कोरोना के डर से किम जोंग ने सील किए थे बॉर्डर

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प्योंगयांग,18 नवम्बर 2022\ उत्तर कोरिया ने कोरोना संकट से बचाने के लिए सख्त लॉकडाउन लगाया था। इसके साथ ही सीमा पर भी सख्ती बरती जा रही थी। मानवाधिकार समूह की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस कारण से अब भोजन, दवा और अन्य जरूरी चीजों की भारी कमी हो गई है। जनवरी 2020 से उत्तर कोरिया ने अत्यधिक और अनावश्यक उपायों को इस्तेमाल किया। इसमें हाईटेक बाड़, गार्ड पोस्ट और गश्ती सड़कें शामिल हैं। ह्यूम राइट्स वॉच (HRW) ने सैटेलाइट तस्वीरों का विश्लेषण किया है।

उत्तर कोरिया में चीन सीमा से तस्करी करने की सबसे अच्छी जगहों में से एक होरीयुंग (Hoeryung) शहर है। यहां नवंबर 2020 से अप्रैल 2022 के बीच 169 गार्ड पोस्ट और लगभग 20 किमी लंबी बाड़ लगाई गई है। कि उसने पांच उत्तर कोरियाई तस्करों से बात की है जो फरवरी 2020 में तस्करी की गतिविधि को अंजाम देने में नाकाम रहे। HRW में कोरिया की एक वरिष्ठ शोधकर्ता लीना यून ने कहा, ‘उत्तर कोरियाई सरकार ने लोगों पर अधिक दबाव बनाने के लिए कोविड 19 के खतरे का इस्तेमाल किया।’

सरकार केवल दमन करेगी
उन्होंने आगे कहा, ‘उत्तर कोरियाई सरकार को अपनी ऊर्जा भोजन, वैक्सीन और दवाओं तक जनता की पहुंच में सुधार के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।’ यून ने कहा कि पिछले अनुभव दिखाते हैं कि उत्तर कोरिया में भोजन और आवश्यक वस्तुओं के लिए सरकार के वितरण पर भरोसा करना केवल दमन को बढ़ावा देता है। इससे अकाल और अन्य तबाही हो सकती है। उत्तर कोरिया पहला देश था जिसने कोरोना वायरस के कारण जनवरी 2020 में अपनी सीमाओं को सील किया था।

चीन से बंद हो गया था आयात
उत्तर कोरिया में किम जोंग उन का राज है। ये देश पूरी दुनिया से कटा हुआ है। देश का 90 फीसदी आयात चीन से होता है। लेकिन सीमा पर सख्ती ने उत्तर कोरिया में आने वाली हर चीज पर प्रतिबंध लगा दिया। विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार उत्तर कोरिया एशिया के सबसे गरीब देशों में है और यहां की 40 फीसदी आबादी कुपोषित है। यहां पर रहने वाले लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है। किम जोंग उन ने साल 2022 में माना था कि कोरोना वायरस का संक्रमण उत्तर कोरिया में है। अगस्त में उन्होंने देश के संक्रमण मुक्त होने की घोषणा की और कोरोना के लिए दक्षिण कोरिया को जिम्मेदार ठहराया था।


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