रायपुर, 02 नवम्बर 2022\ प्रदेश में मुख्यमंत्री की घोषणा की अनुरूप 01 नवंबर से धान खरीदी शुुरू हो गई है। किसानों को सुगमतापूर्वक धान विक्रय के लिए धान उपार्जन केन्द्रों में धान खरीदी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। राज्य स्तर के अधिकारियों द्वारा भी विभिन्न धान खरीदी केन्द्रों में जाकर व्यवस्था का औचक निरीक्षण किया जा रहा है। साथ ही किसानों से बातचीत कर विक्रय के संबंध में जानकारी भी ले रहे है। इसी कड़ी में आज खेल एवं युवा कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव तथा धमतरी जिले की प्रभारी सचिव रेणु जी. पिल्ले ने अपने धमतरी प्रवास के दौरान आज सुबह सोरम स्थित धान उपार्जन केन्द्र का निरीक्षण किया और धान क्रय व्यवस्था का जायजा लिया।
धमतरी जिले से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में दो हजार 619 किसान पंजीकृत हैं और आज 10 किसानों से 208 क्विंटल धान समर्थन मूल्य पर खरीदा गया। प्रभारी सचिव पिल्ले ने चालू खरीफ विपणन वर्ष में ज़िले की सभी 96 उपार्जन केंद्रों में किसानों की सहूलियत का ध्यान रख तय मापदंड अनुरूप धान खरीदी करने पर बल दिया। उपार्जन केंद्र में व्यवस्थाओं का जायजा लेते हुए सुनिश्चित करने कहा कि पुराने बारदाने को पलटकर उस पर मार्का लगाए जाएं। स्थल मुआयना के दौरान चबूतरा, डेनेज, बैनर-पोस्टर, तिरपाल, टोल फ्री नंबर, कांटा-बांट सत्यापन, नमी मापक यंत्र, प्राथमिक उपचार किट इत्यादि सहित अन्य व्यवस्थाओं की केंद्र प्रभारी से जानकारी ली और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए उन्होंने अपने भ्रमण के दौरान सोरम के शासकीय उचित मूल्य की दुकान का भी मुआयना किया। उन्होंने चावल की गुणवत्ता, खाद्य तेल, ई-पॉस मशीन, बैनर इत्यादि को देखा। दुकान में पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने और टोल फ्री नंबर क्रियाशील बनाए रखने के निर्देश दुकान संचालक को दिए। इस मौके पर कलेक्टर पी.एस.एल्मा, जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रियंका महोबिया, खाद्य तथा सहकारिता विभाग के अधिकारी सहित किसान आदि मौजूद थे।
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धमतरी जिले की प्रभारी सचिव रेणु पिल्ले ने सोरम धान खरीदी केंद्र का किया निरीक्षण
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कलेक्टर ने किया पचेड़ा धान खरीदी केन्द्र का निरीक्षण, लिया व्यवस्था का जायजा
रायपुर 02 नवम्बर 2022\ प्रदेश के साथ ही रायपुर जिले के धान खरीदी केंद्रों में चालू खरीफ विपणन वर्ष में समर्थन मूल्य में धान खरीदी की शुरु हो गई है।कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर भुरे ने आज पचेड़ा के धान खरीदी केंद्र का निरीक्षण किया और खरीदी व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने खरीदी केंद्र में किए गए आवश्यक व्यवस्थाओं, धान खरीदी की दरों, पंजीकृत किसानों की संख्या, फड की व्यवस्था का जायजा लिया और धान खरीदी के लिए समितियों में की गई तैयारियों से संतुष्टि जताई।
कलेक्टर डॉ भुरे ने धान खरीदी में एप के माध्यम से टोकन की व्यवस्था के सम्बंध में समिति के सदस्यों से चर्चा की और किसानों के लिए प्रारंभ किए गए इस सुविधा के संबंध में किसानों को अधिक से अधिक जानकारी देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नई आॅनलाईन टोकन व्यवस्था से किसानों को टोकन के लिए धान खरीदी केन्द्र आने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे भीड़ में कमी आएगी। इस अवसर पर खाद्य विभाग, विपणन, सहकारिता विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
कलेक्टर ने बताया कि धान खरीदी के लिए जिले में बारदाने की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जा चुकी है। कांटा बाट, कम्प्यूटर, नमी मापक यंत्र सहित अन्य आवश्यक सामग्री का सत्यापन कर लिया गया है। धान खरीदी के दौरान धान के अवैध परिवहन, भंडारण और व्यापार पर नियंत्रण के लिए भी व्यापक व्यवस्थाएँ की गई हैं।
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राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दूसरे कलाकार रंग जमाने को तैयार
रायपुर, 02 नवम्बर 2022\ हारूल नृत्य के लिए तैयार किया जा रहा हाथी।
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राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दौरान हारुन नृत्य में उत्तराखंड की पहाड़ी संस्कृति की झलक दिख रही है
रायपुर, 02 नवम्बर 2022\ राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव
विवाह, दिवाली, मेले जैसे अवसरों में किया जाता है नृत्य।
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राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन की प्रतियोगिताएँ शुरू…
रायपुर, 02 नवम्बर 2022\ जूरी मंडल भी मौजूद…. जूरी सदस्यों का परिचय जारी
बीहू गुरू( असम) बारले जी (छत्तीसगढ़) सहित सभी जूरी सदस्य जाँचेंगे आज के लोक कलाकारों की प्रतिभा को
मध्य प्रदेश के कलाकारो द्वारा धुरवा नृत्य के साथ आज का कार्यक्रम की शुरूआत -
मध्यप्रदेश में भी होता है गेड़ी नृत्य, इसमें हमारे पंथी की तरह ही बनाते हैं पिरामिड
रायपुर, 02 नवम्बर 2022\ छत्तीसगढ़ की स्थापना के बाद आई पीढ़ी ने अब तक केवल यहां का ही गेड़ी नृत्य देखा होगा लेकिन राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के मौके पर इस पीढ़ी को मध्यप्रदेश के लोकनर्तकों द्वारा किया गया गेड़ी नृत्य भी देखने का सुअवसर मिला। गेड़ी नृत्य भी इस मामले में खास कि इसमें हमारे पंथी नृत्य की तरह ही पिरामिड बनाते हैं। लोक नर्तकों द्वारा पारंपरिक वाद्ययंत्रों से जब शैला गेड़ी नृत्य का आगाज किया गया तो पूरी सभा में समां बंध गया। जब लोक कलाकार पिरामिड के रूप में उठे तो जनसमूह झूम उठा। इसमें महिला नर्तकों के सिर में एक के बाद एक घड़े थे और उनके ऊपर दीपक। इस नृत्य के लिए जो संतुलन चाहिए था वो अद्भुत संतुलन इन लोककलाकारों में नजर आ रहा था। बड़ी सहजता से एक के बाद एक लोककलाकार पिरामिड बनाते गये और देखने वाले झूम गये। साथ ही इनकी पोशाक भी खास चटखीले रंगों वाली रही जो पूरे नृत्य का आकर्षण। इसके साथ ही इन लोककलाकारों ने धुरवा नृत्य भी किया। लोक संगीत और नृत्य स्थानीय वाद्ययंत्रों के साथ जब प्रदर्शित किये गये तो अद्भुत दृश्य उपस्थित हुआ और लोगों ने इसे काफी सराहा।
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नरसिंह का मुखौटा लगा किया लोक नृत्य, महाराष्ट्र में मशहूर है सोंगी मुखौटा नृत्य
रायपुर, 02 नवम्बर 2022\ पौराणिक कथाओं में नरसिंह अवतार की कथा आती है जिसमें भगवान विष्णु नरसिंह का रूप लेकर हिरण्यकश्यप का वध करते हैं। यह कथा असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। इसी कथा को आधार बनाकर महाराष्ट्र में सोंगी मुखौटा लोकनृत्य किया जाता है। होली पर्व के बाद महाराष्ट्र में यह नृत्य किया जाता है और देवी की पूजा के साथ उत्सव मनाया जाता है। कथा में दो कलाकार नरसिंह का रूप धारण कर नृत्य करते हैं और ढोल पावरी तथा संबल वाद्य यंत्रों के माध्यम से पैदा हुई ध्वनि से कथा दर्शकों के समक्ष जीवंत हो जाती है।
इसके साथ ही नर्तक काल भैरव और बेताल के मुखौटे भी पहनते हैं जिससे लोक में प्रचलित बहुत सी कथाएं लोकनृत्य के माध्यम से अभिव्यक्त हो जाती है। इसके साथ ही कलाकार पिरामिड का आकार भी लेते हैं। लोकनृत्य के साथ होली त्योहार का उत्सव महाराष्ट्र में पूरा होता है। सोंगी मुखौटा नृत्य के इस अद्भुत दृश्य को आज राष्ट्रीय आदिवासी लोक नृत्य महोत्सव के माध्यम से दर्शकों ने देखा और इसका पूरा आनंद लिया।
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आदिवासियों के पारंपरिक आभूषण पुतरी, सुता, ऐठी, पोलकी कर रहे हैं लोगों को आकर्षित
रायपुर, 02 नवंबर 2022\ छत्तीसगढ़ अपने स्थापना के 22 साल पूरे कर चुका है। इस आदिवासी बाहुल्य राज्य में आदिवासी संस्कृति, सभ्यता और कला हमेशा से ही लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र रही है। लोग आदिवासियों के रहन-सहन, जीवनशैली और उनके पहनावे के साथ पारंपरिक आभूषणों को लेकर रूचि दिखाते रहे हैं। ऐसा ही कुछ साइंस कॉलेज मैदान में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा आयोजित विकास प्रदर्शनी में आदिवासियों के पारंपरिक आभूषण जैसे पुतरी, सुता, ऐठी, पोलकी आदि देखने को मिल रहा है। यह विकास प्रदर्शनी छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर लगायी गई है। इस दौरान आदिवासियों का पारंपरिक आभूषण लोगों के लिए खासतौर पर आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। वहीं विभाग के स्टॉल में वन अधिकार अधिनियम थीम पर आधारित ‘क्विज पोर्टल’ से आम नागरिक वन अधिकार से संबंधित जानकारी प्राप्त कर रहे हैं।
स्टॉल में वन अधिकार अधिनियम से संबंधित कंप्यूटर के माध्यम से एक क्विज पोर्टल भी तैयार किया गया है, जिसमें कोई भी व्यक्ति अपना मोबाइल नंबर एवं अपना नाम इंटर कर एक बार हिस्सा लेकर वन अधिकार अधिनियम से संबंधित प्रश्नों का सही-सही उत्तर देकर अपनी जानकारी का परीक्षण कर सकता है। विभागीय प्रदर्शनी में वन अधिकार पट्टा प्राप्त करने के प्रत्येक चरण की जानकारी विस्तार से प्रदर्शित की गई है। इसके अलावा सामुदायिक वन अधिकार पत्र और सामुदायिक वन संसाधन अधिकार की जानकारी का प्रदर्शन चित्रों के माध्यम से सजीव तरीके से किया गया है, जो लोगों को आसानी से समझ में आ रहा है। इसके अलावा वन अधिकार अधिनियम से संबंधित एक चित्र प्रदर्शनी भी लगाई गई है।प्रदर्शनी में आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। इसके अंतर्गत आदिम जाति अनुसंधान प्रशिक्षण संस्थान द्वारा अनुसंधान के क्षेत्र में विगत वर्षों में जितने भी प्रकाशन किए गए हैं उन सब से संबंधित बुकलेट का प्रदर्शन किया गया है। प्रकाशित सामग्री प्रतियोगी परीक्षा देने वाले युवाओं को आकर्षित कर रही है।
प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी वित्त एवं विकास निगम द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी को भी प्रदर्शित किया गया है। इस प्रकार राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एवं राज्योत्सव-2022 में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रही है। -
सिक्किम से आए लोक कलाकारों ने तमांग सेलो नृत्य की प्रस्तुति से मोहा लोगों का मन
रायपुर, 02 नवम्बर 2022\ तमांग भारत के सिक्किम राज्य और पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में रहने वाली एक मुख्य जनजाति है। यह जनजाति इन दोनों क्षेत्रों के नेपाली समाज का एक बहुत महत्वपूर्ण अन्य अंग है। जिन्होंने नेपाली प्रस्तुतिकारी कलाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया हुआ है। तमांग गीतों को तमान भाषा में हवाई कहा जाता है। ट्राइबल फेस्ट 2022 में सिक्किम से आए तमांग दल द्वारा अपने पारंपरिक वेशभूषा में एक अत्यधिक लोकप्रिय नृत्य प्रस्तुत किया जा रहा है। जिसे बोलचाल में डम्पू नाच बहु कहा जाता है। डम्पू वस्तुतः एक वाद्य यंत्र है जिसका इस नृत्य के अवसर पर उपयोग किया जाता है।
तमांग सेलो नृत्य सामान्य रूप से तमांग सेलो के नाम से जाना जाता है जिसमें ऊर्जा और शक्ति के प्रदर्शन की भरमार रहती है। यह समूचे सिक्किम राज्य में एक बहुत ही लोकप्रिय नृत्य है जिसमें स्त्री और पुरुष दोनों ही भाग लेते हैं। इसे लो चा अर्थात नव वर्ष /न्यू ईयर सेलिब्रेट करने के दौरान किया जाता है।इस नृत्य में डम्पू के अतिरिक्त उपयोग में लाए जाने वाले वाद्य यंत्रों में मादल और तुंगना भी सम्मिलित हैं। इसमें उपयोग की जाने वाली 32 श्रेणी के वाद्य यंत्रों को भगवान बुद्ध का प्रतीक माना जाता है।
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राजस्थान के कलाकारों ने दी चकरी नृत्य की प्रस्तुति
रायपुर, 02 नवंबर 2022\ राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव एवं राज्योत्सव राजस्थान से कलाकारों ने चकरी नृत्य की प्रस्तुति दी, लोगों ने इस नृत्य का जमकर आनंद लिया और कलाकारों का तालियों से उत्साह बढ़ाया। चकरी नृत्य (हाड़ौती) महिला प्रधान नृत्य है। तेज रफ्तार के साथ नृत्य के समय चक्कर काटने के कारण इसे चकरी नृत्य कहते हैं। हाड़ौती अंचल में किए जाने वाले इस नृत्य में कंजर जाति की अविवाहित युवतियाँ भाग लेती हैं। बेड़िया तथा कंजर जाति की महिलाओं दवारा यह नृत्य किया जाता है। बूँदी में कजली तीज के मेले पर मुख्यत यह नृत्य आयोजित किया जाता है।
चकरी लोक नृत्य राजस्थान का एक लोकप्रिय एवं पारंपारिक लोक नृत्य है जो कोटा बांरा हाड़ोती अंचल क्षेत्र की महिलाओं एवं पुरुषों द्वारा किया जाता है इस नृत्य को जब राज एंव महाराजा युद्ध जीत कर आते थे तब अपने युद्ध जीतने कि खुशी में बिजोरी कांजरी को बुलाकर चकरी नृत्य को करवाते थे खास विशेषता यह है कि इसमें महिलाओं द्वारा अस्सी कली का घाघरा चोली पहनकर कर सोलह सिंगार कर गोल गोल चक्कर लगाती है मगर उन्हें चक्कर नहीं आते हैं इसलिए इस नृत्य चकरी लोकनृत्य कहा जाता है और इस नृत्य में पुरुषों की अहम भूमिका रहती है जिसमें अपने वादक ढोलक मजीरा नगाड़ा आदि बजाकर उसकी धुन पर महिलाओं को नृत्य करवाते हैं इस नृत्य में खुशी का कोई भी पर्व को जैसे होली दीपावली शादी ब्याव संबंध सगाई आदि में किया जाता है।