रायपुर,17 सितम्बर , 2023 /
छत्तीसगढ़ में यदि पहले महाविद्यालय का जब भी जिक्र होता है तो हर कोई छत्तीसगढ़ महाविद्यालय का नाम जरूर लेता है। इसी कड़ी मे बीते कल शनिवार को रायपुर की अग्रणी शिक्षण संस्थान छत्तीसगढ़ महाविद्यालय विधि विभाग के लीगल एंड क्लीनिक इकाई में छात्र संघ चुनाव प्रक्रिया चुनाव पर्यवेक्षक श्री सुदीप सर्वा सर एवम सीनियर छात्र छात्राओं के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुईं। विधि विभाग द्वारा आयोजित छात्र संघ चुनाव में 4 पद निर्धारित किए गए थे। जिसमे अध्यक्ष उपाधाय सचिव सहसचिव थे।छात्र छात्राओं ने मतदान में उत्साह से भाग लिया और अपने पसंद के प्रत्याशी को अपना मत दिया। जिसमे अध्यक्ष पद पर सबसे अधिक मत प्राप्त कर निखिल मांडले ,उपाध्यक्ष के पद पर कु.प्रिया सोनी ,सचिव के पद पर मनीष रात्रे एवं सहसचिव के पद पर ट्विंकल जॉन निर्वाचित घोषित किए गए। सभी घोषित प्रत्याशियों ने छात्र-छात्राओं सहित विधि विभाग के समस्त अध्यापकों का आभार व्यक्त किया है। निर्वाचित पदाधिकारियो ने कहा आप सभी को नए सोच के साथ कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ जिस पर हम सभी खरा उतरने का प्रयास करेंगे।हम सब साथ मिलकर एक दूसरे के सहयोग से विधि विभाग सहित महाविद्यालय का नाम रोशन करेगे। अंत में निर्वाचित पदाधिकारियो के द्वारा समस्त छात्राओं एवं अध्यापकों के लिए स्वल्पाहार की व्यवस्था भी की गई थी।
एक नजर मे महाविद्यालय
शान से खड़ा छत्तीसगढ़ का पहला महाविद्यालय एडवोकेट जे. योगानंदम ने चंदा इकट्ठा कर 16 जुलाई 1938 को पहले महाविद्यालय की रखी थी नींव देश में एक ओर जहां आजादी की लड़ाई के लिए संघर्ष जारी था, वहीं दूसरी ओर उसी वक्त शिक्षा को लेकर छत्तीसगढ़ प्रांत में उच्च शिक्षा की नींव गढ़ी जा रही थी। अनेक संघर्षों और उतार चढ़ाव के बीच अंतत: प्रांत में शासकीय जे. योगानंदम छत्तीसगढ़ महाविद्यालय की नींव तैयार हुई। 16 जुलाई 1938 को बनी यह महाविद्यालय सालों से शान के साथ खड़ा है। यह एक ऐसा महाविद्यालय है जहां की फीस काफी कम है। शायद यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के ज्यादातर विद्यार्थी यहां पढ़ाई करने को प्राथमिकता देते हैं।इतिहासकारों की मानें, तो अंग्रेजों के शासन काल में उच्च शिक्षा हासिल करना काफी मुश्किल था। उस दौर में महाविद्यालय की स्थापना किसी युद्ध जीतने से कम नहीं थी।ऐसे में एडवोकेट जे. योगानंदम ने महाविद्यालय की स्थापना के लिए एक समिति बनाई, जिसका नाम छत्तीसगढ़ शिक्षण समिति रखा गया। इसी समिति की बदौलत 16 जुलाई 1938 को महाविद्यालय का निर्माण किया गया। पहले यह महाविद्यालय बांस की टट्टों से पुराना हेडक्वार्टर के पास संचालित होता था, लेकिन नवंबर 1957 में देश के प्रथम उपराष्ट्रपति डा. राधाकृष्णन ने महाविद्यालय का उद्धाटन किया था।
तीन हजार से अधिक विद्यार्थी करते हैं पढ़ाई
महाविद्यालय के प्राचार्य डा. अमिताभ बैनर्जी ने अमनपथ समाचार पत्र संवाददाता कृष्णा मेश्राम को बताया कि क्षेत्र का सबसे पुराना महाविद्यालय है। यहां तीन हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ाई करते हैं। इनमें ज्यादातर विद्यार्थी ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं। इस महाविद्यालय में एससी, एसटी के विद्यार्थी बड़ी संख्या में अध्ययन कर रहे हैं। शासकीय महाविद्यालय होने की वजह से यहां की फीस काफी कम है।
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