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  • एनटीपीसी दादरी प्लांट पर 24 गांवों के किसानों का हंगामा

    एनटीपीसी दादरी प्लांट पर 24 गांवों के किसानों का हंगामा

    नोएडा,01 अक्टूबर 2022 /
    पुलिस ने किसान नेता सुखवीर खलीफा, ऊदल आर्य, प्रवीण चौहान, मुनीन्द्र समेत 30 से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया है, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं और गांवों में बड़ी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई है एनटीपीसी दादरी में 1980 में हुए जमीन अधिग्रहण के मामले में एक बार फिर से किसान सड़कों पर आ गए हैं। मंगलवार को सैकड़ों की तादाद में आए किसानों ने प्लांट के गेट पर जमकर हंगामा किया और वहां पर तालाबंदी का प्रयास किया। इस दौरान पुलिस और पीएसी के अधिकारियों ने हंगामा कर रहे किसानों को काफी समझाने का प्रयास किया। जब किसान नहीं माने तो पहले तो उन पर वाटर केनन और फिर बाद में लाठीचार्ज कर खदेड़ दिया गया। इसमें कुछ किसानों को चोट भी आई हैं।
    किसानों के प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखवीर पहलवान समेत करीब 30 लोगों को हिरासत में ले लिया गया है, जिसमें कुछ महिलाएं भी शामिल हैं।

    1980 में हुए जमीन अधिग्रहण से असंतुष्ट हैं किसान

    एनटीपीसी दादरी के लिए वर्ष 1980 में जमीन का अधिग्रहण किया गया था। किसानों का कहना है कि उस दौरान कुछ जमीन 10 रुपये के रेट पर और कुछ जमीन 150 रूपये के रेट पर अधिग्रहित हुई थी। उस समय करार किया गया था कि जो सुविधाएं और मुआवजा प्राधिकरण के द्वारा अन्य किसानों को दिया जाएगा, वही उन्हें भी मिलेगा। अब किसानों की मांग है कि उन्हें बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाए और क्षेत्र का विकास हो। इन मांगों को लेकर किसानों ने प्राधिकरण को 31 अक्टूबर तक का समय दिया था और एक नवंबर से प्लांट पर तालाबंदी का ऐलान किया था।
    इसी क्रम में मंगलवार को क्षेत्र के गांव ऊंची अमीरपुर, खंगौड़ा, सीधीपुर, ततारपुर, रसूलपुर, प्यावली बिसाह़ड़ा, बड़पुरा, कैलाश पुर, रूपबांस समेत 24 गांवों के किसान प्लांट के गेट पर पहुंच गए और वहां पर तालाबंदी का प्रयास करते हुए धरना दिया। हालांकि, भारी फोर्स होने के कारण वह तालाबंदी नहीं कर सके।

    कई किसानों के चोटें भी आईं

    इस दौरान उनकी अनेक बार पुलिस अधिकारियों से नोंकझोंक भी हुई। आरोप है कि दोपहर में अचानक से प्लांट पर पीएसी कर्मियों की संख्या बढ़ गई और उसके बाद किसानों पर पहले फायर बिग्रेड की गाड़ियों से पानी की बौछार डाली गई और फिर उन पर लाठीचार्ज कर दिया गया, जिसमें अनेक किसानों के चोटें भी आई हैं।

    किसानों के अनुसार, पुलिस ने किसान नेता सुखवीर खलीफा, ऊदल आर्य, प्रवीण चौहान, मुनीन्द्र समेत 30 से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया है, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं और गांवों में बड़ी संख्या में फोर्स तैनात कर दी गई है। हालांकि, पुलिस अधिकारी लाठीचार्ज की बात से इनकार कर रहे हैं।

  • डीयू छात्रा मर्डर केस  दिल्ली हाईकोर्ट ने पलटा निचली अदालत का फैसला

    डीयू छात्रा मर्डर केस दिल्ली हाईकोर्ट ने पलटा निचली अदालत का फैसला

    नई दिल्ली, 01 अक्टूबर 2022 /
    दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2009 में दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा निकिता सिंह की हत्या के मामले में तीन आरोपियों को बरी कर दिया, जबकि निचली अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने वर्ष 2009 में दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा की हत्या के मामले में तीन आरोपियों को बरी कर दिया, जबकि निचली अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में वर्ष 2009 में गिरफ्तार आरोपियों को रिहा करने का भी आदेश दिया।
    तीनों आरोपियों को सितंबर 2009 में दिल्ली विश्वविद्यालय की 21 वर्षीय छात्रा निकिता सिंह की सिर में गोली मारकर की गई थी। हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था। निकिता सिंह का शव मुंडका गांव के फार्म हाउस में पॉलिथीन बैग में मिला था। हत्या को तब अंजाम दिया गया था, जब वह कॉलेज से घर लौट रही थी।

    जस्टिस मुक्ता गुप्ता और जस्टिस अनीश दयाल की बेंच ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिसके आधार पर तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया जाए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा वर्ष 2020 में उन्हें सुनाई गई सजा रद्द कर दी।

    अदालत ने वरिष्ठ वकील प्रमोद कुमार दुबे द्वारा दायर यशू, विनीत और सुनील कुमार की अपील स्वीकार कर ली जिसमें उन्होंने निचली अदालत द्वारा हत्या का दोषी करार दिए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। अदालत ने यह फैसला 31 अक्टूबर को सुनाया। बेंच ने कहा कि हत्या का मकसद और मूलभूत तथ्यों के बारे में कोई सबूत नहीं है और पीड़िता के पिता के केवल एक बयान के संबंध में एक आरोपी के साथ पारिवारिक विवाद था, बिना किसी और पुष्टि के विश्वसनीय नहीं माना जा सकता।

  • शादी के दिन दुल्हन को होने लगा लेबर पेन अस्पताल में निभाई गई सभी रस्में

    शादी के दिन दुल्हन को होने लगा लेबर पेन अस्पताल में निभाई गई सभी रस्में

    एम्सटर्डम, 01 अक्टूबर 2022 /
    क्या ऐसा संभव है कि शादी के दिन होने वाली दुल्हन को लेबर पेन शुरू हो जाए? फिर शादी की रस्में तय वेन्यू की जगह अस्पताल में ही पूरी की जाएं? ऐसा हुआ है नीदरलैंड्स के डोड्रेच शहर में। क्या ऐसा संभव है कि शादी के दिन होने वाली दुल्हन को लेबर पेन शुरू हो जाए? फिर शादी की रस्में तय वेन्यू की जगह अस्पताल में ही पूरी की जाएं? ऐसा हुआ है नीदरलैंड्स के डोड्रेच शहर में। यहां पर निकोल और मार्क नाम के कपल की शादी होने वाली थी। निकोल पहले से ही प्रेग्नेंट थी। दोनों ने इसी के हिसाब से शादी प्लान की थी, लेकिन लगता है होने वाली बच्ची को भी अपने पैरेंट्स की शादी में शामिल होने की जल्दी थी। तभी तो डॉक्टर द्वारा दी गई डेट के पांच हफ्ते पहले ही निकोल को लेबर पेन शुरू हो गया।
    प्लान करना पड़ा चेंज
    नीदरलैंड के रहने वाले निकोल और मार्क ने 26 अक्टूबर को अपनी शादी प्लान की थी। लेकिन इसी दिन निकोल को अचानक लेबर पेन शुरू हो गया। आनन-फानन में मार्क और निकोल को अपना प्लान चेंज करना पड़ा। हालांकि दोनों ने तय किया कि तमाम चीजों के बावजूद वह इसी दिन अपनी शादी रचाएंगी। फिर क्या था, अब हॉस्पिटल बन गया शादी का वेन्यू और मार्क और निकोल बन गए एक-दूजे के। इस तरह अल्बर्ट श्वेट्जर अस्पताल में दोनों ने शादी रचाई।

    अस्पताल के प्रेयर रूम में शादी
    दोनों की शादी की रस्में अस्पताल के प्रेयर रूम में संपन्न हुईं। अब चूंकि दोनों ने शादी के लिए मेहमानों को भी बुला रखा था। ऐसे में मेहमान भी पहले से तय शादी के वेन्यू की जगह अस्पताल में ही पहुंचे। सिर्फ इतना ही नहीं, सिविल रजिस्ट्री अफसर को भी अस्पताल में ही पहुंचना पड़ा। इस मौके पर रजिस्ट्री अफसर ने कपल से कहा आप दोनों पूरी जिंदगी अपनी शादी की तारीख नहीं भूलेंगे। अब से हर साल यह दिन आपके लिए डबल सेलिब्रेशन की डेट होगी।

  • ट्विटर पर क्यों ट्रेंड हुआ BoycottCadbury  लोगों ने पीएम मोदी से जोड़ा

    ट्विटर पर क्यों ट्रेंड हुआ BoycottCadbury लोगों ने पीएम मोदी से जोड़ा

    नई दिल्ली, 01 अक्टूबर 2022 /
    ट्विटर पर बायकॉट कैडबरी ट्रेंड होने लगा था। एक विज्ञापन को लेकर कैडबरी को ट्रोल होना पड़ा। दावा किया जा रहा है कि इस विज्ञापन के जरिए पीएम मोदी के पिता को लेकर तंज किया गया है। कैडबरी चॉकलेट अपने एक ऐडवर्टीजमेंट को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हुआ। दावा किया जा रहा था कि ऐड को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जोड़ा गया है। ट्विटर पर भी इस बात को लेकर बहस छिड़ गई। बहुत सारे लोगों ने इस बहस को भी बकवास बताया। बहुत सारे लोग तो यह भी कहने लगे कि बीफ से जिलैटिन निकालकर यह चॉकलेट बनाई जाती है।
    क्या है ऐड में
    इस वीडियो ऐड में दिखाया जाता है कि एक शख्स दीया बेंच रहा है। तभी दूसरा शख्स आता है और उसे दामोदर कहकर संबोधित करता है। वह कहता है कि आज कुछ लेने नहीं बल्कि देने आया है। और फिर कैडबरी का डिब्बा निकालकर देता है। यह ऐड दिवाली पर बनाया गया है। आखिरी में शख्स फिर से कहता है, दिवाली मुबारक हो दामोदर।

    वीएचपी नेता साध्वी प्राची ने ट्वीट कर कहा, आपने कैडबरी चॉकलेट का यह विज्ञापन देखा क्या। बिना दुकान का दीया बेचने वाले का नाम दामोदर है। इसमें किसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिता को बदनाम करने के लिए दिखाया है। चायवाले का बाप दीयावाला। कैडबरी कंपनी पर लानत है। बहुत सारे लोगों ने सोशल मीडिया पर कहा कि कैडबरी कंपनी ने प्रधानंत्री के पिता का अपमान किया है इसलिए इसको बायकॉट करना चाहिए।

  • आपने देखा मुस्कुराता हुआ सूरज NASA ने जारी की तस्वीर

    आपने देखा मुस्कुराता हुआ सूरज NASA ने जारी की तस्वीर

    वॉशिंगटन, 01 अक्टूबर 2022 /
    NASA ने एक तस्वीर जारी की है जिसमें ऐसा लगता है कि सूरज का चेहरा है और वह मुस्कुरा रहा है। हालांकि इन काले धब्बोें को कोरोनल होल के रूप मे जाना जाता है। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा के उपग्रह ने सूरज की कुछ ऐसी तस्वीर ली है कि जिसमें अकसर तमतमाया दिखने वाला सूरज भी मुस्कुराता हुआ नजर आ रहा है। हालांकि तस्वीर में नजर आ रहे सूरज के इस रूप को विशेषज्ञों ने एक चेतावनी भी बताया है। NASA ने अपने टेलिस्कोप की मदद से यह तस्वीर खींची है।
    उन्होंने कहा है कि हो सकता है शनिवार को सूरज से धरती की ओर पराबैगनी किरणों का हमला हो। गार्डियन ने स्पेसवेदर डॉट कॉम के हवाले से बताया कि नासा की सोलर डायनमक्सि आब्जरवेटरी ने सूर्य को मुस्कुराते हुए कैमरे में कैद किया। पराबैंगनी प्रकाश में देखे जाने वाले सूर्य पर काले धब्बों को कोरोनल होल के रूप में जाना जाता है। वे ऐसे क्षेत्र हैं जहां तेज सोलर हवाएं अंतरक्षि में चलती है।दूसरी ओर नासा की ओर से इस तस्वीर को जारी करने के बाद से ऑनलाइन अलग-अलग प्रतक्रियिाएं आ रहीं हैं। कई लोगों ने इसकी तुलना भूतिया मुखौटे तो किसी ने शेर और किसी ने बच्चों के शो टेलट्यूबीज़ से की है। यह तस्वीर 26 अक्टूबर की है। इंटरनेट पर तस्वीर वायरल होने के बाद लोग तरह-तरह के कमेंट भी कर रहे हैं। एक शख्स ने ट्विटर पर लिखा की अब कन्फर्म हो गया है कि सूरज एक बिस्किट है। शख्स ने मिनी बीएन बिस्किट की तस्वीर भी सूरच की तस्वीर के साथ शेयर की। बहुत सारे लोगों ने तस्वीर में थोड़ा बदलाव भी कर दिया। ट्विटर पर एक शख्स मुस्कुराते हुए सूरज को शेर की शक्ल दे दी।

  • पेट्रोल से खतरनाक स्टंट दिखा रहा था युवक, तभी दाढ़ी में लग गई आग और फिर

    पेट्रोल से खतरनाक स्टंट दिखा रहा था युवक, तभी दाढ़ी में लग गई आग और फिर

    नई दिल्ली, 01 अक्टूबर 2022 /
    इस वीडियो पर कई यूजर्स ने कॉमेंट किया है। एक यूजर ने कहा कि यह आग है, इससे मत खेलो। जल जाओगे। एक अन्य यूजर ने कहा कि भाई इस तरह तो आप अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं। सोशल मीडिया पर रोजाना कोई न कोई वीडियो वायरल होता रहता है। इन दिनों एक युवक का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें स्टंट दिखा रहे युवक की जान तक जा सकती थी। दरअसल, एक पंडाल पर युवक मुंह में पेट्रोल भरकर उससे आग जलाने का स्टंट कर रहा था। इसी दौरान, उसकी दाढ़ी में आग लग गई। आसपास खड़े कुछ लोगों ने जैसे-तैसे उसकी जान बचाई। यह वीडियो इंस्टाग्राम पर कुछ दिनों पहले अपलोड किया गया था, जिसे अब तक छह लाख से ज्यादा यूजर्स लाइक कर चुके हैं। वहीं, इसे एक करोड़ से अधिक व्यूज मिले हैं। इंस्टाग्राम पर यह वीडियो वायरल हो चुका है। हालांकि, यह साफ नहीं हुआ है कि वीडियो किस जगह का है। इसे इंस्टाग्राम यूजर रवि पाटीदार ने अपने अकाउंट से शेयर किया है।

    वीडियो में एक टेबल पर युवक खड़ा हुआ दिखाई दे रहा है। उसके हाथों में एक लकड़ी है, जोकि जल रही है। वहीं, वह लोगों से पेट्रोल की बोतल मांगता है और पेट्रोल को मुंह में डालकर उसे बाहर उगलते हुए उसमें आग लगाने की कोशिश करता है। जब युवक ऐसा करता है, तभी आग फैल जाती है और उसकी दाढ़ी में आग लग जाती है। इतना देखते ही आसपास के लोग घबरा गए और उसको बचाने के लिए भागे। इस वीडियो पर कई यूजर्स ने कॉमेंट किया है। एक यूजर ने कहा कि यह आग है, इससे मत खेलो। जल जाओगे। एक अन्य यूजर ने कहा कि भाई इस तरह तो आप अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं। कृपया, अपना ध्यान रखें। वहीं, तीसरे युवक ने कॉमेंट किया, ”बहुत ही खतरनाक स्टंट है। हर किसी को यह नहीं करना चाहिए।

  • ट्रेन में बैठकर खाने का एहसास, पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी

    ट्रेन में बैठकर खाने का एहसास, पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी

    कोलकाता, 01 अक्टूबर 2022 /
    कुछ पुरानी चीजों को अक्सर बेहद यादगार रूप में बदल दिया जाता है। ऐसा ही देखने को मिल रहा है पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में। यहां पर एक पूराने रेल कोच को रेस्टोरेंट में तब्दील कर दिया गया है।कुछ पुरानी चीजों को अक्सर बेहद यादगार रूप में बदल दिया जाता है। ऐसा ही देखने को मिल रहा है पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में। यहां पर एक पूराने रेल कोच को रेस्टोरेंट में तब्दील कर दिया गया है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि अंदर बैठने वाले लोगों को रेलवे स्टेशन जैसी फील आए। रेल मंत्रालय ने इसकी फोटो ट्विटर पर शेयर की है।
    विजिटर्स के लिए अनूठा एहसास
    रेल मंत्रालय ने अपनी ट्वीट में लिखा है कि कोच से रेस्टोरेंट! विजिटर्स को बेहद खास एहसास दिलाने के लिए इसे यह रूप दिया गया है। इसके लिए एक पुराने पैसेंजर कोच को रेस्टोरेंट में ढाल दिया गया है। इस ‘रेल कोच रेस्टोरेंट’ में अलग-अगल तरह की डिशेस परोसी जाती हैं। इनमें उत्तर भारत और दक्षिण भारत के व्यंजनों से लेकर चाइनीज तक शामिल हैं। न्यू जलपाईगुड़ी जंक्शन के एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर संजय चिलवारवार के मुताबिक इसके मेन्यू में चाय, बिरयानी, फाइड राइस, चिली चिकन मोमोज और डोसा तक शामिल हैं।

    रेल कोच में खाने का अनुभव
    रेलवे मंत्रालय द्वारा शेयर की गई तस्वीरों में दिखाई दे रहा है कि रेस्टोरेंट में अंदर और बाहर दोनों जगह बैठने की सुविधा है। यहां की सीटों को चमकीले पीले रंग में रंगा गया है। संजय ने बताया कि इस रेस्टोरेंट से न सिर्फ रेवेन्यू जुटाने में मदद मिलेगी, बल्कि उन्हें एक रेल कोच में खाना खाने का अनोखा अनुभव भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि यहां पर कुल 40 स्टाफ लगाए गए हैं और यह रेस्टोरेंट सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहेगा। खास बात यह है कि यहां रेलवे यात्रियों के अलावा आम लोग भी पहुंचकर खाने का लुत्फ उठा सकते हैं।
    एक बार में बैठ सकते हैं 32 लोग
    इस रेल कोच रेस्टोरेंट में कुल 8 टेबल लगाई गई हैं। इन पर एक बार में 32 मेहमान बैठ सकते हैं। रेस्टोरेंट की दीवारों पर पश्चिम बंगाल की विभिन्न बिल्डिंग्स, आर्किटेक्चर्स आदि की तस्वीरें लगाई गई हैं। इन तस्वीरों में दार्जिलिंग की हिमालयन टॉय ट्रेन, कोरोनेशन ब्रिज, हावड़ा ब्रिज और विक्टोरिया महल शामिल हैं। वहीं, नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे भी सुकमा, तिंधारा, कूर्सेआंग और दार्जिलिंग स्टेशनों पर इस तरह के रेल कोच रेस्टोरेंट स्थापित करने की दिशा में योजना बना रहा है।

  • पीएम मोदी के मोरबी पहुंचते ही क्यों ढका गया इस कंपनी का नाम

    पीएम मोदी के मोरबी पहुंचते ही क्यों ढका गया इस कंपनी का नाम

    मोरबी, 01 अक्टूबर 2022 /
    पुल के रख-रखाव और संचालन का ठेका ओरेवा समूह को मिला था। निगम ने शहर के ही घड़ियां और ई-बाइक बनाने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप को मच्छु नदी पर बने शताब्दी पुराने तारों से बने पुल की मरम्मत का काम सौंपा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोरबी पहुंचने से पहले ही एक कंपनी के बोर्ड पर शीट डालकर उसे ढक दिया गया। कंपनी पर गंभीर आरोप लगे हैं। इसका नाम ओरेवा ग्रुप है। प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को गुजरात के मोरबी जिले की उस जगह पर पहुंचे जहां पुल गिरा था। अधिकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी को पुल टूटने के बाद चलाए जा रहे बचाव अभियान के बारे में जानकारी दी। इस दौरान पुल के पास में लगे ओरेवा ग्रुप के बोर्ड को एक सफेद शीट से ढक दिया गया।
    हादसे के बाद मोरबी का दर्द बांटने पहुंचे पीएम मोदी, सीएम के साथ घटनास्थल का लिया जायजा

    पुल ढहने के दो दिन बाद मोरबी में पीएम के दौरे को विपक्ष “इवेंट मैनेजमेंट” बता रहा है। ओरेवा कंपनी के बोर्ड को ढकने के अलावा एक स्थानीय सरकारी अस्पताल को भी रातों-रात फिर से रंग दिया गया और नए बिस्तरों और चादरों के साथ एक वार्ड भी बनाया गया, जहां प्रधानमंत्री कुछ घायलों से मिलेंगे। मोरबी पुल हादसे में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 135 हो गई है और अब तक 170 अन्य को बचा लिया गया है। अधिकारियों ने कहा कि सशस्त्र बलों, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और अन्य एजेंसियों द्वारा मच्छु नदी में बचाव अभियान अभी जारी है। पुलिस ने मच्छु नदी पर तारों का पुल टूटने के मामले में सोमवार को ओरेवा समूह के चार कर्मियों समेत नौ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। ब्रिटिश काल के दौरान बने इस पुल के रख-रखाव और संचालन का ठेका ओरेवा समूह को मिला था। मोरबी नगर निगम ने शहर के ही घड़ियां और ई-बाइक बनाने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप को मच्छु नदी पर बने शताब्दी पुराने तारों से बने पुल की मरम्मत का काम सौंपा था।

    नगर निगम के सोमवार को मिले दस्तावेजों के अनुसार, ओरेवा ग्रुप को 15 साल तक पुल की मरम्मत करने, उसका संचालन करने और 10 से 15 रुपये प्रति टिकट मूल्य पर टिकट बेचने की अनुमति थी। आजादी से पहले मोरबी के शासक बाघजी ठाकुर द्वारा 1887 में बनवाए गए इस केबल पुल को मरम्मत पूरी होने के बाद 26 अक्टूबर को मीडिया के सामने ओरेवा ग्रुप के जययसुख पटेल और उनके परिवार ने जनता के लिए खोल दिया। पुल टूटने के बाद मोरबी नगर निगम के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने दावा किया कि मरम्मत करने वाली कंपनी ने पुल को जनता के लिए खोलने से पहले निगम से ‘अनुमति’ प्रमाणपत्र नहीं लिया था।

  • दुनिया पर हावी होने का चीनी मनसूबा

    दुनिया पर हावी होने का चीनी मनसूबा

    नई दिल्ली, 01 अक्टूबर 2022 /
    दुनिया के अनेक हिस्सों में पिछले हफ्ते बहुत से दिलचस्प नजारे दिखाई दिए। भारत की राजनीति हो, दीपावली का उत्सव हो या दीपावली के दिन ब्रिटेन में एक हिंदू ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री बनना हो, लेकिन इन दुनिया के अनेक हिस्सों में पिछले हफ्ते बहुत से दिलचस्प नजारे दिखाई दिए। भारत की राजनीति हो, दीपावली का उत्सव हो या दीपावली के दिन ब्रिटेन में एक हिंदू ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री बनना हो, लेकिन इन सबके बीच जो एक चौंकाने वाला नजारा दिखाई दिया, वह चीन से था। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पंचवर्षीय कांग्रेस या अधिवेशन में। यह अधिवेशन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का नया नेतृत्व चुनता है। यही नेतृत्व चीन की सरकार होता है। पुरानी परंपराओं और नियमों को ताक पर रखकर इस बार शी जिनपिंग को तीसरी बार पार्टी का महासचिव या देश का सर्वोच्च नेता चुन लिया गया। माना जा रहा है कि अब जिनपिंग कम से कम दस साल के लिए और अगर वह चाहें, तो जिंदगी भर के लिए सत्ता पर काबिज रह सकते हैं।
    वैसे, देखने लायक नजारा यह नहीं था। नजारा था, पूर्व राष्ट्रपति हू जिन्ताओ के साथ हुआ व्यवहार, लेकिन चीन के भीतर यह खबर कहीं नहीं आई। चीन के प्रमुख अखबार ग्लोबल टाइम्स ने खबर यह छापी कि चीन में विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए सरकार ने बहुआयामी सुधारों के एलान किए हैं, लेकिन बाकी दुनिया इस वक्त चीन की राजनीति और अर्थनीति, दोनों को ही काफी शंका के साथ देख रही है। जिनपिंग 2012 में राष्ट्रपति बने थे और तभी से चीन की आर्थिक और सामरिक शक्ति को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का सपना साकार करने में जुटे हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में उन्होंने चीन के भविष्य का जो खाका खींचा है, उससे दुनिया भर में खलबली मची हुई है।

  • धर्म की आंच पर किसकी गलेगी दाल

    धर्म की आंच पर किसकी गलेगी दाल

    नई दिल्ली, 01 अक्टूबर 2022 /
    दुनिया भर के राजनेताओं की तरह भारतीय राजनेता भी अपने वक्तव्य चुनावी नफे-नुकसान को ध्यान में रखकर ही देते हैं। इस लिए जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नोटों पर लक्ष्मी गणेश के चित्र छापने दुनिया भर के राजनेताओं की तरह भारतीय राजनेता भी अपने वक्तव्य चुनावी नफे-नुकसान को ध्यान में रखकर ही देते हैं। इस लिए जब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नोटों पर लक्ष्मी गणेश के चित्र छापने की मांग की, तो किसी को आश्चर्य नहीं हुआ। यह अलग बात है कि उन्होंने जो तर्क इस अनुरोध के पीछे दिए हैं, वे जरूर कौतूहल पैदा करने वाले हैं। सार्वजनिक जानकारी सही है, तो केजरीवाल आईआईटी से पढ़े हुए हैं, इसलिए जब वे कहते हैं कि अर्थव्यवस्था को सुधारने का एक तरीका है कि भारतीय नोटों पर लक्ष्मी गणेश के चित्र छापे जाएं, तो स्वाभाविक रूप से हमें ब्रिटिश मतदाताओं पर तरस आता है, जिन्होंने बाजार की गिरावट थामने के लिए अपना प्रधानमंत्री ही बदल डाला। मेरे जैसे भोजपुरिया के मन में कसक है कि उन्हें दरिद्दर भगाने का हमारा शर्तिया इलाज नहीं याद आया अन्यथा तो वह रिजर्व बैंक को सलाह देते कि उनकी हर शाखा में दीवाली के मौके पर सूप जरूर पीटा जाए। शायद बिहार के अगले चुनाव में यह भी याद आ जाए।
    धर्म को ध्यान में रखकर की जाने वाली राजनीति की एक सीमा यह है कि इसमें भाषा के स्तर पर निरंतर बदलाव की जरूरत पड़ती है। कुछ दशक पहले एक फिल्म आई थी शोले। उसमें हिंसा को एक खास मुकाम दिया गया था। तब तक बनी किसी भी बम्बइया फिल्म से बहुत क्रूर थी इसकी हिंसा। सिनेमा घरों में इसने धूम मचा दी और बॉक्स ऑफिस के रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए थे, पर जब उसकी नकल पर और फिल्में बनीं, तो लगभग सभी पिट गईं। दर्शक अधिक की मांग कर रहे थे और निर्माता निर्देशकों की सांसें फूली जा रही थीं। कुछ ऐसा ही प्रयोग 1970 के दशक में पंजाब में हुआ। ज्ञानी जैल सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने अपने कार्यक्रमों को अरदास से शुरू करने का प्रयास किया और बुरी तरह से पिटे। पंथ के धार्मिक प्रतीकों का अकालियों द्वारा प्रयोग कांग्रेस के मुकाबले अधिक विश्वसनीय लगता था। एक बार इस दौड़ में शरीक होते ही जो प्रतिस्पर्धा शुरू होती है, उसमें दौड़ना सबके बस का नहीं है।