छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना में फूट, दिलीप मिरी क़ो प्रदेश अध्यक्ष की कमान 


दुर्ग। छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने वर्ष 2014-15 में ऑउटसोर्सिंग नीति लागू कर छत्तीसगढ़ियों की अनदेखी से उपजा विचार संगठन का रूप लिया. छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना” 6 से 7 युवाओं का समूह में प्रदेश व देश में किसी नाम की मुहताज नहीं है, प्रदेश अध्यक्ष की कमान तत्कालीन सरकार के भाजपा किसान मोर्चा के महामंत्री अमित बघेल को दिया गया जिन्हें भाजपा ने अनुशासनहीनता मामले में निष्काषित कर दिया था. संगठन का ढांचा ऐसे तैयार किया गया था कि यह संगठन विशुद्ध रूप से गैर- राजनीतिक होगा इसका राजनीति से कोई सरोकार नहीं होगा लेकिन राजनीति को संगठन प्रभावित करेगा. चूंकि बघेल अनुशासनहीनता मामले में निष्काषित थे तो उनका राजनीति में वापस जाना संभव नहीं था. उनका राजनीतिक अनुभव हमें संगठन में गति प्रदान करेगा और संगठन को विस्तार करने में मदद मिलेगी. इसी विश्वास से संगठन का बड़ा दायित्व उनके कंधों पर सौंपा गया. संगठन का विस्तार होता गया. लोग जुड़ते गए अब संगठन बड़ा रूप ले लिया था. वर्ष 2018-19 में संगठन का असर दिखने लगा और छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़िया सरकार के चेहरे के रूप में कॉंग्रेस ने जीत हासिल की तत्कालीन मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़िया सरकार के रूप में आगे बढ़ने लगे. कॉंग्रेस सरकार को समझ आ चुका था कि सरकार में बने रहना है तो छत्तीसगढ़ियावाद को आगे बढ़ाना होगा. अन्य राजनीतिक दल के नेताओं को भी समझ आ चुका था कि छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ियावाद के साथ ही चलना पड़ेगा. यह संगठन की बहुत बढ़ी जीत थी लेकिन यह लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई थी. अब अमित बघेल ने संगठन में एकाधिकार स्थापित करना चाह रहे थे. गिने चुने लोग संगठन का फैसला लेने लगे और सेनानियों के ऊपर थोपा जाने लगा. इससे संगठन में रोष बढ़ने लगा अंदर ही अंदर युवा अमित बघेल के नेतृत्व में सवाल खड़ा करना चालू कर दिए. अब जो सेनानी संगठन के शीर्ष से सवाल करने की कोशिश करते उन्हे संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता था. अमित बघेल की राजनीतिक महत्वकांक्षा स्पष्ट दिखने लगी यह विश्वास में तब बदल गया जब वर्ष 2023-24 के विधानसभा चुनाव में अमित बघेल ने चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. वो भी चुनाव तिथि के ठीक 21 दिन पहले जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी का पदार्पण हुआ. संगठन के प्रदेश कमिटी के बिना सहमती के अमित बघेल ने निर्णय लिया और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी को चुनावी मैदान में उतार दिया जिसका नतीजा हम सब ने देखा सभी प्रत्याशियों की जमानत जप्त हो गई. जो छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के विचारधारा के बिल्कुल विपरीत था सेनानियों को यह बताया गया कि जनता चाह रही है कि संगठन चुनाव लड़े तो संगठन के निर्णय अनुसार पार्टी का गठन किया गया. ऐसा कथन अमित बघेल का था,अब सवाल संगठन में चुनाव लड़ने का निर्णय किसका था? ,कब किसके साथ बैठक हुई-?, प्रदेश कमिटी के कितने सदस्यों की सहमती थी-?, क्या संस्थापक सदस्यों को इसकी जानकारी दी गए थी-?, ऐसे कई सवाल थे जिनका जवाब सेनानी चाह रहे थे लेकिन जवाब मिलना तो दूर उनके साथ दुर्वव्यहार कर उन्हे बाहर कर दिया गया. प्रदेश कमेटी के सारे फैसले अब अमित बघेल के परिवार से दिखने लगे परिवार की दखल अंदाजी दिखने लगी. वही परिवार के लोग निर्णय लेकर संघठन को दो टुकड़ों मे बाँट दिए एक छतीसगढ़िया क्रान्ति सेना दूसरा जोहार छतीसगढ़ पार्टी, जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी के बारे मे विस्तृत जानकारी निकल कर आई वो चौकाने वाली थी संस्थापक सदस्य के नाम एक ही परिवार के है. विष्णु बघेल एवं परिवार के अन्य सदस्य, पार्टी के 2022 आडिट रिपोर्ट मुताबिक अध्यक्ष अमित बघेल है. इसका मतलब पार्टी का निर्माण 2022 में हो चुका था. आपने पार्टी पहले ही बना लिया था चुनाव लड़ने की तैयारी पहले से थी सभी सेनानियों के साथ विश्वासघात कर उन्हे अंधेरे मे रख कर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा किया. पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर अमित बघेल पार्टी चलाए, छतीसगढ़िया क्रान्ति सेना चूंकि एक गैर राजनीतिक संगठन है संगठन के संस्थापक गण के निर्णय अनुसार क्रान्ति सेना अपने गैर राजनीतिक अंदाज मे संगठन का कार्य करेगी।

दिनांक 24/08/2024 को दुर्ग भिलाई बैठक आयोजित कर संस्थापक सदस्यों द्वारा उक्त सभी बातों को ध्यान मे रखते हुए संस्थापक सदस्यों के निर्णयानुसार सेनानीयों की सहमती से संगठन की जिम्मेदारी कोरबा के दिलीप मिरी को प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौपा गया. तथा आज 01/09/2024 को भिलाई सुपेला के पास शिव हनुमान मंदिर दुर्गा पारा गदा चौक सुपेला भिलाई में बैठक आयोजित कर संगठन के नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष का स्वागत कर छत्तीसगढ़ियों के हीत मे होने वाले कार्यों का रूपरेखा तैयार कर सदस्यता अभियान में जोर लाने एवं पूरे प्रदेश में संगठन विस्तार करने की जानकारी दी गई।

संस्थापक सदस्यगण :- ललित साहू ,अनिल धनकर,अविनाश चंद्राकार, दिनेश बारले

 


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