जैव विविधता को बनाए रखने के लिए जैविक अपनाना होगा 


रायपुर।

प्रकृति की ओर सोसायटी द्वारा “जैविक किचन गार्डन कार्यशाला” का आयोजन किया। अध्यक्ष मोहन वर्ल्यानी का कहना है की बदलते परिवेश में घर में किचन गार्डन के रूप में सब्जियों एवं फलों का प्रचलन शहर में दीन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है ।हर परिवार चाहता है कि उनके दैनिक आहार में शुद्ध फल एवं सब्जियां मिले बाजारों में मिलने वाली फल एवं सब्जियां विभिन्न कृत्रिम उर्वरकों कीट एवं रोग नाशक रसायनों के अंधाधुंध उपयोग से उगाई जाती है। जो मनुष्य के शरीर में अनेक प्रकार की बीमारियों को जन्म दे रही है ऐसे में प्रकृति की ओर सोसायटी ने शहर वासियों के लिए घर के किचन गार्डन में कैसे जैविक फल एवं सब्जियां उगाई जाए इस पर कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें पुणे, महाराष्ट्र से डॉ संतोष साहने को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया डॉ सुहाने ने अपने व्याख्या में बताया की”जंतुनम जीवनम कृषि” आज के समय में जमीन अत्यधिक रासायनिक दवाओ कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग के कारण मिट्टी की प्राकृतिक उपजाऊ स्थिति बिगड़ गई है और हमारा भोजन फल सब्जियां विषयुक्त बनता जा रहा है उपयुक्त परिस्थितियों के कारण मिट्टी में जीवाणुओ की संख्या में बेहद कमी आई है इस स्थिति से बचने के लिए हमें मिट्टी का सक्षम और सुद्दड बनाने की जरूरत है वह जैविक तरीके अपनाने से ही हमारी मिट्टी सुधर पाएगी। उन्होंने किचन गार्डन के लिए अलग-अलग टिप्स भी दिए उनका कहना है सूरज निकलने के 1 घंटे के अंदर ही पौधों को पानी दें ताकि पत्तियां पानी को तने तक पहुंचा सके धूप तेज होते ही तने को अपना कार्य करने की सक्षमता कम हो जाती है। यदि आप सब्जियों को कीड़ों से बचना चाहते हो तो पक्षियों को गार्डन में आने जैसा माहौल तैयार करें। कीड़े कलर को देखकर आकर्षित होते हैं अपने किचन गार्डन में लाल और पीला कलर के बेग ऊंचाई पर लटकाए जिससे कीड़े आकर बैठ जाएंगे और सब्जियों को छती कम पहुंचेगी। पानी दो-दो दिन के अंतराल में डालें। किचन गार्डन में गेंदे के फूल का पौधा लगाने से नुकसान पहुंचाने वाले कीड़े पीले कलर की तरफ आकर्षित होते हैं वह उन फूलों पर बैठ जाएंगे। इसके अलावा फसल अवशेष का भी किसी प्रकार प्रबंधन किया जाए, कैसे डीकंपोज किया जाए इस उपयोगी खाद में बदला जाए इसकी भी जानकारी दी गई।

इस व्याख्यान के उपरांत इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ विजय जैन ने जैविक किचन गार्डन को कैसे कीट नियंत्रण किया जाए पर मनोरंजन कराते हुए अपनी बात रखी।

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से कार्यक्रम संयोजक पी डी रामानी, मंच संचालन हरदीप कौर ,लक्ष्य टारगेट, आभार प्रदर्शन वर्मी कंपोस्ट एक्सपर्ट आशा भावनानी ने किया। विशेष रूप से डॉ ए आर दल्ला, दलजीत बग्गा, शिल्पा नाहर, शिल्पी नागपुरे, मनीषा त्रिवेदी, मोमसोना ब्यूरो, अभिलाषा पांडा, उपस्थित थे।


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