बेबस बेटी की गुहार, रोजगार के साथ दो वक्त कि रोटी के लिए परेशान

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रायपुर,29 अक्टूबर 2022\ में दीपावली के दिन से ही शिक्षाकर्मियों की विधवाएं और उनके बच्चे धरना दे रहे हैं। अब एक बेटी का दर्द सामने आया है। बीते कोविड काल में ये अपने पिता और उससे पहले अपनी शिक्षाकर्मी मां को खो चुकी है। रूपा नाम की ये लड़की मौसी के साथ रहती है।

मौसी भी मानसिक रूप से बीमार है। रूपा ने बताया कि अब दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त करने में भी परेशानी हो रही है। रायपुर के धरना स्थल में बैठकर ये युवती रोजगार की मांग कर रही है, ये चाहती है कि मां की जगह इसे अनुकम्पा नियुक्ति मिल जाए।

रूपा की तरह कई बेटियां और विधवाएं हैं जो इसी मांग को लेकर धरने पर बैठी हैं। धरना स्थल बूढ़ा से गुजरने वाले राहगीरों का ध्यान भी इन औरतों पर जाता है। मगर कोई इनकी मदद को आगे नहीं आ रहा। डेंगू के खतरे के बीच गंदगी और मच्छरों के बीच ये महिलाएं धरना स्थल में ही खुले आसमान के नीचे रात बिता रही हैं।

बदबूदार कचरा डंपिग यार्ड और सुलभ शौचालय के सामने खाना बना रहीं हैं। ये तमाम प्रदर्शनकारी राज्य के अलग अलग जिलों से पंहुचे है। ये दिवंगत पंचायत अनुकंपा शिक्षक संघ से जुड़े हैं। संविलियन होने के पहले जो शिक्षक गांवों के स्कूलों में पढ़ा रहे थे और अब जीवित नहीं है। उनके परिवार वाले अनुकंपा नियुक्ति के लिए अब दर-दर भटक रहे हैं।

अनुकम्पा नियुक्ति संघ की प्रांताध्यक्ष माधुरी मृघे ने कहा संविलियन के बाद वाले कर्मियों के परिवारजनों को अनुकंपा नियुक्ति मिल रही है। जबकि संविलियन पूर्व के दिवंगत लोगों के परिवार वाले दर-दर भटक रहे हैं । नौकरी के लिए विभागों के चक्कर लगा रहे हैं। कवर्धा से आयी तृप्ति रोहनकर ने कहा मैं भी किसी की बहू बेटी हूं मेरे बच्चों के पढ़ने के लिए उनके जीवन चलाने के लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं कृपया मेरे दिवंगत पति दीपक की नौकरी मुझे दिला दें। जिससे बच्चों की पढ़ाई न रुके।

नर्सों ने किया चेकअप
धरना स्थल में ज्योति और शांति नाम की दो महिलाओं ने आमरण अनशन कर दिया है। प्रदर्शन कर रही महिलाओं की तबीयत अचानक बिगड़ गई। जिन्हें एंबुलेंस से हॉस्पिटल भेजा गया। अब प्रशासन ने वहां नर्सों की तैनाती कर दी है। जो लगातार प्रदर्शनकारियों के स्वास्थ्य की जांच कर रही है।

अनुकंपा नियुक्ति के लिए पहले संघ ने विधानसभा घेराव कर प्रदर्शन किया था जिससे सरकार ने एक कमेटी बनाई थी। जिसे 13 महीने बीत गए हैं। इसका कोई फायदा नहीं मिला। न ही कमेटी ने रिपोर्ट सौंपी है। इनकी मांग है कि दिवंगत पंचायत शिक्षक के परिजनों को उनकी शैक्षणिक योग्यता के अनुसार तृतीय, चतुर्थ श्रेणी, सहायक शिक्षक, प्रयोगशाला शिक्षक, ग्राम पंचायत सचिव आदि के पदों पर योग्यता के अनुसार अनुकंपा नियुक्ति दी जाए। जिससे ये अपना जीवनयापन कर सकें।


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