इंडियन सोसाइटी ऑफ पेरीनेटोलॉजी एंड रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी के 39वें राष्ट्रीय सम्मेलन में मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य पर आयोजित हुई विविध कार्यशाला


रायपुर।

पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग तथा इंडियन सोसाइटी ऑफ पेरीनेटोलॉजी एंड रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी (आईएसओपीएआरबी) के संयुक्त तत्वाधान में होटल ट्राइटन में मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य पर विभिन्न प्रकार की कार्यशाला का आयोजन किया गया। ”प्रसवकालीन स्वास्थ्य देखभाल के प्रति प्रतिबद्धता“ विषय पर आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य देश के प्रत्येक कोने में मातृ एवं प्रसवकालीन स्वास्थ्य में सुधार करना था। इस सम्मेलन में प्रसूति एवं स्त्री रोग के साथ-साथ एनेस्थीसिया, बाल्य एवं शिशु रोग एवं रेडियोलॉजी के क्षेत्र में हो रहे नवाचार एवं नवीन दृष्टिकोण पर विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक सत्रों का आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय सम्मेलन की मेज़बानी पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर की अधिष्ठाता डॉ. तृप्ति नागरिया एवं स्त्री रोग विभागाध्यक्ष डॉ. ज्योति जायसवाल द्वारा की गई।

एडवांस सिम्युलेटर के डेमोस्ट्रेशन के माध्यम से बताया एक्लेम्पसिया प्रबंधन
डॉ. सरिता अग्रवाल और डॉ. सुप्रिया गुप्ता के नेतृत्व में कार्यशाला में भाग लेने वाले चिकित्सकों को एडवांस सिम्युलेटर के डेमोस्ट्रेशन (प्रदर्शन) के माध्यम से एक्लेम्पसिया(गर्भावस्था के दौरान होने वाली जटिलता) जैसी आपात स्थितियों के प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया गया। हैदराबाद से विशेष रूप से मंगाये गये एडवांस विक्टोरिया सिम्युलेटर का प्रयोग करके मातृ स्वास्थ्य की त्वरित एवं आपातकालीन देखभाल के बारे में विशेषज्ञों ने जानकारी प्रदान की।

चुनौतीपूर्ण योनि प्रसव (वैजाइनल डिलीवरी) के तकनीक पर सत्र का आयोजन
कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष डॉ. तृप्ति नगरिया एवं सचिव डॉ. ज्योति जायसवाल ने योनि प्रसव के प्रबंधन, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में प्रसव के परिणामों को बढ़ाने के लिए मूल्यवान तकनीकों को साझा करने पर एक गहन सत्र आयोजित किया। डॉ. अरूप कुमार माझी और डॉ. हीरालाल कोनार, प्रसूति एवं स्त्री रोग के प्रतिष्ठित लेखक और विशेषज्ञ, कार्यशाला संयोजक डॉ. स्मृति और डॉ. तबस्सुम के साथ, योनि जन्म की बारीकियों पर गहराई से चर्चा की।

नवजात एवं मातृ पुनर्जीवन तकनीक का प्रशिक्षण
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. ओंकार खंडवाल एवं डॉ. आकाश लालवानी के नेतृत्व में बाल्य चिकित्सा विभाग द्वारा नवजात पुनर्जीवन तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में पहली बार व्यावहारिक प्रसूति प्रशिक्षण डॉ. आनंद जयसवाल और डॉ. विनीता सिंह के मार्गदर्शन में, नवागंतुकों ने प्राप्त किया जो प्रसूति के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहली उपलब्धि है।

स्नातक शिक्षा को आगे बढ़ाना
आइसोपर्ब के राष्ट्रीय अध्यक्ष, डॉ. नारायण जना (कोलकाता ), डॉ. रुचि किशोर और डॉ. डहरवाल के नेतृत्व में लेबर रूम प्रोटोकाल में व्यावहारिक प्रशिक्षण के माध्यम से स्नातक शिक्षण को बढ़ावा देने में एक ऐतिहासिक प्रगति के रूप में इस पहल पर प्रकाश डाला। डॉ. रूचि किशोर की भविष्य की चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में उल्लेखनीय वृद्धि करने की क्षमता के लिए इस पहल की सराहना की गई।

लेबर एनाल्जेसिया कार्यशाला
डॉ. जया लालवानी के नेतृत्व में एनेस्थीसिया विभाग ने लेबर एनाल्जेसिया तकनीकों, दर्द रहित योनि प्रसव के तरीकों को सिखाने और प्रसव के दौरान रोगी के आराम को बढ़ाने पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला आयोजित की। ये कार्यशालाएँ एक बहु-विषयक- दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए आइसोपर्ब की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं जो न केवल मातृ और नवजात स्वास्थ्य देखभाल के दायरे को व्यापक बनाती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर प्रसूति और स्त्री रोग में आधुनिक चिकित्सा देखभाल की जटिलताओं से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं।

भविष्य की दिशाएं
चूंकि इन कार्यशालाओं ने महत्वपूर्ण प्रभाव दिखाया है इसलिए आइसोपर्ब ने इन सत्रों को सालाना जारी रखने की योजना बनाई है, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर को नवीनतम वैज्ञानिक और चिकित्सा प्रगति के अनुरूप अपने कौशल और ज्ञान को अद्यतन करने का अवसर मिले।


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