषि विश्वविद्यालय बेंगलुरु के पूर्व कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे और अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गिरीश चंदेल ने की। कार्यशाला के दौरान कृषि विश्वविद्यालय में नवीन शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों को लागू करने के संबंध में व्यापक विचार-विमर्श किया गया तथा इसके क्रियान्वयन हेतु रणनीति का मसौदा तैयार किया गया। कार्यशाला में विशेषज्ञों के रूप में डॉ. एस. सुधाकर, प्राध्यापक तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, डॉ. के. गायकवाड़ प्राध्यापक, एन.आई.पी.बी., नई दिल्ली, डॉ. एस.के. दास, अधिष्ठाता कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय, भुवनेश्वर, डॉ. एम. यासीन, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय सीहोर तथा डॉ. प्रमोद के. पाण्डेय, प्राध्यापक, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (संयुक्त राज्य अमेरिका) शामिल हुए। कार्यशाला में कुलपति डॉ. चंदेल ने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आगामी शैक्षणि वर्ष से नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने हेतु हर संभव प्रयास किये जाएंगे।
    कार्यशाला में नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति में निहित प्रावधानों को कृषि विश्वविद्यालय में लागू करने के संबंध में सुझाव दिये गये। इसके तहत कृषि महाविद्यालयों में मल्टिपल एन्ट्री एवं मल्टिपल एक्जिट के प्रावधान लागू करने का सुझाव दिया गया। इसके तहत कृषि महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को बीच में पढ़ाई छोड़ने पर सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा दिये जाने का प्रावधान रखा गया है। स्नातक पाठ्यक्रम में केवल एक वर्ष पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को कृषि में सर्टिफिकेट, दो वर्ष बाद पढ़ाई छोड़ने वाले विद्यार्थियों को डिप्लोमा तथा चार वर्ष अध्ययन करने वाले विद्यार्थी को स्नातक उपाधि (डिग्री) प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही कृषि शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए कौशल तथा उद्यमिता विकास एवं बाजार मांग के अनुरूप पाठ्यक्रम शामिल करने पर जोर दिया गया। इसके अलावा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार तथा सक्षम मानव संसाधन विकास हेतु विद्यार्थियों में सृजनात्मक सोच तथा समस्या समाधान प्रवृत्ति विकसित करने पर भी बल दिया गया।उल्लेखनीय है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली द्वारा देश के कृषि विश्वविद्यालय में नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं तथा कृषि विश्वविद्यालय में नवीन शिक्षा नीति के प्रावधानों को लागू करने पर जोर दिया जा रहा है। भारतीय कृषि अनुसंधान परषिद द्वारा देश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों में नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने हेतु एक 11 सदस्यी उच्च स्तरीय समिति गठित की गई है जो शीघ्र ही इस संबंध में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भी राज्य के विश्वविद्यालयों में नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने पर बल दिया जा रहा है। कार्यशाला में कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. जी.के. दास, कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. विनय पाण्डेय, खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. ए.के. दवे, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, निदेशक विस्तार डॉ. अजय वर्मा, निदेशक प्रक्षेत्र एवं बीज डॉ. एस.एस. टुटेजा, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. संजय शर्मा उपस्थित थे। कार्यक्रम संयोजक द्वय डॉ. एम.पी. ठाकुर एवं डॉ. एस.बी. वेरूलकर ने नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति क्रियान्वयन की कार्ययोजना प्रस्तुत की।

  • धान की सीधी बुआई से 25 प्रतिशत पानी और प्रति हेक्टेयर 6 हजार रूपये लागत में कमी

    धान की सीधी बुआई से 25 प्रतिशत पानी और प्रति हेक्टेयर 6 हजार रूपये लागत में कमी

    रायपुर, दिनांक 20 फरवरी 2024। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलिपींस एवं बायर क्रॉप साइंस लिमिटेड के सहयोग से आज यहां धान की सीधी बुवाई तकनीक पर एक दिवसीय कार्यशाला एवं कृषक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कृषि महाविद्यालय रायपुर के संगोष्ठी कक्ष में आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य कृषकों तक धान की सीधी बुवाई हेतु उन्नत तकनीकी जैसे नई मशीनों से बुवाई, खरपतवार प्रबंधन की नवीन विधियां, संतुलित उर्वरक प्रबंधन, समुचित जल प्रबंधन के माध्यम से संसाधनों का सही उपयोग करते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना है। संगोष्ठी में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया कि धान की सीधी बुआई तकनीक से लगभग 25 प्रतिशत सिंचाई जल की बचत होती है, प्रति हेक्टेयर लागत में लगभग 6 हजार रूपये की कमी आती है और यह तकनीक पर्यावरण अनुकूल होने के साथ ही मृदा संरक्षण को बढ़ावा देती है।
    इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान फिलीपींस के वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार समन्वयक उड़ीसा डी.एस.आर. इरी प्रोजेक्ट, ने अपने संबोधन में डी.एस.आर. की सक्सेस स्टोरी एवं उड़ीसा में उसके सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के बारे में बताया साथ ही बायर क्रॉपसाइंस के वैज्ञानिक एवं अधिकारियों ने भी अपने उद्बोधन में धान की सीधी बुवाई में नए प्रयोग एवं भविष्य में आने वाले नए उत्पाद एवं प्रजातियां जो कि अधिक किसानोपयोगी है के बारे में विस्तृत चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी ने की तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. अजय वर्मा एवं निदेशक प्रक्षेत्र एवं बीज डॉ. एस.एस. टुटेजा उपस्थित थे। डॉ. विवेक त्रिपाठी संचालक अनुसंधान सेवाएं ने अपने उद्बोधन में कृषकों को सीधी बुआई तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग कर इसके अंतर्गत रकबा बढ़ाकर उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. वर्मा एवं डॉ. टुटेजा ने भी कार्यशाला में अपने विचार रखे।
    तकनीकी सत्र में पांच विषय विशेषज्ञों द्वारा उद्बोधन दिया गया जिसमें डॉ. अशोक कुमार, डॉ. एस. बी. वेरुलकर, डॉ. आरके नायक, डॉ. सुधांशु मिश्रा एवं डॉ. संजय द्विवेदी ने डीएसआर के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एस. चितले ने भी अपने विचार रखे। उपरोक्त कार्यक्रम में 10 कृषकों को स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। कृषकों ने खेती से संबंधित अपनी समस्याओं से भी अवगत कराया तथा इसका निदान वैज्ञानिकों द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संजय द्विवेदी आयोजन सचिव द्वारा किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजन डॉ. जी. के. श्रीवास्तव विभागाध्यक्ष, सस्यविज्ञान सहित बड़ी संखया में कृषि वैज्ञानिक तथा प्रगतिशील कृषक उपस्थित थे। कार्यशाला के पश्चात कृषकों द्वारा प्रक्षेत्र भ्रमण किया गया जिसमें उन्हें विभिन्न फसलों के बारे में जानकारी दी गयी।

  • 24 लाख किसानों को मिलेगा धान बोनस – 19257 रु. प्रति एकड़ का भुगतान होगा 01 मार्च को

    24 लाख किसानों को मिलेगा धान बोनस – 19257 रु. प्रति एकड़ का भुगतान होगा 01 मार्च को

    रायपुर, 20 फरवरी, 2024 / छत्तीसगढ़ में प्रदेश के किसानों को धान बोनस भुगतान करने की तैयारी शुरू हो गई है। किसानों के खाते में बहुत जल्द बोनस की राशि जमा कर दी जाएगी। पिछले दिनों ही प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेश के किसानों को धान बोनस भुगतान हेतु पैसे की व्यवस्था कर लेने का बयान जारी किया था। मुख्य मंत्री के बयान के साथ ही विभागीय अधिकारियों के द्वारा धान बोनस भुगतान की तैयारी किया जा रहा है। किसानों को अब धान बोनस के लिए ज्यादा दिन और इंतजार नहीं करना होगा। किसानों के बैंक खाते में बहुत जल्द बोनस राशि जमा की जाएगी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार किसानों को मार्च के पहले सप्ताह में बोनस राशि का भुगतान किया जाएगा। वर्तमान में विधानसभा सत्र चल रही है। विधान सभा सत्र का समापन 01 मार्च को होगा। उसके बाद किसानों के खाते में धान खरीदी की अंतर राशि अर्थात बोनस राशि का भुगतान किया जाएगा। धान बोनस का भुगतान इस वर्ष समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले लगभग 24 लाख किसानों को की जाएगी।

    कौन – कौन से किसानों को मिलेगी बोनस राशि

    राज्य के किसानों को धान खरीदी की अंतर राशि के भुगतान के लिए कृषक उन्नति योजना शुरू की गई है। कृषक उन्नति योजना के माध्यम से ही किसानों को बोनस राशि प्रदान की जाएगी। इससे पहले भी पूर्ववर्ती भूपेश बघेल सरकार के द्वारा किसानों के बोनस भुगतान हेतु किसान न्याय योजना शुरू की गई थी। राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही किसान न्याय योजना को बंद करके कृषक उन्नति योजना शुरू कर दी गई है।

    कृषक उन्नति योजना का लाभ अर्थात बोनस राशि का भुगतान खरीफ विपणन वर्ष 2023 – 24 में धान बेंचने वाले सभी 24 लाख किसानों को बोनस राशि प्रदान की जाएगी। अर्थात ऐसे किसान जिन्होंने राज्य सरकार के अधीन सोसाइटियों में 01 नवम्बर 2023 से 04 फरवरी 2024 तक समर्थन मूल्य पर सरकार को धान बेचा हो , ऐसे किसानों को कृषक उन्नति योजना का लाभ देते हुए उन्हें बोनस राशि का भुगतान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अन्य किसानों को अभी इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

    एकमुश्त मिलेगी धान बोनस – मुख्यमंत्री

    राज्य सरकार किसानों को बड़ी राहत देते हुए इस बार बोनस की राशि को एकमुश्त भुगतान करेगी। इससे पहले पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा तीन से चार किस्तों में बोनस की राशि को दी जाती थी। क़िस्त – क़िस्त में बोनस राशि मिलने से किसानों को भारी परेशानी उठानी पड़ती थी , उन्हें बार – बार बैंक में जाकर लाइन लगाना पड़ता था। वहीँ इस बार एक ही क़िस्त में बोनस राशि मिलने से किसानों को बार – बार बैंक में जाकर धक्का खाने की नौबत नहीं आएगी। साथ ही किसानों को बार – बार शहर या बैंक आने से जो अतिरिक्त खर्चा होता था उससे भी छुटकारा मिलेगी।

    19257 रु. प्रति एकड़ होगा बोनस भुगतान
    प्रदेश के किसानों से प्रति क्विंटल 3100 रु. के भाव से धान की खरीदी की गई है। किसानों ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान का विक्रय किया है। फिलहाल किसानों को प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य 2183 रु. का भुगतान किया गया है और अंतर राशि 917 रु. का बोनस के तौर पर भुगतान किया जाना है। इस तरह से प्रति एकड़ 21 क्विंटल का 917 रु. के हिसाब से कुल एक एकड़ में 19257 रु. का धान बोनस भुगतान किया जायेगा। इससे पहले राज्य सरकार ने किसानों को 145 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी के बदले 37 हजार करोड़ रूपये समर्थन मूल्य पर भुगतान किया है।

  • करेले बोने की इस बेहतरीन विधि से किसानों की होगी मोटी कमाई, आवारा जानवर भी नहीं आएंगे फसल के पास

    करेले बोने की इस बेहतरीन विधि से किसानों की होगी मोटी कमाई, आवारा जानवर भी नहीं आएंगे फसल के पास

    Bitter Gourd Cultivation: किसानों की आय बढ़ाने के लिए करेला की खेती काफी अच्छी साबित हो सकती है. दरअसल, आज हम आपको एक ऐसे सफल किसान के बारे में बताएंगे, जो करेला की खेती (karele ki kheti) कर हर साल 20 से 25 लाख रुपये की मोटी कमाई कर रहे हैं. जिस सफल किसान की हम बात कर रहे हैं, वह उत्तर प्रदेश के कानुपर जिले के सरसौल ब्लॉक के महुआ गांव के युवा किसान जितेंद्र सिंह है. यह पिछले 4 सालों से अपने खेत में करेले की उन्नत किस्मों की खेती (Cultivation of Varieties of bitter gourd) करते आ रहे हैं.

    किसान जितेंद्र सिंह के मुताबिक, पहले इनके क्षेत्र के किसान आवारा और जंगली जानवरों के चलते अपनी फसलों की सुरक्षा नहीं कर पाते हैं. क्योंकि किसान अपने खेत में जिन भी फसलों की खेती करते थे, जानवर उन्हें चट कर जाते थे. ऐसे में युवा किसान जिंतेद्र सिंह ने अपने खेत में करेले की खेती करने के बारे में सोचा. क्योंकि करेला खाने में कड़वा होता है, जिसकी वजह से जानवर इसे नहीं खाते हैं.

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    करेला की खेती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

    किसानों के लिए करेला की खेती (Bitter Gourd Cultivation) से अच्छा मुनाफा पाने के लिए इसकी खेती जायद और खरीफ सीजन में करें. साथ ही इसकी खेती के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है.

    किसान करेले की बुवाई (Sowing of Bitter Gourd) को दो सरल तरीके से कर सकते हैं. एक तो सीधे बीज के माध्यम से और दूसरा नर्सरी विधि के माध्यम से किसान करेले की बुवाई कर सकते हैं.

    अगर आप करेले की खेती (Karele ki kheti) नदियों के किनारे वाले जमीन के हिस्से पर करते है, तो आप करेल की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.

    करेले की उन्नत किस्में (Varieties of Bitter Gourd)

    करेले की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए किसानों को करेले की उन्नत किस्मों (Varieties of Bitter Gourd) को खेत में लगाना चाहिए. वैसे तो बाजार में करेले की कई किस्में मौजूद है, लेकिन आज हम कुछ खास किस्में लेकर आए हैं, जैसे कि- कल्याणपुर बारहमासी, काशी सुफल, काशी उर्वशी पूसा विशेष, हिसार सलेक्शन, कोयम्बटूर लौंग, अर्का हरित, पूसा हाइब्रिड-2, पूसा औषधि, पूसा दो मौसमी, पंजाब करेला-1, पंजाब-14, सोलन हरा और सोलन सफ़ेद, प्रिया को-1, एस डी यू- 1, कल्याणपुर सोना, पूसा शंकर-1 आदि.

    मचान विधि से करें करेले की खेती (Cultivate Bitter Gourd Using Scaffolding Method)

    युवा किसान जितेंद्र सिंह अपने खेत में करेले की खेती ‘मचान विधि’/ Scaffolding Method से करते हैं. इससे उन्हें ज्यादा पैदावार मिलती है. करेले के पौधे को मचान बनाकर उस पर चढ़ा देते हैं.जिससे बेल लगातार ग्रोथ करती जाती है और मचान के तारों पर फैल जाती है. उन्होंने बताया कि उन्होंने खेत में मचान बनाने के लिए तार और लकड़ी या बांस की उपयोग किया जाता है. यह मचान काफी ऊंचा होता है तुड़ाई के दौरान इसमें से आसानी से गुजरा जा सकता है.

    करेले की बेले जितनी ज्यादा फैलती है उससे पैदावार उतनी ही ज्यादा होती है.वे बीघा जमीन से से ही 50 क्विंटल की उपज ले लेते हैं.उनका कहना मचान बनाने से न तो करेले का पौधे में गलन लगती है और ना ही बेलों को निकसान पहुंचता है.

    करेले की खेती में कमाई

    करेले की खेती से अच्छी कमाई करने के लिए किसान को इसकी उन्नत किस्मों की खेती करनी चाहिए. जैसे कि आपको ऊपर बताया गया कि युवा किसान जितेंद्र सिंह पहले वह अपने खेत में कद्दू, लौकी और मिर्ची की खेती करते थे. जिसे आवारा पशु ज्यादा नुकसान पहुंचाते थे. इसलिए उन्होंने करेले की खेती करने का निर्णय लिया.

    वहीं, आज के समय में किसान जितेंद्र  15 एकड़ में करेले की खेती कर रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. जितेंद्र के मुताबिक, उनका करेला आमतौर पर 20 से 25 रुपये किलो आसानी से बिक जाता है. वहीं कई बार करेला 30 रुपये किलो के रेट में भी बिक जाता है. ज्यादातर व्यापारी खेत से ही करेला खरीदकर ले जाते हैं.

    उन्होंने यह भी बताया कि एक एकड़ में बीज, उर्वरक, मचान बनाने समेत अन्य कार्यों में 40 हजार रुपये का खर्च आता है. वहीं इससे उन्हें 1.5 लाख रूपये की आमदानी सरलता से  हो जाती है. जितेंद्र सिंह लगभग 15 एकड़ में खेती करते हैं. ऐसे में अगर हिसाब लगाया जाए, तो वह एक सीजन में करेले की खेती से लगभग 15-20 लाख रुपये की कमाई कर लेते हैं.

  • PM Modi 23 फरवरी को करेंगे अमूल बनास डेयरी प्लांट का उद्धाटन

    PM Modi 23 फरवरी को करेंगे अमूल बनास डेयरी प्लांट का उद्धाटन

    वाराणसी, 16 फरवरी 2024/

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 फरवरी को वाराणसी के करखियांव एग्रो पार्क में अमूल डेरी प्लांट समेत करोड़ों की परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास करेंगे. समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के अलावा वाराणसी समेत पूर्वांचल के एक लाख से अधिक गोपालक और किसानों भी मौजूद रहेंगे. इस दौरान पीएम मोदी जनसभा को भी संबोधित करेंगे. इसके लिए भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है. इसमें वाराणसी संसदीय सीट समेत आसपास की मछलीशहर, जौनपुर, भदोही व चंदौली सीट के 50 हजार कार्यकर्ता पहुंचेंगे. जनसभा में मोदी समर्थकों को मिला कर एक लाख से अधिक लोगों के शामिल होने का अनुमान है.

    बता दें कि बनास काशी संकुल 30 एकड़ में फैला हुआ है. यह 8 एलएलपीडी (लाख लीटर प्रति दिन) का दूध प्रोसेसिंग संयंत्र है. इस पर 622 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. वर्तमान में बनास डेरी के दूध का कारोबार उत्तर प्रदेश के 47 जिलों (सात पूर्वाचल में) के 4600 गांवों में फैला है. यह दूध संग्रहण अगले साल तक 70 जिलों के 7000 गांवों तक विस्तारित होगा, जिसमें पूर्वाचल में 15 नए जिलों का विस्तार भी शामिल है. पूर्वांचल में 600 से ज्यादा समितियां चालू हैं. 1300 से ज्यादा बन चुकी हैं, जो वर्ष के आखिर तक बढ़कर 2600 समितियां हो जांएगी. बनास डेरी मौजूदा समय में यूपी में 3.5 लाख दूध उत्पादकों के साथ काम कर रही है, इनमें से 58 हजार दूध उत्पादक पूर्वांचल व वाराणसी के हैं.

    बनास डेयरी के अनुसार वर्तमान में खुशीपुर, चोलापुर, मिर्जापुर, गाजीपुर और दूबेपुर में 5 चिलिंग सेंटर काम कर रहे हैं और अगले माह तक 8 और चालू हो जाएंगे. वर्तमान में उत्तर प्रदेश से 19 लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक दूध एकत्रित किया जा रहा है, जिसमें औसतन 3 लाख लीटर प्रतिदिन दूध पूर्वांचल और वाराणसी से आ रहा है. उत्तर प्रदेश में इस साल के अंत तक यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन 25 लाख लीटर हो जाएगी, जिसमें 7 लाख लीटर प्रतिदिन वाराणसी और पूर्वांचल से आएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को बनास काशी संकुल की आधारशिला रखी थी. बनास डेरी अपने वाराणसी प्लांट के जरिये 750 लोगों को प्रत्यक्ष और 81,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दे रही है. इसमें दूध उत्पादक और किसान भी शामिल हैं.

  • ग्राफ्टेड बैगन, टमाटर से कमा रहे कुंवर सिंह लाखों का मुनाफा

    ग्राफ्टेड बैगन, टमाटर से कमा रहे कुंवर सिंह लाखों का मुनाफा

    जांजगीर-चांपा, 14 फरवरी 2024

    उद्यानिकी विभाग से मिली तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन ने बनाया उन्नतशील किसान

    परम्परागत धान की खेती करने वाले कुंवर सिंह मधुकर ने कभी नहीं सोचा था कि वह कभी उन्नतशील किसान की श्रेणी में एक दिन खड़े हो सकेंगे, लेकिन जब से वह उद्यानिकी विभाग की राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से जुड़े उनके जीवन में बदलाव आना शुरू हो गया और वह भी दिन आया जब उनके कार्य की प्रशंसा पूरे प्रदेश में होने लगी। उनके कार्यों का फल उन्हें मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ युवा प्रगतिशील किसान के रूप में सम्मानित करते हुए किया। इसके साथ ही उन्हें इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के माध्यम से लखपति कृषक बनने पर पुरस्कृत किया गया।

    उद्यानिकी विभाग से मिली तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन ने बनाया उन्नतशील किसान

    जांजगीर-चांपा जिले के पामगढ़ विकासखण्ड की ग्राम पंचायत बारगांव में रहने वाले कुंवर सिंह मधुकर है, जो खेती किसानी करके अपने एवं परिवार का पालन पोषण कर जीवन यापन कर रहे थे। एक दिन उनको उद्यानिकी विभाग की संचालित योजनाओं के बारे में जानकारी मिली। विभागीय योजनाओं के विस्तार से जानकारी लेने के बाद उन्होंने उद्यानिकी के क्षेत्र में कार्य करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उनकी मेहनत और विभागीय योजनाओं से मिले लाभ का नतीजा सामने आने लगा। उन्होंने ग्राफ्टेड बैंगन, टमाटर की खेती शुरू की। जिसका लाभ उन्हें धीरे-धीरे मिलने लगा। उनके द्वारा ग्राफ्टेड बैगन से अब तक 6 एकड़ में 15 लाख रू. का शुद्ध लाभ प्राप्त किया और तीन माह की और तोड़ाई होनी बाकी है जिसमें अनुमानित और 5 लाख का लाभ होगा। यहीं नहीं उन्होंने ग्राफ्टेड टमाटर की खेती लगभग 4 एकड़ में की जिससे 4.25 लाख का मुनाफा होने की बात वह कहते हैं। इसके अलावा खीरा से शेडनेट हाउस 1 एकड़ में 2 लाख मुनाफा  हुआ है, इस प्रकार उद्यानिकी फसल से कृषक को आर्थिक लाभ हो रहा है।  बाजार में उनके बैंगन और टमाटर की बहुत मांग है, धीरे-धीरे वे आसपास के किसानों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। जिला उद्यानिकी विभाग सहायक संचालक श्रीमती रंजना माखीजा ने बताया कि उद्यानिकी की एक तकनीक है जिसमें एक पौधे के रूट स्टॉक दूसरे पौधे के शॉट स्टीम से जोड़े जाते हैं जिससे दोनों के वाहिका ऊतक आपस में मिल जाते हैं। इस प्रकार इस विधि से पौधे तैयार किये जाते हैं। इसके लिए शासन से किसान कंवर सिंह मधुकर को वर्ष 2021-22 में प्रधानमंत्री सूक्ष्म सिंचाई योजना अंतर्गत 55 प्रतिशत अनुदान के रूप में 10 एकड़ में दिया गया। वहीं रा.कृ.वि.यो. वर्ष 2022-23 घटक ग्राफ्टेड बैगन 0.400 हे. में 30,000 रूपए शेड नेट हाउस बनाने के लिए 14.20 लाख दिया गया, जिसमें वह खीरा लगाए हुए थे, वर्तमान में टमाटर लगाएंगे। इसी तरह रा.कृ.वि.यो. वर्ष 2023-24 में मल्चिंग हेतु चयनित होने पर उन्हें 32 हजार रुपए की राशि प्राप्त होगी। उनके बैंगन, टमाटर की मांग राज्य में ही नहीं बल्कि ओडिशा प्रदेश में हो रही है। श्री मधुकर बताते हैं कि अनुदान मिलने से उन्होंने खेतों में ग्राफ्टेड बैंगन, टमाटर लगाए है। इसके साथ ही उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन भी विभाग की ओर से दिया गया है। उन्होंने सरकार की इस योजना की प्रशंसा करते हुए तारीफ की है।

  • प्रतिभागी बोले- सुनियोजित तरीके से जैविक खेती से खाद्य सुरक्षा संभव

    प्रतिभागी बोले- सुनियोजित तरीके से जैविक खेती से खाद्य सुरक्षा संभव

    रायपुर 23 सितम्बर 2023। क्या जैविक खेती से खाद्य सुरक्षा संभव है?इस विषय पर आज यहाँ इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय में कृषि महाविद्यालय, रायपुर के सेमिनार हॉल में हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रतिभागियों ने पक्ष और विपक्ष में विचारोत्तेजक तथ्य और तर्क प्रस्तुत किये। इस मौके पर उपस्थित विद्याथियों ने तालियों से प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया।
    क्या जैविक खेती से खाद्य सुरक्षा संभव है के पक्ष में विचार रखते हुए प्रतिभागियों ने कहा कि जैविक खेती से खाद्य सुरक्षा संभव है। उन्होंने रासायनिक खेती के दुष्परिणाम के बारे में तर्क के साथ बताया कि किस तरह यह हमारे लिए हानिकारक है। समय के साथ जैविक खेती की ओर आगे बढ़ना होगा। जैविक खेती से तत्काल खाद्य सुरक्षा संभव नहीं है, बल्कि इसे सिलसिलेवार तरीके से आगे बढ़ाना होगा। शुरुआत में थोड़ी समस्या जरुर आएगी लेकिन धीरे धीरे इससे फसल उत्पादन रासायनिक
    खेती के आस पास होने लगता है और खाद्य सुरक्षा संभव हो सकती है । विपक्ष में विचार रखते हुए प्रतिभागियों ने बताया कि जैविक खेती से खाद्य सुरक्षा संभव नहीं है। उन्होंने अपने तर्क में कहा कि भारत की जनसँख्या बहुत अधिक है। जैविक खेती के जरिये वांछित मात्रा में फसल उत्पादन नहीं किया जा सकता है, इसलिए इतने बड़े देश के लिए जैविक खेती से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना संभव नहीं है।
    इस अवसर पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. संजय शर्मा, निर्णायक डॉ. जी.के. श्रीवास्तव, डॉ. दीपक गौराहा, डॉ.अनिल वर्मा , राजभाषा हिंदी प्रकोष्ठ प्रभारी श्री संजय नैय्यर तथा डॉ. राममोहन सावू उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत 14 सितंबर को नारा लेखन, 15 सितंबर को कविता लेखन प्रतियोगिता तथा 21 सितंबर को निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इसी कडी में 29 सितंबर को हिंदी संगोष्ठी और पुरस्कार वितरण का आयोजन किया जाएगा। हिंदी पखवाड़ा का आयोजन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण कार्यालय तथा राजभाषा हिंदी प्रकोष्ठ द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है।