रायपुर।19 जनवरी 2024/ केंद्र सरकार चाहती है कि सरकारी स्कूलों में उच्च योग्य, पेशेवर प्रशिक्षित, सुसज्जित शिक्षकों को शिक्षक के रूप में नियुक्त किया जाए। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत मिडिल स्कूलों में विषय विशेषज्ञों की भर्ती करने का प्रावधान है। वहीं 11 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि हम शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता करते है तो बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा अर्थहीन हो जाती है। इसके बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार ने मिडिल स्कूलों में विषय आधारित शिक्षकों की भर्ती की बाध्यता को हटा दिया।छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि, सरकारी स्कूलों में गरीब और वंचित समूह के बच्चे पढ़ते है और उन्हे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाना राज्य की बाध्यता है, आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 8ए में इसका प्रावधान है, इसलिए पूर्व की छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दिनांक 11 जुलाई 2023 को महामहिम राज्यपाल महोदय के आदेशानुसार प्रकाशित राजपत्र गैर संवैधानिक है और स्कूल शिक्षा विभाग का यह निर्णय कि कोई भी शिक्षक कोई भी विषय पढ़ा सकता है, गरीब बच्चे और वंचित समूह के बच्चे के जीवन व भविष्य के साथ खिलवाड़ है। बीते दिनों छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने महामहिम राज्यपाल महोदय के समक्ष यह निवेदन किया था कि पूर्व की सरकार द्वारा पदोन्नति भर्ती नियम 2019 (सरल क्रमांक 33 कॉलम 8) में दिनांक 11 जुलाई 2023 को किए गए संशोधन को तत्काल निरस्त कर सरकारी मीडिल स्कूलों में विषयवार एवं विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति और पदोन्नति करने सरकार को निर्देशित करें, जिसके पश्चात राज भवन से प्रमुख सचिव को इस हेतु पत्र जारी किया गया है।
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