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  • कोल इंडिया की रोजगार विरोधी नीतियों के खिलाफ किसान सभा ने मनाया काला दिवस, राज्य सरकार भी निशाने पर, 4 नवम्बर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की घोषणा

    कोल इंडिया की रोजगार विरोधी नीतियों के खिलाफ किसान सभा ने मनाया काला दिवस, राज्य सरकार भी निशाने पर, 4 नवम्बर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की घोषणा

    रायपुर 2 नवंबर 2022/

    कोरबा। कोल इंडिया और राज्य सरकार की रोजगार विरोधी नीतियों के खिलाफ आज छत्तीसगढ़ किसान सभा और रोजगार एकता संघ ने मिलकर काला दिवस मनाया तथा कुसमुंडा, गेवरा कार्यालयों पर और नरईबोध खदान में काले झंडों के साथ प्रदर्शन कर कोल इंडिया का पुतला जलाया गया।इन प्रदर्शनों में 45 गांवों के सैकड़ों लोगों ने हिस्सा लिया।

     

    उल्लेखनीय है कि 1 नवम्बर को जहां कोल इंडिया और राज्य सरकार अपना स्थापना दिवस मना रही है, वहीं इस क्षेत्र के खनन प्रभावित लोगों ने रोजगार और पुनर्वास की समस्या को हल न करने के विरोध में काला दिवस मनाने की घोषणा की थी। कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने धरना देते हुए भी आज उनके एक साल पूरे हो गए, वहीं गेवरा कार्यालय के सामने भी उनका धरना शुरू हो चुका है। इस बीच 6 बार हुई खदान बंदी के कारण 40 घंटे से भी अधिक समय तक खदानें बंद रही है और 2-3 बार रेल परिवहन प्रभावित हुआ है। इससे एसईसीएल को करोड़ों रुपयों का नुकसान पहुंचा है। इस बीच आंदोलन कर रहे 16 लोगों को जेल भी भेजा गया है।

    किसान सभा के जिला सचिव प्रशांत झा का कहना है कि भूविस्थापितों के आंदोलनों के कारण कोरबा जिले में एसईसीएल को जितना नुकसान हुआ है, उतनी राशि से ही ग्रामीणों के रोजगार और पुनर्वास संबंधी मांगें पूरी की जा सकती थीं। लेकिन अपनी अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में एसईसीएल के अधिकारियों को कोई दिलचस्पी ही नहीं है, क्योंकि अपात्रों को रोजगार बेचकर वे करोड़ों कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस काला दिवस के जरिए हमने दमन के खिलाफ संघर्ष तेज करने का फैसला लिया है और 4 नवंबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने जा रहे हैं।

    1978 से लेकर 2004 के मध्य कोयला खनन के लिए इस क्षेत्र के हजारों किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है, लेकिन तब से अब तक वे अपने रोजगार और पुनर्वास के लिए भटक रहे हैं। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने एक अनवरत आंदोलन के जरिए भूविस्थापितों की मांगों को स्वर दिया है और बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी, प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को खदानों में काम देने, महिलाओं को स्वरोजगार देने तथा पुनर्वास गांव में बसे भूविस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने आदि मांगें उठाई है।

    तीन जगहों पर हुए विरोध प्रदर्शनो का नेतृत्व किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, कटघोरा ब्लॉक किसान सभा के अध्यक्ष जय कौशिक व सचिव सुराज सिंह, रोजगार एकता संघ के रेशम यादव, दामोदर श्याम, रघु यादव, सुमेंद्र सिंह ठकराल, बसंत चौहान, शिव दयाल, पवन यादव, गुलाब दास आदि ने किया। राज्य महोत्सव और कोल महोत्सव के आयोजनों पर प्रश्न खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि यदि इस क्षेत्र के नौजवान अपनी जमीन खोने के बदले रोजगार के लिए भटक रहे हैं, तो ऐसे आयोजनों का हमारे लिए कोई महत्व नहीं है।

     

  • पुल टूटा नहीं, बस लोहे की रस्सियां खुल गयीं

    पुल टूटा नहीं, बस लोहे की रस्सियां खुल गयीं

    रायपुर 2 नवंबर 2022/

    ये लो, कर लो बात। अब पीएम जी का अच्छा पहनना-ओढऩा भी इन भारत विरोधी विपक्षियों की आंखों में खटकने लगा। कह रहे हैं कि मोरबी के झूलते पुल के चक्कर में मौत की बांहों में झूल गए करीब डेढ़ सौ लोगों के लिए पीएम जी के आंसुओं को सच्चा तो हम भी मानना चाहते थे, पर पीएम जी का डिजाइनर हैट बीच में आ गया। वैसे तो पीएम जी को त्रासदी के अगले ही दिन, तीन आयोजनों में, चार अलग-अलग ड्रेसों में फोटो भी नहीं खिंचाने चाहिए थे। पर बाकी पोशाकें तो चलो फिर भी हजम कर ली जाएं, पर हैट लगाकर दु:ख नहीं जताना चाहिए था। कह रहे हैं कि जहां हैट-टाई-कोट का चलन है, वहां भी दु:ख जताने के लिए हैट उतार कर नंगा सिर झुकाते हैं। फिर यहां तो हैट भी शौकिया था; मोदी जी को कम से कम शोक के मौके पर हैट का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए था!

    हमें अच्छी तरह से पता है कि हैट का तो बहाना है, पीएम जी के सुंदर दीखने पर ही विपक्षियों का निशाना है। इन्हें दिक्कत इससे है कि जो सत्तर साल में नहीं हुआ, अमृत काल में हर रोज हो रहा है; नये इंडिया का पीएम किसी गरीब देश का पीएम नहीं, विकासशील देश का पीएम नहीं, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के पीएम की पोशाकों में चमक रहा है। विश्व के सबसे ताकतवर देशों के राजनेता भी पहली बार न सिर्फ हमारे पीएम की पोशाकों की तारीफ करने लगे हैं, बल्कि उन्होंने तो इसका पता लगाने के लिए जासूस तक छोड़े हुए हैं कि मोदी जी के ड्रेस डिजाइनर कौन हैं, क्या उनके ड्रेस डिजाइनर उन्हें भी अपनी सेवाएं दे सकते हैं?

    पीएम चमक रहा है यानी देश चमक रहा है। पीएम की चमक-दमक में ही तो देश की चमक है, देश का गौरव है। मोदी जी के इन विरोधियों ने भारत को इतने समय तक गरीब बनाए रखा था कि ये मान ही नहीं सकते हैं कि पीएम सजेगा-धजेगा,l तभी नये इंडिया का पीएम लगेगा।

    रही हैट की बात, तो मोदी जी को हैट का शिष्टाचार सिखाने की अशिष्टता कोई नहीं करे। वैसे भी शोक में सिर नंगा कर के झुकाने की पश्चिमी रिवायत का हम आंख मूंदकर पालन क्यों करते रहेंगे और कब तक? यह कोई नहीं भूले कि मोदी जी ने अमृत काल का उद्घाटन करते हुए, लाल किले से जिन पांच प्रणों का एलान किया था, उनमें एक प्रण विदेशी प्रभावों से पूरी तरह से मुक्ति का भी है। अब तक नहीं होने से क्या हुआ, कम से कम अब इस विदेशी रिवायत से भी मुक्ति का समय आ गया है कि शोक में सिर नंगा कर के दिखाना होगा। हम अब अपने ही तरीके से शोक जताएंगे, हैट पहनकर ही आंसू गिराएंगे; कोई रोक सकता हो, तो रोक ले।

    और हैट-हैट का शोर मचाकर, इसका कनैक्शन सूट-बूट की सरकार से जोडऩे की कोशिश कोई नहीं करे। और यह तो सरासर झूठा प्रचार ही है कि मोदी जी ने शोक जताने के मौके पर हैट पहना था। मौका शोक जताने का तो था ही नहीं। मोरबी वालों को तो खुश होना चाहिए कि मोदी जी ने उनका विशेष ख्याल किया और खुशी के मौके पर भी अपने भाषण में, दु:ख का संदेश घुसा दिया। वर्ना मौका तो पुराने वाले सरदार साहब के जन्मदिन पर, एअर शो के जरिए उन्हें सलामी देने का था। मोदी जी ने तो हैट को भी अपने सिर पर सिर्फ इसलिए जगह दी थी कि एअर शो और हैट की अच्छी मैचिंग है। दोनों एक ही जगह से जो आए हैं। वर्ना मोदी जी को पगडिय़ों की आत्मनिर्भरता का कितना शौक है, यह तो सभी जानते ही हैं। जितनी तरह की पगडिय़ां मोदी ने आठ साल में पहन कर और फोटो खिंचाकर उतार दी हैं, उतनी तो नेहरू जी ने सोलह साल में देखी भी नहीं होंगी। खैर पगड़ी हो तो और हैट हो तो, मोदी जी शोक में अपना गंजा सिर हर्गिज नहीं दिखाएंगे। आखिर, पीएम की सुदर्शनीयता में ही, देश का गौरव है।

    और जो विरोधी, देश की शोभा बढ़ाने के लिए पीएम के जरा से सजने-धजने में मीन-मेख निकालने से बाज नहीं आते हैं, उनसे पीएम के शोक में मोरबी जाने के मौके पर, वहां का अस्पताल चमकाए जाने को पसंद करने की उम्मीद कोई कर ही कैसे सकता है। मार तमाम शोर मचाए जा रहे हैं कि त्रासदी के घायलों की परवाह करना छोडक़र, अस्पताल वाले पीएम जी की अगवानी की तैयारियों में जुटे हैं। रातों-रात सफाई, मरम्मत, सब पर ध्यान है, बस घायलों की ही तरफ किसी का ध्यान नहीं है।

    शोक की यह शोबाजी तो, घायलों और उनके परिवार वालों की तकलीफें ही बढ़ाने वाली है, वगैरह। लेकिन, यह सब शुद्ध नकारात्मकता है। वर्ना सिंपल सी बात है। मोदी जी घायलों को देखने अस्पताल जाएंगे, तो उनके साथ कैमरे जाएंगे या नहीं? कैमरे कितने भी मोदी जी पर ही फोकस्ड रहें, मरीज, अस्पताल वगैरह भी किसी न किसी फ्रेम में तो आएंगे या नहीं? सब साफ-सुथरा बल्कि चमचमाता हुआ नहीं होगा, तो क्या सारी दुनिया में भारत की, गरीब देश की छवि ही नहीं चली जाएगी? विपक्ष वाले चाहें तो भी, मोदी जी ऐसा हर्गिज नहीं होने देंगे। फ्रेम में चाहे सिर्फ वही रहें, पर दुनिया में भारत की छवि संपन्न देश की बनाकर रहेंगे।

    रही मोरबी के झूला पुल के टूटने की बात, तो मोदी जी की डबल इंजन सरकार ने पहले ही एलान कर दिया है कि दुर्घटना के लिए जिम्मेदार किसी भी शख्स को बख्शा नहीं जाएगा। पीएम जी के आंसुओं के बाद, सच पूछिए तो इसकी जरूरत ही नहीं थी। हाथी के पांव में सब का पांव। फिर भी डबल इंजन ने जीरो टॉलरेंस कहा ही नहीं, कर के भी दिखाया है। पुल की मरम्मत करने वाले मजदूरों से लेकर, टिकट देने वालेे क्लर्कों और चौकीदारों तक सब को, पीएम जी के पहुंचने से पहले ही हवालात की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। आने वाले दिनों में और भी पकड़े जा सकते हैं, झूलते पुल को हिलाने वाले। केंद्रीय जांच एजेंसियां भी चुनाव से ठीक पहले षडयंत्र के एंगल से जांच करेंगी। कोई दोषी बचकर जाने नहीं पाएगा। बस प्लीज, झूलते पुल की मरम्मत कराने वालों, पुल के रखरखाव-संचालन का ठेका लेने वालों, पुल ठेके पर देने वालों का नाम, इस सब में खामखां में कोई नहीं घसीटे। डबल इंजन सरकार को तो हर्गिज नहीं।

    वैसे भी यह तो कहना ही गलत है कि मोरबी का झूलता पुल टूटने से इतनी मौतें हुई हैं। पुल तो टूटा ही इसलिए कि उसके टूटने से इतनी मौतें होनी लिखी थीं। वैसे यह भी कहा जा सकता है कि पुल टूटा नहीं है, बस लोहे की रस्सियां खुल गयी हैं, जिनसे पुल बंधा था। आइंदा पुलों की रस्सियां वगैरह बांधे रखने के लिए, क्या नये-पुराने सभी पुलों के दोनों सिरों पर, हनुमान जी की तस्वीर नहीं लगा सकते हैं? अर्थव्यवस्था से लेकर दवा तक, अमृत काल में देवी-देवताओं ने अपने आशीर्वाद की जरूरत ही इतनी बढ़ा दी है कि मोदी जी भी क्या करेें!

  • उड़ीसा से आए लोक कलाकारों ने दी घुड़का नृत्य की प्रस्तुति

    उड़ीसा से आए लोक कलाकारों ने दी घुड़का नृत्य की प्रस्तुति

    रायपुर, 02 नवम्बर 2022\ आदिवासी महोत्सव एवं राज्योत्सव में उड़ीसा से आए लोक कलाकारों ने घुड़का नृत्य की प्रस्तुति दी। उड़ीसा की घुमंतु जनजाति लकड़ी और चमड़े से बने वाद्ययंत्रों के साथ मनमोहक प्रस्तुति दी। राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में  राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में पश्चिमी ओडिसा के  कलाकारोंने अपने परंपरागत् परिधानों में सज-धजकर घुड़का गीत गाते हुये नृत्य किया। इस नृत्य में लकड़ी और चमड़े से बने वाद्य यंत्र घुड़का का उपयोग किया जाता है। नृत्य में पुरूष और महिला दोनों शामिल होते है। नृत्य समूह की महिलायें कपटा (साड़ी), हाथों में भथरिया और बदरिया, गले में पैसामाली, भुजाओं में नागमोरी पहन कर नृत्य करती है। इसी प्रकार पुरूष लंगोट (धोती) और सिर में खजूर की पत्ती से बनी टोपी विशेष रूप से पहनते है। काजल से अपने चेहरे पर विभिन्न प्रकार की आकृतियां नर्तक बनाते हैं। घुड़का जनजाति घुमन्तु प्रजाति है, इस नृत्य का प्रदर्शन वे जंगल से बाहर भ्रमण के दौरान आम लोगों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। यह जनजाति भोजन से लेकर अन्य जरूरतों के लिए पूरी तरह वन संसाधनों पर निर्भर रहती है। ये अपने परंपरागत् देवी-देवाताओं में गहरी आस्था रखते हैं।

  • सीएम बघेल ने रायपुर के कलेक्टोरेट चौक में छत्तीसगढ़ महतारी की 11 फीट ऊंची प्रतिमा का किया अनावरण, 1200 किलो है वजनी

    सीएम बघेल ने रायपुर के कलेक्टोरेट चौक में छत्तीसगढ़ महतारी की 11 फीट ऊंची प्रतिमा का किया अनावरण, 1200 किलो है वजनी

    रायपुर,02 नवम्बर 2022। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज शाम यहां कलेक्टोरेट चौक में रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा नवनिर्मित छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ महतारी हमारे राज्य की अस्मिता, सम्मान और स्वाभिमान का प्रतीक है। छत्तीसगढ़ की माटी की परंपरा और लोक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिमा स्थापित की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सभी जिलों में छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमाएं लगाने का फैसला किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार राज्य के पारंपरिक त्योहारों, खेलों, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दे रही है।

    उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ महतारी की 11 फुट ऊंची एवं 1200 किलो वजन की इस कांस्य प्रतिमा का निर्माण देश के ख्यातिलब्ध मूर्तिकार भिलाई निवासी पद्मश्री जे.एम. नेल्सन द्वारा केवल एक माह के भीतर किया गया है। इस प्रतिमा स्थल का संरचनात्मक स्वरूप रायपुर के ऑर्किटेक्ट मनीष पिल्लेवार ने तैयार किया है। इस प्रतिमा का निर्माण जिला प्रशासन, रायपुर के मार्गदर्शन में रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड एवं नगर निगम रायपुर द्वारा कराया गया है।

    इस अवसर पर कृषि मंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री रविंद्र चौबे, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया, विधायक एवं छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा, महापौर एजाज ढेबर, विधायक सत्यनारायण शर्मा, जनप्रतिनिधिगण, कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रशांत कुमार अग्रवाल, स्मार्ट सिटी लिमिटेड रायपुर के एमडी एवं नगर निगम रायपुर आयुक्त मयंक चतुर्वेदी सहित संबंधित अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बड़ी घोषणा, सभी ज़िला मुख्यालय में की जाएगी छत्तीसगढ़ महतारी की आदमकद प्रतिमा की स्थापना

    मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बड़ी घोषणा, सभी ज़िला मुख्यालय में की जाएगी छत्तीसगढ़ महतारी की आदमकद प्रतिमा की स्थापना

    रायपुर,02 नवम्बर 2022\ तृतीय राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के पहले दिन राजधानी रायपुर के साइंस कालेज मैदान में जबरदस्त माहौल देखने को मिला। महोत्सव के पहले दिन विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के साथ ही विदेशी कलाकारों ने अपने नृत्य कौशल से सभी को अचंभित किया। वहीँ राज्यपाल अनुसूइया उइके एवं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर राज्य अलंकरण समारोह का शुभारंभ किया।इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के सभी ज़िला मुख्यालय में छत्तीसगढ़ महतारी की आदमकद प्रतिमा की स्थापना की घोषणा की

    राज्य अलंकरण समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज राज्य स्थापना दिवस समारोह और राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का शुभारंभ हुआ। इसके साथ ही आज प्रदेश में धान ख़रीदी की शुरुआत हुई। आज राज्योत्सव के मौके पर राज्य अलंकरण समारोह का भी आयोजन किया जा रहा है। अलंकरण समारोह के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के व्यक्तियों का सम्मान करके हम स्वयं गौरवान्वित महसूस करते हैं, इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिलती है।

    छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का तीसरी बार आयोजन हो रहा है। प्रतिवर्ष इसमें प्रतिभागी के तौर पर शामिल होने वाले राज्य और देशों की संख्या बढ़ रही है। आदिम संस्कृति प्रकृति के साथ, प्रकृति की रक्षा करते हुए अपनी ज़रूरतों को पूरा करती है। आदिम संस्कृति के जीवनशैली से प्रेरणा लेकर हम आगे बढ़ेंगे तो पर्यावरण की रक्षा कर पाएँगे। दुनियाभर के आदिम संस्कृति में एकरूपता दिखती है। यह वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को दर्शाता है।

    सीएम बघेल ने आगे कहा कि राज्य अलंकरण समारोह समाज के ऐसे व्यक्ति जो विभिन्न क्षेत्रों में निःस्वार्थ सेवा करते हैं उन्हें दिया जा रहा है। अलंकरण समारोह के माध्यम से सम्मान करके हम स्वयं गौरान्वित महसूस करते हैं। आप सभी के कृतित्व से समाज को प्रेरणा मिलती है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव पूरी दुनिया में सिर्फ छत्तीसगढ़ में होता है आदिम संस्कृति प्रकृति का संरक्षण करते हुए आगे बढ़ती है। नृत्य कला देखकर लगा कि सभी आदिवासियों की कला में बहुत समानता है। आज छत्तीसगढ़ के मंच पूरी दुनिया की आदिवासी संस्कृति को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में जोड़ने का कार्य किया जा रहा है।

    देखें कार्यक्रम का LIVE प्रसारण 

    https://twitter.com/ChhattisgarhCMO/status/1587440590672654336
  • मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी स्टालों में लगे प्रोडक्ट की ली जानकारी, जिंदल स्टील के स्टाफ से की मुलाकात

    मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी स्टालों में लगे प्रोडक्ट की ली जानकारी, जिंदल स्टील के स्टाफ से की मुलाकात

    रायपुर,02 नवम्बर 2022। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर छत्तीसगढ़ राज्योत्सव की शुरुआत की।सुबह से ही सभी विभागों द्वारा जोर शोर से तैयारियां की गई सभी विभागों के अधिकारियों ने अपने अपने स्टॉल की जानकारियों से मुख्य मंत्री को अवगत कराया गया।

    मुख्यमंत्री  ने भी सभी स्टालों में लगे प्रोडक्ट की जानकारी ली।उद्योग विभाग में लगे जिंदल स्टील एंड पावर के स्टॉल में मुख्यमंत्री ने प्रोडक्ट की जानकारी लेते हुए कंपनी प्रेसिडेंट प्रदीप टंडन,राकेश गुप्ता, पी. एच. डी. चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के रेजिडेंट डायरेक्टर सुमित डूबे एवम जिंदल स्टील के स्टाफ से मुलाकात की।

  • नवीन जिला सक्ती के प्रथम राज्योत्सव में दिखा लोगों का अभूतपूर्व उत्साह, जेठा के कलेक्टोरेट प्रांगण में राज्योत्सव समारोह धूमधाम से हुआ संपन्न

    नवीन जिला सक्ती के प्रथम राज्योत्सव में दिखा लोगों का अभूतपूर्व उत्साह, जेठा के कलेक्टोरेट प्रांगण में राज्योत्सव समारोह धूमधाम से हुआ संपन्न

     सक्ती,02 नवम्बर 2022। जेठा कलेक्टर कार्यालय के मैदान में छत्तीसगढ़ राज्य का 23 वां स्थापना दिवस मनाया गया। यह नवीन जिला सक्ती के रूप में पहला राज्योत्सव रहा जिसे जिले के महिला अधिकारियों कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना, सक्ती एसडीएम रैना जमील, डभरा एसडीएम दिव्या अग्रवाल, डिप्टी कलेक्टर रजनी भगत ने मिलकर बखूबी अंजाम दिया और कार्यक्रम अभूतपूर्व सफलता के साथ संपन्न हुआ।

    राज्योत्सव के दिन कलेक्टर ने स्वयं रक्तदान किया और आम जनता को जागरूक किया। इस अवसर पर मैदान में राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में प्रदर्शनी लगाई गई। राज्योत्सव में पहुंचने वाले लोगों को योजनाओं के बारे में जानकारी मिली। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि चन्द्रपुर विधायक रामकुमार यादव ने सभी 30 स्टालों का अवलोकन कर प्रदर्शनी की सराहना की कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों ने छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा अर्चना कर जिला स्तरीय राज्योत्सव का शुभारंभ किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में आत्मानंद स्कूल तथा प्राथमिक शला सहित कलाकारों के छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृतियों पर आधारित प्रस्तुतियों ने जन समुदाय का मन मोह लिया।विदित हो कि छत्तीसगढ़ राज्य के स्थापना दिवस राज्योत्सव समारोह कार्यक्रम में 1 नवंबर 2022 को जिला कलेक्टर परिसर मैदान में जिला कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना निर्देशन में भव्य छत्तीसगढ़ राज्योत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन कलेक्टर परिसर मैदान में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि रामकुमार यादव जी एवं विशिष्ट अतिथि केशव प्रसाद चन्द्रा, कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना पुलिस अधीक्षक एम आर अहिरे सहित सभी जनप्रतिनिधियों ने सभी स्टालों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के पश्चात सभी ने राज्योत्सव के कार्यक्रम में शामिल हुए।

    कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रामकुमार यादव व जिला कलेक्टर ने नृत्य प्रतिभागी को सम्मनित भी किया। कार्यक्रम में सम्माननीय अतिथियों एवम जिला कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना ने सभी को संबोधित करते हुए जिलेवासियों को राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी तथा बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति पर सभी का आभार व्यक्त किया और सभी को धन्यवाद किया।

    राज्योत्सव में जिला जांजगीर चाम्पा के अध्यक्ष  यनिता यशवंत चन्द्रा नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष सुषमा दादू जायसवाल, जैजैपुर जनपद पंचायत के अध्यक्ष रोशनी कुलदीप चन्द्रा, नगरपंचायत बाराद्वार के अध्यक्ष रेशमा विजय सूर्यवंशी, जनपद पंचायत मालखरौदा के अध्यक्ष लकेश्वरी देवा लहरे, नगरपंचायत चंद्रपुर के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल, जनपद पंचायत डभरा के अध्यक्ष पत्रिका दयालचंद सोनी, नगरपंचायत अड़भार के अध्यक्ष चन्द्रप्रभा गर्ग, नगरपंचायत डभरा के अध्यक्ष प्रीतम अग्रवाल, नगरपंचायत जैजैपुर के अध्यक्ष सोनसाय देवांगन, जिला शिक्षा अधिकारी बीएल खरे, पीडब्ल्यूडी एसडीओ राकेश द्विवेदी, डभरा एसडीओ दिव्या अग्रवाल, तिलोक चंद जायसवाल नगर कांग्रेस अध्यक्ष, दिनेश शर्मा अन्नपूर्णा ट्रांसपोर्ट तहसीलदार मनमोहन सिंह नायब तहसीलदार शिवकुमार डनसेना गिरधर जयसवाल पिंटू ठाकुर सहित जनप्रतिनिधि, आम नागरिक व कर्मचारी अधिकारी तथा पत्रकारगण उपस्थित रहे।

  • उड़ीसा से आए लोक कलाकारों ने दी घुड़का नृत्य की प्रस्तुति

    उड़ीसा से आए लोक कलाकारों ने दी घुड़का नृत्य की प्रस्तुति

    रायपुर,02 नवम्बर 2022।  आदिवासी महोत्सव एवं राज्योत्सव में उड़ीसा से आए लोक कलाकारों ने घुड़का नृत्य की प्रस्तुति दी। उड़ीसा की घुमंतु जनजाति लकड़ी और चमड़े से बने वाद्ययंत्रों के साथ मनमोहक प्रस्तुति दी। राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में पश्चिमी ओडिसा के कलाकारोंने अपने परंपरागत् परिधानों में सज-धजकर घुड़का गीत गाते हुये नृत्य किया।

    इस नृत्य में लकड़ी और चमड़े से बने वाद्य यंत्र घुड़का का उपयोग किया जाता है। नृत्य में पुरूष और महिला दोनों शामिल होते है। नृत्य समूह की महिलायें कपटा (साड़ी), हाथों में भथरिया और बदरिया, गले में पैसामाली, भुजाओं में नागमोरी पहन कर नृत्य करती है। इसी प्रकार पुरूष लंगोट (धोती) और सिर में खजूर की पत्ती से बनी टोपी विशेष रूप से पहनते है। काजल से अपने चेहरे पर विभिन्न प्रकार की आकृतियां नर्तक बनाते हैं। घुड़का जनजाति घुमन्तु प्रजाति है, इस नृत्य का प्रदर्शन वे जंगल से बाहर भ्रमण के दौरान आम लोगों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। यह जनजाति भोजन से लेकर अन्य जरूरतों के लिए पूरी तरह वन संसाधनों पर निर्भर रहती है। ये अपने परंपरागत् देवी-देवाताओं में गहरी आस्था रखते हैं।

  • झूम खेती की तैयारी का दृश्य दिखाया मणिपुर के कलाकारों ने खरिमखरा नृत्य से

    झूम खेती की तैयारी का दृश्य दिखाया मणिपुर के कलाकारों ने खरिमखरा नृत्य से

    रायपुर, 02 नवम्बर 2022\ जनजातीय क्षेत्रों में झूम खेती होती थी। झाड़ियों को आग लगाकर साफ किया जाता था और खेती की जमीन तैयार होती थी। यह पूरी प्रक्रिया श्रमसाध्य थी लेकिन उत्सव का प्रतीक भी थी क्योंकि खेती ही लाइवलीहुड का अवसर प्रदान करती थी। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव ने मणिपुर के कलाकारों ने खरिमखरा नृत्य के माध्यम से झूम खेती की तैयारी को सजीव किया। इसे डांस आफ लाइवलीहुड भी कहा जाता है। नृत्य में दिखाया गया कि कैसे खेती के लिए उपयोगी जमीन चिन्हांकित होती थी, फिर इसे तैयार किया जाता था और बीज रोपा जाता था। इस पूरी प्रक्रिया को खरिमखरा नामक सुंदर नृत्य से मणिपुर के लोककलाकारों ने प्रस्तुत किया। यह खुखरई जिले के निवासी हैं। नृत्य की खास विशेषता है कि इसमें घुटने में पहने हुए आभूषणों से तालबद्ध धुन निकलती है। स्टेप्स जितने सटीक बैठते हैं आभूषण से निकलने वाली धुन भी उतनी ही सटीक होती है। खरिमखरा नृत्य कृषि संस्कृति का उत्सव है और अपने श्रम के माध्यम से जमीन तैयार करने का अद्भुत उत्साह भी इससे झलकता है जो नृत्य रूप में और भी आकर्षक हो जाता है।

  • विवाह के अवसर पर होता है लद्दाख का बल्की नृत्य, पारंपरिक विवाह समारोहों की सुंदरता को दिखाने वाला नृत्य

    विवाह के अवसर पर होता है लद्दाख का बल्की नृत्य, पारंपरिक विवाह समारोहों की सुंदरता को दिखाने वाला नृत्य

    रायपुर, 02 नवम्बर 2022\ कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश में विभिन्न संस्कृतियों के रोचक नृत्य हैं। इन सबकी जीवंत प्रस्तुति राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में हो रही है। देश के सबसे शीर्ष हिस्से लद्दाख से आये कलाकारों ने बल्की नृत्य की प्रस्तुति दी। यह नृत्य लद्दाख में विवाह समारोहों के अवसर पर किया जाता है। विवाह में अनेक तरह की रस्म होती है। इन सभी रस्मों की सुंदर प्रस्तुति आज लद्दाख से आये लोककलाकारों ने की। पहाड़ी क्षेत्र के अनुरूप खास तरह की वेशभूषा और वाद्ययंत्रों के माध्यम से दी गई प्रस्तुति से लद्दाख का लोकजीवन दर्शकों के आँखों के सामने जीवंत हो गया।
    नृत्य में दो पक्ष थे वर पक्ष और वधु पक्ष। दोनों ही पक्षों ने संगीतमय प्रस्तुति दी। बल्की नृत्य को देखकर यह महसूस होता है कि विवाह के अवसर पर होने वाले अनुष्ठान आम जनजीवन में कितनी गहराई से बसे हुए हैं और लोगों को आनंदित करते रहे हैं। बल्की नृत्य में लोगों ने लद्दाख के स्थानीय वाद्ययंत्रों की लोकधुनें सुनीं। सदियों से यह धुनें लोकविश्वास का हिस्सा रही हैं।
    मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से लोग हमारी राष्ट्रीय लोकसंस्कृति की खूबसूरती और वैविध्य को महसूस कर रहे हैं और देख पा रहे हैं कि भारत अपनी सांस्कृतिक विशिष्टताओं से कितना समृद्ध हैं।