बलौदाबाजार हिंसा कैसे भड़की सामने आई ये 6 बड़ी खामियां इधर विधायक के बेटे को पीटा

0

बलौदाबाजार

 

बलौदाबाजार में जब दंगा भड़का, तब विधायक मोतीलाल साहू के बेटे एकलव्य साहू भी शहर में ही थे। रेस्ट हाउस के दो पुलिसवालों ने उनकी गाड़ी रूकवाई। इसके बाद बेवजह उनके साथ मारपीट करने लगे। उन्होंने बताया भी कि अपने निजी काम से आए हैं, लेकिन पुलिसवालों ने एक न सुनी। इधर, पुलिस विभाग ने आंदोलन में हिंसा फैलाने वाले प्रतिनिधियों और संगठनों की सूची जारी की है। इनकी धरपकड़ के लिए अलग-अलग जगहों पर देर रात तक छापेमारी करने की भी खबर है। पुलिस विभाग के मुताबिक, इस हिंसा में उनके 30 अफसर-कर्मचारी घायल हुए हैं।

जिन पर जिले की सुरक्षा का जिम्मावही घंटेभर तक बंधक बने रह गए

जिले के दंडाधिकारी और पुलिस कप्तान सोमवार को अपना ही ऑफिस नहीं बचा पाए। भीड़ जब कलेक्ट्रेट परिसर पहुंची, तब अफसर-कर्मियों ने बाहर से दरवाजे बंद कर दिए। इस दौरान कलेक्टर, एसपी समेत 100-150 अफसर-कर्मचारी भीतर ही थे। बहुत से आम लोग भी थे जो अपनी समस्याएं लेकर पहुंचे थे। इस दौरान कलेक्टर और एसपी को छत पर देखा गया। बताते हैं कि भीड़ ने दफ्तर के अंदर मौजूद अफसर-कर्मचारियों को तकरीबन एक घंटे तक बंधक बनाए रखा था।

बलौदाबाजार को आग में धकेलने वाली ये 6 वजह

  1. 15 मई की रात अज्ञात आरोपियों द्वारा अमर गुफा के जैतखाम को नुकसान पहुंचाया गया। समाज पुलिस की कार्रवाई से सहमत नहीं था। उच्च स्तरीय जांच की मांग की। इस पर शासन-प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। समय रहते ध्यान देते तो ऐसा न होता।
  2. डिप्टी सीएम ने जब तक न्यायिक जांच की घोषणा की, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। समाज ने सोमवार को जिला मुयालय पहुंचकर घेराव करने की तैयारी पूरी कर ली थी। जिला प्रशासन और पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
  3. सतनामी समाज के अल्टीमेटम से पहले 8 जून को जिला प्रशासन तथा पुलिस विभाग ने शांति समिति की बैठक ली। इसके बाद जिला प्रशासन तथा पुलिस विभाग ओवर कॉन्फिडेंस का शिकार हो गया कि हालात काबू में हैं। जबकि, स्थिति कुछ और ही थी।
  4. समाज ने सोमवार को कलेक्टर कार्यालय घेराव की पूरी तैयारी की, लेकिन जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने इनकी तैयारियों का जायजा ही नहीं लिया। यह इंटेलिजेंस की सबसे बड़ी चूक है। इंटेलिजेंस मजबूत होता तो ऐसा न होता।
  5. कलेक्ट्रेट घेराव, उपद्रव तथा आगजनी के दौरान पुलिस विभाग को सत्ता पक्ष या शासन का भी यथोचित सहयोग नहीं मिलने की चर्चा तेज है। दबी जुबान में पुलिस विभाग के अधिकारी भी कह रहे हैं कि सत्ता पक्ष ने हरी झंडी दी होती तो स्थिति इतनी न बिगड़ती।
  6. समाज ने सोमवार को कलेक्टर कार्यालय घेराव की पूरी तैयारी किए जाने के बावजूद बलौदाबाजार में न तो पुलिस विभाग की पर्याप्त तैयारी थी। न ही पुलिस बल पर्याप्त था, जिसके चलते उपद्रव तथा आगजनी के दौरान कड़े फैसले नहीं लिए जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *