सीनियर कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने उठाया बगावत का झंडा
नई दिल्ली,22 जुलाई 2023/ वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण हो गया है. वह शुक्रवार को एक निजी होटल में एडिगा, बिलावा और दिवारा जाति के सामुदायिक नेताओं की बैठक में बोल रहे थे. उस समय तक, कांग्रेस सरकार सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच मतभेदों को सुलझाती दिख रही थी, लेकिन एक वरिष्ठ नेता द्वारा सीएम के खिलाफ विद्रोह का बैनर लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को चिंतित कर रहा है.
हरिप्रसाद प्रभावशाली एडिगा समुदाय से हैं और वर्तमान में विधान परिषद में विपक्ष के नेता के रूप में काम करते हैं.
आरएसएस और हिंदुत्व के खिलाफ उग्र भाषणों के लिए जाने जाने वाले हरिप्रसाद कैबिनेट पद के प्रमुख आकांक्षी थे.
हरिप्रसाद ने कहा, ”मुझे कैबिनेट में जगह मिलेगी या नहीं, यह अलग बात है. कांग्रेस के पांच मुख्यमंत्रियों के चयन में मेरी भूमिका रही है. छत्तीसगढ़ के सीएम मेरे रिश्तेदार नहीं हैं. मैंने पिछड़े वर्ग के नेता को सीएम बनाया है. मैं अच्छी तरह जानता हूं कि सीएम कैसे बनाना है और साथ ही उन्हें गद्दी से उतारना भी .
हरिप्रसाद ने कहा कि वह पदों के लिए भीख नहीं मांगेंगे. उन्होंने परोक्ष रूप से सीएम सिद्धारमैया पर निशाना साधते हुए कहा, ”हमारे अपने लोग उनके साथ आते हैं, हमें शोषण नहीं करना चाहिए. एडिगा, बिलावा, दिवारा समुदाय के नेता सामने नहीं आ रहे हैं. तमाम कोशिशों के बावजूद वे राजनीति में आगे नहीं आ पा रहे हैं.
उन्होंने कहा, ”इसे देखकर इस बात पर संदेह पैदा होता है कि कहीं समुदाय के नेता साजिश का शिकार तो नहीं हो रहे हैं. सीएम सिद्धारमैया पिछड़े वर्ग से हैं. हमने एकजुट होने के इरादे से 2013 में उनका समर्थन किया था. समर्थन देने के बाद, हम पदों के लिए याचना नहीं करते हैं. हमने उडुपी जिले के करकला शहर में कोटि चन्नय्या पार्क के लिए 5 करोड़ रुपये का अनुदान मांगा था, सीएम सिद्धारमैया ने धन उपलब्ध कराने का वादा किया था. लेकिन, आज तक इसकी इजाजत नहीं दी गयी. वह मेरी राजनीतिक मदद करने की स्थिति में नहीं हैं. दरअसल मैं उनका समर्थन करूंगा. पिछड़ा वर्ग किसी एक जाति तक सीमित नहीं है. हम विभिन्न वर्गों और जातियों के अंतर्गत आते हैं. सभी को समान अधिकार मिलना चाहिए.
हरिप्रसाद ने कहा कि 11 विधानसभा सीटों पर एडिगा, बिलावा और दिवारा समुदाय निर्णायक स्थिति में हैं. उन्होंने कहा, ”मैं चुनाव समिति में भी था. इन समुदायों के चार उम्मीदवार टिकट पाने से चूक गए. मंगलुरु उत्तर और दक्षिण सीटों पर अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को टिकट दिए गए. अल्पसंख्यकों को टिकट आवंटित करने के बहाने हमारे उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट से वंचित कर दिया गया है. भावी पीढ़ी को लाभ मिलना चाहिए. वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया, वह (सिद्धारमैया) धार्मिक मठाधीशों से कह रहे हैं कि समुदाय से पहले से ही एक मंत्री है और दूसरे की कोई जरूरत नहीं है. “हमें संगठित होना होगा, नहीं तो हमारा शोषण होगा.