प्याज के दाम चुनाव में मुद्दा मोदी राज में महंगाई बढ़ी
रायपुर/ 31 अक्टूबर 2023। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार की मुनाफाखोरी वाली नीति के कारण प्याज के दाम 80 रू. हो गयी है तथा राहर दाल 170 रू. किलो में बिक रहा है। आम आदमी का जीवन महंगाई के कारण कठिन हो गया है। इस चुनाव में महंगाई जनता का मुद्दा है। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रही है, 100 दिन में महंगाई कम करने का वायदा करने वाले मोदी के राज में आजादी के बाद सबसे ज्यादा महंगाई है। महंगी गैस, महंगा तेल, थोक और खुदरा महंगाई आजादी के बाद सर्वोच्च शिखर पर है, सिर्फ सत्ता की भूख में मोदी सरकार आम जनता की कमर तोड़ रही है, फिर भी महंगाई से देशवासियों को लूटने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ रही है। पेट्रोल-डीजल 100 के पार, रसोई गैस 1000, खाने का तेल 200 के पार। आम जनता बेबस और लाचार है पर मोदी सरकार केवल अपने चंद पूंजीपति मित्रों के मुनाफे की सोच रही है। मोदी सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी विगत 7 साल में 258 परसेंट बढ़ाया है और डीजल पर 820 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इन तमाम आंकड़ों के बावजूद मोदी सरकार द्वारा महंगाई को झूठलाया जाना यह प्रदर्शित करता है कि महंगाई को काबू करना मोदी सरकार के बस में नहीं है।
2013 में कांग्रेस की मनमोहन सरकार के समय राशन सामग्री और पेट्रोल-डीजल के दाम और वर्तमान मोदी सरकार के समय आवश्यक वस्तुओं की कीमतें
2013 | 2023 | |
आटा (10 किलो) | 210 रुपये | 440 रुपये |
चावल | 30&36 रु. किलो | 50&65 रु. किलो |
फूल क्रीम दूध | 39 रुपये | 66 रुपये |
देसी घी | 300 रुपये | 875 रुपये |
सरसों तेल | 52 रुपये | 260 रुपये |
अरहर दाल | 70&80 रुपये | 160&170 रुपये |
रसोई गैस | 410 रुपये | 1000 रुपये |
पेट्रोल | 66 रुपये | 97 रुपये |
डीजल | 52 रुपये | 92 रुपये |
रिफाइंड तेल | 68 रुपये | 148 रुपये |
फल्लीदाना | 60 रुपये | 135 रुपये |
उड़द दाल | 64 रुपये | 120 रुपये |
मूंग दाल | 62 रुपये | 130 रुपये |
मसूर दाल | 47 रुपये | 90 रुपये |
चना दाल | 40 रुपये | 66 रुपये |
जीरा | 220 रुपये | 450 रुपये |
गेंहू | 22 रुपये | 32&36 रुपये |
विभिन्न साबुनों मे 22 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुआ | ||
दवाई में 32 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो गया |
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश की अर्थव्यवस्था लगातार गर्त में जा रही है। देश की जीडीपी 8.2 से गिरकर 5.7 हो गयी है। विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार संतुलन बिगड़ने से आयात पर निर्भरता तेजी से बढ़ रही है। देश पर कुल कर्ज का भार 3 गुना बढ़ चुका है। विगत 12 महीनों में डॉलर के मुकाबले रुपए का मूल्य 12 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुका है। मोदी राज में विगत एक माह में ही विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 26 बिलियन डॉलर कम हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 2014 की तुलना में 20 परसेंट कम होने के बावजूद डीजल और पेट्रोल 30 से 40 रुपए प्रति लीटर महंगे बेचे जा रहे हैं। थोक और खुदरा महंगाई दर आरबीआई द्वारा तय सीमा से लगातार ऊपर है लेकिन मोदी सरकार का फोकस केवल चंद पूंजीपतियों के मुनाफे पर केंद्रित है।