जनजातियों के कल्याण के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध : मुख्यमंत्री
भोपाल,11 दिसम्बर 2022 /
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वनवासी कल्याण परिषद और आश्रम जनजातियों के लिए अदभुत कार्य कर रहा है। जनजातीय समाज हमारा अभिन्न अंग है। यह अदभुत समाज है। मुख्यमंत्री श्री चौहान वनवासी कल्याण परिषद, भोपाल के एम पी नगर स्थित शैक्षणिक एवं बहुउद्देशीय कौशल विकास केंद्र के भवन का लोकार्पण कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने परिसर में टंट्या मामा की मूर्ति का अनावरण भी किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जनजातियों के कल्याण के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। प्रदेश में सामाजिक समरसता के साथ पेसा एक्ट लागू कर दिया गया है। हमारे सभी जनजातीय नायकों की प्रतिमाएँ लगाई जा रही हैं। हाल ही में इंदौर भंवरकुआं में टंट्या मामा की प्रतिमा स्थापित की गई है। धर्मांतरण को लेकर प्रदेश की धरती पर षडयंत्र नहीं चलने दिया जाएगा। जनजातीय वर्ग की जमीन षडयंत्रपूर्वक हड़पने नहीं दी जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में पेसा एक्ट लागू कर जनजातीय समाज को अधिकार सम्पन्न बनाया जा रहा है। जमीन के साथ जंगल की उपज के लिए अधिकार दिया गया है। मजदूरी के लिए कोई बाहर ले जाएगा तो ग्राम सभा को सूचना देनी होगी। ग्राम सभा को इसी तरह के अनेक अधिकार दिए गए हैं। पेसा एक्ट को लागू करने के लिए वनवासी कल्याण परिषद और आश्रम का सहयोग चाहिए। सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक सशक्तिकरण किया जा रहा है। इंडियन ऑयल द्वारा दी गई मदद का पूरा सदुपयोग होगा। सरकार और समाज मिल कर साथ काम करेंगे तो बेहतर सफलता मिलेगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वनवासी कल्याण परिषद और आश्रम का आभार प्रकट किया।
सर कार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि देश की संस्कृति के विकास में जनजातीय समुदाय का अमूल्य योगदान है। वनवासी परिषद द्वारा जनजातीय समाज के लिए अत्यंत उपयोगी कौशल विकास केन्द्र का भवन लोकार्पित हो रहा है, जो जनजातियों के उत्थान में उपयोगी होगा। भारत के इतिहास में जनजातीय समाज का हर क्षेत्र में योगदान किसी अन्य समाज से कम नहीं रहा है। वनवासियों में प्रतिभा की कमी नहीं है। कृषि, तांत्रिक ज्ञान, स्वास्थ्य आदि का ज्ञान जनजातियों में भरपूर है। विभिन्न क्षेत्रों में जनजातीय वर्ग के कार्यों की प्रदर्शनी भी लगाई जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम जनजातीय भाई-बहनों के लिए खड़े रहे और उनको हर प्रकार की मदद देने के लिए तैयार रहे। उनकी कला लोक कला और परम्परा को सुरक्षित रखने और विकास के लिए कोशिश करें जिससे उन्हें आत्म-विश्वास से समाज के साथ जुड़ने में मदद मिले। हमें सभी समाजों को साथ लेकर आगे बढ़ना है।