नक्सल मुक्त बस्तर में भारी निवेश की उम्मीद, 50 साल में डेढ़ लाख करोड़ राजस्व प्राप्ति का अनुमान

रायपुर।
प्रदेश में नक्सल अभियान की सफलता के बाद बस्तर में खनन क्षेत्र में भारी निवेश के आसार हैं। इस कड़ी में चार लौह अयस्क की खदानों की नीलामी हो गई है। इनमें से दो खदानें दुनिया की बड़ी स्टील कंपनी आर्सेलर मित्तल ने हासिल की है। इन खदानों की नीलामी से 50 साल में प्रदेश को करीब डेढ़ लाख करोड़ राजस्व प्राप्ति का अनुमान हैं।
बताया गया कि बस्तर इलाके की चार लौह अयस्क की खदानों के लिए 58 नामी कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई थी। इन खदानों के लिए केन्द्र सरकार की संस्था एमएमटीसी के माध्यम से टेंडर जारी किए गए। फरवरी के आखिरी में आवेदन आमंत्रित किए गए थे। प्री बिड कॉन्फ्रेंस भी हुआ, जिसमें देश-दुनिया की नामी कम्पनियों ने हिस्सा लिया। जिन खदानों की नीलामी की गई है उनमें दंतेवाड़ा जिले की बैलाडीला डिपाजिट – 01ए, बैलाडीला डिपाजिट – 01 बी, बैलाडीला डिपाजिट – 01 सी, और कांकेर जिले की हाहालादी की खदान हैं। बैलाडीला की तीनों खदानें कुल 1725 हेक्टेयर की हैं। इससे परे हाहालादी की खदानें 201 हेक्टेयर की हैं। चारों खदानों में करीब तीन सौ मिलियन टन लौह अयस्क होने का अनुमान है।
खनिज विभाग के एक अफसर ने बताया कि नीलामी की पूरी प्रक्रिया उत्साहवर्धक रही है और कंपनियों से बढकऱ हिस्सेदारी निभाई। बताया गया कि बैलाडीला वन ए, और बैलाडीला वन बी की खदान बहुराष्ट्रीय कंपनी आर्सेलर मित्तल को हासिल हुई है। दोनों खदानों के लिए आर्सेलर मित्तल ने 154 फीसदी अधिक बोली लगाई थी। बैलाडीला वन सी खदान रूंगटा स्टील को मिली है। रूंगटा स्टील ने भी न्यूनतम दर से 160 फीसदी अधिक बोली लगाकर हासिल किया है। बैलाडीला की तीनों खदानों से परे कांकेर जिले की हाहालादी की खदान सागर स्टोन को हासिल हुई है। सागर स्टोन को करीब दो सौ फीसदी दर पर खदान मिली है। उच्चतम बोलीदार कंपनियों को कम्पोजिट लाइसेंस जारी किया जा रहा है। कम्पोजिट लाइसेंस के बाद सभी पीएल और फिर खनन के लिए माइनिंग लीज जारी की जाएगी। सभी को नियमानुसार पर्यावरण स्वीकृति लेनी होगी।
खास बात यह है कि चारों खदानों के लिए देश-दुनिया की बड़ी कंपनियों ने रुचि दिखाई है। इनमें आर्सेलर मित्तल के अलावा टाटा, जिंदल, निको, सारडा स्टील, लॉयड स्टील सहित अन्य नामी गिनामी कंपनियां भी दौड़ में थी। चारों खदानें 50 साल की लीज पर आबंटित की जाएगी और इससे राज्य को रायल्टी और डीएमएफ मिलाकर करीब डेढ़ लाख करोड़ की राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है। जानकारों का कहना है कि प्रदेश में नक्सली खात्मे की तरफ है और इन सब वजहों से बस्तर इलाके में बड़े निवेश हो रहा है। जानकारों का कहना है कि इससे बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन होगा और विकास की रफ्तार भी तेज होगी।