Category: एजुकेशन न्यूज़

  • Transparent NAAC Accreditation and Its Process

    Transparent NAAC Accreditation and Its Process

    Transparent NAAC Accreditation and Its Process

     

    Prof. K P Yadav, Vice Chancellor

    Mats University, Raipur, CG

     

    National Assessment and Accreditation Council (NAAC) was established by the UGC in September 1994 at Bangalore for evaluating the performance of the Universities and Colleges in the Country.

    The NATIONAL ASSESSMENT AND ACCREDITATION COUNCIL (NAAC) conducts assessment and accreditation of Higher Educational Institutions (HEI) such as colleges, universities or other recognised institutions to derive an understanding of the ‘Quality Status’ of the institution. NAAC evaluates the institutions for its conformance to the standards of quality in terms of its performance related to the educational processes and outcomes, curriculum coverage, teaching-learning processes, faculty, research, infrastructure, learning resources, organisation, governance, financial well being and student services.

     

    Vision

    To make quality the defining element of higher education in India through a combination of self and external quality evaluation, promotion and sustenance initiatives

    Mission

    • To arrange for periodic assessment and accreditation of institutions of higher education or units thereof, or specific academic programmes or projects;
    • To stimulate the academic environment for promotion of quality of teaching-learning and research in higher education institutions;
    • To encourage self-evaluation, accountability, autonomy and innovations in higher education;
    • To undertake quality-related research studies, consultancy and training programmes, and
    • To collaborate with other stakeholders of higher education for quality evaluation, promotion and sustenance.

     

    NAAC Criteria: 7Criteria as follows:

    • #1: Curricular Aspects
    • #2: Teaching, Learning, and Evaluation
    • #3: Research, Innovation, and Extensions
    • #4: Infrastructure and Learning Resources
    • #5: Student Support and Progression
    • #6: Governance, Leadership, and Management
    • #7: Institutional Values & Best Practices

     

    NAAC grades institutes on an eight-grade points and their meaning:

    Range of institutional CGPA Letter Grade Performance Descriptor
    3.51 – 4.05 A++ Accredited
    3.26 – 3.50 A+ Accredited
    3.01 – 3.25 A Accredited
    2.76 – 3.00 B++ Accredited
    2.51 – 2.75 B+ Accredited
    2.01 – 2.50 B Accredited
    1.51 – 2.00 C Accredited
    ≤ 1.50 D Not Accredited

     

     

    NAAC grade system is very robust and  honest which covers all the dimensions of an Institute. Its very good for world ranking system. If any institute is willing for world ranking then its advisable that first go for NAAC accreditation. A number of benefits are given to NAAC accredited institution in the country.

    The process of online evaluation and off line visit is very transparent and cooperative. NAAC advisors are always ready for help in case of any doubt or difficulty.

     

    Around 375 universities , 6200 + colleges and 260 autonomous colleges are NAAC accredited at present. All are very well happy and satisfied with the accreditation system and its process. The visit team is comprised of well experienced renowned  Professors from the different parts of the country who never deviate from its guidelines. A system that we can say honest, rigorous and transparent at every stage.

     

  • कलिंगा विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर  कार्यक्रम का आयोजन

    कलिंगा विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर  कार्यक्रम का आयोजन

    रायपुर 2 मार्च 2023/

    नया रायपुर कलिंगा विश्वविद्यालय मध्य भारत का प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थान है।जिसे राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद(नैक) के द्वारा बी प्लस रेंक की मान्यता प्रदान की गयी है।यह छत्तीसगढ़ में एकमात्र निजी विश्वविद्यालय है जो एनआईआरएफ रैंकिंग 2022 में उच्चस्तरीय 101-150 विश्वविद्यालयों में शामिल है। कलिंगा विश्वविद्यालय के सभी पाठ्यक्रमों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद आदि प्रतिष्ठित संस्थानों से मान्यता प्रदान की गयी है। कलिंगा विश्वविद्यालय में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन विज्ञान संकाय द्वारा वैश्विक भलाई के लिए वैश्विक विज्ञान विषय पर आधारित था। सत्र का उद्घाटन कलिंग विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर ने डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ. आशा अंभाईकर के साथ देवी सरस्वती की मूर्ति के समक्ष पारंपरिक दीप प्रज्वलित कर किया। डॉ. श्रीधर ने अपने भाषण में छात्रों को विज्ञान की मदद से समाज की बेहतरी के लिए बिजनेस मॉडल विकसित करने के लिए प्रेरित किया। जीव विज्ञान की डीन डॉ. सुषमा दुबे ने अपने भाषण में छात्रों को नवीन शोध के लिए प्रोत्साहित किया। विभिन्न विभागों के छात्रों द्वारा विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर विज्ञान मॉडल प्रस्तुत किए गए। छात्रों ने जलवायु परिवर्तन और सतत विकास विषय पर आधारित पोस्टर भी तैयार किया। छात्रों द्वारा सामाजिक संदेश के साथ  रील भी बनाई गई। डॉ. धनंजय जैन और डॉ. राजेश माणिक द्वारा फलों और हरी सब्जियों के स्वास्थ्य लाभों पर ध्यान केंद्रित करते हुए योग और प्राकृतिक चिकित्सा: संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए रामबाण पर एक व्याख्यान दिया गया।

    दोपहर के भोजन के बाद के सत्र में स्वस्थ जीवन के लिए योग के महत्व को डॉ. राजेश माणिक द्वारा निर्देशित और कलिंगा विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा प्रस्तुत संस्कृत नाटक के माध्यम से बताया गया। फैशन डिजाइनिंग विभाग ने विज्ञान विषय पर आधारित फैशन शो प्रस्तुत किया। फूड स्टॉल पर प्रदर्शित विभिन्न प्रकार के भोजन का भी विद्यार्थियों ने लुत्फ उठाया। अंत में छात्रों को उनके द्वारा भाग ली गई विभिन्न गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए पदक और प्रमाण पत्र दिए गए। धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. शिल्पी श्रीवास्तव डीन और एचओडी एप्लाइड साइंस ने दिया। पूरे कार्यक्रम के सुचारू संचालन के लिए विज्ञान संकाय के सभी शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने समर्थन किया।

  • कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित सीजीएल (टियर-II) की परीक्षा 2 मार्च से होगी

    कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित सीजीएल (टियर-II) की परीक्षा 2 मार्च से होगी

    रायपुर 01 मार्च 2023/ कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग भारत सरकार द्वारा सीजीएल एग्जाम 2021 (टियर-II) की परीक्षा 2 मार्च से 4 मार्च एवं 6 मार्च और 7 मार्च को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक दो पालियों में आयोजित की जाएगी। इसी प्रकार कंबाइंड हायर सेकेंडरी लेवल एग्जामिनेशन 2022 (टियर-I) की परीक्षा 09 मार्च से 10 मार्च और 13 मार्च तथा 16 और 17 मार्च एवं 20 और 21 मार्च को सुबह 9 बजे से शाम 6.15 तक आयोग द्वारा निर्धारित रायपुर शहर स्थित ईऑन डिजीटल जोन सरोना पार्थिवी प्रोविंस कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, संत रविदास वार्ड नं 70 सरोना रायपुर के परीक्षा केन्द्र में संचालित किया जाएगा।

    कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने परीक्षा के सुचारू रूप से संचालन व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने हेतु डिप्टी कलेक्टर श्रीमती रूचि शर्मा को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

  • ”वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का आधुनिक स्वरुप” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

    ”वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का आधुनिक स्वरुप” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

    नया रायपुर कलिंगा विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के रसायन शास्त्र विभाग के द्वारा ”वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का आधुनिक स्वरुप” विषय पर 24 एवं 25 फरवरी को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया।जिसमें देश-विदेश के विषय विशेषज्ञ विद्वान,प्राध्यापक एवं शोधार्थी उपस्थित थें।इस राष्ट्रीय सम्मेलन में शोधपत्र एवं पोस्टर प्रदर्शन भी किया गया।जिसमें 225 से अधिक प्रतिभागियों  ने अपना पंजीयन कराया।इस सम्मेलन में चयनित शोधपत्रों का प्रकाशन आईएसबीएन बुक में भी किया जाएगा।

    विदित हो कि अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन  का शुभारंभ  कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आर.श्रीधर, छात्र कल्याण प्रकोष्ठ की अधिष्ठाता डॉ.आशा अंभईकर अकादमिक विभाग के अधिष्ठाता डॉ.राहुल मिश्रा ,आईक्यूएसी की निदेशक डॉ.विजयलक्ष्मी बिरादर,विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता डॉ.शिल्पी श्रीवास्तव ,सम्मेलन की संयोजक डॉ.संयोगिता शाही एवं गणमान्य अतिथि के रुप में उपस्थित आईआईटी भिलाई के सह प्राध्यापक डॉसंजीब बनर्जी, डॉ.राहुल जैन,डॉ.विनोद दाम्बुलकर,डॉ.मनीषा शुक्ला,डॉआशीष सिंह ,डॉ.आर.एसठाकुर  के द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।

    सम्मेलन के शुभारंभ के पश्चात नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फार्मेक्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (अहमदाबाद) के निदेशक डॉ.शैलेंद्र सर्राफ ने हाईब्रिड मोड के माध्यम से शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम विज्ञान और तकनीकी के समय में रह रहे हैं। हम सभी का जीवन वैज्ञानिक अविष्कारों और आधुनिक समय की तकनीकों पर बहुत अधिक निर्भर है। किसी भी देश का विकास वहाँ के लोगों के विकास के साथ जुड़ा हुआ होता है। इसके मद्देनज़र यह ज़रूरी हो जाता है कि जीवन के हर पहलू में विज्ञान-तकनीक और शोध कार्य अहम भूमिका निभाएँ। विकास के पथ पर कोई देश तभी आगे बढ़ सकता है जब उसकी आने वाली पीढ़ी के लिये सूचना और ज्ञान आधारित वातावरण बने और उच्च शिक्षा के स्तर पर शोध तथा अनुसंधान के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों।

    प्रथम दिन के तकनीकी सत्र में आईआईटी भिलाई के रसायन शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉसंजीब बनर्जी, एनआईपीआर,मोहाली के प्राध्यापक प्रो.(डॉ.),डॉ.राहुल जैन,सीसीएसएमआरआई,भावनगर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.आर.एस.ठाकुर, गुरु घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉआशीष सिंह,लखनऊ विश्वविद्यालय की मनीषा शुक्ला और नयी दिल्ली से पधारे प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ.विनोद दाम्बुलकर ने शोधार्थियों को संबोधित किया।

    सम्मेलन के दूसरे दिन मुख्य वक्ता के रुप में लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.देशदीपक ने शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि  हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब ज्ञान ही वास्तविक शक्ति है। हम सभी को उस ज्ञान से सशक्त बनाने की आवश्यकता है जो प्रत्येक व्यक्ति का सर्वोत्तम संसाधन है। हमें ऐसा ज्ञान प्रदान करने की आवश्यकता है जो हमारे राष्ट्र की समस्याओं का सामूहिक रूप से समाधान करने में सक्षम हो।सम्मेलन के दूसरे दिन तकनीकी सत्र में प्रो.(डॉ.) सी.एस.शुक्ला,प्रो.(डॉ.) राबर्ट डार्कसन,प्रो. (डॉ.) आरः ए.ठाकुर,प्रो.(डॉ.) अनिल मिश्रा ,डॉआरशबरी बानो,डॉकिंगशुक दत्ता ने शोधार्थियों को संबोधित किया।

    अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में 80 से अधिक प्रतिभागियों ने आनलाईन/ऑफलाइन मोड में  अपने शोधपत्रों को प्रस्तुत किया।इस सम्मेलन में शोधपत्र की प्रस्तुति के लिए कुल 140 शोधपत्रों का चयन किया गया।उक्त सम्मेलन में 135 से अधिक प्रतिभागियों ने अपने पोस्टर का प्रदर्शन किया।विदित हो कि इन स्वीकृत शोधपत्रों का प्रकाशन आईएसबीएन बुक के साथ-साथ स्कोपस और यूजीसी सूची में दर्ज जर्नल में किया जाएगा।।कार्यक्रम का कुशल संचालन रसायन विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ.मोमिता सिन्हा और विज्ञान संकाय की विद्यार्थी  सुश्री इशिका तनरेजा,सुश्री रखशन्दा और सुश्री अनुरुपा दास ने किया।जबकि तकनीकी व्यवस्था का संचालन कम्प्यूटर साईंस एवं आईटी विभाग के विभागाध्यक्ष श्री ओमप्रकाश देवांगन एवं श्री त्रिलोकी ने किया।उक्त अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र में सम्मेलन की संयोजक डॉ.संयोगिता शाही  ने सम्मेलन में उपस्थित अतिथियों एवं शोधार्थियों के साथ समस्त उपस्थित जन के प्रति धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।जबकि आभार प्रदर्शन विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता डॉ.शिल्पी श्रीवास्तव ने किया।दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय  सम्मेलन में सुश्री प्रियंका गुप्ता,डॉ.प्रीति पांडेय, सुश्री सरबरी बानो,श्री एन.के.जोशी,श्री घनंजय जैन,डॉ.स्मिता प्रेमानंद,श्री अमन गुप्ता,सुश्री हर्षा यादव एवं विज्ञान संकाय के समस्त प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

  • नई शिक्षा नीति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

    नई शिक्षा नीति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

    रायपुर। मैट्स यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एजुकेशन, ने 25 फरवरी को नई शिक्षा नीति पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का उद्देश्य शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और नीति निर्माताओं सहित विभिन्न हितधारकों के लिए नई शिक्षा नीति के निहितार्थों का पता लगाना था।
    इस अवसर पर मैट्स विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) के.पी. यादव ने भारत में शिक्षा प्रणाली को बदलने में नई शिक्षा नीति के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों के बीच संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक कौशल के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए शिक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण लाना है।
    संगोष्ठी में मुख्य अतिथि श्री राजेश सिंह राणा, आईएएस, निदेशक एससीईआरटी और एसएलएम, छत्तीसगढ़ के जीओवी और कई मुख्य वक्ता शामिल थे, जिनमें प्रसिद्ध शिक्षाविद, नीति निर्माता और विद्वान शामिल थे। वक्ताओं ने नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं जैसे व्यावसायिक शिक्षा, शिक्षा में तकनीक का उपयोग और शिक्षक प्रशिक्षण के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने नीति को लागू करने में आने वाली चुनौतियों और उन्हें दूर करने के संभावित समाधानों के बारे में भी बात की।
    संगोष्ठी में पैनल चर्चा और इंटरैक्टिव सत्र भी शामिल थे, जहां प्रतिभागियों ने नई शिक्षा नीति पर अपने विचार और अनुभव साझा किए। प्रतिभागियों में देश के विभिन्न हिस्सों से शिक्षक, शोधकर्ता, नीति निर्माता और छात्र शामिल थे।
    मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलसचिव श्री गोकुलानंद पांडा ने कहा कि सेमिनार ने नई शिक्षा नीति पर रचनात्मक चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान किया। उन्होंने संगोष्ठी में बहुमूल्य योगदान के लिए सभी प्रतिभागियों और वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।
    मैट्स स्कूल ऑफ एजुकेशन द्वारा छत्तीसगढ़ में नई शिक्षा नीति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन उच्च शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण प्रयास था। इससे नई नीति के महत्व पर प्रकाश डाला गया और इसके कार्यान्वयन में अंतर्दृष्टि प्रदान की। संगोष्ठी का समापन नई शिक्षा नीति के अनुरूप भारत में शिक्षा प्रणाली को बदलने की दिशा में काम करने के संकल्प के साथ हुआ।
    प्रोफेसर डॉ परविंदर हंसपाल और डॉ संजीत कुमार तिवारी के प्रयासों में यह एक बड़ी सफलता थी। मैट्स यूनिवर्सिटी के माननीय कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया एवं महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया ने नई शिक्षा नीति पर आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी को सराहनीय प्रयास बताया और कहा कि इससे प्रदेश में नई शिक्षा नीति के परिपालन की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।

  • नई शिक्षा नीति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

    नई शिक्षा नीति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

    रायपुर 26 फरवरी 2023/

    रायपुर। मैट्स यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एजुकेशन, ने 25 फरवरी को नई शिक्षा नीति पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का उद्देश्य शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और नीति निर्माताओं सहित विभिन्न हितधारकों के लिए नई शिक्षा नीति के निहितार्थों का पता लगाना था।
    इस अवसर पर मैट्स विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) के.पी. यादव ने भारत में शिक्षा प्रणाली को बदलने में नई शिक्षा नीति के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य छात्रों के बीच संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक कौशल के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए शिक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण लाना है।
    संगोष्ठी में मुख्य अतिथि श्री राजेश सिंह राणा, आईएएस, निदेशक एससीईआरटी और एसएलएम, छत्तीसगढ़ के जीओवी और कई मुख्य वक्ता शामिल थे, जिनमें प्रसिद्ध शिक्षाविद, नीति निर्माता और विद्वान शामिल थे। वक्ताओं ने नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं जैसे व्यावसायिक शिक्षा, शिक्षा में तकनीक का उपयोग और शिक्षक प्रशिक्षण के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने नीति को लागू करने में आने वाली चुनौतियों और उन्हें दूर करने के संभावित समाधानों के बारे में भी बात की।
    संगोष्ठी में पैनल चर्चा और इंटरैक्टिव सत्र भी शामिल थे, जहां प्रतिभागियों ने नई शिक्षा नीति पर अपने विचार और अनुभव साझा किए। प्रतिभागियों में देश के विभिन्न हिस्सों से शिक्षक, शोधकर्ता, नीति निर्माता और छात्र शामिल थे।
    मैट्स यूनिवर्सिटी के कुलसचिव श्री गोकुलानंद पांडा ने कहा कि सेमिनार ने नई शिक्षा नीति पर रचनात्मक चर्चा और विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान किया। उन्होंने संगोष्ठी में बहुमूल्य योगदान के लिए सभी प्रतिभागियों और वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।
    मैट्स स्कूल ऑफ एजुकेशन द्वारा छत्तीसगढ़ में नई शिक्षा नीति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन उच्च शिक्षा के विकास में महत्वपूर्ण प्रयास था। इससे नई नीति के महत्व पर प्रकाश डाला गया और इसके कार्यान्वयन में अंतर्दृष्टि प्रदान की। संगोष्ठी का समापन नई शिक्षा नीति के अनुरूप भारत में शिक्षा प्रणाली को बदलने की दिशा में काम करने के संकल्प के साथ हुआ।
    प्रोफेसर डॉ परविंदर हंसपाल और डॉ संजीत कुमार तिवारी के प्रयासों में यह एक बड़ी सफलता थी। मैट्स यूनिवर्सिटी के माननीय कुलाधिपति श्री गजराज पगारिया एवं महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया ने नई शिक्षा नीति पर आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी को सराहनीय प्रयास बताया और कहा कि इससे प्रदेश में नई शिक्षा नीति के परिपालन की दिशा में अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।

  • प्राइड स्किल एंटरप्रेन्योरशिप स्टेकहोल्डर्स मीटिंग

    प्राइड स्किल एंटरप्रेन्योरशिप स्टेकहोल्डर्स मीटिंग

    रायपुर 26 फरवरी 2023/

    कौशल उद्यमिता आज के आर्थिक परिदृश्य की एक प्रमुख विशेषता है। हमारे देश की स्थापना के बाद से, यह आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, और अनगिनत विचारों का स्रोत रहा है, जिनमें से कई का सफलतापूर्वक उत्पादों और सेवाओं में अनुवाद किया गया था जो हमारे देश और दुनिया भर में नागरिकों को छूता है, जीवन बचाता है और बढ़ाता है। जीवन की गुणवत्ता। बॉश इंडिया फाउंडेशन और मैट्स यूनिवर्सिटी के बीच संबंध काफी लंबे समय से हैं जब हमने कोविड-19 की महामारी का सामना किया था। कोविड काल के दौरान, बॉश इंडिया के सहयोग से हमने ब्रिज प्रोग्राम के माध्यम से कौशल उद्यमियों को प्रशिक्षण प्रदान किया – बॉश इंडिया की एक पहल।

    आज (24.02.2023) एमएसईआईटी मैट्स विश्वविद्यालय रायपुर में ‘प्राइड – स्किल एंटरप्रेन्योरशिप स्टेकहोल्डर्स गैदरिंग’ के माध्यम से हमें इस कार्यक्रम में अपने विशेष अतिथि डॉ. ओ.पी. गोयल जी, जो की सलाहकार ‘बॉश इंडिया और NSDC’, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, भारत
    सरकार, के साथ विचारों और अनुभवों के आदान-प्रदान और संवाद करने का सुनहरा अवसर मिला। एवं
    श्री सीतेश भारती जी, राष्ट्रीय प्रमुख प्राइड परियोजना, ने हमारे साथ जुड़ने के लिए अपने बेहद व्यस्त कार्यक्रम से समय निकाला।
    पूरे कार्यक्रम की शुरुआत सभा स्थल पर दीप प्रज्वलन की रस्म के साथ हुई। हमारे माननीय कुलपति प्रो. (डॉ.) के.पी. यादव के द्वारा एक अच्छी तरह से सूचित और प्रेरक परिचयात्मक भाषण के के साथ हुआ। सर ने कौशल आधारित शिक्षा प्रदान करने में शैक्षणिक/औद्योगिक प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने आज के परिदृश्य में कौशल उद्यमिता की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया। उनके बाद प्राइड प्रोजेक्ट के राष्ट्रीय प्रमुख श्री सीतेश भारती ने सभा को संबोधित किया और बताया कि स्किलिंग कैसे की जाती है। और एक उद्यमी में कौन-कौन से गुण होने चाहिए जिससे समाज को बड़े पैमाने पर लाभ हो। बाद में, हमारे सम्मानित अतिथि डॉ ओ.पी. गोयल जी, जो BRIDGE कौशल उद्यमिता प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रवर्तक हैं। उन्होंने बताया कि कैसे पूरा औद्योगिक प्रशिक्षण सत्र किस तरह काम करता है। अध्ययन और प्रशिक्षण के इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को उनकी उद्यमशीलता की यात्रा शुरू करने के लिए आवश्यक कौशल सेट से लैस करना है।
    बॉश इंडिया के राज्य समन्वयक श्री धर्मेंद्र तांती ने भी प्रतिभागियों के साथ बातचीत की। कार्यक्रम में मैट्स यूनिवर्सिटी की डीन डॉ. ज्योति जनास्वामी ने भी अपने विचार रखे। IACL (इंडस्ट्री एकेडेमिया कोलैबोरेशन लीड – स्किल एंटरप्रेन्योरशिप) और एमएसईआईटी के प्रिंसिपल डॉ. अभिषेक जैन ने भी कौशल उद्यमिता के युवा उम्मीदवारों को संबोधित किया। कुलसचिव श्री गोकुलानंद पांडा ने प्राइड के हितधारकों की बैठक की चर्चाओं की महत्वपूर्ण विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए धन्यवाद प्रस्ताव दिया। पूरे सत्र की योजना और क्रियान्वयन एसएमई (विषय वस्तु विशेषज्ञ – कौशल उद्यमिता) एमएसईआईटी के प्रोफेसर शीतल गजलवार द्वारा किया गया था।
    मैट्स विश्वविद्यालय रायपुर के माननीय कुलाधिपति, श्री गजराज पगारिया जी हमारे ऐसे सभी प्रयासों में हमेशा प्रोत्साहन के स्रोत रहे हैं। मैट्स विश्वविद्यालय के महानिदेशक श्री प्रियेश पगारिया जी ने इस तरह के आयोजनों की शुरूआत और सफल समापन देखने के लिए अपनी उत्सुकता व्यक्त की। उन्होंने आयोजन के युवा उद्यमियों को प्रोत्साहन का संदेश भी भेजा ।

  • मातृभाषा में लिखना-पढ़ना औपनिवेशिक सोच का अंत है-कुलपति प्रो.शाही

    मातृभाषा में लिखना-पढ़ना औपनिवेशिक सोच का अंत है-कुलपति प्रो.शाही

    भिलाई,22 फ़रवरी 2023\ श्री शंकरचार्य प्रोफ़ेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई द्वारा 21 फरवरी अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में व्याख्यान आयोजित किया गया। आयोजन के मुख्य वक्ता के रूप में प्रो.(डॉ.) सदानंद शाही, कुलपति श्री शंकराचार्य प्रोफ़ेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई रहें। इस अवसर पर कुलपति डॉ. शाही ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) प्रतिवर्ष 21 फरवरी को मातृभाषा आधारित बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये ‘अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ का आयोजन करता है। दुनिया में 7,000 से अधिक भाषाएँ हैं, जबकि अकेले भारत में लगभग 22 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएँ, 1635 मातृभाषाएँ और 234 पहचान योग्य मातृभाषाएँ हैं। यूनेस्को द्वारा इसकी घोषणा 17 नवंबर, 1999 को की गई थी और वर्ष 2000 से संपूर्ण विश्व में इस दिवस का आयोजन किया जा रहा है।यह दिन बांग्लादेश द्वारा अपनी मातृभाषा बांग्ला की रक्षा के लिये किये गए लंबे संघर्ष को भी रेखांकित करता है। 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने का विचार कनाडा में रहने वाले बांग्लादेशी रफीकुल इस्लाम द्वारा सुझाया गया था।उन्होंने बांग्ला भाषा आंदोलन के दौरान ढाका में वर्ष 1952 में हुई हत्याओं को याद करने के लिये उक्त तिथि प्रस्तावित की थी।इस पहल का उद्देश्य विश्व के विभिन्न क्षेत्रों की विविध संस्कृति और बौद्धिक विरासत की रक्षा करना तथा मातृभाषाओं का संरक्षण करना एवं उन्हें बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र (UN) के अनुसार, प्रत्येक दो हफ्ते में एक भाषा लुप्त हो जाती है और मानव सभ्यता अपनी संपूर्ण सांस्कृतिक एवं बौद्धिक विरासत खो रही है।वैश्वीकरण के कारण बेहतर रोज़गार के अवसरों के लिये विदेशी भाषा सीखने की होड़ मातृभाषाओं के लुप्त होने का एक प्रमुख कारण है। प्रो. शाही ने कहा कि प्रत्येक भाषा एक सांस्कृतिक इकाई की उपज होती है, किंतु कालांतर में प्रत्येक भाषा अपनी एक अलग संस्कृति का निर्माण करती हुई चलती है। कार्यक्रम में डॉ. ललित कुमार ने पत्रकरिता और मातृभाषा पर अपनी बात रखी वहीं प्रो.(डॉ.) शिल्पी देवांगन ने छत्तीसगढ़ में, डॉ. रविंद्र कुमार यादव ने अवधी में डॉ. सारिका तिवारी ने अपनी मातृभाषा ब्रज में एवं छात्रा रागिनी नायक ने अपनी मातृभाषा उड़िया में अपनी परिचय दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रविंद्र कुमार यादव, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभाग ने किया। इस अवसर पर छात्रों एवं प्राध्यापकों की गरिमामई उपस्थित रहीं।

  • स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल : एजुकेशन फ्रेंडली माहौल में

    स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल : एजुकेशन फ्रेंडली माहौल में

    रायपुर, 21 फरवरी 2023/छत्तीसगढ़ के स्कूली बच्चों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल बन रहा है। राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई अंग्रेजी स्कूलों की श्रृंखला से जिला मुख्यालयों और विकासखंड स्तर पर बड़ी संख्या में गरीब और कमजोर वर्ग के प्रतिभावान बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। बहुत ही कम समय में इन स्कूलों में लोकप्रियता हासिल कर ली है। राज्य सरकार द्वारा अंग्रेजी माध्यम के साथ-साथ हिन्दी माध्यम के स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल प्रारंभ किए जा रहे हैं। इन स्कूलों में विश्व स्तरीय सुविधाएं मौजूद हैं।
    प्रदेश में 247 स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल और हिंदी माध्यम के 32 स्कूल संचालित हैं, वहीं आगामी शिक्षण सत्र से 422 स्कूलों का संचालन किया जाना भी प्रस्तावित है। नये प्रस्तावित स्कूलों में सरगुजा और बस्तर संभाग के 252 स्कूल शामिल होंगे, ताकि सुदूर अंचलों एवं पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे भी अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई कर सके। अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की सफलता को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा आगामी शैक्षणिक सत्र से अंग्रेजी माध्यम कॉलेज प्रारंभ करने का भी निर्णय लिया गया है।

    स्वामी आत्मानंद स्कूलों की लोकप्रियता का अंदाजा मुख्यमंत्री के भेंट-मुलाकात कार्यक्रमों के दौरान इन स्कूलों की मांग और इन स्कूलों में पढ़ने वाले फर्राटेदार अंग्रेजी से लगाया जा सकता है। इन स्कूलों के प्रारंभ होने से गरीब और कमजोर तबके के प्रतिभावान बच्चों के पालकों को निजी स्कूलों की महंगी फीस से काफी राहत मिली है। इन स्कूलों में नाममात्र की फीस पर अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा के साथ-साथ् विश्व स्तरीय सुविधाएं, बेहतर शैक्षणिक माहौल मिल रहा है।

    राज्य सरकार द्वारा इन स्कूलों को शुरू करने का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ के प्रतिभावान छात्रों को अंग्रेजी माध्यम में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं में अन्य राज्यों के विद्यार्थियों से पीछे न रहे। सभी अंगेजी माध्यम और हिन्दी माध्यम स्कूलों में सीबीएससी का पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है।

    गौरतलब है कि 03 जुलाई 2020 को प्रदेश में स्वामी आत्मानंद स्कूल की सबसे पहले शुरूआत हुई थी। योजना के अंतर्गत प्रांरभ हुए 247 स्कूलों में लगभग ढ़ाई लाख बच्चे अध्ययनरत हैं। इन स्कूलों में अत्याधुनिक लाइब्रेरी, लैंग्वेज लैब, कम्प्यूटर और साइंस लैब के साथ ही टेनिस और बैडमिंटन सहित विभिन्न खेलों की सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी है।
  • उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम के लिए अध्यापन व्यवस्था को दुरूस्त करने कलेक्टर ने दिए निर्देश

    उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम के लिए अध्यापन व्यवस्था को दुरूस्त करने कलेक्टर ने दिए निर्देश

    रायपुर 2 फरवरी 2023/ कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर भुरे ने आज कलेक्ट्रेट के रेडक्रॉस सभाकक्ष में शिक्षा अधिकारियों की समीक्षा बैठक लेकर आवश्यक निर्देश दिए।बैठक में उन्होंने अर्धवार्षिक परीक्षा परिणामों में अपेक्षित सुधार नही होने पर गंभीर नाराजगी व्यक्त करते हुए सुधार लाने के निर्देश दिए।बच्चों के शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए पाठ्यक्रम को अनिवार्य रूप से पुनरावृत्ति कराने कहा। इसके लिए अतिरिक्त कक्षा भी लगाएं। उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम के लिए यह आवश्यक है।ऐसे विद्यालय जहां विशेष विषय के शिक्षक नही हैं, ऐसे विद्यालयों में पास के स्कूल से विषय पाठ्यक्रम को पूर्ण करने शिक्षकों की व्यवस्था की जा सकती है। परीक्षा परिणाम को बेहतर बनाने के लिए कमजोर बच्चों का चिन्हांकन करके उनका अलग से कक्षा लेकर अध्यापन कराने के निर्देश दिए।

    बैठक में उन्होंने स्कूलों  में चल रहे निर्माण कार्यो कों यथाशीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिए।शाला परिसर में स्थित शौचालय की नियमित रूप से साफ-सफाई करने को कहा।अधोसंरचना एवं निर्माण  कार्य,अतिरिक्त कक्ष निर्माण और शाला का जीर्णाेद्वार कार्य में देरी ना करें। स्कूलों में फर्नीचर, विधुत, पेयजल आदि की व्यवस्था अनिवार्य रूप से हो।

    कलेक्टर ने जिला और विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी को निर्देशित किया कि प्राचार्यों की नियमित रूप से बैठक लेकर समीक्षा करें। शिक्षकों को निर्देशित करें की गंभीरता से शैक्षणिक कार्यों में रुचि लें और बच्चों को नियमित रूप से अभ्यास कराये।उन्होंने विद्यालयों में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का चिन्हांकन कर और उन्हें आवश्यकतानुसार चिकित्सा एवं अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। कमजोर दृष्टि वाले बच्चों को चश्मा वितरण की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करने कहा। इसी तरह विद्यालयों के श्रवण बाधित बच्चे जिनको रिफर किया गया उन्हे तत्काल अस्पताल ले जाएं। ऐसे बच्चे जिनका ऑपरेशन किया जाना है, उनके लिए स्वास्थ्य विभाग से समन्वय बना कर कार्य करने के निर्देश दिए।

    बैठक में उन्होंने शिक्षा विभाग में संचालित निः शुल्क सरस्वती सायकल योजना, महतारी दुलार योजना, शिक्षा का अधिकार, मध्यान्ह भोजन योजना, छात्रवृत्ति, पाठ्य पुस्तक एवं गणवेश वितरण आदि के संबंध में विस्तार पूर्वक चर्चा कर अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए।