बेटी का शौक पूरा करने शुरू किया मशरूम की खेती, बन गई ड्रोन दीदी

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जिले के छोटे से गांव मतवारी में रहने वाली जागृति साहू की कहानी प्रेरणा से भरी है। शिक्षिक नहीं बन पाने की मायूसी से उबरते हुए जागृति ने बेटी का शौक पूरा करने पहले मशरूम की खेती शुरू की। इससे लाखों रुपए कमाएं और मशरूम लेडी के नाम से वियात हो गईं। हर्बल गुलाल के कारोबार को भी नए आयाम तक पहुंचाया और अब ड्रोन उड़ाकर खेती में किसानों की मदद कर रहीं हैं। इस तरह मशरूम लेडी अब ड्रोन दीदी भी बन गईं हैं। जागृति जिले की प्रमाणित ड्रोन पायलट हैं।

जागृति दो विषयों में पोस्ट ग्रेजुएट के साथ बीएड की डिग्री प्राप्त की है। वह शिक्षक बनना चाहती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। जागृति के पति चंदन साहू बताते है कि शिक्षक न बन पाने की निराशा की वजह से वह ज्यादा बात नहीं करती थी।

वे कहते हैं कि मैंने उस वक्त सोचा कि किसी काम में व्यस्त होने से शायद इनका मन लगे। चूंकिं बेटी और मुझे मशरूम बहुत पसंद था तो मैंने उन्हें मशरूम की खेती करने का सुझाव दिया। बेटी की पसंद की वजह से जागृति ने यह कार्य प्रारंभ किया। देखते ही देखते बेटी की छोटी सी पसंद के लिए शुरू किया गया कार्य जागृति को उंचाईयों तक ले गया।

इसके बाद उन्होंने अपनी रुचि को बढ़ाते हुए हर्बल गुलाल और घरेलू वस्तुएं बनानी शुरू की। साल 2019 में जागृति ने 33 लाख रुपए का मशरूम बेचा। जागृति ने अपने साथ और महिलाओं को भी मुनाफा दिलाया। आस पास के गांव की दीदियों को भी प्रशिक्षण देकर स्वावलंबन की राह दिखाई।

जागृति बताती हैं कि जब उन्हें कैमिकल वाले गुलाल से होने वाले नुक़सान के बारे में पता चला। थोड़े अध्ययन के बाद पाया कि घर पर उगने वाली साग-भाजी और फूलों से ही हर्बल गुलाल बनाया जा सकता है।

फिर समूह की दीदियों के साथ हर्बल गुलाल का उत्पादन प्रारंभ किया।

पहले वर्ष समूह की दीदियों ने केवल 35 हज़ार रुपए का गुलाल विक्रय किया। पिछले वर्ष बहुत सारे ऑर्डर्स आए, उन्होंने लगभग 8 लाख 25 हज़ार रुपए की बिक्री की।

अब पहुंचा रही नई तकनीक का लाभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल नमो ड्रोन दीदी में चयनित होकर उन्होंने ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण लिया। आज वह एक प्रमाणित ड्रोन पायलट हैं और ड्रोन दीदी के नाम से जानी जाती हैं। ड्रोन के माध्यम से वह खेतों में दवाइयों का छिड़काव करती हैं और इस नई तकनीक का लाभ किसानों तक पहुंचाती हैं। इससे किसानों का समय तो बचता है साथ ही श्रम और खर्च भी कम होता है।

मिली मशरूम लेडी ऑफ दुर्ग की पहचान

जागृति का सफर यहीं नहीं रुका। जागृति ने शासन की योजनाओं का लाभ लिया और एक सामान्य महिला से अपनी अलग पहचान बनाई। मशरूम की खेती से नई ऊंचाइयां प्राप्त करने पर उन्हें मशरूम लेडी ऑफ़ दुर्ग कहा जाने लगा। जागृति का सफऱ एक सामान्य महिला से लेकर लखपति दीदी बनने और आज ड्रोन दीदी के रूम में कृषि को उन्नति की ओर ले जा रहा है।


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