रायपुर ।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय हसदेव अरण्य में खनन की अनुमति देने के बाद अनुमति से इंकार कर प्रदेश के लोगों को गुमराह कर रहे हैं। भाजपा सरकार के अनुमति से इंकार के झूठ का पर्दाफाश राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने खनन अनुमति के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को धन्यवाद से हो जाता है जो उन्होंने सोशल मीडिया में दिया है। भाजपा विपक्ष में हसदेव अरण्य में खनन और जंगलों की कटाई के खिलाफ आंदोलन करती थी। कांग्रेस की सरकार ने हसदेव अरण्य में खनन अनुमति को निरस्त किया था। विधानसभा में हसदेव अरण्य खनन रोकने प्रस्ताव भी पास किया था। केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अरण्य क्षेत्र में खदान आबंटन को रद्द करने की मांग किया था।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि हसदेव अरण्य क्षेत्र में हो रहे खनन और जंगल कटाई को लेकर राज्य सरकार अपनी स्थिति को स्पष्ट करें। वह खनन के पक्ष में है कि विरोध में है पूरा प्रदेश और आदिवासी समाज हसदेव अरण्य को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। भाजपा सरकार की संरक्षण में जंगलों की बेधड़क कटाई हो रही है। कटाई का विरोध कर है आदिवासियों को भाजपा की सरकार ने जेल में बंद किया था उन पर कानूनी कार्यवाही किया था। भाजपा की सरकार आदिवासियों की भावनाओं को चोट पहुंचा रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में 27 जुलाई 2022 को प्रस्तावित प्रस्ताव पारित कर हसदेव अरण्य, तमोर पिंगला और कोरबा के हाथी रिजर्व क्षेत्र के वनों में कोल ब्लॉक आवंटन रद्द करने का संकल्प लिया था। इस दौरान मोदी सरकार के कोयला मंत्री ने रायपुर आकर यह भी कहा कि जहां पर कोल बेयरिंग एक्ट लागू होता है वहां पेसा कानून के प्रावधान लागू नहीं होते किसी के आपत्ति या सहमति से कोल खनन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा साय सरकार के संरक्षण में अडानी की कंपनी हसदेव अरण्य में जंगलों की कटाई कर रहा है। हसदेव को बचाने के लिए आंदोलन कर रहे आदिवासियों को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पुलिस गिरफ्तार कर जेल में बंद कर रही है, उन्हें डराया जा रहा है, धमकाया जा रहा है। दुर्भाग्य की बात है राज्य का मुखिया आदिवासी होने के बावजूद भी आदिवासियों की मांग को सुना नहीं जा रहा है।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा की सरकार तत्काल हसदेव अरण्य में जंगलों की कटाई को रोक खनन की अनुमति को निरस्त करें और केंद्र सरकार को पत्र लिखकर खनन आबंटन को रद्द कराये।
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