नई दिल्ली|
देश में किसानों को सशक्त बनाने लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. अलग-अलग तरह की टेक्नोलॉजी को खोजने का काम कर रही हैं. वहीं हरियाणा सरकार ने पलवल जिले के गांव दुधौला में बने विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में कृषि कौशल संकाय द्वारा ग्राफ्टिंग तकनीक के माध्यम से टमाटर और आलू की फसल को तैयार की गई है. जिससे किसानों की आय को दोगुना किया जा सके. इसको लेकर Local18 की टीम ने विश्वविद्यालय के कुलपति राज नेहरू से बातचीत की. तो उन्होंने ग्राफ्टिंग तकनीक के बारे में बिस्तार से जानकारी दी.
कुलपति राज नेहरू ने कहा कि ग्राफ्टिंग तकनीक जिसमें एक पौधे के ऊतक दूसरे पौधे पौधे के ऊतकों में प्रविष्ट कराये जाते हैं. जिससे दोनों के वाहिका ऊतक आपस में मिल जाते हैं. विश्वविद्यालय के छात्र पारंपरिक खेती के साथ साथ एडवांस एग्रीकल्चर तकनीक के बारे में सीख रहे हैं. ग्राफ्टिंग विधि के माध्यम से एक ही पौधे से मल्टीपल्स पौधे कैसे तैयार किए जा सकते हैं. प्रोटेक्टिव फार्मिंग की प्रकार से की जाए. ताकि किसानों की आय को बढ़ाई जा सके. प्रधानमंत्री का विजन है कि किसानों की आय बढ़े
इस विधी से किसान लगा सकते है एक बार में दो फसल
उन्होंने कहा कि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के छात्रों ने अपने प्रोजेक्ट के माध्यम से यह दर्शाया है. टमाटर और आलू दोनों के पौधे को इंटीग्रेट कर एक ही पौधे से दोनों फसल प्राप्त की जा सकती है. इसके अलावा विद्यार्थियों को मल्टी क्रॉपिंग के बारे में जानकारी दी जा रही है. विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कृषि कौशल संकाय द्वारा आसपास के क्षेत्र के किसानों को कृषि की नवीनतम तकनीकों के बारे में जागरूक किया जा रहा है. कृषि कौशल संकाय द्वारा रिसर्च की गई है. जिसमें ग्राफ्टिंग तकनीक के माध्यम से आलू और टमाटर के पौधे को एक कर नया प्रोडक्ट तैयार किया गया है. जिसके तहत पौधे के नीचे आलू और ऊपर टमाटर लगेंगे. इस विधि से एक ही बार में किसान दो फसलों को प्राप्त कर सकते हैं.
बैटरी से संचालित अष्टावक्र चेयर
उन्होंने बताया कि मानव जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए कौशल को शिक्षा में समाहित कर, मनुष्य को सुखद उपलब्धियां अर्जित की जा सकती है. श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने इसे अपने नवाचार से प्रमाणित किया है. इस विद्यार्थियों द्वारा विकसित किए गए नवीनतम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित ईव्हील चेयर का नाम अष्टावक्र है. इस चेयर का मुख्य उद्देश्य दिव्यांगों और वृद्धों को समृद्धि में सहायक होना है.अष्टावक्र चेयर को विद्यार्थियों ने बैटरी से संचालित किया है, और इसे मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है. इसमें आठ विशेषताएं हैं, जिससे यह चारों दिशाओं में चल सकती है और 360 डिग्री पर घूम सकती है. यह ईवील चेयर 15 किलोमीटर तक की गति से चल सकती है और एक बार की चार्जिंग में 20 किलोमीटर का सफर तय कर सकती है. इस चेयर को विश्वविद्यालय की विद्यार्थियों ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक सुविधा में बदल दिया है जो अपने आप को बुला सकते हैं और अन्य सामाजिक गतिविधियों में भाग ले सकते हैं. इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए लगभग 50 हजार रुपये की लागत आई है.
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