रायपुर 29 मई 2023/ यूँ तो भारतीय संस्कृति में गाय को कामधेनु कहा गया है पर इसे वास्तविक रूप में रायपुर के गोकुल नगर गौठान की महिला स्व-सहायता समूह की सदस्यों ने अपने हुनर से सार्थक किया है। यदि किसी भी काम को लगन से किया जाए तो उसका परिणाम भी सुखद ही होता है। देशी गाय के गोबर से कलात्मक कृतियाँ और उत्पाद बना गौठान में काम कर रही महिलाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर बनी है बल्कि विभिन्न मंचों में सम्मान भी पा रही है।
छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना “नरवा, गरूवा, घुरूवा और बाड़ी“ के अंतर्गत रायपुर शहर के गोकुल नगर में 2.5 एकड़ में गौठान का निर्माण किया गया है। यहां गोबर को बेचा नहीं जाता बल्कि इससे कई प्रकार की सामग्री बनाने का काम महिला स्व-सहायता समूह द्वारा किया जाता है। इन उत्पादों की बिक्री से गौठान को सालाना 30 लाख तक की आमदनी होती है। जिससे समूह की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त बन रही है और किसी पर निर्भर भी नहीं है। गौठान में कार्य कर रहीं एक पहल महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष नीलम अग्रवाल बताती है कि गौठान में 400 से अधिक देशी गाय है जिनसे हर रोज़ करीब 3 हजार किलो गोबर मिलता है इस गोबर का उपयोग करके यहाँ 30 से ज्यादा प्रकार के उत्पाद बनाए जाते है। इन दिनों समूह की महिलाएं गोबर से टाइल्स, चप्पल, घड़ी, चाबी रिंग जैसे उत्पाद बनाने के काम में जुटी है।
गौठानों से महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हुई है और साथ ही प्रदेश भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा भी बन रही है। राज्य शासन द्वारा भी गौठानों से आय बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिससे इन महिलाओं के साथ साथ प्रदेश भर की महिलाओं के प्रयासों को बल मिल रहा है। इसी बल के कारण महिलाएं न केवल अपने हुनर को निखार कर अपने लिए आय का श्रोत बना रही है बल्कि देश भर की महिलाओं के लिए मिसाल भी बन रही है।
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