हेमलता ने ऐसा क्या किया कि 90 गांव बन गए हरेभरे, आजीविका से जंगलों को जोड़ा

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महासमुंद।

प्राकृतिक जंगलों में बिखरी हरियाली व उससे लोगों का जुड़ाव कायम रखने की महासमुंद की हेमलता राजपूत की मुहिम रंग लाने लगी है। इससे प्रेरित होकर वनांचल के लोग अब पर्यावरण का संरक्षण व जंगल से आजीविका को जोडऩे के लिए खुद जागरूक होने के साथ दूसरों को भी जागरूक कर रहे हैं। यही नहीं, इस अभियान में महिलाएं बड़ी संख्या में जुड़ भी रही हैं।सामाजिक कार्यकर्ता हेमलता राजपूत ने बताया कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करने के लिए चिपको आंदोलन से प्रेरणा मिली।साल 2017 में जंगलों को बचाने की दिशा में काम करना शुरू किया। महासमुंद ब्लॉक में 60 और बागबाहरा ब्लॉक में 30 गांवों में प्राकृतिक वनों को बचाने के लिए लोगों को जागरूक किया। इसके सार्थक परिणाम भी अब आने लगे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जंगल का संरक्षण नहीं करने से वहां पर रहने वालों की संस्कृति खत्म हो जाएगी। क्योंकि, जंगलों से उनका रिश्ता पुराना है और सैकड़ों लोगों का आजीविका का साधन वहां से मिलने वाला वनोपज ही है। जंगल के साथ पुन: इसी रिश्ते को स्थापित करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में युवा पीढ़ी को भी जोडऩा एक मकसद है। साथ ही जंगलों में हरियाली कायम रहे, इसलिए हेमलता राजपूत जंगलों में छिड़काव पद्धति से बीज रोपण के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं। हर साल पेड़-पौधे बढ़ें तो जंगल में हरियाली भी बनी रहे।


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