आतंक के साए में ‘एकदंत’ की दुर्लभ प्रतिमा, जानिए इस अद्भुत गणेश मंदिर का रहस्य

0

दंतेवाडा।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाडा क्षेत्र में हजारों फीट ऊंची पहाड़ी पर एक प्राचीन गणेश जी की प्रतिमा स्थापित है। ढोल कल की पहाड़ियों पर स्थापित 6 फीट ऊंची 21/2 फीट चौड़ी ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित यह प्रतिमा 3000 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थापित है। गणेश जी की यह प्रतिमा सैकड़ों साल पुरानी है। इस अद्भुत प्रतिमा को नागवंशीय राजाओं द्वारा स्थापित किया गया था।

इस भव्य मूर्ति को लेकर आज भी रहस्य बना हुआ है। वास्तुकला की दृष्टि से देखा जाए तो यह मूर्ति कलात्मकता का प्रतीक है। गणपति जी की इस प्रतिमा में ऊपरी दांये हाथ में फरसा, ऊपरी बांये हाथ में टूटा हुआ एक दंत, नीचे दांये हाथ में अभय मुद्रा में अक्षमाला धारण किए हुए है वहीं मूर्ति के नीचे बांये हाथ में मोदक धारण किए है। यह रहस्मय अद्भुत प्रतिमा एक आयुध के रूप में विराजित है। पुरात्वविदों का कहना है की ऐसी प्रतिमा पूरे बस्तर क्षेत्र में कहीं नहीं देखी गई है।गणेशजी के एक दांत टूटने के संदर्भ में यह है कथा

क्षेत्र में यह कथा प्रचलित है कि भगवान गणेश और परशुराम का युद्ध इसी शिखर पर हुआ था। दक्षिण बस्तर के भोगामी आदिवासी परिवार अपनी उत्पत्ति ढोलकट्टा (ढोलकल) की महिला पुजारी से मानते हैं। इस युद्ध के दौरान भगवान गणेश का एक दांत टूट गया। इस घटना की याद में ही छिंदक नागवंशी राजाओं ने शिखर पर गणेश की प्रतिमा स्थापति की।

चूंकि परशुराम के फरसे से गणेश जी का दांत टूटा था, इसलिए पहाड़ी की शिखर के नीचे के गांव का नाम फरसपाल रखा। पुरातत्ववेत्ताओं के अनुसार ढोलकल शिखर पर स्थापित दुर्लभ गणेश प्रतिमा 11वीं शताब्दी की बताई जाती है। यह प्रतिमा ललितासन मुद्रा में विराजमान थी।

रक्षक के रुप में नागवंशियों ने स्थापित की गणेश जी की प्रतिमा

पुरात्वविदों के मुताबिक इस विशाल प्रतिमा को दंतेवाड़ा क्षेत्र रक्षक के रूप में पहाड़ी के चोटी पर स्थापित किया गया होगा। गणेश जी के आयुध के रूप में फरसा इसकी पुष्टि करता है। यहीं कारण है कि उन्हें नागवंशी शासकों ने इतनी ऊंची पहाड़ी पर स्थापित किया था। नागवंशी शासकों ने इस मूर्ति के निर्माण करते समय एक चिन्ह अवश्य मूर्ति पर अंकित कर दिया है। गणेश जी के उदर पर नाग का अंकन। गणेश जी अपना संतुलन बनाए रखे, इसीलिए शिल्पकार ने जनेऊ में संकल का उपयोग किया है।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *