कोरिया, 10 फरवरी 2023\ जिले के विकासखण्ड सोनहत में रहने वाले अंबिका प्रसाद अब अकुशल मजदूर से एक किसान बन चुके हैं। पहले काम की तलाश में भटकने वाले अंबिका प्रसाद अपने बाड़ी के विकास में इस कदर जुटे हैं कि अब उन्हे किसी जगह रोजगार की तलाष नहीं है। उनकी पत्नी स्व सहायता समूह से जुड़कर बिहान की मदद का लाभ ले रही हैं और वह पशुपालन के साथ बाड़ी में सब्जी उगाकर अपनी आर्थिक उन्नति की राह बना रहे है।
जनपद पंचायत सोनहत के ग्राम पंचायत ओदारी में रहने वाले 40 वर्षीय अंबिका प्रसाद अपने परिवार के मुखिया हैं। अंबिका प्रसाद बताते है कि लगभग उनके पास चार एकड़ भूमि है पहले इनके पास सिंचाई का कोई साधन नहीं था तो केवल बारिश पर आधारित धान की फसल ले पाते थे। साथ ही भूमि भी उपर नीचे थी तो फसल लेने में भी काफी परेशानी होती थी। फिर तीन वर्ष पूर्व उन्होनें ग्राम पंचायत में आवेदन देकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत भूमि समतलीकरण कराने की मांग की। इनके आवेदन के आधार पर 75 हजार रूपए की स्वीकृति से 2018-19 में मनरेगा योजना से इनके खेतों का सुधार कार्य पूरा हुआ। जब फसल अच्छी हुई तो उन्होनें अपने बचत राशि से एक बोर खनन कराया और सौर सुजला योजना का लाभ लेते हुए बाड़ी विकास का कार्य प्रारंभ किया। साथ ही लगातार मनरेगा के रोजगार मूलक कार्यों में 100 दिन काम करने वाले परिवार के मुखिया के तौर पर चयनित होकर इनके क्षमता विकास के लिए मनरेगा अंतर्गत प्रोजेक्ट उन्नति के तहत जनपद पंचायत स्तर पर निषुल्क बकरीपालन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
प्रषिक्षण के बाद अंबिका प्रसाद अपनी पत्नी श्रीमती रजनी बाई के साथ व्यवस्थित तरीके से बकरी पालन के कार्य मंे जुट गए। अब इनके पास 16 से ज्यादा बकरे बकरियां है। साथ ही इनके घर में तीन जोड़े बैल और दो गाय भी है। पशुपालन से इनके घर में पर्याप्त जैविक खाद और दूध की उपलब्धता है। बकरियों को बेचकर प्रतिमाह अंबिका प्रसाद 6 से 8 हजार रूपए कमा रहे है। साथ ही बाड़ी विकास करके हर माह सब्जी उत्पादन कर इनका परिवार 8 से 10 हजार रूपए का लाभ ले रहा है। अभी इनके खेतों में गोभी, मटर, मिर्च आलू सहित कई तरह की सब्जियों का उत्पादन हो रहा है। अंबिका प्रसाद कहते हैं कि हमारे परिवार को अब पैसों की कोई किल्लत नहीं है। उनके दोनों बच्चे अंकितेष और विकास अभी अध्ययन कर रहे है और अंबिका प्रसाद अपने भविष्य को लेकर पूरी तरह से निश्चिंत हो गए हैं।
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