Category: एजुकेशन न्यूज़

  • स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं के नि:शुल्क कोचिंग हेतु आवेदन 11 नवंबर तक

    स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं के नि:शुल्क कोचिंग हेतु आवेदन 11 नवंबर तक

    रायपुर 10 नवम्बर 2022/
    परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र रायपुर में रेल्वें, बैंकिंग, एस.एस.सी. जैसे स्नातक स्तरीय प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नि:शुल्क कोचिंग प्राप्त करने हेतु इच्छुक विद्यार्थियों से कल 11 नवंबर तक आवेदन पत्र आमंत्रित किया गया है। राजीव युवा उत्थान योजना अंतर्गत राज्य के रायपुर जिला मुख्यालय में स्थित परीक्षा पूर्व केन्द्र पर 100 सीट के लिए राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के पात्र विद्यार्थियों को  कोंचिग सुविधा प्रदान की जाएगी।

    आदिवासी विकास विभाग रायपुर के सहायक आयुक्त ने बताया कि प्रथम 6 माह का प्रशिक्षण समाप्त हो चुका है, द्वितीय सत्र 6 माह के लिए विद्यार्थियों के प्रशिक्षण हेतु 100 सीट निर्धारित है । उन्होंने बताया कि  विद्यार्थियों को रूपये 1000/- माह शिष्यवृत्ति उपलब्ध कराया जाता हैं। कोचिंग की सुविधा निःशुल्क होती है। प्रशिक्षणके लिए कुल स्वीकृत सीट 100 है, जिसमें अनुसूचित जाति के लिए 30, अनुसूचित जनजाति के लिए 50, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 20 सीट आरक्षित है। वर्गवार 33 प्रतिशत सीट महिलाओं के लिए सुरक्षित रहती है, अभ्यर्थियों का चयन प्राक्चयन परीक्षा के आधार पर किया जायेगा।

    उन्होंने बताया कि कोचिंग योजना का लाभ लेने के लिए विद्यार्थी की कुछ शर्तें भी निर्धारित की गई है, जिसके अनुसार  आवेदक बैकिंग भर्ती बोर्ड, रेल्वें भर्ती बोर्ड कर्मचारी चयन आयोग, छ.ग. व्यापम द्वारा आयोजित परीक्षा में शामिल होने हेतु निर्धारित न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता ( हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी प्रमाण पत्र) रखता हो।न्यूनतम आयु 20 वर्ष एवं अधिकतम आयु 30 वर्ष होनी चाहिए। छ.ग. राज्य के सक्षम अधिकारी द्वारा जारी स्थाई जाति प्रमाण पत्र धारक हो। पालक / अभिभावक की आय 3 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए एवं सक्षम अधिकारी द्वारा जारी आय प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होना चाहिए।
    सहायक आयुक्त ने बताया कि पात्र विद्यार्थी अपना आवेदन 11 नवम्बर तक सभी अभिलेखों (हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी प्रमाण पत्र की छायाप्रति, आय प्रमाण पत्र, निवासी प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र व आधार कार्ड की छायाप्रति) के साथ कार्यालयीन अवधि में परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण केन्द्र, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर (पुराना आयुक्त आदिम जाति कार्यालय) एवं कार्यालय सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास, रायपुर कलेक्टर परिसर कमरा नंबर 40 में आवेदन जमा कर सकते है।

  • श्रवण बाधित और मूकबधिर परीक्षार्थियों को मिलेंगे विशेष शिक्षक

    श्रवण बाधित और मूकबधिर परीक्षार्थियों को मिलेंगे विशेष शिक्षक

    भोपाल,10 नवंबर 2022 /
    राज्य शासन ने माध्यमिक शिक्षा मंडल की कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में ऐसे सभी परीक्षा केन्द्रों पर साइन लैंग्वेज जानने वाले शिक्षक को पर्यवेक्षक बनाने के निर्देश दिए हैं, जहाँ श्रवणबाधित एवं मूकबधिर परीक्षार्थी परीक्षा दे रहे हैं। नि:शक्तजन आयुक्त श्री संदीप रजक ने लोक शिक्षण आयुक्त को पत्र लिखकर श्रवणबाधित और मूकबधिर परीक्षार्थियों के परीक्षा कक्ष में सांकेतिक भाषा जानने वाले विशेष शिक्षक की नियुक्ति करने का आग्रह किया था।

    लोक शिक्षण आयुक्त श्री अभय वर्मा ने कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के दौरान श्रवणबाधित एवं मूकबधिर परीक्षार्थियों के परीक्षा केन्द्रों पर विशेष शिक्षकों को पर्यवेक्षक बनाने और उन्हें केन्द्र पर परीक्षा अवधि में उपस्थित रहने की अनुमति प्रदान की है।

    आयुक्त श्री रजक ने बताया कि आमतौर पर हाई-स्कूल और हायर सेकेन्ड्री परीक्षा में मूकबधिर और श्रवणबाधित परीक्षार्थियों को सामान्य परीक्षार्थियों के साथ ही बैठने की व्यवस्था की जाती है और सामान्य शिक्षकों को ही पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाता है। इन विद्यार्थियों को प्रश्न-पत्र समझने में जब कठिनाई होती है तो सामान्य शिक्षक अक्सर समझ या समझा नहीं पाते। ऐसे में साइन लैंग्वेज प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक इन विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान कर सकेंगे।

  • एग्रीविजन छत्तीसगढ़ द्वारा चलाए जा रहे प्रत्यंचा अभियान प्रारंभ

    एग्रीविजन छत्तीसगढ़ द्वारा चलाए जा रहे प्रत्यंचा अभियान प्रारंभ

    रायपुर,09 नवंबर 2022 /
    धमतरी में स्थित महामाया कृषि महाविद्यालय में आयोजित किया गया। जिसमें महामाया कृषि महाविद्यालय, के एल उद्यानिकी महाविद्यालय, गायत्री उद्यानिकी महाविद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

    कार्यशाला में रामांजाली ओर्गेनीक प्रा. लि. के कुनाल साहू जी के द्वारा जैविक उत्पादों के व्यापार से जुड़े स्टार्टअप शुरु करने के विषय में छात्रों से सीधा संवाद करवाया गया। एग्रीविजन प्रदेश संयोजक निखिल तिवारी जी ने कृषि के क्षेत्र में अपार संभावनाओं एवं उद्यमिता विकास पर वक्तव्य रखा।
    इस अवसर पर अजय केला, जैविक कृषक ने भी जैविक खेती करने के प्रत्यक्ष एवं परोक्ष लाभ के बारे अवगत कराया। व्यवसाय प्रारंभ करने एवं इसे उच्च स्तर तक ले जाने एवम कंपनी प्रारंभ करने की प्राथमिक जानकारी सुधीर ठाकुर, CA के द्वारा दी गयी। इस अवसर पर अभाविप की जिला संयोजिका सुश्री पूजा यादव एवम 180 से अधिक छात्र छात्राएं उपस्थित रही।

  • गुरुजी कब आएंगे 5 साल से 6 टीचर का इंतजार

    गुरुजी कब आएंगे 5 साल से 6 टीचर का इंतजार

    भाटापारा,08 अक्टूबर 2022 /
    भाटापारा- देखते हैं। करते हैं। कर रहे हैं। बहुत जल्द होगी पदस्थापना। अब ताजा जवाब, प्रक्रिया चालू की जा चुकी है। ऐसी बातें सुनते-सुनते 5 साल बीत गए लेकिन नहीं मिले टीचर। फलस्वरूप रामसागर पारा पूर्व माध्यमिक विद्यालय, हेडमास्टर को मिलाकर महज तीन टीचर के भरोसे चल रहा है। नई योजना के बीच स्कूलें, जिस तरह प्रयोगशाला में बदल रही हैं, उसकी मिसाल है, शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय रामसागरपारा। ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूल से जोड़ने के प्रयासों के बाद इस स्कूल में भी दर्ज संख्या साल-दर-साल बढ़त ले रही है लेकिन जिस अनुपात में शिक्षक होने चाहिए उसे लेकर न खंड शिक्षा विभाग को चिंता है, ना जिला शिक्षा विभाग प्रयास कर रहा है। फलतः जैसे-तैसे करके अध्ययन-अध्यापन का काम चल रहा है। 6 टीचर की कमी
    शा. पूर्व माध्यमिक विद्यालय रामसागर पारा। दर्ज संख्या 275। मानक के अनुसार हेडमास्टर को मिलाकर आठ टीचर होना चाहिए लेकिन कुल जमा संख्या 3 पर आकर अटकी हुई है। विडंबना यह है कि गणित, अंग्रेजी और विज्ञान जैसे विषयों के टीचर, हैं ही नहीं। महज हिंदी और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों के भरोसे कैसे गुणवत्ता कायम रखी जाती होगी? यह सवाल जिम्मेदार अधिकारियों से पूछे जा रहे हैं।
    इसलिए यह व्यवस्था
    जिन विषयों के टीचर नहीं हैं, उनकी पढ़ाई के लिए स्कूल प्रबंधन ने अपने स्तर पर उच्च शिक्षा प्राप्त 3 बेरोजगार युवक और युवतियों की व्यवस्था की है। बाकायदा समन्वयक की अनुमति से चल रही यह व्यवस्था, दर्ज संख्या के अनुपात में टीचर की तैनाती के दावों की पोल ही खोलती है क्योंकि खंड शिक्षा क्षेत्र की कई स्कूलों में ऐसी ही व्यवस्था की गई है।
    सदाबहार जवाब
    नियमित भेजी जाने वाली जानकारी में स्कूल प्रबंधन बाकायदा दर्ज संख्या के अनुपात में टीचरों की मांग करता है। जिस पर, देखेंगे। करते हैं। कर रहे हैं। बहुत जल्द होगी पदस्थापना और प्रक्रिया चालू कर दी गई है, जैसे जवाब मिलते हैं। यह सदाबहार जवाब पिछले 5 साल से मिल रहे हैं लेकिन नतीजा शून्य ही है। होगी पदस्थापना, इसकी उम्मीद भी अब नहीं करता स्कूल प्रबंधन।

  • कलिंगा विश्वविद्यालय में प्रोटीन एस्टीमेशन एंड बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर पर एक दिवसीय प्रशिक्षण

    कलिंगा विश्वविद्यालय में प्रोटीन एस्टीमेशन एंड बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर पर एक दिवसीय प्रशिक्षण

    नया रायपुर- कलिंगा विश्वविद्यालय मध्य भारत का प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थान है। जिसे राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के द्वारा बी प्लस रेंक की मान्यता प्रदान की गयी है। यह छत्तीसगढ़ में एकमात्र निजी विश्वविद्यालय है जो एनआईआरएफ रैंकिंग-2022 में उच्चस्तरीय 101-150 विश्वविद्यालय में शामिल है।

    विदित हो कि कलिंगा विश्वविद्यालय में मूल्य आधारित गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अनुसंधान पर केंद्रित नये शोध और नयी खोज को विकसित करने के लिए सर्वसुविधायुक्त सेंट्रल इंस्ट्रुमेंटेशन सुविधा (सीआईएफ) की स्थापना की गयी है। सीआईएफ के द्वारा विश्वविद्यालयीय छात्रों और शिक्षकों के साथ-साथ निर्धारित शुल्क लेकर बाहरी शैक्षणिक संस्थानों के स्नातकोत्तर विद्यार्थी, शोध छात्र, वैज्ञानिक अधिकारी एवं अन्य संस्थाओं के इच्छुक प्रतिभागियों के लिए उच्च-स्तरीय शोध उपकरणों को उपलब्ध कराकर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा हैं। जिससे एक बेहतर शोध वातावरण बन सके। इसी तारतम्य में कलिंगा विश्वविद्यालय में सीआईएफ विभाग के द्वारा श्रृंखलाबद्ध प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। जिसके अंतर्गत 05 नवंबर 2022 को ‘‘प्रोटीन एस्टीमेशन एंड बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर” पर एकदिवसीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया।

    कलिंगा विश्वविद्यालय के फार्मेसी भवन में आयोजित उक्त एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आर.श्रीधर, महानिदेशक डॉ.बैजू जॉन एवं विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, प्रतिभागी और विद्यार्थियों की उपस्थिति में ज्ञान और विद्या की देवी माँ सरस्वती के प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना करने के पश्चात किया गया। कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आर.श्रीधर ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘‘इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्र में अत्याधुनिक अनुसंधान के लिए नवीनतम और सबसे उन्नत विश्लेषणात्मक तकनीकों के साथ सर्वसुविधायुक्त प्रयोगात्मक ज्ञान प्रदान करना है। जिससे उपयोगकर्ता नवीन अनुसंधान विधियों को प्रयोगशाला के माध्यम से समझ सकें और अपने शोधकार्य में प्रयोग करने के साथ-साथ उसके औद्योगिक आवश्यकता के महत्व को समझकर प्रशिक्षित हों एवं अपने उद्देश्य को पूर्ण करने में सफल हों। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में सम्मिलित होने के उपरांत शोधकर्ता अपने सटीक शोध निष्कर्षों का अपने कार्यक्षेत्र में उपयोग करने के साथ-साथ देश-विदेश के प्रतिष्ठित रिसर्च जर्नल में प्रकाशित कर वैश्विक विकास में सहभागी बनेंगे।

    कलिंगा विश्वविद्यालय के महानिदेशक डॉ. बैजू जॉन ने कहा कि ‘‘इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की संरचना को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि प्रशिक्षणार्थी प्रयोगशाला अनुसंधान और औद्योगिक आवश्यकता को समझ सकें और आसानी से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। प्रशिक्षण कार्यक्रम के उपरांत निश्चित रूप से प्रशिक्षणार्थी इस मंच के तहत प्रशिक्षण विधि एवं विशेषज्ञ प्राध्यापकों के ज्ञान से लाभान्वित होंगे और एडवांस इंस्ट्रुमेंटेशन के कार्य और संचालन प्रक्रिया को आसानी से समझेंगे।“ प्रशिक्षण कार्यक्रम में अतिथियों के परिचय और स्वागत के उपरांत कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।प्रथम तकनीकी सत्र में जंतु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज सिंह और वनस्पति विज्ञान के सहायक प्राध्यापक श्री अभिषेक पांडेय के द्वारा प्रोटीन एस्टीमेशन एंड बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर के विभिन्न अनुप्रयोगों पर विस्तार से जानकारी देने के बाद व्यावहारिक सिद्धांतों पर प्रकाश डाला।जबकि दूसरे प्रशिक्षण सत्र में दोनों विशेषज्ञ प्राध्यापकों के द्वारा सेंपल तैयार करके ‘‘प्रोटीन एस्टीमेशन एंड बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर” के परीक्षण का सफल प्रदर्शन करके व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया।

    यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रोटीन एस्टीमेशन एंड बायोकेमिस्ट्री एनालाइजर की क्षमताओं और सीमाओं पर बुनियादी ज्ञान प्रदान करने में सफल रहा। जो फुड इंडस्ट्री,डेयरी इंडस्ट्री, फार्मेक्यूलिकल इंडस्ट्री, आटोमोबाइल इंडस्ट्री, पालीमर और प्लास्टिक इंडस्ट्री, पेट्रोलियम, केमिकल एवं एग्रीकल्चर इंडस्ट्री के लिए बहुत उपयोगी है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभागियों को उसके विभिन्न अनुप्रयोगों पर विस्तृत प्रशिक्षण देने के साथ-साथ सैद्धांतिक पहलुओं पर व्याख्यान, प्रदर्शन और नयी तकनीक की जानकारी प्रदान की गयी। उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न संस्थाओं से आए हुए प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

    प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंत में जंतु विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज सिंह ने उपस्थित अतिथि और प्रतिभागियों के लिए औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन दिया। इसके साथ ही इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ। उक्त एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला समापन समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर श्रीधर, महानिदेशक डॉ बैजू जॉन, समस्त अधिष्ठाता और संबंधित विभाग के समस्त प्राध्यापक उपस्थित थे।