नई दिल्ली,15 जनवरी, 2023\ राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु ने शनिवार को कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए केंद्र से अपील करेगी. हालांकि, केंद्र सरकार से सीधे अपील करने के बजाय आवेदन को कोलकाता में भाषा अध्ययन और अनुसंधान संस्थान (आईएलएसआर) के माध्यम से अग्रेषित किया जाएगा, जो राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत आता है. बसु के अनुसार, बांग्ला को अभी तक शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है, हालांकि तमिल और मलयालम जैसी अन्य भारतीय भाषाओं को यह दर्जा मिला हुआ है.
मंत्री ने कहा, “यह उचित समय है कि बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिले. इस संबंध में एक औपचारिक आवेदन केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा. हम एक सकारात्मक विकास के प्रति आशान्वित हैं.” बसु के अनुसार, बांग्ला सबसे पुरानी और समृद्ध भाषाओं में से एक है, जिसका प्रमाण कला, संस्कृति और साहित्य के विभिन्न रूपों में स्पष्ट है. बसु ने कहा, “आईएलएसआर औपचारिक आवेदन की सामग्री तैयार करने के लिए पिछले कुछ महीनों से काम कर रहा है, जिसे जल्द ही केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को भेजा जाएगा. मुझे उम्मीद है कि इस मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होगी.”
इस समय, केवल छह भारतीय भाषाओं – संस्कृत, तमिल, मलयालम, तेलुगू, कन्नड़ और ओडिया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला हुआ है. तमिल पहली भारतीय भाषा थी, जिसे 2004 में दर्जा दिया गया था, जबकि ओडिया 2014 में दर्जा प्राप्त करने वाली नवीनतम भाषा थी. बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग सबसे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सितंबर 2020 में हिंदी दिवस के अवसर पर उठाई थी. एक बांग्ला कार्यकर्ता और शहर के चिकित्सक अरिंदम विश्वास के अनुसार, बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा बहुत पहले दिया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि केंद्र अब इस प्रक्रिया में अनावश्यक रूप से देरी नहीं करेगा.
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