एनआईटी रायपुर में हुआ हिंदी कार्यशाला का आयोजन

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रायपुर।
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर में दिनांक 30 सितंबर 2024 को राजभाषा समिति ने हिंदी कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति के सदस्य सचिव एवं दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे रायपुर के राजभाषा अधिकारी  निकेश पांडे जी रहे । इस कार्यशाला का उद्देश्य हिंदी भाषा के महत्व पर जागरूकता फैलाना और कर्मचारियों को हिंदी के सही उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना था। इस कार्यशाला का आयोजन डॉ सपन मोहन सैनी के मार्गदर्शन में किया गया।

मुख्य वक्ता  पाण्डेय ने अपने संबोधन में छात्रों और संकाय सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि अधिकांश छात्र बचपन से अंग्रेजी में अध्ययन करते हैं, इसलिए हिंदी का ज्ञान होना उनके लिए आवश्यक है। उनके द्वारा हिंदी परीक्षा की प्रक्रिया बताई गई, जिसमें प्रबोध, प्रवीन और प्रज्ञा परीक्षाओं का विवरण दिया गया। “राजभाषा” की परिभाषा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह वह भाषा है जिसे सरकारी कार्यों में उपयोग किया जाता है। 14 सितंबर 1949 के दिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया और इसी उपलक्ष्य में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का कारण बताया।

उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान के भाग 17 में अनुच्छेद 347 से 351 तक इस विषय पर नियम और प्रावधान निर्धारित किए गए हैं। अनुच्छेद 120,210, 344 से 351 के तहत हिंदी और अन्य भाषाओं से जुड़े प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की गई और इसके अलावा, भारत सरकार के राजभाषा अधिनियम 1963 के मुताबिक इस अधिनियम को 26 जनवरी 1965 को लागू किया गया और 1968 में पारित प्रस्ताव के अनुसार कुछ नियमावली बनाई गईं, जिनके तहत गृह मंत्रालय के अंतर्गत राजभाषा विभाग का गठन हुआ। भारत को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया – मुख्य हिंदी भाषी राज्य, द्विभाषी राज्य और अन्य राज्य । सरकारी दस्तावेज़ों और कार्यों में हिंदी के उपयोग के लिए 1976 में राजभाषा नियम लागू किए गए, जिनमें 12 प्रमुख नियम शामिल हैं। इसके तहत प्रत्येक सरकारी विभाग को हिंदी के उपयोग के लिए नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

कार्यक्रम के अंत में राजभाषा समिति के फैकल्टी इंचार्ज  एस एम सैनी जी ने मुख्य अतिथि  निकेश पांडेय जी को स्मृति चिन्ह भेंट किया। उन्होंने कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी भाषा केवल एक माध्यम है, यह ज्ञान का मापदंड नहीं है। मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम के आयोजन के लिए निदेशक महोदय का धन्यवाद करते हुए सभी को हिंदी के प्रचार-प्रसार में योगदान देने का संदेश दिया। इस आयोजन में विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और हिंदी के विकास के लिए अपने सुझाव भी साझा किये |


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