रायपुर।
छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग द्वारा विधवा महिला का हक दिलाये जाने के लिए पुलिस को निर्देशित किया गया है। ज्ञात हो कि दिनांक 30-10-2023 को विधवा महिला द्वारा इस आयोग को इस आशय का आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया था कि महिला रायगढ़, छत्तीसगढ़ की निवासी है। उसके पति की मृत्यु के बाद ससुराल वालों ने न केवल उसे प्रताड़ित किया है, अपितु उसकी सम्पत्ति व स्त्रीधन पर कब्ज़ा कर उसे घर से निकाल दिया है।
उसके पति की सेंट्रो कार भी आवेदिका से ससुराल वालों द्वारा उससे छीन ली गई है। ससुराल पक्ष द्वारा आवेदिका महिला को शारीरिक, आर्थिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित कर उसे घर से निकाल देने व उसके स्त्रीधन को वापस नहीं किये जाने की लिखित शिकायत थाने में की गई थी, परन्तु उक्त संज्ञेय अपराध में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई, बल्कि उसके साथ घटित उक्त अपराध को दं.प्र.सं की धारा 155 के तहत अहस्तक्षेप योग्य मानकर थाने द्वारा फौती कार्यवाही की गई।
जबकि प्रकरण में महिला द्वारा प्रस्तुत आवेदन अनुसार, भा.दं.सं. की धारा 403, 498(ए) की संज्ञेय धाराओं तथा दहेज़ प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3 और 6 के अंतर्गत विधिवत प्राथमिकी दर्ज कर विधिसम्मत कार्यवाही किये जाने का दायित्व रहा है। प्रकरण में उक्त अपराध पंजीबद्ध किये जाने का दायित्व पुलिस पर होने के बावजूद थाना प्रभारी, कोतवाली, जिला रायगढ़ (छत्तीसगढ़) द्वारा आवेदिका की शिकायत पर विधिवत कार्यवाही नहीं की गई है।
उक्त प्रकरण में मानवाधिकारों को स्पष्ट अवेहेलना को ध्यान में रखते हुए आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष गिरिधारी नायक के निर्देशानुसार पुलिस अधीक्षक, रायगढ़ (छत्तीसगढ़) को विधिसम्मत कार्यवाही एवं पन्द्रह दिवसों में प्रतिवेदन से अवगत कराये जाने के लिए नोटिस जारी किया गया है, ताकि पीड़ित विधवा महिला के मानवाधिकारों की रक्षा हो सके, एवं उसे न्याय प्राप्त हो सके।
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