जिस काम के लिए एलन मस्क के पसीने छूट गए थे उसे भारतीय स्टार्टअप ने चुटकी में कर दिया


नई दिल्ली,21 नवम्बर 2022\ हैदराबाद की स्टार्टअप कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस सफलतापूर्वक रॉकेट लॉन्च करने वाली देश की पहली निजी कंपनी बन गई है। स्काईरूट ने पहले ही प्रयास में यह सफलता हासिल की। लॉन्च के बाद जब कंपनी के कर्मचारियों से पूछा गया कि वे इस सफलता का जश्न कैसे मनाएंगे? इस पर उन्होंने कहा कि वे जमकर सोएंगे। साफ है कि इस मिशन को सफल बनाने के लिए उन्होंने दिनरात काम किया और उनकी मेहनत रंग लाई। स्काईरूट एयरोस्पेस की स्थापना महज चार साल पहले हुई थी और इतने कम समय में ही उसने रॉकेट का सफल प्रक्षेपण कर दुनिया में झंडे गाड़ दिए। दुनिया के सबसे बड़ी रईस एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) को यह उपलब्धि हासिल करने में आठ साल लग गए थे। यह भी तब जबकि मस्क की छवि एक ऐसे सीईओ की रही है जो अपने कर्मचारियों से काम कराने के लिए किसी भी हद तक जा सकता

वैसे तो स्पेसएक्स का औपचारिक गठन 2002 में हुआ था लेकिन मस्क ने इस पर पहले ही काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने स्पेसएक्स के लिए बेहद महत्वाकांक्षी टाइमलाइन की घोषणा की थी। उनका कहना था कि पहला रॉकेट नवंबर 2003 में लॉन्च कर दिया जाएगा। कंपनी ने इसे फॉल्कन 1 नाम दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने 2010 तक मंगल पर अभियान भेजने का भी दावा किया था। मस्क ने अपनी कंपनी के लिए नासा (NASA) में काम कर चुके कई दिग्गजों को अपनी कंपनी से जोड़ा था। उन्होंने रूस से भी रॉकेट खरीदने की कोशिश की थी लेकिन कीमत को लेकर बात नहीं बनी। रूस ने एक रॉकेट के लिए जितनी कीमत मांगी थी, मस्क उतने में दो रॉकेट खरीदना चाहते थे। आखिरकार मस्क ने खुद ही रॉकेट बनाने का फैसला किया।
कई मिशन हुए नाकाम

नवंबर 2005 में कंपनी ने पहली बार रॉकेट उड़ाने की कोशिश की लेकिन अंतिम क्षणों में उसे इस मिशन को रोकना पड़ा। मार्च, 2006 में कंपनी ने फिर प्रयास किया लेकिन 25 सेकेंड बाद ही रॉकेट जलकर जमीन पर आ गिरा। इसके एक साल बाद यानी 15 मार्च, 2007 में कंपनी का एक और प्रयास विफल रहा। एक के बाद एक असफलताओं के कारण निवेशकों ने मस्क से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया था। हालत यहां तक पहुंच गई थी कि फंड जुटाने के लिए मस्क को अपनी गाड़ी तक बेचनी पड़ी थी। आखिरकार अगस्त 2008 में स्पेसएक्स की मुहिम सफल रही।

इस तरह स्पेसएक्स रॉकेट को सफलतापूर्वक लॉन्च करने वाली दुनिया की पहली निजी कंपनी थी। लेकिन स्पेसएक्स को सफलता पाने के लिए आठ साल लग गए। मस्क ने जो समयसीमा तय की थी, उससे साढ़े चार साल बाद स्पेसएक्स ने पहली बार सफलता का स्वाद चखा। दिसंबर 2008 में कंपनी को नासा से 1.6 अरब डॉलर का एक भारीभरकम कॉन्ट्रैक्ट मिला। उन्हें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए 12 उड़ानें भरने के लिए यह ठेका मिला था। इसके बाद स्पेसएक्स ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
स्काईरूट की उपलब्धि
स्काईरूट की स्थापना 12 जून, 2018 को पवन चंदना और नाग भरत डाका ने की थी। दोनों इसरो (ISRO) में काम कर चुके हैं। कंपनी ने अगस्त 2020 में फुल स्केल लिक्विड प्रपल्शन इंजन का परीक्षण किया था। सितंबर 2020 में कंपनी ने देश का पहला 3डी-प्रिंटेड क्रायो इंजन विकसित किया था। दिसंबर 2020 में कंपनी ने सॉलिड रॉकेट स्टेज का परीक्षण किया था। 18 नवंबर, 2022 को स्काईरूट एयरोस्पेस रॉकेट का सफल प्रक्षेपण करने वाली देश की पहली निजी कंपनी बनी। स्काईरूट अपने विक्रम रॉकेट के कई संस्करण विकसित कर रही है। विक्रम-1 480 किलो पेलोड पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाने में सक्षम है। विक्रम-दो रॉकेट 595 किलो और विक्रम-तीन 815 किलो पेलोड ले जाने में सक्षम है।


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